Thursday, June 23, 2022

हिन्दू - एक मरती हुई नस्ल।

लेखक - यू एन मुखर्जी

कोई उम्मीद नहीं दिखती!!!
फिर भी बताने का मन है!!
साल 1914 में यूएन मुखर्जी ने एक छोटी सी पुस्तक लिखी, नाम था हिन्दू - एक मरती हुई नस्ल'!!!
सोचिए 108 साल पहले!!
उन्हें पता था!!

1911 की जनगणना को देखकर ही 1914 में मुखर्जी ने पाकिस्तान बनने की भविष्यवाणी कर दी।
उस समय संघ नहीं था
सावरकर नहीं थे
हिन्दू महासभा नहीं थी

तब भी मुखर्जी ने वो देख लिया जो पिछले 100 सालों में एक दर्जन नरसंहार और एक तिहाई भूमि से हिन्दू विलुप्त करा देने के बाद भी कांग्रेसी,सपाई, रालोदी, एनसीपी, तृणमूल वाले सेक्युलर  हिन्दू नहीं देख पा रहे।

इस किताब के छपते ही सुप्तावस्था से कुछ हिन्दू जगे।
अगले साल 1915 में पं मदन मोहन मालवीय जी के नेतृत्व में हिन्दू महासभा का गठन हुआ। 
आर्य समाज ने शुद्धि आंदोलन शुरू किया जो 
एक स्लिम द्वारा स्वामी श्रद्धानंद की हत्या के साथ समाप्त हो गया।

1925 में हिन्दुओं को संगठित करने के उद्देश्य से संघ बना। 

लेकिन ये सारे मिलकर भी वो नहीं रोक पाए जो यूएन मुखर्जी 1915 में ही देख लिया था। गांधीवादी अहिंसा ने इस्लामिक कट्टरवाद के साथ मिलकर मानव इतिहास के सबसे बड़े नरसंहार को जन्म दिया और काबुल से लेकर ढाका तक हिन्दू शरीयत के राज में समाप्त हो गए।
😥
जो बची भूमि हिन्दुओं को मिली वो हिन्दुओं के लिए मॉडर्न संविधान के आधार पर थी और मुसलमानों के लिए शरीयत की छूट। धर्मांतरण की छूट, चार शादी की छूट, अलग पर्सनल लॉ की छूट, हिन्दू तीर्थों पर कब्जे की छूट सब कुछ स्टैंड बाय में है। हिन्दू एक बच्चे पर आ गए है वहां आज भी आबादी बढ़ाना शरीयत है।

जो लोग इसे केवल भाजपा कांग्रेस की राजनीति समझते हैं उन्हें एक बार इस स्थिति की गंभीरता का अंदाजा लगाना चाहिए 2015 में 1915 से क्या बदला है? 

आज भी साल के अंत में वो अपना नफा गिनते हैं
हम अपना नुकसान

हमें आज भी अपने भविष्य के संदर्भ में कोई जानकारी नहीं है। 

आज भी संयुक्त इस्लामिक जगत हम पर दबाव बनाए हुए हैं कि हम अपने तीर्थों पर कब्जा सहन करें लेकिन उपहास और अपमान की स्थिति में उसी भाषा में पलटकर जवाब भी न दें।

मराठों ने बीच में आकर 100-200 साल के लिए स्थिति को रोक दिया जिससे हमें थोड़ा और समय मिल गया है लेकिन ये संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है।

अपने बच्चों को देखिए आप उन्हें कैसा भविष्य 
देना चाहते हैं
मरती हुई हिन्दू नस्ल जैसा कि 1915 में यूएन मुखर्जी लिख गए थे।
अपने समय का एक समय
अपनी कमाई का एक हिस्सा
बिना किसी स्वार्थ के हिन्दू जनजागरण में लगाइये अगर ये कोई भी दूसरा नहीं कर रहा तो खुद करिए। 

नहीं तो आपके बच्चे अरबी मानसिकता के 

गुलाम, चौथी बीवी या  फिदायन हमलावर बनेंगे और इसके लिए सिर्फ आप जिम्मेदार होंगे। 

Hindu dying race नहीं है 
हम सनातन है

और ये आखिरी सदी है
जब हम लड़ सकते हैं
इसके बाद हमारे पास भागने के लिए कोई जगह नहीं है
स्रोत 

राष्ट्र देव गृहपृष्ट
बेशर्मी और निर्लज्जता की हद देखिए.....

*एक हिन्दू महिला के विरुद्ध लगातार आग उगल रहे है, जान से मारने के फतवे दे रहे है, बलात्कार की धमकी दे रहे है और ये हाल तब है जब ये मात्र 25% है*

गम्भीरता से सोचिए आपके सामने आपकी महिला को कट्टरपंथी खुलेआम गर्दन काटने, बलात्कार की धमकी दे रहे है, पोस्टर चिपका रहे है जहां आप बाहुल्य समाज है.

_उनका दुस्साहस देखिए आपके इलाके में जाकर आपकी महिला के विरुद्ध प्रदर्शन में आपकी दुकानें बंद करवाने पहुंच गए. नही माने तो पत्थरबाज़ी कर दंगा कर दिया._

ये हाल तब है जब वे 20 दिनों से लगातार फव्वारा चिल्ला रहे है.

यहां मसला केवल एक महिला का नही बल्कि गर्दन काटने को उतारू उस कट्टरपंथ मानसिकता का है जिसका प्रतिकार बहुत आवश्यक है. समय रहते इसे बढ़ने से रोकना बहुत आवश्यक है वरना देश जंगलराज हो जाएगा.

इसे यही रोकिये, हल्के में मत लीजिए..

मानवता वाली भूमि को रेगिस्तान बनने से रोक लीजिए..

आप घिर चुके हैं......

_ठीक उसी प्रकार जैसे शतरंज मे राजा को प्यादे,_ 

_जंगल मे शेर को भेड़िए,_

और चक्रव्यूह में अभिमन्यु.......

_शरजील इमाम ने "चिकेन नेक" की बात की, आप जानते हैं हर शहर का एक चिकन नेक होता है! हर बाजार का एक चिकेन होता है और सभी चिकन नेक पर उनका कब्जा है।_

आप अपने शहर के मार्केट निकल जाइए अपना लैपटाप बनवाने मोबाईल बनवाने या कपड़े सिलवाने आप को अंदाजा नही है कि चुपचाप "बिजनेस जिहाद" कितना हावी हो चुका है।

गुजरात का जामनगर हो, लखनऊ का हजरतगंज, मुम्बई का हाजी अली, गोरखपुर का हिंदी बाजार या दिल्ली का करोलबाग "चेक मेट" हो चुके हैं आप हर जगह इनका कब्जा हो चुका है!

उतने जमीन पर आप के मंदिर नही हैं जितनी जमीनें उनके पास "कब्रिस्तान" के नाम पर रसूल की हो चुकी हैं! एक दर्जी की दुकान पर सिलाई करने वाले सभी उनके हममजहब है, चैन से लगायत बटन तक के सप्लायर नमाजी हैं! ढाबे उनके होटल उनके ट्रांसपोर्ट का बड़ा कारोबार हो या ओला उबर का ड्राइवर सब जुमा वाले हैं।

आप शहर में चंदन जनेऊ ढूढते रहिए नहीं पाएंगे, वहीं हर चौराहे पर एक कसाई बैठा है।

घिर चुके हैं आप !

उपाय इसका इतना आसान नही है गहराई से काम करना होगा, अपनी दुकानें बनानी होंगी अपना भाई हर जगह बैठाना होगा।

वरना #गजवा_ए_हिंद चुपचाप पसार चुका है अपना पांव, बस घोषणा होनी बाकी है।

शेर दहाड़ते ही रह गया, भेड़िए जंगल पर कब्ज़ा बना कर बैठ चुके हैं।

आँखे बंद करिए और ध्यान दीजिए हर जगह आप को नारा ए तकबील "अल्लाहु अकबर"!! सुनाई देगा......

और अगर नहीं सुनाई दे रहा है तो मुगालते मे हैं आप।

बस एक जवाब लिख दीजिए... और बता दीजिए कि *"कब जागेंगे आप"??*
*कब तक सेकुलर का चोला ओढ़े रहेंगे..??*

*#सोचनीय*

No comments:

Post a Comment