Thursday, February 25, 2021

भारतीयों में बढ़ती जा रही फास्ट फूड की तलब।

दुनियाभर में फास्ट फूड के शौकीनों की कमी नहीं है। मगर भारत में फास्ट फूड पसंद करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। एडलवाइस सिक्योरिटीज की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत के क्विक सर्विस रेस्टोरेंट (क्यूएसआर) मार्केट में अब से लेकर वित्त वर्ष 2025 तक 23 प्रतिशत तक इजाफा होने की उम्मीद है, क्योंकि फास्ट फूड की आपूर्ति करने वाले तमाम बड़े ब्रांड भारत के छोटे शहरों में अपनी पहुंच बना रहे हैं।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस मामले में कोविड क्यूएसआर के लिए फायदेमंद साबित हुआ है। खासकर उपभोक्ता परिचित ब्रांडों की तरफ शिफ्ट हुए हैं। महामारी के कारण लगे लॉकडाउन ने बाजार से निश्चित सप्लाई को भी पूरी तरह हटा दिया।

सबसे ज्यादा इजाफे का अनुमानः

रिपोर्ट में इस बात का भी संकेत दिया गया है कि क्यूएसआर चेन मार्केट अगले पांच वर्षों में खाद्य सेवाओं के बाजार में सबसे अधिक बढ़ने वाला होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 20-25 में क्यूएसआर चेन मार्केट के सबसे ज्यादा इजाफा होने वाले सब-सेगमेंट होने का अनुमान लगाया गया है।

यह करीब 23 प्रतिशत होगा। फास्ट फूड चेन भारत के फूड सर्विस मार्केट की अब भी पांच प्रतिशत से कम हैं। जबकि वैश्विक स्तर पर यह करीब 20 प्रतिशत हैं। एडलवाइस ने टेक्नोपैक के डेटा का हवाला देते हुए अपने शोध में कहा कि वित्त वर्ष 2020 में भारत के फूड सर्विस मार्केट के 4,236 बिलियन रूपए रहने का अनुमान था। 

कोविड से पड़ा प्रभावः
कोविड के कारण लगे लॉकडाउन के चलतॉ फूड सर्विस इंडस्ट्री को एक झटका लगा है। हालांकि बड़े ब्रांड अपनी मौजूदा वितरण क्षमताओं को बढ़ाकर बिजनेस पर पड़ने वाले प्रभावों की भरपाई करने के लिए तत्पर हैं। क्यूएसआर ने कोविड-19 से सबक लेते हुए स्टोर/ नॉन-डिलीवरी पर फोकस किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि संयोग से इन फूंड चेन में महामारी फैलने से बहुत पहले से ही बुनियादी सुविधाएं और वितरण सेवाओं के लिए प्रक्रिया थी, जो उन्हें  सरकारी नियमों के अनुकूल बनाने में सक्षम थी।

मैदा :- एक जहर।

भारतीय घरों में मैदा से बने नाश्ते का सेवन करना आम बात है जैसे, कचोरी, मठरी, नमक पारे, समोसे आदि। यह सब पुराने समय से होता आया है, लेकिन अब इसकी जगह पिज़्ज़ा और ब्रेड ने ले ली है। मगर बात वही है, हम पहले भी मैदा खाते थे और आज भी खाते हैं। माना की मैदे से बना अधिकतर खाना बहुत स्वादिष्ट होता है जैसे- रूमाली रोटी, नान, केक, पेस्ट्री, बेक्ड फ़ूड जैसे बिस्कुट, नमकीन, पास्ता, नूडल्स, समोसे ... ये सूची कभी न ख़त्म होने वाली है। 

मैदा सभी जंक फूड में पाया जाता है। यह होटल, घरों, स्‍ट्रीट फूड और बेकरी सभी जगह बहुतायत में इस्‍तेमाल होता है। जबकि हमें पता है कि मैदा (सफेद आटा) या इससे बने उत्पाद हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। लेकिन वास्तव में यह क्यों खराब है या यह हमें कितना नुकसान पहुंचा सकता है, यह हम में से बहुत से लोगों को नहीं पता है। 

आइये जानते हैं कि मैदा सेहत के लिए क्यों हानिकारक है:

मैदा से बनी चीजें हमारे पेट को लंबे समय तक भरा होने का अहसास करवाती हैं। क्योंकि उसमें सिर्फ कैलोरीज होती हैं। आटे को महीन पीसकर मैदा बनाया जाता है और इस प्रक्रिया में उसमें मौजूद अच्छे बैक्टीरिया और चोकर निकल जाता है।
 

pizza side effects


इसलिए मैदे से बने खाद्य पदार्थ पचने के लिए शरीर में मौजूद न्यूट्रीएंट्स का इस्तेमाल करते हैं। जिससे शरीर में विटामिन और खनिजों का भंडार कम हो जाता है। गेहूं, अपने परिष्कृत रूप में, शरीर के लिए हानिकारक है, क्योंकि यह न केवल आपको मोटा कर सकता है, बल्कि कई बीमारियों को न्यौता भी देे सकता है। 

साथ ही मैदा से बने फूड्स को बनाने और लंबे समय तक प्रीज़र्व रखने की प्रक्रिया में कई हार्मफुल टोक्सिंस मिलाये जाते हैं, जो शरीर के लिए और भी ज्‍यादा नुकसानदेह हैं जैसे:

1. बेंज़ोयल पेरोक्साइड ( Benzoyl Peroxide)

बेंज़ोयल पेरोक्साइड, एक ब्लीचिंग एजेंट है, जिसका उपयोग करके, मैदे को सफेद रंग दिया जाता है। बेंज़ोयल पेरोक्साइड एक हानिकारक रसायन है जिसे दांतों को सफेद करने वाले उत्पादों और हेयर डाई में उपयोग करने के लिए डाला जाता है। अपने केंद्रित रूप में, यह काफी विस्फोटक हो सकता है।

2. एलोक्सन (Alloxan)

मैदा को एक चिकनी बनावट प्रदान करने के लिए एक अन्य रसायन, एलोक्सन भी जोड़ा जाता है। पशु परीक्षण से संकेत मिले हैं कि ऐलोक्सान पैनक्रियाज़ की बीटा कोशिकाओं को नष्ट कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप टाइप 2 मधुमेह होता है।

3. बेंजोइक एसिड (Benzoic Acid)

मैदे में खतरनाक रसायन जैसे बेंजोइक एसिड और सोडियम मेटा बाय-सल्फेट होते हैं, जो विशेष रूप से बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए गहन जोखिम कारक हो सकता है।

अगर आप भी हर रोज मैदा से बने आहार ले रहीं हैं, तो आपको उठाने पड़ सकते हैं ये स्‍वास्‍थ्‍य जोखिम। 

1. मोटापे का खतरा

मैदे का ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत अधिक है, लगभग 71। यानी इसमें अन्य खाद्य पदार्थों की तुलना में कैलोरी की मात्रा दोगुनी होती है। इसलिए, इसे खाने से शरीर में कैलोरी की मात्रा बढ़ सकती है। ज्यादा कैलोरी खाने से शरीर की कोशिकाओं को आवश्यकता से अधिक ग्लूकोज प्राप्त हो सकता है, जो वसा के रूप में जमा हो जाता है, जिससे तेजी से वजन बढ़ता है।

maida causes weight gain


2. पाचन संबंधी समस्‍याएं

मैदे का सबसे बड़ा दुष्परिणाम यह है कि यह पाचन तंत्र में गड़बड़ी पैदा कर सकता है। मैदा में बहुत कम पोषण मूल्य और शून्‍य फाइबर होता है। फाइबर की कमी से इसे पचाना मुश्किल हो जाता है। यह चयापचय की दर को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है और नियमित रूप से मल त्याग में बाधा उत्पन्न करता है जिससे कब्ज और अन्य पाचन समस्याएं हो सकती हैं।

3. अन्य घातक बीमारियों को बुलावा देता है

ज्यादा मैदा खाने से रक्तचाप में गड़बड़ी हो सकती है जिसकी वजह से ह्रदय रोग का खतरा बढ़ सकता है। मैदे में कोलेस्ट्रोल होता है जो आर्ट्रीज़ ब्लाक कर सकता है और तनाव को भी बढ़ा सकता है। इस सब का इम्‍युनिटी पर बहुत नकारात्‍मक असर पड़ता है। इसके अलावा मैदा एसिडिक होता है जो इन्फ्लामेंशन को बढ़ाता है।

Tuesday, February 16, 2021

जब..............।

🍂........जब पड़ोस के घर बेटी पीहर से आती थी तो सारे मौहल्ले में रौनक होती थी!!!

🍂........जब ब्याह में मेहमानों को ठहराने के लिए पड़ोसियों के घर उनके बिस्तर लगाए जाते थे!!!

🍂.......जब रिश्तेदारों का आना, घर को त्योहार सा कर जाता था!!!

🍂.......जब बच्चे के हर जन्मदिन पर महिलाएं ढोलक के साथ बधाईयाँ गाती थीं!!!

🍂.......जब बुआ और मामा जाते समय जबरन हमारे हाथों में पैसे पकड़ाते थे, और बड़े आपस मे मना करने और देने की बहस में एक दूसरे को अपनी सौगन्ध दिया करते थे!!!

🍂.......जब गेंहूँ साफ करना किटी पार्टी सा हुआ करता था  और पापड़ और आलू चिप्स छत पर सुखाए जाते थे!!!

🍂.......जब शादी के निमंत्रण के साथ पीले चावल आया करते थे!!!

🍂.......जब रात में नाख़ून काटना मना था और संध्या समय झाड़ू लगाना बुरा था!!!

🍂.......जब गले सुरीले होना जरूरी नहीं था, दिल खोल कर बन्ने बन्नी गाये जाते थे!!!

🍂.......जब सबके घर अपने लगते थे, बिना घंटी बजाए बेतकल्लुफी से किसी भी पड़ौसी के घर घुस जाया करते थे!!!

🍂.......जब शराब की जगह  गिल्ली डंडा, चंगा पो, सतोलिया और कंचे दोस्ती के पुल हुआ करते थे!!!

#येउनदिनोंकीबातहै ........💕💕💕

Monday, February 15, 2021

कैसे बचाया हजारों दलितों को मुसलमान बनने से।

बात प्रथम विश्वयुद्ध के दिनों की हैं ।

रियासत बहावलपुर के एक ग्राम में मुसलमानों का एक भारी जलसा हुआ,उत्सव की समाप्ति पर एक मौलाना ने घोषणा की कि कल दस बजे जामाँ मस्जिद में दलित कहलानेवालों को मुसलमान बनाया जाएगा,अतः सब मुसलमान नियत समय पर मस्जिद में पहुँच जाएं ।।

इस घोषणा के होते ही एक युवक ने सभा के संचालकों से विनती की कि वह इसी विषय में पांच मिनट के लिए अपने विचार रखना चाहता हैं  ।।

वह युवक स्टेज पर आया और कहा कि आज के इस भाषण को सुनकर मैं इस परिणाम पर पहुंचा हूँ कि कल कुछ भाई मुसलमान बनेंगे ।।

मेरा निवेदन हैं कि कल ठीक दस बजे मेरा एक भाषण होगा,वह वक्ता महोदय,आप सब भाई तथा हमारे वे भाई जो मुसलमान बनने की सोच रहे हैं,पहले मेरा भाषण सुन लें फिर जिसका जो जी चाहे सो करे,इतनी - सी बात कहकर वह युवक मंच से नीचे उतर आया ।।

अगले दिन उस युवक ने "सार्वभौमिक धर्म" के विषय पर एक व्याख्यान में कुरान,इन्जील,गुरुग्रंथ साहब आदि के प्रमाणों की झड़ी लगा दी,युक्तियों व प्रमाणों को सुन-सुनकर मुसलमान भी बड़े प्रभावित हुए ।।

इसका परिणाम यह हुआ कि एक भी दलित भाई मुसलमान न बना पर मुसलमानों ने उस युवक पर हमला जरूर किया परन्तु जैसे तैसे उसे वहां से निकाल लिया गया ।।

जानते हो यह धर्म - दीवाना कौंन था,कौंन था वह विद्वान जिसने अपने भाइयों को बचाने के लिए अपनी जान तक दे दी थी ?

वह थे वैदिक विद्वान पण्डित चमूपति जी एम ए जिन्होंने चौदहवीं का चांद और रंगीला रसूल जैसी पुस्तकें लिखी थी

क्रांतिकारी कलम के सिपाही महान् आर्य समाजी
पंडित चमुपति जी की जयंती पर कोटिः कोटिः नमन्

जय आर्य जय आर्यावर्त्त

Tuesday, February 9, 2021

पुराणों के कृष्ण बनाम महाभारत के कृष्ण।

इस लेख के साथ सलंग्न चित्र देखिये। यह ISKON के किसी मंदिर का है। इस चित्र में श्री कृष्ण जी को राधा का हाथ पकड़े हुए दिखाया गया है। आप सभी ने ऐसे भजन भी सुने होंगे कि ब्रज की गली में कन्हैया ने मेरा हाथ पकड़ा ,मैं शर्म में डूब गई। 

इस्कोन के संस्थापक प्रभुपाद जी एवं अमरीका में धर्म गुरु दीपक चोपरा के अनुसार ” कृष्ण को सही प्रकार से जानने के बाद ही हम वैलंटाइन डे (प्रेमिओं का दिन) के सही अर्थ को जान सकते है। इस्लाम को मानने वाले जो बहुपत्नीवाद में विश्वास करते है सदा कृष्ण जी महाराज पर 16000 रानी रखने का आरोप लगा कर उनका माखोल करते है।
एक प्रश्न सदा मेरे मन में आता है? क्या कृष्ण जी का ऐसा चित्रण करना सही है? क्या वो वाकई ऐसे थे? इस लेख के माध्यम से हम श्री कृष्ण जी के विषय में फैलाई जा रही भ्रांतियों का निराकरण करेंगे।

प्रसिद्ध समाज सुधारक एवं वेदों के प्रकांड पंडित स्वामी दयानंद जी ने अपने अमर ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश में श्री कृष्ण जी महाराज के बारे में लिखते है कि पूरे महाभारत में श्री कृष्ण के चरित्र में कोई दोष नहीं मिलता एवं उन्हें आप्त (श्रेष्ठ) पुरुष कहाँ है। स्वामी दयानंद श्री कृष्ण जी को महान विद्वान सदाचारी, कुशल राजनीतीज्ञ एवं सर्वथा निष्कलंक मानते है फिर श्री कृष्ण जी के विषय में चोर, गोपिओं का जार (रमण करने वाला), कुब्जा से सम्भोग करने वाला, रणछोड़ आदि प्रसिद्द करना उनका अपमान नहीं तो क्या है?श्री कृष्ण जी के चरित्र के विषय में ऐसे मिथ्या आरोप का आधार क्या है? इन गंदे आरोपों का आधार है पुराण।  आइये हम सप्रमाण अपने पक्ष को सिद्ध करते है।

पुराण में गोपियों से कृष्ण का रमण करने का मिथ्या वर्णन

विष्णु पुराण अंश 5 अध्याय 13 श्लोक 59-60  में लिखा है-

वे गोपियाँ अपने पति, पिता और भाइयों के रोकने पर भी नहीं रूकती थी रोज रात्रि को वे रति “विषय भोग” की इच्छा रखने वाली कृष्ण के साथ रमण “भोग” किया करती थी।  कृष्ण भी अपनी किशोर अवस्था का मान करते हुए रात्रि के समय उनके साथ रमण किया करते थे।

कृष्ण उनके साथ किस प्रकार रमण करते थे पुराणों के रचयिता ने श्री कृष्ण को कलंकित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

 भागवत पुराण स्कन्द 10 अध्याय 33 शलोक 17 में लिखा है -

कृष्ण कभी उनका शरीर अपने हाथों से स्पर्श करते थे, कभी प्रेम भरी तिरछी चितवन से उनकी और देखते थे, कभी मस्त हो उनसे खुलकर हास विलास ‘मजाक’ करते थे। जिस प्रकार बालक तन्मय होकर अपनी परछाई से खेलता है वैसे ही मस्त होकर कृष्ण ने उन ब्रज सुंदरियों के साथ रमण, काम क्रीड़ा ‘विषय भोग’ किया।

भागवत पुराण स्कन्द 10 अध्याय 29 शलोक 45-46  में लिखा है -

कृष्णा ने जमुना के कपूर के सामान चमकीले बालू के तट पर गोपिओं के साथ प्रवेश किया।  वह स्थान जलतरंगों से शीतल व कुमुदिनी की सुगंध से सुवासित था। वहां कृष्ण ने गोपियों के साथ रमण बाहें फैलाना, आलिंगन करना, गोपियों के हाथ दबाना , उनकी छोटी पकरना, जांघो पर हाथ फेरना, लहंगे का नारा खींचना, स्तन पकड़ना, मजाक करना नाखूनों से उनके अंगों को नोच नोच कर जख्मी करना, विनोदपूर्ण चितवन से देखना और मुस्कराना तथा इन क्रियाओं के द्वारा नवयोवना गोपिओं को खूब जागृत करके उनके साथ कृष्णा ने रात में रमण (विषय भोग) किया।

ऐसे अभद्र विचार कृष्णा जी महाराज को कलंकित करने के लिए भागवत के रचयिता ने स्कन्द 10 के अध्याय 29,33 में वर्णित किये है जिसका सामाजिक मर्यादा का पालन करते हुए मैं वर्णन नहीं कर रहा हूँ।

राधा और कृष्ण का पुराणों में वर्णन

राधा का नाम कृष्ण के साथ में लिया जाता है।  महाभारत में राधा का वर्णन तक नहीं मिलता।  राधा का वर्णन ब्रह्मवैवर्त पुराण में अत्यंत अशोभनिय वृतांत का वर्णन करते हुए मिलता है।

ब्रह्मवैवर्त पुराण कृष्ण जन्म खंड अध्याय 3 श्लोक 59-62 में लिखा है कि गोलोक में कृष्ण की पत्नी राधा ने कृष्ण को पराई औरत के साथ पकड़ लिया तो शाप देकर कहाँ – हे कृष्ण ब्रज के प्यारे , तू मेरे सामने से चला जा तू मुझे क्यों दुःख देता है – हे चंचल , हे अति लम्पट कामचोर मैंने तुझे जान लिया है। तू मेरे घर से चला जा।  तू मनुष्यों की भांति मैथुन करने में लम्पट है, तुझे मनुष्यों की योनी मिले, तू गौलोक से भारत में चला जा।  हे सुशीले, हे शाशिकले, हे पद्मावती, हे माधवों! यह कृष्ण धूर्त है इसे निकल कर बहार करो, इसका यहाँ कोई काम नहीं।

ब्रह्मवैवर्त पुराण कृष्ण जन्म खंड अध्याय 15 में राधा का कृष्ण से रमण का अत्यंत अश्लील वर्णन लिखा है जिसका सामाजिक मर्यादा का पालन करते हुए मैं यहाँ विस्तार से वर्णन नहीं कर रहा हूँ।
ब्रह्मवैवर्त पुराण कृष्ण जन्म खंड अध्याय 72 में कुब्जा का कृष्ण के साथ सम्भोग भी अत्यंत अश्लील रूप में वर्णित है।
राधा का कृष्ण के साथ सम्बन्ध भी भ्रामक है।  राधा कृष्ण के बामांग से पैदा होने के कारण कृष्ण की पुत्री थी अथवा रायण से विवाह होने से कृष्ण की पुत्रवधु थी चूँकि गोलोक में रायण कृष्ण के अंश से पैदा हुआ था इसलिए कृष्ण का पुत्र हुआ जबकि पृथ्वी पर रायण कृष्ण की माता यसोधा का भाई था इसलिए कृष्ण का मामा हुआ जिससे राधा कृष्ण की मामी हुई।

कृष्ण की गोपिओं कौन थी?

पदम् पुराण उत्तर खंड अध्याय 245 कलकत्ता से प्रकाशित में लिखा है कि रामचंद्र जी दंडक -अरण्य वन में जब पहुचें तो उनके सुंदर स्वरुप को देखकर वहां के निवासी सारे ऋषि मुनि उनसे भोग करने की इच्छा करने लगे।  उन सारे ऋषिओं ने द्वापर के अंत में गोपियों के रूप में जन्म लिया और रामचंद्र जी कृष्ण बने तब उन गोपियों के साथ कृष्ण ने भोग किया।  इससे उन गोपियों की मोक्ष हो गई। वर्ना अन्य प्रकार से उनकी संसार रुपी भवसागर से मुक्ति कभी न होती।

क्या गोपियों की उत्पत्ति का दृष्टान्त बुद्धि से स्वीकार किया जा सकता है?

श्री कृष्ण जी महाराज का वास्तविक रूप

अभी तक हम पुराणों में वर्णित गोपियों के दुलारे, राधा के पति, रासलीला रचाने वाले कृष्ण के विषय में पढ़ रहे थे जो निश्चित रूप से असत्य है।

अब हम योगिराज, नीतिनिपुण , महान कूटनीतिज्ञ श्री कृष्ण जी महाराज के विषय में उनके सत्य रूप को जानेगे।

आनंदमठ एवं वन्दे मातरम के रचियता बंकिम चन्द्र चटर्जी जिन्होंने 36  वर्ष तक महाभारत पर अनुसन्धान कर श्री कृष्ण जी महाराज पर उत्तम ग्रन्थ लिखा ने कहाँ हैं कि महाभारत के अनुसार श्री कृष्ण जी की केवल एक ही पत्नी थी जो की रुक्मणी थी।  उनकी 2 या 3 या 16000  पत्नियाँ होने का सवाल ही पैदा नहीं होता।  रुक्मणी से विवाह के पश्चात श्री कृष्ण रुक्मणी के साथ बदरिक आश्रम चले गए और 12  वर्ष तक तप एवं ब्रहमचर्य का पालन करने के पश्चात उनका एक पुत्र हुआ जिसका नाम प्रदुमन था. यह श्री कृष्ण के चरित्र के साथ अन्याय हैं की उनका नाम 16000 गोपियों के साथ जोड़ा जाता है।  महाभारत के श्री कृष्ण जैसा अलौकिक पुरुष , जिसे कोई पाप नहीं किया और जिस जैसा इस पूरी पृथ्वी पर कभी-कभी जन्म लेता है।  स्वामी दयानद जी सत्यार्थ प्रकाश में वहीँ कथन लिखते है जैसा बंकिम चन्द्र चटर्जी ने कहा है।  पांडवों द्वारा जब राजसूय यज्ञ किया गया तो श्री कृष्ण जी महाराज को यज्ञ का सर्वप्रथम अर्घ प्रदान करने के लिए सबसे ज्यादा उपर्युक्त समझा गया जबकि वहां पर अनेक ऋषि मुनि , साधू महात्मा आदि उपस्थित थे। वहीँ श्री कृष्ण जी महाराज की श्रेष्ठता समझे की उन्होंने सभी आगंतुक अतिथियो के धुल भरे पैर धोने का कार्य भार लिया।  श्री कृष्ण जी महाराज को सबसे बड़ा कूटनितिज्ञ भी इसीलिए कहा जाता है क्यूंकि उन्होंने बिना हथियार उठाये न केवल दुष्ट कौरव सेना का नाश कर दिया बल्कि धर्म की राह पर चल रहे पांडवो को विजय भी दिलवाई।
ऐसे महान व्यक्तित्व पर चोर, लम्पट, रणछोर, व्यभिचारी, चरित्रहीन , कुब्जा से समागम करने वाला आदि कहना अन्याय नहीं तो और क्या है और इस सभी मिथ्या बातों का श्रेय पुराणों को जाता है।

इसलिए महान कृष्ण जी महाराज पर कोई व्यर्थ का आक्षेप न लगाये एवं साधारण जनों को श्री कृष्ण जी महाराज के असली व्यक्तित्व को प्रस्तुत करने के लिए पुराणों का बहिष्कार आवश्यक है और वेदों का प्रचार अति आवश्यक है।
और फिर भी अगर कोई न माने तो उन पर यह लोकोक्ति लागु होती हैं-

जब उल्लू को दिन में न दिखे तो उसमें सूर्य का क्या दोष है?

प्रोफैसर उत्तम चन्द शरर जन्माष्टमि पर सुनाया करते थे

: तुम और हम हम कहते हैं आदर्श था इन्सान था मोहन |
…तुम कहते हो अवतार था, भगवान था मोहन ||
हम कहते हैं कि कृष्ण था पैगम्बरो हादी |
तुम कहते हो कपड़ों के चुराने का था आदि ||
हम कहते हैं जां योग पे शैदाई थी उसकी |
तुम कहते हो कुब्जा से शनासाई थी उसकी ||
हम कहते है सत्यधर्मी था गीता का रचैया |
तुम साफ सुनाते हो कि चोर था कन्हैया ||
हम रास रचाने में खुदायी ही न समझे |
तुम रास रचाने में बुराई ही न समझे ||
इन्साफ से कहना कि वह इन्सान है अच्छा |
या पाप में डूबा हुआ भगवान है अच्छा ||

कृपया इस लेख को इतना शेयर कीजिये कि लोगों को सत्य-असत्य का बोध अवश्य हो जाये। डॉ_विवेक_आर्य