Sunday, December 14, 2014

प्राकृतिक उपायों से कम करें यूरिक एसिड



यूरिक एसिड कम करने के उपाय
शरीर में प्यूरिन के टूटने से यूरिक एसिड बनता है। प्यूरिन एक ऐसा पदार्थ है जो खाद्य पदार्थों में पाया जाता है और जिसका उत्पादन शरीर द्वारा स्वाभाविक रूप से होता है। यह ब्लड के माध्यम से बहता हुआ किडनी तक पहुंचता है। वैसे तो यूरिक एसिड यूरीन के माध्यम से शरीर के बाहर निकल जाता है। लेकिन, कभी-कभी यह शरीर में ही रह जाता है और इसकी मात्रा बढ़ने लगती है। यह परिस्थिति शरीर के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। यूरिक एसिड की उच्च मात्रा के कारण गठिया जैसी समस्याएं पीड़ित हो सकते है। इसलिए यूरिक एसिड की मात्रा को नियंत्रित करना आवश्यक होता है। यूरिक एसिड को कुछ प्राकृतिक उपायों द्धारा कम किया जा सकता है
सूजन को कम करें...
शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा कम करने के लिए आपको अपने आहार में बदलाव करना चाहिये। आपको अपने आहार में चेरी, ब्लूबेरी और स्ट्रॉबेरी को शामिल करें। यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड मेडिकल सेंटर में हुए शोध के अनुसार, सूजन कम करने में बैरीज आपकी मदद कर सकती है। यूरिक एसिड को कम करने में कुछ अन्य खाद्य पदार्थ भी मददगार होते हैं। जैसे अनानास में मौजूद पाचक एंजाइम ब्रोमेलाइन में एंटी इफ्लेमेंटरी तत्व होता है, जो सूजन को कम करते है
अजवाइन का सेवन...
अजवाइन यूरिक एसिड को कम करने के लिए एक और प्रभावी तरीका है क्योंकि यह प्राकृतिक मूत्रवर्धक है। यह रक्त में क्षार के स्तर को नियंत्रित कर सूजन को कम करने में मदद करती है।
ओमेगा-3 फैटी एसिड से बचें
ट्यूना, सामन, आदि मछलियों में ओमेगा-3 फैटी एसिड भरपूर मात्रा में होता है। इसलिए यूरिक एसिड के बढ़ने पर इन्हें खाने से बचना चाहिए। साथ ही मछली में अधिक मात्रा में प्यूरिन पाया जाता है। प्यूरिन शरीर में ज्यादा यूरिक एसिड पैदा करता है
बेकिंग सोडा का सेवनएक गिलास पानी में आधा चम्मच बेकिंग सोडा मिला लें। इसे अच्छे से मिक्स करके नियमित रूप से इसके आठ गिलास पीये। यह बेकिंग सोडा का मिश्रण यूरिक एसिड क्रिस्टल भंग करने और यूरिक एसिड घुलनशीलता को बढ़ाने में मदद करता है। लेकिन सोडियम की अधिकता के कारण आपको बेकिंग सोडा लेते समय सावधानी बरतनी चाहिए। क्योंकि इससे आपका रक्तचाप बढ़ सकता है

प्यूरिन से भरपूर खाद्य पदार्थ से बचें
शरीर में यूरिक एसिड के स्तर को नियंत्रित करने के लिए प्यूरिन से भरपूर खाद्य पदार्थो के सेवन से बचना चाहिए। प्यूरिन एक प्राकृतिक पदार्थ है, जो शरीर को एनर्जी देता है। किडनी की समस्या होने पर प्यूरिन से भरपूर खाद्य पदार्थ शरीर के विभिन्न भागों में अत्यधिक यूरिक एसिड का संचय करते है। रेड मीट, समुद्री भोजन, ऑर्गन मीट और कुछ प्रकार के सेम सभी प्यूरिन से भरपूर होते हैं। परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट और सब्जियां जैसे शतावरी, मटर, मशरूम और गोभी से बचना चाहिए।
फ्रक्टोज से बचें
प्राकृतिक रूप से यूरिक एसिड को कम करने के लिए आपको फ्रक्टोज से भरपूर पेय का सेवन सीमित कर देना चाहिए। 2010 में किए गए एक शोध के अनुसार, जो लोग ज्यादा मात्रा में फ्रक्टोस वाले पेय का सेवन करते हैं उनमें गठिया होने का खतरा दोगुना अधिक होता है।
पीएच का संतुलन
शरीर में एसिड के उच्च स्तर को एसिडोसिस के रूप में जाना जाता है। यह शरीर के यूरिक एसिड के स्तर के साथ संबंधित होता है। अगर आपका पीएच स्तर 7 से नीचे चला जाता है, तो आपका शरीर अम्लीय हो जाता है। अपने शरीर क्षारीय को बनाये रखने के लिए, अपने आहार में सेब, सेब साइडर सिरका, चेरी का जूस, बेकिंग सोडा और नींबू को शामिल करें। साथ ही अपने नियमित में कम से कम 500 ग्राम विटामिन सी जरूर लें। विटामिन सी, यूरिक एसिड को यूरीन के रास्ते निकालकर इसे कम करने में सहायक होता है
खाना जैतून के तेल में पकाये
यह तो सभी जानते है कि जैतून के तेल में बना आहार, शरीर के लिए लाभदायक होता है। इसमें विटामिन ई की भरपूर मात्रा में मौजूदगी खाने को पोषक तत्वों से भरपूर बनाता है और यूरिक एसिड को कम करता है।
वजन को नियंत्रित रखें
मोटे लोग प्यूरिन युक्त आहार बहुत अधिक मात्रा में लेते हैं। और प्यूरिन से भरपूर खाद्य पदार्थ यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ा देते है। लेकिन, साथ ही यह तेजी से वजन कम होने का एक कारक भी है। इसलिए आपको सभी मामलों में क्रैश डाइटिंग से बचना चाहिए। अगर आप मोटापे से ग्रस्त हैं, तो यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ने से रोकने के लिए अपने वजन को नियंत्रित करें
शराब का कम मात्रा में सेवन
शराब आपके शरीर को डिहाइड्रेट कर देता है, इसलिए प्यूरिन से उच्च खाद्य पदार्थों के शराब की बड़ी मात्रा को लेने से बचना चाहिए। बीयर में यीस्ट भरपूर होता है, इसलिए इसके सेवन से दूर रहना चाहिये। हालांकि वाइन यूरिक एसिड के स्तर को प्रभावित नहीं करती है
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यूरिक एसिड बढ़ने पर करे प्रयोग .....!*
यूरिक एसिड, प्यूरिन के टूटने से बनता है जो खून के माध्यम से बहता हुआ किडनी तक पहुंचता है।‪#‎यूरिकएसिड‬, शरीर से बाहर, पेशाब के रूप में निकल जाता है। लेकिन, कभी - कभार यूरीक एसिड शरीर में ही रह जाता है और इसकी मात्रा बढ़ने लगती है। ऐसा होना शरीर के लिए घातक होता है।* क्या होता है यूरिक अम्ल ...?* कार्बन,हाईड्रोजन,आक्सीजन और नाईट्रोजन तत्वों से बना यह योगिक जिस का अणुसूत्र C5H4N4O3.यह एक विषमचक्रीय योगिक है जो कि शरीर को प्रोटीन से एमिनोअम्ल के रूप मे प्राप्त होता है. प्रोटीनों से प्राप्त ऐमिनो अम्लों को चार प्रमुख वर्गों में विभक्त किया गया हैउदासीन ऐमिनो अम्लअम्लीय ऐमिनो अम्लक्षारीय ऐमिनो अम्लविषमचक्रीय ऐमिनो अम्ल.* यह आयनों और लवण के रूप मे यूरेट और एसिड यूरेट जैसे अमोनियम एसिड यूरेट के रूप में शरीर मे उपलब्ध है. प्रोटीन एमिनोएसिड के संयोजन से बना होता है। पाचन की प्रक्रिया के दौरान जब प्रोटीन टूटता है तो शरीर में यूरिक एसिड बनता है जब शरीरमे प्यूरीन न्यूक्लिओटाइडोंटूट जाती है तब भी यूरिक एसिड बनता है. प्युरीन क्रियात्मक समूह होने के कारण यूरिक अम्ल एरोमेटिक योगिक होते हैं. शरीर मे यूरिक अम्ल का स्तर बढ़ जाने की स्तिथि को hyperuricemia कहते हैं. हम प्रोटीन कहाँ से प्राप्त करते है और प्रोटीन क्यों जरूरी हो शरीर के लिए ये जानना भी जरूरी हो जाता है ....?*

 मनुष्यों और अन्य जीव जंतुओं के लिए प्रोटीन बहुत जरूरी आहार है. इससे शरीर की नयी कोशिकाएँ और नये ऊतक बनते हैं पुरानी कोशिकाओं और उत्तको की टूटफूट की मरम्मत के लिए प्रोटीन बहुत जरूरी आहार है. प्रोटीन के अभाव से शरीर कमजोर हो जाता है और कईं रोगों से ग्रसित होने की संभावना बढ़ जाती है। प्रोटीन शरीर को ऊर्जा भी प्रदान करता है. वृद्धिशील शिशुओं,बच्चो,किशोरों और गर्भवती स्त्रियों के लिए अतरिक्त प्रोटीन भोजन की मांग ज्यादा होती है परन्तु 25 वर्ष की आयु के बाद कम शारीरिक श्रम करने वाले व्यक्तियों के लिए अधिक मात्रा मे प्रोटीन युक्त भोजन लेना उनके लिए यूरिक अम्लों की अधिकताजन्य दिक्कतों का खुला निमंत्रण साबित होते हैं.* रेड मीट(लाल रंग के मांस), सी फूड, रेड वाइन, दाल, राजमा, मशरूम, गोभी, टमाटर, पालक, मटर,पनीर,भिन्डी,अरबी,चावलआदि के अधिक मात्रा में सेवन से भी यूरिक एसिड बढ जाता है।उच्च यूरिक एसिड के कारण :-===================

शरीर में यूरिक ऐसिड बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं.....* भोजन के रूप मे लिए जाने वाले प्रोटीन प्युरीन और साथ मे उच्च मात्रा मे शर्करा का लिया जाना रक्त मे यूरिक एसिड की मात्रा को बढाता है.* कई लोगों मे वंशानुगत कारणों को भी यूरिक एसिड के ऊँचे स्तर के लिए जिम्मेवार माना गया है.* गुर्दे द्वारा सीरम यूरिक एसिड के कम उत्सर्जन के कारण भी इसका स्तर रक्त मे बढ़ जाता है.* उपवास या तेजी से वजन घटाने की प्रक्रिया मे भी अस्थायी रूप से यूरिक एसिड का स्तर आश्चर्यजनक स्तर तक वृद्धि कर जाताहैं.* रक्त आयरन की अधिकता भी यूरेट स्तर को बढ़ाती है जिस पर आयरन त्याग यानी रक्तदान से नियंत्रण किया जा सकता है.* पेशाब बढ़ाने वाली दवाएं या डायबटीज़ की दवाओं के प्रयोग से भी यूरिक ऐसिड बढ़ सकता है.उच्च यूरिक एसिड के नुकसान :-====================* 

इसका सबसे बड़ा नुकसान है शरीर के छोटे जोड़ों मे दर्द जिसे गाउट रोग के नाम से जाना जाता है. मान लो आप की उम्र 25 वर्ष से ज्यादा है और आप उच्च आहारी हैं रात को सो कर सुबह जागने पर आप महसूस करते है कि आप के पैर और हाथों की उँगलियों अंगूठों के जोड़ो मे हल्की हल्की चुभन जैसा दर्द है तो आप को यह नहीं मान लेना चाहिये कि यह कोई थकान का दर्द है आप का यूरिक एसिड स्तर बड़ा हुआ हो सकता है. तो अगर कभी आपके पैरों की उंगलियों, टखनों और घुटनों में दर्द हो तो इसे मामूली थकान की वजह से होने वाला दर्द समझ कर अनदेखा न करें यह आपके शरीर में यूरिक एसिड बढने का लक्षण हो सकता है. इस स्वास्थ्य समस्या को गाउट आर्थराइट्सि कहा जाता है.गाउट आर्थराइट्सि गठिया का एक रूप :-=========================*

 गाउट एक तरह का गठिया रोग ही होता है. जिस के कारण शरीर के छोटे ज्वाईन्ट्स प्रभावित होते हैं औरविशेषकर पैरों के अंगूठे का जोड़ और उँगलियों के जोड़ व उँगलियों मे जकड़न रहती है. हालाँकि इससे एड़ी, टख़ने, घुटने, उंगली, कलाई और कोहनी के जोड़ भी प्रभावित हो सकते हैं. इसमें बहुत दर्द होता है. जोड़ पर सुर्ख़ी और सूजन आ जाती है और बुख़ार भी आ जाता है. यह शरीर में यूरिक ऐसिड के बढ़ने से पैदा होती है.


~ 80 प्रकार के वात रोगों को जड से खत्म कर देगा यह प्रयोग ~
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सभी प्रकार के वातरोगों में लहसुन का उपयोग करना चाहिए।
इससे रोगी शीघ्र ही रोगमुक्त हो जाता है तथा उसके शरीर
की वृद्धि होती है।'


कश्यप ऋषि के अनुसार लहसुन सेवन का उत्तम समय पौष व माघ
महीना (दिनांक 22 दिसम्बर से 18 फरवरी तक) है।
प्रयोग विधिः 200 ग्राम लहसुन छीलकर पीस लें। 4 लीटर दूध में
ये लहसुन व 50 ग्राम गाय का घी मिलाकर दूध गाढ़ा होने तक
उबालें। फिर इसमें 400 ग्राम मिश्री, 400 ग्राम गाय का घी
तथा सोंठ, काली मिर्च, पीपर, दालचीनी, इलायची,
तमालपात्र, नागकेशर, पीपरामूल, वायविडंग, अजवायन, लौंग,
च्यवक, चित्रक, हल्दी, दारूहल्दी, पुष्करमूल, रास्ना, देवदार,
पुनर्नवा, गोखरू, अश्वगंधा, शतावरी, विधारा, नीम, सोआ व
कौंचा के बीज का चूर्ण प्रत्येक 3-3 ग्राम मिलाकर धीमी आँच
पर हिलाते रहें। मिश्रण में से घी छूटने लग जाय, गाढ़ा मावा बन
जाय तब ठंडा करके इसे काँच की बरनी में भरकर रखें।
10 से 20 ग्राम यह मिश्रण सुबह गाय के दूध के साथ लें
(पाचनशक्ति उत्तम हो तो शाम को पुनः ले सकते हैं।
भोजन में मूली, अधिक तेल व घी तथा खट्टे पदार्थों का सेवन न
करें। स्नान व पीने के लिए गुनगुने पानी का प्रयोग करें।
इससे 80 प्रकार के वात रोग जैसे – पक्षाघात (लकवा), अर्दित
(मुँह का लकवा), गृध्रसी (सायटिका), जोड़ों का दर्द, हाथ
पैरों में सुन्नता अथवा जकड़न, कम्पन, दर्द, गर्दन व कमर का दर्द,
स्पांडिलोसिस आदि तथा दमा, पुरानी खाँसी, अस्थिच्युत
(डिसलोकेशन), अस्थिभग्न (फ्रेक्चर) एवं अन्य अस्थिरोग दूर होते
हैं। इसका सेवन माघ माह के अंत तक कर सकते हैं। व्याधि अधिक
गम्भीर हो तो वैद्यकीय सलाह ले!

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