Thursday, March 28, 2019

मेहंदी लगाने वाले लड़के।

ध्यान देने योग्य बाते खासकर माता पिता को
🌚🌚🌚🌚🌚🌚🌛🌚🌚🌚🌚🌚
🔍🔍गलतियां सिर्फ लड़कियों की नही है उनके नादान माता पिता की भी है !

क्या आपने कभी इस पर ध्यान दिया है
नहीं ना तो आगे से ध्यान दीजिए देखिए आपके आसपास तो यह ऐसा घटित नहीं हो रहा...???

शहरों में जगह जगह हाई प्रोफाइल localities में कम उम्र, वयस्क युवतियां और महिलाएं आपको मेहंदी लगवाती दिख जाएंगी !

करवाचौथ और त्यौहारी सीजन में तो इतनी भीड़ हो जाती है कि मेहंदी लगाने वाले लड़के मुँह मांगे पैसे वसूल करते हैं !

आज ही मैंने देखा कि
*4 लड़के 4 लड़कियों के हाथों में मेहंदी लगा रहे थे और काफी स्मार्ट और मेन्टेन लग रहे थे !*

मेरी समझ में ये नहीं आया कि क्या उन स्मार्ट पढि लिखी लड़कियों को ये नही दिखता कि गली गली यूँ मेहँदी लगाने वालों के पास इतना सजने सवरने के लिए समय और पैसा कहाँ से आता होगा ।

या *इनके पास पैसा है तो ये छोटा सा काम क्यों कर रहे हैं ।??*
 
4 लड़के मेहँदी लगा रहे थे

मैं इस तरह वहाँ खड़ा हो गया कि वो लड़के मुझे किसी युवती का भाई या कोई रिश्तेदार समझें !

एक युवक ने मेहंदी लगाने के बाद युवती से कहा कि
*"आपका हाथ गज़ब लग रहा है मैडम ", युवती शर्मा गई और युवक ने आँखों-आँखों में मुस्कान फेंकी ! और कुछ न कुछ ऐसे बोलना कि वो नव यौवनाएं उनसे प्रभावित हों।*

फिर युवती गदगद मन से  200 रु देकर मेहंदी लगा हाथ सँभालते हुए रवाना हो गई !

*शहरी क्षेत्र में अनेक इंजीनियरिंग और एमबीए की स्टूडेंट्स पीजी के रूप में रहती हैं,*

मेरे समझ के बाहर की बात है कि अपने शहर से दूर पढ़ने के लिए आई युवती को मेहंदी और सौंदर्य प्रसाधनों की आवश्यकता क्यों है ?
            
*बहरहाल मैंने चारों लड़कों से उनके नाम पूछे ।*

लड़के हिचकिचाये, कुछ और नाम बताये,
मैंने कहा कि ID दिखाओ, ID में लड़कों के नाम,

चारों नाम गौर से पढ़िए :-
*1.रुसलान 2.अल्तमष 3.मुज़म्मिल 4.वहीद !*
              
साथियों, हमारी बेटियों बहनो का हाथ पकड मेहंदी लगाते यह शातिर शिकारी लोग इन भोली-भाली बच्चियों को किधर मोड़ ले जाएं, कुछ मालूम नहीं !!

मेरे समझ के बाहर का विषय है कि अब घर में माँ बहन और बेटी एक दूसरे के हाथ में मेहंदी क्यों नहीं लगा सकती ?

बाहर जाकर मेंहदी लगवाना कौनसा फैशन है ?
कहीं यह लव जिहाद का कोई नया एंगल तो नही

#नोट इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और लोगों को इसके दुष्परिणाम  से बचाएं 🙏🙏🙏🙏🙏
सारिका बहन की वाल से
#कॉपी_पेस्ट

Sunday, March 24, 2019

मौन के लाभ।

👉 मौन बैठने से बदल सकता है आपका जीवन

अगर आप अपनी इच्छा से कुछ समय के लिए बोलना छोड़ दें, मौन धारण कर लें तो इससे आपको बहुत फायदे हो सकते हैं।

➡ मौन के लाभ
मौन की शुरुआत जुबान के चुप होने से होती है। धीरे-धीरे जुबान के बाद आपका मन भी चुप हो जाता है। मन में चुप्पी जब गहराएगी तो आंखें, चेहरा और पूरा शरीर चुप और शांत होने लगेगा। तब आप इस संसार को नए सिरे से देखना शुरू कर पाएंगे। बिल्कुल उस तरह से जैसे कोई नवजात शिशु संसार को देखता है। जरूरी है कि मौन रहने के दौरान सिर्फ श्वांसों के आवागमन को ही महसूस करते हुए उसका आनंद लें। मौन से मन की शक्ति बढ़ती है। शक्तिशाली मन में किसी भी प्रकार का भय, क्रोध, चिंता और व्यग्रता नहीं रहती। मौन का अभ्यास करने से सभी प्रकार के मानसिक विकार समाप्त हो जाते हैं। आइये जानते हैं मौन के सात महत्वपूर्ण फायदों के बारे में।

➡ संतुष्टि
कुछ न बोलना, यानि अपनी एक सुविधा से मुंह मोड़ना। जी हां, बोलना आपके लिए एक बहुत बड़ी सुविधा ही होती है। जो आपके मन में चल रहा होता है उसे आप तुरंत बोल देते हैं। लेकिन, मौन रहने से चीजें बिल्कुल बदल जाती हैं। मौन अभाव में भी खुश रहना सिखाता है।

➡अभिव्यक्ति
जब आप सिर्फ लिखकर बात कर सकते हैं तो आप सिर्फ वही लिखेंगे जो बहुत जरूरी होगा। कई बार आप बहुत बातें करके भी कम कह पाते हो। लेकिन ऐसे में आप सिर्फ कहते हो, बात नहीं करते। इस तरह से आप अपने आपको अच्छी तरह से व्यक्त कर सकते हैं।

➡प्रशंसा
हमारे बोल पाने की वजह से हमारा जीवन आसान हो जाता है, लेकिन जब आप मौन धारण करेंगे तब आपको ये अहसास होगा कि आप दूसरो पर कितना निर्भर हैं। मौन रहने से आप दूसरों को ध्यान से सुनते हैं। अपने परिवार, अपने दोस्तों को ध्यान से सुनना, उनकी प्रशंसा करना ही है।

➡ध्यान देना
जब आप बोल पाते हैं तो आपका फोन आपका ध्यान भटकाने का काम करता है। मौन आपको ध्यान भटकाने वाली चीजों से दूर करता है। इससे किसी एक चीज या बात पर ध्यान लगाना आसान हो जाता है।

➡विचार
शोर से विचारों का आकार बिगड़ सकता है। बाहर के शोर के लिए तो शायद हम कुछ नहीं कर सकते, लेकिन अपने द्वारा उत्पन्न शोर को मौन जरूर कर सकते हैं। मौन विचारों को आकार देने में हमारी मदद करता है। हर रोज अपने विचारों को बेहतर आकार देने के लिए मौन रहें।

➡प्रकृति
जब आप हर मौसम में मौन धारण करना शुरू कर देंगे तो आप जान पाएंगे कि बसंत में चलने वाली हवा और सर्दियों में चलने वाली हवा की आवाज भी अलग-अलग होती है। मौन हमें प्रकृति के करीब लाता है। मौन होकर बाहर टहलें। आप पाएंगे कि प्रकृति के पास आपको देने के लिए काफी कुछ है।

➡शरीर
मौन आपको आपके शरीर पर ध्यान देना सिखाता है। अपनी आंखें बंद करें और अपने आप से पूछें, "मुझे अपने हाथ में क्या महसूस हो रहा है?" अपने शरीर को महसूस करने से आपका अशांत मन भी शांत हो जाता है। शांत मन स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है।

Saturday, March 23, 2019

डायबिटीज।

आज के समय में डायबिटीज होना बहुत आम बात है। जिस तरह का आजकल लाइफस्टाइल हो गया है उसमें डायबिटीज बहुत तेजी से अपनी पकड़ बना रहा है। स्थिति यह है कि न सिर्फ अधिक उम्र के लोगों को बल्कि *आज के समय में युवा और बच्‍चे भी डायबिटीज की चपेट में आ रहे हैं।* यह एक ऐसा खतरनाक रोग है, जो शरीर को धीरे-धीरे खोखला कर देता है। एक बार यह बीमारी होने पर जीवनभर इसका साथ रहता है। ब्‍लड शुगर बढ़ने से यह बीमारी होती है और इंसुलिन सही तरीके से काम नहीं करता है। यानी इसमें कई तरह की समस्‍याओं से सामना भी होता है। अगर इसको नजरअंदाज किया जाये तो शरीर के दूसरे अंग निष्क्रिय हो सकते हैं।
■डायबिटीज कैसे होती है,
■डायबिटीज के कारण क्‍या है, ■डायबिटीज के लक्षण क्या हैं,
■इससे कैसे बचा जा सकता है

■डायबिटीज के कारण■
यह तो आप जानते ही होंगे कि हमारे शरीर की ●●पेंक्रियाज ग्रंथी●● के ठीक से काम ना करने या फिर पूरी तरह से बेकार होने से डायबिटीज हो जाती है। हालांकि डायबिटीज होने के और भी कई कारक है लेकिन ●●पेंक्रियाज ग्रंथी●● इसका सबसे बड़ा कारण है। दरअसल ●●पेंक्रियाज ग्रंथी●● से तरह-तरह के हार्मोंस निकलते हैं, इन्हीं में से हैं इंसुलिन और ग्लूकान। इंसुलिन हमारे शरीर के लिए बहुत उपयोगी है। इंसुलिन के जरिए ही हमारे रक्त में, हमारी कोशिकाओं को शुगर मिलती है, यानी इंसुलिन शरीर के अन्य भागों में शुगर पहुंचाने का काम करता है। इंसुलिन द्वारा पहुंचाई गई शुगर से ही कोशिकाओं या सेल्स को एनर्जी मिलती है।
डायबिटीज का कारण है इंसुलिन हार्मोंन का कम निर्माण होना। जब इंसुलिन कम बनता है तो कोशिकाओं तक और रक्त में शुगर ठीक से नहीं पहुंच पाती जिससे सेल्स की एनर्जी कम होने लगती है और इसी कारण से शरीर को नुकसान पहुंचने लगता है। जैसे- बेहोशी आना, दिल की धड़कन तेज होना इत्यादि समस्याएं होने लगती हैं। *★★★★इसके अलावा नीचे बताए गए 3 कारण भी डायबिटीज होने के लिए जिम्मेदार हैं।★★★★*
👍डायबिटीज के कारण इंसुलिन के कम निर्माण से रक्त में शुगर अधिक हो जाती है क्योंकि शारीरिक ऊर्जा कम होने से रक्त में शुगर जमा होती चली जाती है जिससे कि इसका निष्कासन मूत्र के जरिए होता है। इसी कारण डायबिटीज रोगी को बार-बार पेशाब आता है।
👍डायबिटीज के होने का मुख्य कारण अनुवांशिक भी होता है। यदि आपके परिवार के किसी सदस्य मां-बाप, भाई-बहन में से किसी को है तो भविष्य में आपको भी डायबिटीज होने की आशंका बढ़ जाती है।
👍जो लोग मोटापे के शिकार होेते हैं उन्हें भी डायबिटीज होने का ज्यादा खतरा रहता है। आपका वजन बहुत बढ़ा हुआ है, आपका बीपी बहुत हाई है और कॉलेस्ट्रॉल भी संतुलित नहीं है तो भी आपको डायबिटीज हो सकता है।
👍इसक अलावा व्यायाम की कमी भी डायबिटीज को निमंत्रण देती है।
*😢😢क्या है डायबिटीज के लक्षण😢😢*

सारा दिन थकान महसूस होगा। हर रोज भरपूर नींद लेने के बाद भी सुबह उठते ही आपको ऐसा लगना कि आपकी नींद पूरी नहीं हुई है और शरीर थका हुआ है। ये चीजें बताती हैं कि खून में शुगर का लेवल लगातार बढ़ रहा है।

मधुमेह होने पर बार-बार पेशाब आने लगता है। जब शरीर में ज्यादा मात्रा में शुगर इकट्ठा हो जाता है तो यह पेशाब के रास्ते से बाहर निकलता है, जिसके कारण मधुमेह रोगी को बार-बार पेशाब लगने की शिकायत शुरू हो जाती है।

मधुमेह रोगी को बार-बार प्यास लगती है। चूंकि पेशाब के रास्ते से शरीर का पानी और शुगर बाहर निकल जाता है जिसके कारण हमेशा प्यास लगने जैसी स्थिति बनी रहती है। लोग अक्सर इस बात को हल्के में ले लेते हैं और समझ ही नहीं पाते कि उनकी बीमारी की शुरुआत अब हो चुकी है।

मधुमेह रोग की शुरूआत में आंखों पर काफी प्रभाव पडता है। डायबिटीज के मरीज में रोग की शुरूआत में ही आंखों की रोशनी कम होने लगती है और धुंधला दिखाई पडने लगता है। किसी भी वस्तु को देखने के लिए उसे आंखों पर ज़ोर डालना पडता है।

मधुमेह रोग की शुरूआत में ही अचानक वज़न तेजी से कम होने लगता है। सामान्य दिनों की अपेक्षा आदमी का वजन एकाएक कम होने लगता है।

डायबिटीज के मरीज का वजन तो कम होता है लेकिन भूख में बढोतरी भी होती है। अन्य दिनों की अपेक्षा आदमी की भूख कई गुना बढ जाती है। बार-बार खाना खाने की इच्छा होती है।

अगर आपके शरीर में चोट या कहीं घाव लग जाए और यह जल्दी ना भरे, चाहे कोई छोटी सी खरोंच क्यों ना हो, वह धीरे-धीरे बडे़ घाव में बदल जाएगी और उसमें संक्रमण के लक्षण साफ-साफ दिखाई देने लगेंगे।

डायबिटीज मरीज के शरीर में किसी भी तरह का संक्रमण जल्दी से ठीक नही होता है। अगर आपको वायरल, खॉसी-जुकाम या कोई भी बैक्टीरियल इंफेक्शन हो जाए तो आपको राहत नहीं मिलेगी। छोटे-छोटे संक्रमण जो आसानी से खुद ठीक हो जाते हैं बढे घाव बन जाते हैं।

मधुमेह की शुरूआत में त्वचा संबंधी कई रोग होने शुरू हो जाते हैं। त्वचा के सामान्य संक्रमण बडे घाव बन जाते हैं।

*डायबिटीज के लिए जरूरी टेस्ट ग्लूकोज की जांच*
जो लोग डायबिटीज से पीड़ित होते हैं उन्हें समय समय पर ग्लूकोज की जांच जरूर करा लेनी चाहिए।

क्योंकि यदि डायबिटीज के मरीज का ग्लूकोज स्तर बढ़ता है तो रोगी के लिए ये बहुत खतरनाक हो सकता है। इसके साथ ही खून की जांच भी मधुमेह रोगियों के लिए जरूरी है इससे पता चलता है कि किडनी ठीक ढंग से काम कर रही हैं या नहीं।

मधुमेह में किडनी पर काफी प्रभाव पड़ता है। नियमित जांच से रोगी को किडनी की समस्या से दूर रखता है।

कोलेस्ट्रोल की जांच कोलेस्ट्रोल को नजरअंदाज करना भी बहुत महंगा पड़ सकता है। क्योंकि मधुमेह रोगियों में कोलेस्ट्रोल बढ़ने पर हृदय रोग का खतरा दुगुना हो जाता है। रक्त में ग्लूकोज की मात्रा खराब कोलेस्ट्रोल को गति को धीमा कर सकती है जिसकी वजह से वह चिपचिपा हो जाता है और यही कारण है जिससे कोलेस्ट्रोल तेजी से बनने लगता है। बैड कोलेस्ट्रोल रक्‍त की धमनियों में जम जाता है और हृदय से जुड़ी समस्याएं पैदा करता है।

ब्लड प्रेशर की जांच हाई ब्लड प्रेशर ‘साइलेंट किलर’ के समान है।

मधुमेह रोगियों में हाई ब्लड प्रेशर काफी घातक साबित हो सकता है। मधुमेह में हाई ब्लड प्रेशर होने से हृदय रोग, हृदयघात, किडनी व आंखों की समस्या भी हो सकती है। इन सबसे बचने के लिए जरूरी है कि आप ब्लड प्रेशर की नियमित जांच करवाएं।

पैरों की जांच मधुमेह में रोगियों को पैरों की समस्या हो सकती है। मधुमेह में पैरों की कोई भी समस्या होने पर इसे गंभीरता से लेना चाहिए क्योंकि इसमें पैरों की संवेदनशीलता धीरे धीरे कम होने लगती है। इसलिए पैरों में लगने वाली छोटी से छोटी चोट, संक्रमण रोगियों के लिए खतरनाक हो सकती है।

आंखों की जांच जब रक्त में ग्लूकोज का स्तर लंबे समय तक बढ़ा हुआ रहता है तो इसका सीधी असर रेटिना पर पड़ता है। इसे रेटिनोपेथी कहते हैं। आंखों को होने वाले नुकसान आसानी से नहीं पता चलता है इसके लिए रोगी को नियमित जांच करना जरूरी है। अगर रेटिनोपेथी का ज्लद इलाज नहीं किया गया तो रोगी अंधा भी हो सकता है। कई बार मधुमेह रोगी को धुंधला दिखाई देता है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपंर्क करें।

*🤒डायबिटीज का इलाज🤒*

डायबिटीज एक ऐसा रोग है जिसका इलाज किसी दवा पर निर्भर नहीं है। _यह एक लाइफस्टाइल से जुड़ा हुआ रोग है और आप अपने लाइफस्टाइल को बदलकर ही इस रोग से छुटकारा पा सकते हैं।_ जो लोग डायबिटीज जैसे खतरनाक रोग की चपेट में आने के बाद भी गंभीर नहीं होते हैं यानि कि मीठा खाना नहीं छोड़ते, फास्ट फूड का शौक रखते हैं, बढ़ते वजन पर ध्या नहीं देते, व्यायाम या योग नहीं करते, शराब पीते हैं व मीठा खाना बंद नहीं करते उन लोगों के लिए जीना बहुत मुश्किल हो जाता है। जबकि अगर रोगी अपने रोग को लेकर गंभीर रहें और अपनी जीवनशैली में जरूरी बदलाव करें तो

*डायबिटीज से छुटकारा पाना संभव है।*

डायबिटीज को कैसे रोकें
कम कैलोरी, विशेष रूप से कम संतृप्त वसा वाला आहार लेकर आप डायबिटीज की चपेट में आने से खुद को बचा सकते हैं। सब्जियां, ताज़े फल, साबुत अनाज, डेयरी उत्पादों और ओमेगा-3 वसा के स्रोतों को अपने आहार में शामिल कीजिये। इसके अलावा फाइबर का भी अधिक मात्रा में सेवन कीजिए।

जितना अधिक आप तनाव लेंगे उतना अधिक आप अस्वास्थ्यकर आदतों का पालन करेंगे। कई शोधों से यह पता चला है कि तनाव के कारण हॉर्मोन्स का स्राव बाधिक होता है और इससे रक्त ब्‍लड ग्‍लूकोज का स्‍तर बढ़ता है। इसलिए तनाव से बचने के तरीके आजमायें।

ऐसा कोई सबूत नहीं है कि मधुमेह को हमेशा के लिए रोका जा सकता है। जैसे जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम भी बढ़ जाता है जो मधुमेह से जुड़े हैं। इसलिए, 45 साल की उम्र के बाद, हर साल नियमित रूप से पूर्ण स्वास्थ्य जांच कराना ज़रूरी है।

😢क्या हैं डायबिटीज की चुनौतियां😢
मधुमेह ऐसी बीमारी है जिसका असर दूसरे अंगों पर भी पड़ता है। हालांकि इस बीमारी में दूसरे अंगों में इसका असर नहीं दिखता है लेकिन अगर ब्‍लड में शुगर की मात्रा अधिक बढ़ जाये तो इसके कारण 5-10 साल में दूसरे अंग भी प्रभावित होने लगते हैं। इसके कारण गुर्दे में, आंखों में, पैर की नसों में कुछ खराबी आ सकती है। दिल की बीमारी के बढ़ने की संभावना सबसे अधिक रहती है। इसके कारण लकवा होने और पैर में रक्‍त संचार बाधित होने का खतरा अधिक रहता है। इसके कारण अगर कोई आर्टरी ब्‍लॉक होती है तो हार्ट अटैक हो सकता है। इसके अलावा ब्रेन में भी रक्‍त की सप्‍लाई बाधित होने से ब्रेन स्‍ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है। यह स्थिति अचानक से नहीं आती है बल्कि यह 10 साल पुराने इतिहास के कारण होता है। इसके अलावा माइक्रोवैस्‍कुलर संबंधित समस्‍यायें होने लगती है, यह किडनी से संबंधित है, अगर यह हो जाये तो उपचार मुश्किल हो जाता है।

*डायबिटीज के लिए घरेलू नुस्खे*

डायबिटीज में करेला काफी फायदेमंद होता है, करेले में कैरेटिन नामक रसायन होता है, इसलिए यह प्राकृतिक स्टेरॉयड के रुप में इस्तेमाल होता है, जिससे खून में शुगर लेवल नहीं बढ़ पाता। करेले के 100 मिली. रस में इतना ही पानी मिलाकर दिन में तीन बार लेने से लाभ होता है।
*मधुमेह के रोगियों के लिए मेथी बहुत फायदेमंद होता है। अगर आप रोज़ 50 ग्राम मेथी नियमित रुप से खाएगें तो निश्चित ही आपका ग्लूकोज़ लेवल नीचे चला जाएगा, और आपको मधुमेह से राहत मिलेगी।*
जामुन- जामुन का रस, पत्ती़ और बीज मधुमेह की बीमारी को जड़ से समाप्त कर सकता हैं। जामुन के सूखे बीजों को पाउडर बना कर एक चम्मच दिन में दो बार पानी या दूध के साथ लेने से राहत मिलती है।
*एक चम्मच आमले का रस करेले के रस में मिला कर रोज पीएं , यह मधुमेह की सबसे अच्छी दवा है।*
15 ग्राम ताजे आम के पत्तों को 250 एमएल पानी में रात भर भिगो कर रख दें। इसके बाद सुबह इस पानी को छान कर पी लें। इसके अलावा सूखे आम के पत्तों को पीस कर पाउडर के रूप में खाने से भी मधुमेह में लाभ होता है।
*कार्बोहाइर्ड्रेट, कैलोरी और कई तरह के माइक्रो न्यू ट्रिएंट से भरपूर शहद मधुमेह के लिए लाभकारी है। शहद मधुमेह को कम करने में सहायता करता है।

Thursday, March 7, 2019

लाल कोट।

लाल किला का असली नाम “लाल कोट” है, जिसे महाराज अनंगपाल द्वितीय द्वारा सन 1060 ईस्वी में दिल्ली शहर को बसाने के क्रम में ही बनवाया गया था जबकि शाहजहाँ का जन्म ही उसके सैकड़ों वर्ष बाद 1592 ईस्वी में हुआ है.
दरअसल शाहजहाँ ( मुगल ) ने इसे बसाया नहीं बल्कि पूरी तरह से नष्ट करने की असफल कोशिश की थी ताकि वो उसके द्वारा बनाया साबित हो सके. लेकिन सच सामने आ ही जाता है.
इसका सबसे बड़ा प्रमाण तो यही है कि तारीखे फिरोजशाही के पृष्ट संख्या 160 (ग्रन्थ ३) में लेखक लिखता है कि सन 1296 के अंत में जब अलाउद्दीन खिलजी अपनी सेना लेकर दिल्ली आया तो वो कुश्क-ए-लाल ( लाल प्रासाद/ महल ) की ओर बढ़ा और वहां उसने आराम किया.
शाहजहाँ से 250 वर्ष पहले ही 1398 ईस्वी में एक अन्य लंगड़ा जेहादी तैमूरलंग ने भी पुरानी दिल्ली का उल्लेख किया हुआ है (जो कि शाहजहाँ द्वारा बसाई बताई जाती है).
यहाँ तक कि लाल किले के एक खास महल मे सुअर (वराह) के मुँह वाले चार नल अभी भी लगे हुए हैं क्या ये शाहजहाँ के इस्लाम का प्रतीक चिन्ह है या हिंदुत्व के प्रमाण?
साथ ही किले के एक द्वार पर बाहर हाथी की मूर्ति अंकित है क्योंकि राजपूत राजा गजो (हाथियों) के प्रति अपने प्रेम के लिए विख्यात थे जबकि इस्लाम जीवित प्राणी के मूर्ति का विरोध करता है.
साथ ही लालकिला के दीवाने खास मे केसर कुंड नाम से एक कुंड भी बना हुआ है जिसके फर्श पर हिंदुओं मे पूज्य कमल पुष्प अंकित है.
साथ ही ध्यान देने योग्य बात यह है कि केसर कुंड एक हिंदू शब्दावली है जो कि हमारे राजाओ द्वारा केसर जल से भरे स्नान कुंड के लिए प्राचीन काल से ही प्रयुक्त होती रही है.
मजेदार बात यह है कि मुस्लिमों के प्रिय गुंबद या मीनार का कोई अस्तित्व तक नही है लालकिला के दीवानेखास और दीवानेआम में ... भारत के किलों ..महलों और मंदिरों पर सिर्फ अपना नाम गुदवाने का ही काम किया था इन विदेशी लुटेरों ने ....लाल किला का असली नाम “लाल कोट” है, जिसे महाराज अनंगपाल द्वितीय द्वारा सन 1060 ईस्वी में दिल्ली शहर को बसाने के क्रम में ही बनवाया गया था जबकि शाहजहाँ का जन्म ही उसके सैकड़ों वर्ष बाद 1592 ईस्वी में हुआ है.

दरअसल शाहजहाँ ( मुगल ) ने इसे बसाया नहीं बल्कि पूरी तरह से नष्ट करने की असफल कोशिश की थी ताकि वो उसके द्वारा बनाया साबित हो सके. लेकिन सच सामने आ ही जाता है.
इसका सबसे बड़ा प्रमाण तो यही है कि तारीखे फिरोजशाही के पृष्ट संख्या 160 (ग्रन्थ ३) में लेखक लिखता है कि सन 1296 के अंत में जब अलाउद्दीन खिलजी अपनी सेना लेकर दिल्ली आया तो वो कुश्क-ए-लाल ( लाल प्रासाद/ महल ) की ओर बढ़ा और वहां उसने आराम किया.
शाहजहाँ से 250 वर्ष पहले ही 1398 ईस्वी में एक अन्य लंगड़ा जेहादी तैमूरलंग ने भी पुरानी दिल्ली का उल्लेख किया हुआ है (जो कि शाहजहाँ द्वारा बसाई बताई जाती है).
यहाँ तक कि लाल किले के एक खास महल मे सुअर (वराह) के मुँह वाले चार नल अभी भी लगे हुए हैं क्या ये शाहजहाँ के इस्लाम का प्रतीक चिन्ह है या हिंदुत्व के प्रमाण?
साथ ही किले के एक द्वार पर बाहर हाथी की मूर्ति अंकित है क्योंकि राजपूत राजा गजो (हाथियों) के प्रति अपने प्रेम के लिए विख्यात थे जबकि इस्लाम जीवित प्राणी के मूर्ति का विरोध करता है.
साथ ही लालकिला के दीवाने खास मे केसर कुंड नाम से एक कुंड भी बना हुआ है जिसके फर्श पर हिंदुओं मे पूज्य कमल पुष्प अंकित है.
साथ ही ध्यान देने योग्य बात यह है कि केसर कुंड एक हिंदू शब्दावली है जो कि हमारे राजाओ द्वारा केसर जल से भरे स्नान कुंड के लिए प्राचीन काल से ही प्रयुक्त होती रही है.
मजेदार बात यह है कि मुस्लिमों के प्रिय गुंबद या मीनार का कोई अस्तित्व तक नही है लालकिला के दीवानेखास और दीवानेआम में ...
भारत के किलों ..महलों और मंदिरों पर सिर्फ अपना नाम गुदवाने का ही काम किया था इन विदेशी लुटेरों ने ....