Monday, August 24, 2020

RO का पानी पीना बंद किया!

मैंने तीन महीनो से RO का पानी पीना बंद किया और फ़र्क देखा है . आज इस रिपोर्ट से कन्फर्म हो गया की दानव क्यों चाहते है विटामिन बी 12 लेवल कम हो और लोग माँसाहारी बने तथा उनके बनाये हुए साइनाइड युक्त दवाओं का सेवन करते हुए लोगो को मारा जाय
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RO WATER का षड़यंत्र

- विदेशी कंपनियों का ऐसा षड्यंत्र जिससे आज गाँव भी नहीं बचा । जिस देश में पानी बेचना पाप माना जाता है आज उस देश में पानी 20 रूपये लीटर बेचा जा रहा है । मशीनों के लिए प्रयोग होने वाला RO वाटर आज प्रत्येक घरों में पहुँच चुका है । एक फैशन सा होता जा रहा है कि हम भी RO WATER पीते हैं इसलिए वीमार नहीं पड़ेंगे ।

- पानी के अन्दर बहुत सारे मिनरल्स होते हैं लेकिन जब इनको काटरेज फ़िल्टर से पास किया जाता है तो बहुत सारे मिनरल्स ख़त्म हो जाते हैं जैसे- बी-12 ख़त्म हो गया तो आपको पता भी नहीं चलेगा । 1 लीटर RO WATER बनाने के लिए 2 लीटर पानी प्रयोग किया जाता है । 50% पानी WASTE हो जाता है ।

- सामान्यतः मानव के लिए 7 से 7.5 Ph , 200 से 250 TDS , 50 Hardness Vailue का पानी पीना चाहिए । लेकिन जहाँ पर सप्लाई का पानी ही 200 TDS, 10 HARDNESS का आ रहा हो वहां RO का क्या काम है ।

- कोई भी RO वाटर की क्वालिटी मेन्टेन नहीं करता है , सिर्फ आपको साफ़ पानी देता है और जो बोतलों में पानी मिलता है उनकी TDS लगभग 10 के आसपास होती है तथा उसमे पानी की PH बढ़ाने के लिए व मिनरल्स को मेन्टेन रखने के लिए केमिकल मिलाया जाता है ।

- जब भी आप बाहर का या नल का पानी पीते है कुछ ही दिनों में आपके पेट में दर्द रहने लग जाता है क्योंकि आपके सिस्टम को RO पानी की आदत पड़ी हुई है ।

- आप 90 % लोंगों से पूंछिये यहाँ तक कि जो RO बेचते हैं उन्हें भी पूर्ण जानकारी नहीं होती है कि पानी की गुणवत्ता क्या होती है । पडोसी के यहाँ RO है तो हमारे यहाँ क्यों नहीं ... आजकल झूठे विज्ञापनों के प्रचार व भेड़चाल में पड़कर बिना सोचे समझे RO प्रयोग करते जा रहे हैं ?

- शहर की बात जाने दीजिये अब तो गाँव में भी RO पहुँच गया है और हम पूरी तरह RO पर निर्भर होते जा रहें हैं । उनसे उसकी क्वालिटी पूंछो तो जबाब नहीं है ।

⏩ अब प्रश्न है.. कौन सा पानी पियें ..?
१. सबसे बेहतरीन पानी वारिस का होता है । आप अपने घर में पानी का टैंक बनवाएं और बारिस के दिनों में अपनी छत पर लकड़ी का कोयला व चूने को डाल दें जिससे पानी कोयले व चूने से छनकर आप के टैंक में आये । यह पानी साल भर ख़राब नहीं होगा । इस पानी को आप साल भर पीजिये पेट की विमारी नहीं होगी । आवशयकता होने पर कभी-कभी थोड़ी मात्रा में लाल दवा ( पोटेशियम परमैग्नेट ) या फिटकरी का प्रयोग कर लें अन्यथा उसकी भी जरुरत नहीं है । राजस्थान में जहाँ पर पानी की बहुत अधिक कमी है इसी तरह जल के भंडार को सुरक्षित रखकर प्रयोग किया जाता है , कोई RO का पानी नहीं पीता है ।

- देश में कितने प्रतिशत गरीव व झुग्गी में रहने वाले लोग RO का पानी पीते है ...?

२. वारिश के पानी के बाद गिलेशियर से निकली हुई नदियों का पानी है जिसमे अधिकतम खनिज तत्व व गुणवत्ता को पूर्ण करते हैं ।

३. नदियों के जल के बाद तालाव का पानी जिसमे साफ़ वारिश का जल एकत्रित होता हो जिसमे गंदगी या जानवर ना नहाते हों ।

४. फिर कुएँ का पानी जिसका सम्बन्ध वारिश के दिनों में पानी के जलस्तर बढ़ने व घटने से होता है । कुएं की सफाई बारिश से पहले गर्मियों के दिनों में बहुत जरुरी है ।

५. कुएं के पानी के बाद सप्लाई का पानी जिसे साफ़ करके , गुणवत्ता की जाँच-पड़ताल के बाद भेजा जाता है ।

६. सप्लाई के पानी के बाद सबसे ख़राब पानी RO का है जिसमे कभी भी शरीर के लिए आवश्यक खनिज तत्व नहीं मिलते हैं ।

⏩ कुतर्क :- कुछ लोग कहेंगे कि हम तो लगातार कई वर्षों से RO का पानी पी रहे है हम तो ठीक है , तो भाई जी आप जरा एक माह गाँव का या झुग्गी वालों की तरह खा-पीकर देखिये और अपनी आँतों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता की जांच कीजिये ।

जल की कठोरता :-
अस्थाई कठोरता( Temporary Hardness ):-
कैल्शियम और मैग्नीशियम के वाईकर्वोनेट के जल में रहने के कारण होती है । इस जल को उबालकर या सोडियम कार्बोनेट मिलाकर अथवा Clark's Process द्वारा कठोरता दूर की जाती है ।
स्थाई कठोरता ( Permanent Hardness):-
इस जल को उबाल कर शुद्ध नहीं किया जा सकता है , इस जल में मैग्नीशियम और कैल्शियम के क्लोराइड और सल्फेट घुले होने के कारण इसे सोडियम कार्बोनेट मिलाने से या Permutit Process द्वारा कैलगन विधि से दूर किया जाता है ।

⏩ अगर आपको लेख पसंद आये तो इसे और भी लोंगों तक भी पहुंचाए। क्योंकि भाई राजीव दीक्षित ने इस विषय का खुलासा वर्षो पहले किया था ।

Thursday, August 20, 2020

7 बेटियों के हिन्दू पिता।

💔 *जब 7 बेटियों के हिन्दू पिता को अपनी  बेटियों को मजहबी भीड़ से बचाने के लिए उन्हें बारी बारी काट कर उनके शवो को कुएं में डालना पड़ा था......*

🟧इतिहास से हमे अवश्य सीखना चाहिए क्योंकि यह पुनः भी दोहराया जाएगा।

🟧 *गुजरांवाला। पाकिस्तान पंजाब का एक शहर। सरदार हरि सिंह नलवा की भूमि। यहां कभी एक पंजाबी हिंदू परिवार रहता था। मुखिया थे- लाला जी उर्फ बलवंत खत्री ,बड़े जमींदार। शानदार कोठी थी। लाला जी का एक भरा-पूरा परिवार इस कोठी में रहता था। पत्नी थी- प्रभावती और बच्चे थे आठ। सात बेटियां और एक बेटा।*

🟧 *एक परिवार...*
*लाला जी के बेटे बलदेव की उम्र तब 20 साल थी। उससे छोटी लाजवंती (लाजो) 19 साल की थी। राजवती (रज्जो) 17 तो भगवती (भागो) 16 की थी। पार्वती (पारो) 15 साल और गायत्री (गायो) 13 तथा ईश्वरी (इशो) 11 बरस की थी। सबसे छोटी उर्मिला (उर्मी) 9 बरख की थी। जल्द ही फिर से कोठी में किलकारियां गूंजने वाली थी। प्रभावती पेट से थीं।*

🟧 *एक साल...*
*यह साल 1947 की बात है। हम आजाद हो गए थे। भारत का बंटवारा हो गया था। जिन्ना ने डायरेक्ट एक्शन डे का ऐलान कर दिया था। गुजरांवाला के आसपास के इलाकों से हिंदू-सिखों के कत्लेआम की खबरें आने लगी थी। 'अल्लाह हू अकबर' और 'ला इलाहा इल्लल्लाह' का शोर करती भीड़ यलगार करती- काफिरों की औरतें भारत न जा पाएं। हम उन्हें हड़प लेंगे।*

🟧 *एक आशा.*..
*पर लाला जी बेफिक्र थे। उन्हें गांधी के आदर्शों पर यकीन था। उन्हें लगता था ये कुछ मजहबी मदांध हैं। दो-चार दिन में शांत हो जाएंगे। सब 'अव्वल अल्लाह नूर उपाया' गाने वाले लोग हैं। बाबा बुल्ले शाह और बाबा फरीद की कविताएं पढ़ते हैं। सूफी मजारों पर जाते है। लाला जी का मन कहता था- सब भाई हैं। एक-दूसरे का खून नहीं बहाएंगे।*

🟧  *एक तारीख..*
.
*18 सितंबर 1947। एक सिख डाकिया हांफते हुए हवेली पहुॅंचा। चिल्लाया- लाला जी इस जगह को छोड़ दो। तुम्हारी बेटियों को उठाने के लिए वे लोग आ रहे हैं। लज्जो को सलीम ले जाएगा। रज्जो को शेख मुहम्मद। भगवती को… लाला बलवंत ने उस डाकिए को जोरदार तमाचा जड़ा। कहा- क्या बकवास कर रहे हो। सलीम, मुख्तार भाई का बेटा है। मुख्तार भाई हमारे परिवार की तरह हैं।*

🟧 *एक चेतावनी..*.

*उसका जवाब था, “मुख्तार भाई ही भीड़ लेकर निकले हैं, लाला जी। सारे हिंदू-सिख भारत भाग रहे हैं। 300-400 लोगों का एक जत्था घंटे भर में निकलने वाला है। परिवार के साथ शहर के गुरुद्वारे पहुंचिए।” यह कह वह सिख डाकिया सरपट भागा। उसे दूसरे घर तक भी शायद खबर पहुंचानी रही होगी।*

🟧  *एक संवाद.*..

*लाला जी पीछे मुड़े तो सात महीने की गर्भवती प्रभावती की आंखों से आंसू निकल रहे थे। उसने सारी बात सुन ली थी। उसने कहा- लाला जी हमे निकल जाना चाहिए। मैंने बच्चों से गहने, पैसे, कागज बांध लेने को कहा है। पर लाला जी का मन नहीं मान रहा था। कहा- हम कहीं नहीं जाएंगे। सरदार झूठ बोल रहा है। मुख्तार भाई ऐसा नहीं कर सकते। मैं खुद उनसे बात करूंगा। प्रभावती ने बताया- वे पिछले महीने घर आए थे। कहा कि सलीम को लाजो पसंद है। वे चाहते हैं कि दोनों का निकाह हो जाए। लज्जो ने भी बताया था कि सलीम अपने दोस्तों के साथ उसे छेड़ता है। इसी वजह से उसने घर से बाहर निकलना बंद कर दिया। लाला बलवंत बोले- तुमने यह बात पहले क्यों नहीं बताई। मैं मुख्तार भाई से बात करता। प्रभावती बोलीं- आप भी बहुत भोले हैं। मुख्तार भाई खुद लज्जो का निकाह सलीम से करवाना चाहते हैं। अब उसे जबरन ले जाने के लिए आ रहे हैं।*

🟧 *एक गुरुद्वारा.*..

*गुरुद्वारा हिंदू-सिखों से खचाखच भरा था। पुरुषों के हाथों में तलवारें थी। गुजरांवाला पहलवानों के लिए मशहूर था। कई मंदिरों और गुरुद्वारों के अपने अखाड़े थे। हट्टे-कट्टे हिंदू-सिख गुरुद्वारे के द्वार पर सुरक्षा में मुस्तैद थे। कुछ लोग छत से निगरानी कर रहे थे। कुछ लोग कुएं के पास रखे पत्थरों पर तलवारों को धार दे रहे थे। महिलाएं, लड़कियां और बच्चे दहशत में थे। माएं नवजातों और बच्चों को सीने से चिपकाए हुईं थी।*

🟧 *एक भीड़*
...
*अचानक एक भीड़ की आवाज आनी शुरू हुई। यह भीड़ बड़ी मस्जिद की तरफ से आ रही थी। वे नारा लगा रहे थे,*
- पाकिस्तान का मतलब क्या, ला इलाहा इल्लल्लाह
- हंस के लित्ता पाकिस्तान, खून नाल लेवेंगे हिंदुस्तान
- कारों, काटना असी दिखावेंगे
- किसी मंदिर विच घंटी नहीं बजेगी हून
- हिंदू दी जनानी बिस्तर विच, ते आदमी श्मशान विच

🟧  *एक निशाना...*

*प्रभावती एक खिड़की के पास बेटियों के साथ बैठी थी। इकलौता बेटा मुख्य दरवाजे के बाहर मुस्तैद था। अचानक भीड़ की आवाज शांत हो गई। फिर मिनट भर के भीतर ही 'ला इलाहा इल्लल्लाह' का वही शोर शुरू हो गया। हर सेकेंड के साथ शोर बढ़ती जा रही थी। भीड़ में शामिल लोगों के हाथों में तलवार, फरसा, चाकू, चेन और अन्य हथियार थे। गुरुद्वारा उनका निशाना था।*

🟧 *एक प्रतिज्ञा.*..
*गुरुद्वारे का प्रवेश द्वार अंदर से बंद था। कुछ लोग द्वार पर तो कुछ दीवार से सट कर हथियारों के साथ खड़े थे। अचानक पुजारी और पहलवान सुखदेव शर्मा की आवाज गूंजी। वे बोले, “वे हमारी मां, बहन, पत्नी और बेटियों को लेने आ रहे हैं। उनकी तलवारें हमारी गर्दन काटने के लिए है। वे हमसे समर्पण करने और धर्म बदलने को कहेंगे। मैंने फैसला कर लिया है। झुकुंगा नहीं। अपना धर्म नहीं छोड़ूंगा। न ही उन्हें अपनी स्त्रियों को छूने दूंगा।” चंद सेकेंड के सन्नाटे के बाद 'जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल, वाहे गुरु जी दा खालसाए वाहे गुरु जी दी फतह' से गुरुद्वारा गूंज उठा। वहां मौजूद हर किसी ने हुंकार भरी- हममें से कोई अपने पुरखों का धर्म नहीं छोड़ेगा।*

🟧 *एक प्रतीक्षा*.

*50-60 लोगों ने गुरुद्वारे में घुसने की कोशिश की। देखते ही देखते ही सिर धड़ से अलग हो गया। गुरुद्वारे में मौजूद लोगों को कोई नुकसान नहीं हुआ था। महिलाएं और बच्चे भी अंदर हॉल में सुरक्षित थे। यह देख वह मजहबी भीड़ गुरुद्वारे से थोड़ा पीछे हट गई। करीब 30 मिनट तक गुरुद्वारे से 50 मीटर दूर वे खड़े होकर मजहबी नारे लगाते रहे। ऐसा लगा रहा था मानो उन्हें किसी चीज का इंतजार है। जिसका इंतजार था, वे आ गए थे। हजारों का हुजूम। बाहर हजारों लोग। गुरुद्वारे के अंदर मुश्किल से 400 हिंदू-सिख। उनमें 50-60 युवा। बाकी बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे।*

🟧 *एक उन्माद...*

*अंतिम लड़ाई का क्षण आ चुका था। भीड़ ने एक सिख महिला को आगे खींचा। वह नग्न और अचेत थी। भीड़ में शामिल कुछ लोग उसे नोंच रहे थे। अचानक किसी ने उसका वक्ष तलवार से काट डाला और उसे गुरुद्वारे के भीतर फेंक दिया।*

🟧 *एक प्रश्न*

*गुरुद्वारे में मौजूद गुजरांवाला के हिंदू-सिखों ने इससे पहले इस तरह की बर्बरता के बारे में सुना ही था। पहली बार आंखों से देखा। अब हर कोई अपनी स्त्री के बारे में सोचने लगा। यदि उनकी मौत के बात उनकी स्त्री इनके हाथ लग गईं तो क्या होगा? उन्हें अब केवल मौत ही सहज लग रही थी। उसके अलावा सब कुछ भयावह।*

🟧 *एक कत्लेआम.*..

*भीड़ ने दरवाजे पर चढ़ाई की। कत्लेआम मच गया। हिंदू-सिख लड़े बांकुरों की तरह। पर गिनती के लोग, हजारों के हुजूम के सामने कितनी देर टिकते..*.

🟧 *एक मुक्ति.*..
*लाजो ने कहा- तुस्सी काटो बापूजी, मैं मुसलमानी नहीं बनूंगी। लाला बलवंत रोने लगे। आवाज नहीं निकल पा रही थी। लाजो ने फिर कहा- जल्दी करिए बापूजी। लाला बलवंत फूट-फूटकर रोने लगे। भला कोई बाप अपने ही हाथों अपनी बेटियों की हत्या कैसे करे? लाजो ने कहा- यदि आपने नहीं मारा तो वे मेरे वक्ष... बात पूरी होने से पहले ही लाला जी ने लाजो का सिर धड़ से अलग कर दिया। अब राजो की बारी थी। फिर भागो... पारो... गायो... इशो... और आखिरकार उर्मी। लाला जी हर बेटी का माथा चमूते गए और सिर धड़ से अलग करते गए। सबको एक-एक कर मुक्ति दे दी। लेकिन उस मजहबी भीड़ से मृत महिलाओं का शरीर भी सुरक्षित नहीं था। नरपिशाचों के हाथ बेटियों का शरीर न छू ले, यह सोच सबके शव को लाला जी ने गुरुद्वारे के कुएं में डाल दिया।*

🟧 *एक आदेश*...
*लाल बलवंत ने प्रभावती से कहा- गुरुद्वारे के पिछले दरवाजे पर तांगा खड़ा है, तुम बलदेव के साथ निकलो। कुछ लोग तुम्हें सुरक्षित स्टेशन तक लेकर जाएंगे। वहां से एक जत्था भारत जाएगा। तुम दोनों निकलो। प्रभावती ने कहा- मैं आपके बिना कहीं नहीं जाऊंगी। लाला जी बोले- तुम्हें अपने पेट में पल रहे बच्चे के लिए जिंदा रहना होगा। तुम जाओ, मैं पीछे से आता हूं। लाला जी ने प्रभावती का माथा चूमा। बलदेव को गले लगाया और कहा जल्दी करो। तांगा प्रभावती और बलदेव को लेकर स्टेशन की तरफ चल दिया।*

🟧 *एक पिता..*.
फिर लाला जी ने स्वंय को चाकुओं से गोदा। उसी कुएं में छलांग लगा दी, जिसमें सात बेटियों को काट कर डाला था। आखिर दो बच्चों के पास उनकी मां थी। सात बच्चों के पास उनके पिता का होना तो बनता था।
लाला जी के बेटे बलदेव का पोता है। भारत के विभाजन में अपने परिवार के 28 सदस्य खोए थे। लाला जी, उनके भाई-बहन और उनके परिवार के कई लोगों की हत्या कर दी गई थी। लाला जी की पत्नी, बेटे बलदेव और अजन्मे संतान के साथ जान बचाकर भारत आने में कामयाब रही थीं। वे पंजाब के अमृतसर में रहते थे। हाल ही में मुझे किसी ने यह लिंक, इस आग्रह के साथ पढ़ने के लिए भेजा था कि इसे हिंदी में अनुवाद कर लोगों के सामने रखा जाना चाहिए।

*एक पेंटिंग.*..
पाकिस्तान में सन् 1947 में हिंदू-सिखों का कत्लेआम हुआ। स्त्रियों के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। उन्हें नग्न कर घुमाया गया। उनके वक्ष काट डाले गए। कइयों ने कुएं में कूद जान दे दी। उसी भयावहता को बयां करते हुए केसी आर्यन ने यह पेंटिंग बनाई थी।

Tuesday, August 18, 2020

शुभ जन्माष्टमी।

जन्म से पूर्व ही मृत्यु की भविष्यवाणी हो चुकी थी काली अंधकारमय भयंकर वर्षा की अर्धरात्रि को मथुरा के कारागृह में भगवान श्री नारायण अपने सप्तम अवतार श्री कृष्ण के रूप में प्रकट होते है ....

ऐसा दुर्भल संयोग भला इतिहास में कहां वर्णित होगा...

बालरूप श्रीकृष्ण को उनके पिता वासुदेव एक सुप में रखकर प्रलयकारी उफनती यमुना जी के भीतर से लेकर ग़ोकुल की और चल पड़ें है यमुनाजी मानो और विकराल हो उठी हो यह विकरालता वस्तुत यमुनाजी की व्याकुलता है जो अपनी उफ़नती लहरों से प्रभु के चरणों की रज लेना चाहती है लेकिन एक भयभीत पिता बारम्बार अपने पुत्र को उन लहरों से ऊपर करता रहता है अंतः यमुनाजी अपने प्रयास में सफल होती है बालरूप के चरणों को छूकर शांत होते हुए वासुदेव जी के चरणों तक आ जाती है...

बालरूप को ग़ोकुल में माता यशोदा व नंदबाबा को सौपकर एक नवजात कन्या को लेकर वासुदेव पुनः मथुरा के कारागृह में पहुँच जाते है...

ग़ोकुल में नंदबाबा के आंगन में बालकृष्ण की छठी का उत्सव है और कंस द्वारा प्रायोजित पूतना एक स्त्री के रूप में पहुँच कर बालकृष्ण को अपना विषैला दुग्धपान करवाती है प्रभु उसका विष सींचते है और उसे उसके शरीर से मुक्त कर देते है...

दिन व्यतीत हो रहें है हर तिमाही में एक से एक बढ़कर दैत्य कंस भेज रहा है प्रभु सबको मुक्त कर रहें है...

मात्र 13 वर्ष में कंस के अधीन सभी मायावी दैत्य एक के बाद एक श्रीकृष्ण व बलराम द्वारा मुक्त कर दिए जातें है अब कंस एक ओर चाल चलता है वो अपने पिता विश्वसनीय सेवक अक्रुरजी जो गौकुल भेजता है ताकि श्रीकृष्ण को मथुरा लाया जा सकें...

सप्तद्वार से रक्षित मथुरा के प्रथम द्वार पर मदमस्त हाथी ओर राजदरबार के सबसे बड़े पहलवानों को दोनो भाई यूँ ही काबू करते है जैसे एक बालक की हंसी से सब मंत्रमुग्ध हो जाते है फिर एक प्रहार कंस की छाती होता है और वो भी परलोक गमन करता है...

लेकिन काल तो जन्म से पूर्व ही श्रीकृष्ण के पीछे था उसे समुख आने का साहस कभी ना हुआ...

लीलाधर लीलाओं को रचते है संदीपनी ऋषि के गुरुकुल में स्वम् भगवान परसुराम आकर उन्हें उनका सुरदर्शन चक्र देकर अन्य आततायी राजाओं के वध के लिए निवेदन करते है...

एक के बाद एक महाबलियों को युद्ध में उनके शरीर से मुक्त करते हुए प्रभु श्रीकृष्ण आगे बड़ते है ऐसे ही एक समय में जरासंघ से युद्ध करते समय वो रण छोड़कर यह भी बताते है कि मैं मात्र मृत्यु ही नही हूँ मैं इससे दूर भी रह सकता हूँ...

उधर हस्तिनापुर में राजतंत्र एक अधर्म पालक दुर्योधन के अधीन होने जा रहा है पांडवों से उनका अधिकार छीना जा रहा है राजदरबार में बैठे महारथियों के मौन से इस अमर्यादित कार्य को ओर बल मिल रहा मानो शेष दैत्य अब मात्र कौरवों के पक्ष में आकर खड़े हो गए है....

मैं काल हूं कहते हुए प्रभु श्रीकृष्ण अब महाभारत के युद्ध में शस्त्रहीन होकर पांडवों के पक्ष में एक सारथी बन धर्म के उत्थान को बैठ चुके है...

युद्ध आरम्भ होता है तो जो अधर्म को मौन बनकर देख रहें थे प्रथम उन्हें ही काल स्वरूप श्रीकृष्ण अर्जुन के हाथों मुक्ति दिलवाते है फिर अधर्मियों के वध को पूर्ण करते हुए युद्ध का समापन करते है...

अपने पुत्रों को खो चुकी शोक सन्ताप से रुदन करती गांधारी इस युद्ध के लिए श्रीकृष्ण को दोषी मानते हुए अपने पुत्रों की भांति उनके वंश के नाश का श्राफ देती है तो वो गिरधर उसे स्वीकार करते है ....

काल अभी भी प्रतीक्षा करता है लेकिन उसका अब साहस ही नही की वो वृक्ष के नीचे विश्राम करते द्वारकाधीश के समुख जा सकें वो एक युक्ति को अपनाता है एक शिकारी को मायाजाल में युक्त कर उसे प्रभु श्रीकृष्ण के चरणों को एक हिरण के सींग में भ्रमित करता है...

दयासागर योगिराज काल की योजना को पूर्ण करते है और अपने परमधाम चले जाते है ...

श्याम ने सदैव काल से युद्ध किया उन्हें चूड़ी बेचने का समय कब मिला...

13 वर्ष का बालक युद्धरत रहा उसने महारास भी रचाया लेकिन वहां भी उनकी योगमाया से ही जग भ्रमित रहा...

नाती-पोते वाला वो सुदेही श्रीकृष्ण युद्धरत रहा भला उसे कब समय मिला 16 हजार रानियों के साथ निवास का...

कपट आपके भीतर है इसलिए महादेव शिव को गंजेड़ी बना देते हो...

वासना आपके भीतर है इसलिए श्रीकृष्ण को मात्र रसिया बना देते हो...

प्रभु श्रीकृष्ण सा अद्वितीय, अदभुत, अकल्पनीय, अविस्मरणीय, जीवन कोई नही एक पुरुष के सभी आयामो को जीवंत करते इस चरित्र की महिमा को बताया नही जा सकता है लेकिन आप अपने अपने विवेक के आधार पर निर्धारण करने को स्वतंत्र है यह वोही छंद है जो गीताजी के उपदेश के अंत में योगिराज श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कहा ....

#भादो_माह_कृष्णपक्ष_अष्ठमी_द्वापरयुग 
#शुभ_जन्माष्टमी
#जै_श्रीकृष्ण

धर्म (Magic or Logic)?

सभी मत पंथ संप्रदाय के उपदेशक कहते हैं कि हमारे सत्संग मे बुद्धि मत लगाओ। सच यह है कि धर्म मैजिक ( जादू) नहीं लॉजिक ( तर्क) पर आधारित है। चित्र मे कुछ लोग मूर्तियों को बिस्तर पर सुला रहे हैं। यह धर्म नही है। सर्वव्यापक ईश्वर और मूर्तियों  मे सोना और जागना नही होता। 

इस विवरण में दी गई घटनाए वास्तविक हैं. नाम और समय इसलिए नहीं लिखा है क्योंकि नाम कोई भी हो स्थान कोई भी हो सकता है.
1- उत्तरप्रदेश मेरठ के निकट -
गुरु जी ने बहुत बड़ा हाल कमरा बनवाया. कमरे में कंक्रीट का लेंटर ( RCC Slab) लगाया. कंक्रीट डालने के 5 दिन बाद गुरु जी ने निर्माण करने वाले राज मिस्त्री को कहा कि शटरिंग हटा दें. उसने कहा कि कम से कम 15 दिन का समय लगता है. अभी शटरिंग हटाई तो चोट लग जाएगी और छत गिर जाएगी. गुरु ने कहा कि गुरु के वचन में बहुत शक्ति है. तुम्हे विश्वास नहीं है. तुम पीछे हट जाओ. अपने अनुयायियों को शटरिंग हटाने का आदेश दिया. शटरिंग हटाते समय छत्त टूट कर गिर गई. कई श्रद्धालु मर गए और बहुत से बुरी तरह घायल हो गए . मरे हुए श्रद्धालू स्वर्ग में गए यह गुरु जी ने बताया.

2-- उत्तर प्रदेश मथुरा के निकट -
करोड़ पति गुरु जी का जन्मदिन. गरीबों को मुफ्त सामान बांटने का लालच दिया. आश्रम के दरवाजे पर गरीबों की जबरदस्त भीड़. कई घण्टे तक इन्तजार के बाद गुरु जी आए. धोती, कटोरी, गिलास आदि इस तरह बंटवाया कि भगदड़ मच गई. कई गरीब मारे गए. गुरु जी ने यह कहकर पल्ला झाड लिया कि मेरे आश्रम के बाहर मरे हैं. मेरी कोई जिम्मेवारी नहीं. पुलिस चुप. इन गुरु जी ने भी मुगल बादशाहों की तरह केवल अपने पुत्रों का विवाह किया था पुत्रियों का नहीं. अब इन गुरु जी का देहवसान हो चुका है। 

3-- राजस्थान - मेहन्दीपुर-
एक नवविवाहित युवती मानसिक रोगी. घर वाले एक तान्त्रिक के कहने पर उस नव विवाहिता को बालाजी धाम लाए. साथ में वह तांत्रिक भी आया. 3 दिन के बाद तान्त्रिक ने कहा कि भूत इसलिए बाहर नहीं आ रहा है क्योंकि इसका पति साथ है. युवती की सास के कहने पर पति वापिस घर आ गया. सास, बहु और तांत्रिक वहीँ रह गए. अगले दिन तांत्रिक ने बहु को धर्मशाला में अपने कमरे में इलाज के बहाने बुला लिया और सास को दर्शन करने वालों की लाइन भेज दिया.

4--
रोमन कैथोलिक में किसी को सन्त घोषित करना हो तो उसकी पहली शर्तें होती है, उपरोक्त व्यक्ति के नाम के साथ कोई चमत्कार घटित होता दिखाया जाये। अगर चमत्कार का 'प्रमाण' पेश किया गया तो उपरोक्त व्यक्ति का 'बीटिफिकेशन' होता है अर्थात उसे ईसा के प्रिय पात्रों में शुमार किया जाता है, जिसका ऐलान वैटिकन में आयोजित एक बड़े धार्मिक जलसे में लाखों लोगों के किया जाता है तथा दूसरे चरण में उसे सन्त घोषित किया जाता है जिसे 'कननायजेशन' कहते हैं।
अभी कुछ साल पहले मदर टेरेसा के बीटिफिकेशन हुआ था , जिसके लिए राईगंज के पास की रहनेवाली किन्हीं मोनिका बेसरा से जुड़े 'चमत्कार' का विवरण पेश किया गया था। गौरतलब है कि 'चमत्कार' की घटना की प्रामाणिकता को लेकर सिस्टर्स आफ चैरिटी के लोगाें ने लम्बा चौड़ा 450 पेज का विवरण वैटिकन को भेजा था। यह प्रचारित किया गया था कि मोनिका के टयूमर पर जैसे ही मदर टेरेसा के लॉकेट का स्पर्श हुआ, वह फोड़ा छूमन्तर हुआ। दूसरी तरफ खुद मोनिका बेसरा के पति सैकिया मूर्म ने खुद 'चमत्कार' की घटना पर यकीन नहीं किया था और मीडियाकर्मियों को बताया था कि किस तरह मोनिका का लम्बा इलाज चला था। दूसरे राईगंज के सिविल अस्पताल के डाक्टरों ने भी बताया था कि किस तरह मोनिका बेसरा का लम्बा इलाज उन्होंने उसके टयूमर ठीक होने के लिए किया।
इसी कड़ी में कुछ हिन्दुओं की मूर्खता देखिये उन्होंने इंग्लैंड के वेम्ब्ली में 16 मिलियन पौंड खर्च करके आलीशान मंदिर का निर्माण किया उसमें हिन्दू देवी देवताओं के अतिरिक्त वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप या बन्दा बैरागी नहीं अपितु मदर टेरेसा की मूर्ति लगा डाली।

कुछ अन्य विवरण पढ़ें

एक विचित्र परम्परा महाराष्ट्र के सोलापुर के बाबा उमर की दरगाह और कर्नाटक के श्री संतेस्वर मंदिर में होती है. छोटे बच्चों को ऊपर से फेंका जाता है. सैकड़ों लोग मंदिर के नीचे बच्चों को पकड़ने के लिए खड़े रहते हैं।इस परंपरा का पाालन हिन्दू समुदाय के लोग अपने बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए करते हैं. उन मूर्खों से कोई पूछे कि बच्चों का भविष्य शिक्षा से सुधरेगा या हवा में उछालने से?
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आन्ध्रप्रदेश के देवरागाटू मंदिर में होती है. जहां पर लोग एक दूसरे को डंडे से मारते हैं और तब तक मारते रहते हैं जब तक कि वो इंसान मरने की स्थिति में ना आ जाए. वहां पर सबसे ज्यादा आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के लोग आते हैं. इस अजीबोगरीब त्यौहार से कोई मरे न, इसलिए वहां पर हमेशा डॉक्टर की कई टीमें रहती हैं.
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हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु तमिलनाडु के एक छोटे से गांव में आते हैं. यहां पर मंदिर के पुजारी उनके सिर पर नारियल फोड़ते हैं.
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बिहार में रेलवे लाइन के निकट बने एक शिव मन्दिर में शिवरात्री में जल चढाने वालों की इतनी भीड़ होती है कि लोग रेलवे लाइन पर भी खड़े होते हैं. एक बार जल चढाने के लिए इन्तजार करते हुए लोगों की मृत्यु ट्रेन द्वारा कट जाने पर हुई. क्या उन्हें यह नहीं पता था कि रेल लाइन पर खड़ा होना गलत है.
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हर साल बड़ी संख्या में अमरनाथ जाने वाले लोग नारा लगाते हैं- जय बाबा बर्फानी, भूखे को अन्न दे प्यासे को पानी. एक बार भारी बर्फ़बारी और लैंड स्लाइड से रास्ता कट गया. लोग भूखे प्यासे रह जाते यदि सेना वायुयान से सहायता नहीं पहुंचाती. केदारनाथ की भयंकर त्रासदी कौन भूल सकता है. अगले साल से फिर वही लम्बी लम्बी लाइन.
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गुजरात के गांधी नगर जिले के छोटे से रुपाल गांव में कई दशकों से मनाए जा रहे उत्सव पर वरदायिनी माता की पल्ली पर लाखों किलो घी चढ़ाया जाता है. पूरे गांव की गलियां मानो शुद्ध घी की नदी में तबदील हो जाती हैं. लाखों लीटर घी नालियों में बहता है. क्या इतनी भी बुद्धि नहीं है कि घी खाने के लिए होता है सडक पर बहाने के लिए नहीं.

राजस्थान में एक मन्दिर है जिसमे इलोजी की मूर्ति लगाईं हुई है.यह मूर्ति नग्न और अत्यन्त अश्लील है. बुंदेलखंड क्षेत्र के झांसी जनपद में स्थित रेवन और ककवारा गांवों के बीच लिंक रोड पर कुतिया महारानी मां का एक मंदिर है, जिसमें काली कुतिया की मूर्ति स्थापित है. आस्था के केंद्र इस मंदिर में लोग प्रतिदिन पूजा करते हैं. जयपुर, राजस्थान के पाली इलाके में एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान नहीं बल्कि बुलेट की पूजा होती है. यहाँ शराब चढ़ाई जाती है. लोगों की मान्यता है की ऐसा करने से एक्सीडेंट नहीं होता है और यहां के बाबा उनकी रक्षा करते हैं. आखिर इस मुर्खता से हमें क्या लाभ होता है यह मुझे आजतक समझ नहीं आया. 

Sunday, August 9, 2020

अंतिम सत्य।

याज्ञवल्क्य घर छोड़ कर जा रहा है।

जीवन के अंतिम दिन आ गए हैं और अब वह चाहता है कि दूर खो जाए किन्हीं पर्वतों की गुफाओं में।

उसकी दो पत्नियां थीं और बहुत धन था उसके पास। वह उस समय का प्रकांड पंडित था। उसका कोई मुकाबला नहीं था पंडितों में। तर्क में उसकी प्रतिष्ठा थी। ऐसी उसकी प्रतिष्ठा थी कि कहानी है कि जनक ने एक बार एक बहुत बड़ा सम्मेलन किया और एक हजार गौएं, उनके सींग सोने से मढ़वा कर और उनके ऊपर बहुमूल्य वस्त्र डाल कर महल के द्वार पर खड़ी कर दीं और कहा: जो पंडित विवाद जीतेगा, वह इन हजार गौओं को अपने साथ ले जाने का हकदार होगा। यह पुरस्कार है।

बड़े पंडित इकट्ठे हुए। दोपहर हो गई। बड़ा विवाद चला। कुछ तय भी नहीं हो पा रहा था कि कौन जीता, कौन हारा। और तब दोपहर को याज्ञवल्क्य आया अपने शिष्यों के साथ। दरवाजे पर उसने देखा–गौएं खड़ी-खड़ी सुबह से थक गई हैं, धूप में उनका पसीना बह रहा है। उसने अपने शिष्यों को कहा, ऐसा करो, तुम गौओं को खदेड़ कर घर ले जाओ, मैं विवाद निपटा कर आता हूं।

जनक की भी हिम्मत नहीं पड़ी यह कहने की कि यह क्या हिसाब हुआ, पहले विवाद तो जीतो! किसी एकाध पंडित ने कहा कि यह तो नियम के विपरीत है–पुरस्कार पहले ही!

लेकिन याज्ञवल्क्य ने कहा, मुझे भरोसा है। तुम फिक्र न करो। विवाद तो मैं जीत ही लूंगा, विवादों में क्या रखा है! लेकिन गौएं थक गई हैं, इन पर भी कुछ ध्यान करना जरूरी है।

शिष्यों से कहा, तुम फिक्र ही मत करो, बाकी मैं निपटा लूंगा।

शिष्य गौएं खदेड़ कर घर ले गए। याज्ञवल्क्य ने विवाद बाद में जीता। पुरस्कार पहले ले लिया। बड़ी प्रतिष्ठा का व्यक्ति था। बहुत धन उसके पास था। बड़े सम्राट उसके शिष्य थे। और जब वह जाने लगा, उसकी दो पत्नियां थीं, उसने उन दोनों पत्नियों को बुला कर कहा कि आधा-आधा धन तुम्हें बांट देता हूं। बहुत है, सात पीढ़ियों तक भी चुकेगा नहीं। इसलिए तुम निश्चिंत रहो, तुम्हें कोई अड़चन न आएगी। और मैं अब जंगल जा रहा हूं। अब मेरे अंतिम दिन आ गए। अब ये अंतिम दिन मैं परमात्मा के साथ समग्रता से लीन हो जाना चाहता हूं। अब मैं कोई और दूसरा प्रपंच नहीं चाहता। एक क्षण भी मैं किसी और बात में नहीं लगाना चाहता।

एक पत्नी तो बड़ी प्रसन्न हुई, क्योंकि इतना धन था याज्ञवल्क्य के पास, उसमें से आधा मुझे मिल रहा है, अब तो मजे ही मजे करूंगी। लेकिन दूसरी पत्नी ने कहा कि इसके पहले कि आप जाएं, एक प्रश्न का उत्तर दे दें। इस धन से आपको शांति मिली? इस धन से आपको आनंद मिला? इस धन से आपको परमात्मा मिला? अगर मिल गया तो फिर कहां जाते हो? और अगर नहीं मिला तो यह कचरा मुझे क्यों पकड़ाते हो? फिर मैं भी तुम्हारे साथ चलती हूं।

और याज्ञवल्क्य जीवन में पहली बार निरुत्तर खड़ा रहा। अब इस स्त्री को क्या कहे! कहे कि नहीं मिला, तो फिर बांटने की इतनी अकड़ क्या! बड़े गौरव से बांट रहा था कि देखो इतने हीरे-जवाहरात, इतना सोना, इतने रुपये, इतनी जमीन, इतना विस्तार! बड़े गौरव से बांट रहा था। उसमें थोड़ा अहंकार तो रहा ही होगा उस क्षण में कि देखो कितना दे जा रहा हूं! किस पति ने कभी अपनी पत्नियों को इतना दिया है! लेकिन दूसरी पत्नी ने उसके सारे अहंकार पर पानी फेर दिया। उसने कहा, अगर तुम्हें इससे कुछ भी नहीं मिला तो यह कचरा हमें क्यों पकड़ाते हो? यह उलझन हमारे ऊपर क्यों डाले जाते हो? अगर तुम इससे परेशान होकर जंगल जा रहे हो तो आज नहीं कल हमें भी जाना पड़ेगा। तो कल क्यों, आज ही क्यों नहीं? मैं चलती हूं तुम्हारे साथ।

तो जो धन बांट रहा है वह क्या खाक बांट रहा है! उसके पास कुछ और मूल्यवान नहीं है। और जो ज्ञान बांट रहा है, पाठशालाएं खोल रहा है, धर्मशास्त्र समझा रहा है, अगर उसने स्वयं ध्यान और समाधि में डुबकी नहीं मारी है, तो कचरा बांट रहा है। उसका कोई मूल्य नहीं है। बांटने योग्य तो बात एक ही है: परमात्मा। मगर उसे तुम तभी बांट सकते हो जब पाओ, जब जानो, जब जीओ।

ओशो"

Monday, August 3, 2020

सुशांत सिंह राजपूत कि मौत का कौन है ज़िम्मेदार?

आखिर क्यों महाराष्ट्र की उद्धव सरकार पूरे देश की जबरदस्त मांग के बावजूद सुशांत की डेथ की जांच सीबीआई को किसी कीमत पर नहीं देना चाहती?

एक फ़ेसबुकिये ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर की है! 

पहले मैंने उसकी पोस्ट को ज्यादा सीरियसली नहीं लिया, लेकिन कल अरनब गोस्वामी की डिबेट के बाद मैंने फिर से उस फ़ेसबुकीये की वो पोस्ट पढ़ी क्योंकि डॉट्स शॉकिंगली मैच हो रहे थे और इसी से मिलती-जुलती एक पोस्ट इंस्टाग्राम पर भी कुछ दिन पहले किसी ने डाली थी! 

उस फ़ेसबुकिये की पोस्ट का हिन्दी ट्रांसलेशन..............

"बात करते हैं 9 जून के बारे में!"
सूरज पांचोली ने दिशा सालयान को अपने पेंटहाउस में '"पार्टी है" बोलकर इनवाइट किया! 

दिशा उस पार्टी में नहीं जाना चाहती थी क्योंकि पिछले कुछ दिनों से उसकी सूरज से अनबन चल रही थी! 
ये बताया दिशा के फ्रेंड पुनीत वशिष्ठ ने! 

लेकिन फिर दिशा अकेले सूरज के पेंटहॉउस में रात के 8 बजे पहुंची! 

इस पार्टी में मौजूद थे महाराष्ट्र सीएम उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे, सिद्धार्थ पिठानी, संदीप सिंह (जो कल अरनब की डिबेट में साफ-साफ नर्वस दिखा, इनकन्सिस्टेंट था और हकला भी रहा था)

रिया का भाई शौमिक चक्रवर्ती,  आरबाज ख़ान और दूसरे बौलीवुड के भी स्टार्स! 

उसी रात दिशा का इनलोगों ने रेप किया और बाद में उसे 14th फ्लोर से नीचे फेंक दिया! 

लेकिन दिशा के रेप और ऊपर से फेंके जाने के बीच दिशा को थोड़ा सा वक्त मिला और उसने सुशांत को फोन करके उसके साथ हुई सारी बात बता दी!  

सूरज पांचोली, आदित्य ठाकरे, और दिशा के रेपिस्टो को ये बात पता चल गयी कि सुशांत सब जान चुका है! 
सुशांत ने ये बात संदीप सिंह और रिया को बताई! 
इसके बाद इनलोगों ने सुशांत को धमकियां देनी शुरू कर दी! 

इसीलिए सिर्फ 9 जून से 13 जून के बीच सुशांत ने 14 बार अपना सिम बदला था! 

रिया ये बात महेश भट्ट को बताती है और भट्ट उसको सुशांत का घर तुरंत छोड़ने को बोलता है! 
इसी के बाद 10तारीख़ को रिया सुशांत का घर छोड़कर चली जाती है और उसका नंबर ब्लॉक कर देती है!
 
यहाँ डॉट्स जोडिये! 

सुशांत को रिया से इसलिये झगड़े हुए क्योंकि वो दिशा को इंसाफ दिलाना चाहता था लेकिन क्योंकि रिया का भाई ख़ुद दिशा के रेप और कातिलों में शामिल था इसलिये रिया सुशांत को चुप रहने को कहती है!  धमकी देती है कि वो उसे पागल घोषित करके तबाह और बदनाम कर देगी! 
इसी बीच संदीप सिंह ने आदित्य ठाकरे, सूरज, सलमान, आरबाज़ सबको ख़बर कर दिया कि सुशांत चुप नहीं रहने वाला है और वो कभी भी मीडिया में अपना मुँह खोल देगा! 

तब इन सबने आदित्य ठाकरे के घर पर सुशांत को 13 की रात में ही मारने का प्लान बनाया क्योंकि उस दिन सब आदित्य के बर्थडे के लिये इकट्ठा हुए थे! 

13 की रात में सुशांत की हत्या हो चुकी थी! 
13 की रात क्या हुआ? 

सुशांत बहुत ख़ुश था क्योंकि उसने 12 जून को रूमी जाफ़री के साथ नया प्रोजेक्ट साइन किया था! 

रूमी जाफ़री ने Eटाइम्स को दिये इंटरव्यू में बताया कि जून के फर्स्ट वीक में ही हमारी डील हो गयी थी और सुशांत को क़ौल करने पर रिया ही उसका फ़ोन उठाती थी! 
सुशांत ने उसी प्रोजेक्ट कि ख़ुशी में 13जून को घर पर पार्टी दी थी! 

रात 10.20 के आसपास आदित्य ठाकरे भी सुशांत की उस पार्टी में आया था, जिसकी फुटेज सुशांत की बिल्डिंग के सामने वाली बिल्डिंग के cctv फुटेज में कैप्चर हुई है!  
पार्टी के बाद सुशांत के डॉग के गले की बेल्ट से मार डाला गया! 

सुशांत की पोस्टमॉर्टम और विसेरा  रिपोर्ट में डेथ की टाइम नहीं बताई गयी है! 

अब जिस मर्डर में ख़ुद उद्धव का बेटा इन्वॉल्व हो, सलमान, आर्बाज इन्वॉल्व हो उसकी जांच सीबीआई को कैसे दी जा सकती है?

अजीत पवार के बेटे पार्थ पवार ने भी सीबीआई जांच की सिफारिश की है! 

अब सुप्रीमकोर्ट को सुओ-मोटो लेते हुए जांच सीबीआई को देनी ही चाहिये।

मच्छरों के बारे में ये भी जानें।

1. धरती पर मच्छरों की 3500 से ज्यादा प्रजातियाँ मौजूद है और ये 20 करोड़ साल पहले धरती पर आए थे.

2. मच्छर इंसान की सांस भी सूंघ सकते है. ये 75 feet दूर से CO2 सूंघ लेते है.

3. मच्छर 2 फीट प्रति सेकंड की स्पीड से उड़ते है. और ये 40 फीट से ऊपर नही उड़ते. ये अपने जन्म स्थान से 1 मील तक के एरिया में ही उड़ते है.

4. केवल मादा मच्छर ही खून चूसती है. नर मच्छर तो शाकाहारी होते है.

5. मच्छर लगभग 16 मिलीमीटर लंबे और 2.5 मिलीग्राम वजनी होते है.

6. मच्छर अपने एक बार के डंक से 0.001 से 0.1 मिलीलीटर तक खून चूसते है.

7. जब मच्छर खून के लिए ज्यादा ही उतावले हो जाते है तो ये कपड़ो में से भी डसने लगते है.

8. मच्छर सिर्फ आपको काटते ही नही है बल्कि खून चूसने के बाद आपकी त्वचा पर पेशाब भी कर देते है.

9. मादा मच्छर एक साथ 300 अंडे से सकती है यह अपने जीवन में करीब 500 अंडे पैदा करती है.

10. यदि मच्छरों को खून ना मिले तो ये नए बच्चे नही पैदा कर सकते.

11. एक मादा मच्छर की जिंदगी लगभग 2 महीने की और नर मच्छर की लगभग 15 दिन की होती है.

12. मच्छर के पंख एक सेकंड में 500 बार फड़फड़ाते है.

13. मच्छर अपने वजन से तीन गुना ज्यादा खून चूस सकते है.

14. किसी भी और रंग की बजाय मच्छर नीले रंग की तरफ ज्यादा आकर्षित होते है इसीलिये होटल या रेस्टोरेंट में रखे गये हीटर की लाइट blue होती है।.

15. 1,200,000 मच्छर आपका पूरा खून चूस जाएंगे.

16. मच्छर के 47 दाँत होते है.

17. ‘O’ ब्लड ग्रुप वाले लोगों को ज्यादा मच्छर काटते है.

18. मच्छर उन लोगों की तरफ ज्यादा आकर्षित होते है जिन्होनें अभी-अभी केला खाया है.

19. यदि धरती पर मौजूद सभी मच्छरों को मारकर एक फुटबाॅल के मैदान में इकट्ठा कर लिया जाए तो पांच किमी ऊँचा ढेर लग जाएगा.

20. आइसलैंड अकेला ऐसा देश है जहाँ मच्छर नही पाए जाते.

21. इतिहास में हुए सभी युद्धों से ज्यादा मौतें मच्छरों के काटने से हुई है.

22. हर साल मलेरिया से 10 लाख लोगों की मौत हो रही है. अगर अफ्रीका की बात करे तो हर 45 सेकंड में एक मौत.

23. यदि मच्छर के काटने वाली जगह पर खुजली हो रही है तो वहाँ पर चम्मच को थोड़ा-सा गर्म करके लगा लीजिए, खुजली बंद हो जाएगी.

24. यदि आपके शरीर के किसी भी हिस्से पर मच्छर बैठ गया है और उसे आप मारना चाहते तो तो शरीर के उस हिस्से को टाईट कर लें. फिर आप देखोगे की मच्छर उड़ नही पाएगा और आप उसे आसानी से मार दोगे।