Friday, April 5, 2024

भविष्य में न बीजेपी होगी, न टीएमसी और न ही कांग्रेस।

सऊदी अरब के प्रोफेसर नासिर बिन सुलेमान उल उमर का कहना है कि भारत गहरी नींद में है।  इस्लाम तेजी से बढ़ रहा है और हजारों मुसलमान पुलिस, सेना, नौकरशाही में घुसपैठ करके महत्वपूर्ण संगठनों में घुस गये हैं।  इस्लाम भारत में दूसरा सबसे बड़ा धर्म है।

   आज भारत भी विलुप्ति के कगार पर है।  जिस प्रकार किसी राष्ट्र के उत्थान में दशकों लग जाते हैं, उसी प्रकार इसके विनाश में भी समय लगता है।

   भारत रातोरात ख़त्म नहीं होगा.  इसे धीरे-धीरे दूर किया जाएगा.  हम मुसलमान होने के नाते इसे बहुत गंभीरता से अपनाते हैं।  भारत तो नष्ट हो ही जायेगा.

   भारत में प्रतिदिन लगभग 65,000 बच्चे पैदा होते हैं।  इनमें से लगभग 40,000 मुस्लिम बच्चे हैं और लगभग 25,000 हिंदू और अन्य धर्मों के बच्चे हैं।  यानी जन्म दर मुसलमानों की कुल आबादी का लगभग 20% है!!!  अब पैदा होने वाले बच्चों में मुस्लिम बहुसंख्यक और हिंदू अल्पसंख्यक हैं।  इस दर से 2050 तक भारत में मुसलमान बहुसंख्यक हो जायेंगे।

   भारत को मुस्लिम देश बनने से कोई नहीं रोक पाएगा और भारत तुरंत दंगों की आग में जल जाएगा।  हम मुसलमान हिंदुओं को मारकर ख़त्म कर देंगे.  आज, सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मुसलमान आबादी का लगभग 20% हैं, लेकिन वास्तव में वे 25% से अधिक हैं।

   सरकारी आंकड़े गलत हैं क्योंकि वहाबी मुसलमान जानबूझकर वास्तविक संख्या छिपाते हैं और काफिर हिंदुओं को अनजान रखने के लिए इस बढ़ती आबादी को अपने हथियार के रूप में दर्ज नहीं करते हैं।

   भारत में धर्मनिरपेक्षता के नाम पर महाधोखाधड़ी चल रही है, लेकिन अभागे हिंदू अभी भी गहरी नींद में हैं।

   हिंदुओं ने कश्मीर को देखकर सबक क्यों नहीं सीखा, जहां हिंदुओं को अपनी सारी संपत्ति और महिलाएं और लड़कियां छोड़नी पड़ीं।

   भारत तब तक धर्मनिरपेक्ष है जब तक हिंदू बहुसंख्यक हैं।  वे नहीं जानते कि अल्पसंख्यक होने पर उनका क्या होगा????

   ये बात इन मूर्ख हिंदुओं को पाकिस्तान और बांग्लादेश के काफिरों के आंकड़ों से भी समझ नहीं आती.

   हिन्दू कभी नहीं बोलेगा, चुप रहेगा, उच्च नैतिक पद ग्रहण करेगा, ......तो उसका भाग्य अवश्य डूब जायेगा...

   पाकिस्तान और बांग्लादेश या कश्मीर .. उदाहरण के लिए, हिंदुओं का अंत निश्चित है।

   केरल, बंगाल, उत्तर प्रदेश, हैदराबाद और अन्य राज्यों के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों पर विचार करें।

   कभी भी ऐसे इलाके में न जाएं जहां आपके शहर में मुस्लिम लोग हों, हो सकता है कि उनकी घूरती निगाहों के बीच आपकी सांसें अटक रही हों!

   इसके अलावा जांबिया और मलेशिया जैसे देश इसके उदाहरण हैं.

   मुस्लिम बहुमत के आगमन के साथ ही इन धर्मनिरपेक्ष देशों को इस्लामिक देश घोषित कर दिया गया।

   लंदन, स्वीडन, फ्रांस और नॉर्वे जैसे देशों में रोजाना हिंसा होती है।

   क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों हो रहा है?  कौन करता है?  प्रयोजन क्या है???

   लोगों के बीच इस तरह की दहशत पैदा करना और उनके दिलों में बोलने का साहस किए बिना भय पैदा करना शांतिरक्षा रणनीति का हिस्सा है!  क्या आप नहीं समझते, वे नमाज के नाम पर दिन में 5 बार मस्जिद में इकट्ठा होते हैं और आपके खिलाफ साजिश रचते हैं!!!  वे प्रतिज्ञा लेते हैं और दिन में 5 बार तुम्हें ख़त्म करने का निर्णय लेते हैं....!!!

   इसलिए, आंखें और मुंह बंद करना प्रभावी नहीं है।  अब समय आ गया है कि हम अपनी आँखें खोलें, अपना मुँह खोलें और लोगों के बीच जागरूकता फैलाएँ

   कम समय!!!  सोचो और समझो?

   अग्रवाल साहब ने अपने नौकर अब्दुल से पूछा, मेरे 2 बच्चे हैं और मैं उनके भविष्य को लेकर चिंतित हूं, लेकिन तुम्हारे तो 12 बच्चे हैं और तुम्हें अभी तक कोई चिंता नहीं है।

   अब्दुल्ला- 25 साल बाद मेरे 12 बेटे तुम्हारी दुकान संभालेंगे.  आप तो हमारे लिए ही कमाते हैं, फिर मुझे क्यों परवाह होगी.  ये उनकी मनःस्थिति है.

   सियालकोट, लाहौर, गुजरांवाला और करणजी में हिंदुओं द्वारा बनाई गई विशाल हवेलियाँ हमारे लिए बनाई गई थीं।  स्वतंत्र भारत में भी, कश्मीर में कश्मीरी हिंदुओं ने हमारे लिए बड़ी-बड़ी हवेलियाँ बनाईं और अंत में हमने उन पर कब्ज़ा कर लिया और हमें आपकी चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।

 ▶️ *यह तथ्य हर हिंदू भाई को भेजें।  आंखें खोलें और कान साफ करें और प्रत्येक का निरीक्षण करें।*


 स्रोत:
 https://twitter.com/ndskaushal/status/1729322885230272741?t=TSIgXD8yAyK3zJK8Gc75iw&s=19

Sunday, February 11, 2024

गुप्त-ईसाई।

आखिर कौन जमात है ये #क्रिप्टो_क्रिश्चियन ...!!!

ग्रीक भाषा मे #क्रिप्टो शब्द का अर्थ है छुपा हुआ या गुप्त। इसी प्रकार क्रिप्टो-क्रिश्चियन का अर्थ हुआ गुप्त-ईसाई। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि क्रिप्टो-क्रिश्चियन कोई गाली या नकारात्मक शब्द नहीं हैं।

क्रिप्टो-क्रिश्चियनिटी ईसाई धर्म की एक संस्थागत प्रैक्टिस है। क्रिप्टो-क्रिश्चियनिटी के मूल सिद्धांत के अंर्तगत क्रिश्चियन जिस देश मे रहते हैं, वहाँ वे दिखावे के तौर पर तो उस देश के ईश्वर की पूजा करते हैं, वहाँ का धर्म मानतें हैं, जो कि उनका छद्मावरण होता है, पर वास्तव में अंदर से वे ईसाई होते हैं और निरंतर ईसाई धर्म का प्रचार करते रहते हैं।

क्रिप्टो क्रिश्चियन का सबसे पहला उदाहरण रोमन सामाज्य में मिलता है। जब ईसाईयत ने शुरुवाती दौर में रोम में अपने पैर रखे थे। तत्काल महान रोमन सम्राट ट्रॉजन ने ईसाईयत को रोमन संस्कृति के लिए खतरा समझा और जितने रोमन ईसाई बने थे, उनके सामने प्रस्ताव रखा कि या तो वे ईसाईयत छोड़ें या मृत्यु-दंड भुगतें। रोमन ईसाईयों ने मृत्यु-दंड से बचने के लिए ईसाई धर्म छोड़ने का नाटक किया और उसके बाद ऊपर से वे रोमन देवी देवताओं की पूजा करते रहे, पर अंदर से ईसाईयत को मानते थे। जिस तरह मुसलमान 5-10 प्रतिशत होते हैं, तब उस देश के कानून को मनाते हैं। पर जब 20-30 प्रतिशत होतें हैं तब शरीयत की मांग शुरू होती है, दंगे होतें है। आबादी और अधिके बढ़ने पर गैर-मुसलमानों की Ethnic Cleansing शुरू हो जाती है।

पर, क्रिप्टो क्रिश्चियन, मुसलमानों जैसी हिंसा नहीं करते।जब क्रिप्टो क्रिश्चियन 1 प्रतिशत से कम होते है तब वह उस देश के ईश्वर को अपना कर अपना काम करते रहते हैं और जब अधिक संख्या में हो जाते हैं तो उन्ही देवी-देवताओं का अपमान करने लगते हैं।

Hollywood की मशहूर फिल्म Agora(2009) हर हिन्दू को देखनी चाहिए। इसमें दिखाया है कि जब क्रिप्टो क्रिश्चियन रोम में संख्या में अधिक हुए तब उन्होंने रोमन देवी-देवताओं का अपमान करना शुरू कर दिया। वर्तमान में भारत मे भी क्रिप्टो क्रिश्चियन ने पकड़ बनानी शुरू की तो यहाँ भी हिन्दू देवी-देवताओं, ब्राह्मणों को गाली देने का काम शुरू कर दिया। मतलब, जो काम यूरोप में 2000 साल पहले हुआ वह भारत मे आज हो रहा है। हाल ही में प्रोफेसर केदार मंडल द्वारा देवी दुर्गा को वेश्या कहा जो कि दूसरी सदी के रोम की याद दिलाता है।

क्रिप्टो-क्रिश्चियन के बहुत से उदाहरण हैं पर सबसे रोचक उदाहरण जापान से है। मिशनिरियों का तथाकथित-संत ज़ेवियर जो भारत आया था, वह 1550 में धर्मान्तरण के लिए जापान गया और उसने कई बौद्धों को ईसाई बनाया। 1643 में जापान के राष्ट्रवादी राजा शोगुन (Shogun) ने ईसाई धर्म का प्रचार जापान की सामाजिक एकता के लिए खतरा समझा। शोगुन ने बल का प्रयोग किया और कई चर्चो को तोड़ा गया। जीसस-मैरी की मूर्तियां जब्त करके तोड़ दी गईं। बाईबल समेत ईसाई धर्म की कई किताबें खुलेआम जलायीं गईं। जितने जापानियों ने ईसाई धर्म अपना लिया था उनको प्रताड़ित किया गया। उनकी बलपूर्वक बौद्ध धर्म मे घर वापसी कराई गई। जिन्होंने मना किया, उनके सर काट दिए गए। कई ईसाईयों ने बौद्ध धर्म मे घर वापसी का नाटक किया और क्रिप्टो-क्रिश्चियन बने रहे।

जापान में इन क्रिप्टो-क्रिश्चियन को “काकूरे-क्रिश्चियन” कहा गया। काकूरे-क्रिश्चियन ने बौद्धों के डर से ईसाई धर्म से संबधित कोई भी किताब रखनी बन्द कर दी। जीसस और मैरी की पूजा करने के लिए इन्होंने प्रार्थना बनायी जो सुनने में बौद्ध मंत्र लगती पर इसमें बाइबल के शब्द होते थे। ये ईसाई प्रार्थनाएँ काकूरे-क्रिश्चियनों ने एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी मौखिक रूप से हस्तांतरित करनी शुरू कर दी। 1550 से ले कर अगले 400 सालों तक काकूरे-क्रिश्चियन बौद्ध धर्म के छद्मावरण में रहे। 20वीं शताब्दी में जब जापान औद्योगिकीकरण की तरफ बढ़ा और बौद्धों के धार्मिक कट्टरवाद में कमी आई तो इन काकूरे-क्रिश्चियन बौद्ध धर्म के मुखौटे से बाहर निकल अपनी ईसाई पहचान उजागर की।

केवल रोमन साम्राज्य और जापान में ही क्रिप्टो क्रिश्चियनों के उदाहरण नहीं मिलते, बल्कि बालकंस व एशिया माइनर, मध्यपूर्व, सोवियत रशिया, चाइना, नाज़ी जर्मनी समेत भारत में भी क्रिप्टो क्रिश्चियनों की बहुतायत है। जैसे जापान के क्रिप्टो क्रिश्चियन काकूरे कहलाते हैं वैसे ही एशिया माइनर के देशों सर्बिया में द्रोवर्तस्वो, साइप्रस में पत्सलोई, अल्बानिया में लारामनोई, लेबनान में क्रिप्टो मरोनाईट व इजिप्ट में क्रिप्टो कोप्ट्स कहलाते हैं।

भारत मे ऐसे बहुत से काकूरे-क्रिश्चियन हैं जो सेक्युलरवाद, वामपंथ और बौद्ध धर्म का मुखौटा पहन कर हमारे बीच हैं। भारत मे ईसाई आबादी आधिकारिक रूप से 2 करोड़ है और अचंभे की बात नहीं होगी अगर भारत मे 10 करोड़ ईसाई निकलें। अकेले पंजाब में अनुमानित ईसाई आबादी 10 प्रतिशत से ऊपर है। पंजाब के कई ईसाई सिख धर्म के छद्मावरण में है, पगड़ी पहनते हैं,, दाड़ी, कृपाण, कड़ा भी पहनते हैं पर सिख धर्म को मानते हैं पर ये सभी गुप्त-ईसाई हैं।

बहुत से क्रिप्टो-क्रिश्चियन आरक्षण लेने के लिए हिन्दू नाम रखे हैं। इनमें कइयों के नाम राम, कृष्ण, शिव, दुर्गा आदि भगवानों पर होते हैं। जिन्हें संघ के लोग भी सपने में गैर-हिन्दू नहीं समझ सकते जैसे कि पूर्व राष्ट्रपति के आर नारायणन। जो जिंदगी भर दलित बन के मलाई खाता रहा और जब मरने पर ईसाई धर्म के अनुसार दफनाने की प्रक्रिया देखी तो समझ मे आया कि ये क्रिप्टो-क्रिश्चियन है। देश मे ऐसे बहुत से क्रिप्टो-क्रिश्चियन हैं जो हिन्दू नामों में हिन्दू धर्म पर हमला करके सिर्फ वेटिकन का एजेंडा बढ़ा रहें हैं।

हम रोजमर्रा की ज़िंदगी मे हर दिन क्रिप्टो-क्रिश्चियनों को देखते हैं पर उन्हें समझ नहीं पाते क्योंकि वे हिन्दू नामों के छद्मावरण में छुपे रहतें हैं। जैसे कि...

श्री राम को काल्पनिक बताने वाली कांग्रेसी नेता अम्बिका सोनी क्रिप्टो क्रिश्चियन है।

NDTV का अधिकतर स्टाफ क्रिप्टो-क्रिश्चियन है।

हिन्दू नामों वाले नक्सली जिन्होंने स्वामी लक्ष्मणानन्द को मारा, वे क्रिप्टो क्रिश्चियन हैं।

गौरी लंकेश, जो ब्राह्मणों को केरला से बाहर उठा कर फेंकने का चित्र अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर लगाए थी, क्रिप्टो क्रिश्चियन थी।

JNU में भारत के टुकड़े करने के नारे लगाने वाले और फिर उनके ऊपर भारत सरकार द्वारा कार्यवाही को ब्राह्मणवादी अत्याचार बताने वाले वामी नहीं, क्रिप्टो-क्रिश्चियन हैं।

फेसबुक पर ब्राह्मणों को गाली देने वाले, हनुमान को बंदर, गणेश को हाथी बताने वाले खालिस्तानी सिख, क्रिप्टो-क्रिश्चियन हैं।

तमिलनाडु में द्रविड़ियन पहचान में छुप कर उत्तर भारतीयों पर हमला करने वाले क्रिप्टो क्रिश्चियन हैं।

जिस राज्य ने सबसे अधिक हिंदी गायक दिए उस राज्य बंगाल में हिंदी का विरोध करने वाले क्रिप्टो क्रिश्चियन हैं।

अंधश्रद्धा के नाम हिन्दू त्योहारों के खिलाफ एजेंडे चलाने वाला और बकरीद पर निर्दोष जानवरों की बलि और ईस्टर के दिन मरा हुआ आदमी जीसस जिंदा होने को अंधश्रध्दा न बोलने वाला नरेन्द्र दाभोलकर, क्रिप्टो-क्रिश्चियन था।

देवी दुर्गा को वैश्या बोलने वाला केदार मंडल और रात दिन फेसबुक पर ब्राह्मणों के खिलाफ बोलने वाले दिलीप सी मंडल, वामन मेश्राम क्रिप्टो-क्रिश्चियन हैं।

महिषासुर को अपना पूर्वज बताने वाले जितेंद्र यादव और सुनील जनार्दन यादव जैसे कई यादव सरनेम में छुपे क्रिप्टो-क्रिश्चियन हैं।

तमिल अभिनेता विजय एक क्रिप्टो- क्रिस्चियन है, पूरा नाम है जोसफ विजय चंद्रशेखर।

आम आदमी पार्टी का नेता आशीष खेतान एक क्रिप्टो-क्रिश्चियन है। इसकी पत्नी का नाम है, क्रिस्टिनिया लीडिया फर्नांडीस और दोनों बच्चे ईसाई हैं।

जब किसी के लिवर में समस्या होती है तो उसकी त्वचा में खुजली, जी मचलाना और आंखों पीलापन आ जाता है पर ये सब सिर्फ Symptoms हैं। इनकी दवा करने से मूल समस्या हल नहीं होगी। अगर लिवर की समस्या को हल कर लिया तो ये Symptoms अपने आप गायब हो जाएंगे।

बिना विश्लेषण के देखेंगे तो हिंदुओं के लिए तमाम समस्याएं दिखेंगी वामी, कांग्रेस, खालिस्तानी, नक्सली, दलित आंदोलन, JNU इत्यादि है, पर ये सब समस्याएं Symptoms मात्र हैं जिसका मूल है क्रिप्टो-क्रिश्चियन।

Wednesday, January 31, 2024

अद्वैत

पूरे भारत को अपने पैरों से रौंदकर वह युवक कुछ दिनों के लिए काशी में रुका हुआ था। 

विश्वेश्वर महादेव से लगी मणिकर्णिका घाट के निकट ही फूस की कुछ कुटियों में वह अपने शिष्यों सहित रहता था। 

अद्वैत के उसके सिद्धांत ने बौद्धिकों के मन मस्तिष्क में हलचल मचा दी थी, एवं शास्त्रार्थ में उससे पराजित होने वाले वयोवृद्ध प्रकांड पण्डित भी उस युवक को अपना गुरु नाम अपने शिष्यों सहित उसके चरणों में नतमस्तक रहते थे। 

प्रातः से अनवरत बोलते और शिष्यों एवं जिज्ञासुओं के उत्तर देते-देते वह किंचित थक सा गया था। 

आकाश से देवता उसे देख रहे हो या न देख रहे हों, पर एक देवता अपने प्रचंड रूप से पृथ्वी पर अपनी कोपदृष्टि बरसा रहा था। 

छोटे-मोटे तालाब तो सूख ही चुके थे, नदी का पाट भी कम हो चला था। 

प्रत्येक जीव के ठीक सिर के ऊपर आकाश का वह देवता अपनी दृष्टि से सबको घूर रहा था, जिससे बचने के लिए मछलियां नदी में गहरे चली गई थी, पक्षी अपने घोसलों में दुबक गए थे। 

युवक ने सोचा कि इस अथाव गर्मी से छुटकारा पाने के लिए गंगा में डुबकी लगा ली जाए। 

वह उठा तो उसके कुछ शिष्य भी साथ चलने लगे। 

घाट की सीढ़ियों से उतरते हुए उन्हें बीच रास्ते में चार भयानक कुत्तों के साथ एक चाण्डाल खड़ा दिखा, जो पता नहीं सीढ़ियों से ऊपर जा रहा था या नीचे। शिष्यों ने दुत्कारा, "दुर-दुर, हट-हट।"

कुत्तों ने दुरदुराने वालों को देखा और अपना कर्तव्य निर्धारण करने हेतु अपने स्वामी चाण्डाल को देखा। 

उनका स्वामी वैसे ही सीढ़ियों के किनारे बने मन्दिरों को निहारता ही रहा। कुत्तों ने संकेत समझा और वहीं कूँ-कूँ करते हुए चाण्डाल के चरणों में बैठ गए। 
 
ज्येष्ठ माह की धूप, प्रातः से तर्क-वितर्क से थके मस्तिष्क वाले युवक ने किंचित व्यग्रता से कहा, "अरे चाण्डाल, मार्ग से हट। मुझे नीचे नदी तक जाना है।"

चाण्डाल ने युवक को क्षण भर देखा, और बोला, "तो जा भाई, मैंने कब तेरा मार्ग रोका है? मैं कोई साँड़ तो हूँ नहीं कि मेरी देह के विस्तार ने तेरा मार्ग अवरुद्ध किया हो। पतला-दुबला तो हूँ, पार्श्व से निकल जा। या मेरे इन कुत्तों से डरता है? सुना तो है कि तू सारे नदी-नाले, जंगल-पहाड़ फांदकर आया है। क्या वनों के वन्यपशुओं से अधिक भयावह तुझे ये कुत्ते लगते हैं, जो निकट आने में तुझे भय लगता है? आ जा, ये कुछ नहीं करेंगे। मैं मना कर दूंगा इन्हें।"

यह सुन शिष्यों के मुख से दुर्वचन निकलने लगे, और युवक की भृकुटि चढ़ गई। बोला, "रे चांडाल, अपनी काया से क्यों मुझे अपवित्र करने पर तुला है। चार पग चल कर दाएँ-बाएँ हो जा, मैं निकल जाऊं, फिर पुनः आकर यहीं समाधि लगा लेना।"

"ओह, अच्छा-अच्छा, तुझे कुत्तों से दिक्कत नहीं है। तुझे मेरी इस मानस देह से दिक्कत है। मुझे तो लगा था कि अद्वैत की बात करने वाला तू कोई विद्वान होगा। कितने ही पंडे-पुजारी इस काशी में गेरुआ वस्त्र पहने, माथे पर तिलक और हाथ में कमण्डल लिए घूमते हैं, चतुर वाणी बोल प्रजा को मूर्ख बनाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं। तू भी उन जैसा ही कोई अभिनेता ही है क्या?"

युवक को समझ नहीं आया कि चाण्डाल क्या कह रहा है। वह, जिसने भारत भर के विद्वानों को अपनी प्रज्ञा से पराजित किया, क्या वह कोई ठग है जो जनता को बहका रहा है! 

युवक को खिन्न और अपनी ओर घूरता देखकर चाण्डाल पुनः बोला, "घूरता क्या है रे ठग? क्या मैंने कुछ गलत कहा? तू ठग नहीं है तो क्यों बात अद्वैत की करता है परन्तु व्यवहार में चाण्डाल और ब्राह्मण में भेद करता है? क्या नदी में प्रतिबिंबित सूर्य और पोखरे में प्रतिबिंबित सूर्य में कोई अंतर है? क्या ये तेरी गंगा किसी चतुर्वेदी और चंडाल में, पंडा और पासी में, नीतिकार और चर्मकार में भेद करेगी? क्या तेरे शरीर में जो आत्मा, परमात्मा, प्रत्यगात्मा है, वह मेरे शरीर से अलग है? जो अनन्त है, अव्यक्त है, अचिंतनीय है, अपने उस स्वरूप को, उस आत्मा को भूल कर अपनी देह को महत्व और दूसरे की देह को अपवित्र मानने वाला तू कोई अद्वैतवादी कैसे हो सकता है? तू या तो मूर्ख है, या कपटी है! तेरी वाणी पर कुछ और, मन में कुछ और, तू संसार को अद्वैत बताएगा। तू तो स्वयं ही द्वैत का सर्वोच्च उदाहरण है। ले, छोड़ दिया तेरा रास्ता। जा, जाकर लगा ले डुबकी गंगा में। बाहर निकल कर फिर किसी दूसरे नगर जाकर अपनी ठगी दिखाना। दिग्विजय पर निकला है न तू। जा, कर दिग्विजय। पर है तू कायर ही। तुझसे तो आजतक अपना मिथ्या अहंकार, अपना मन तक न जीता गया।"

जैसे किसी ने कशाघात किया हो, या किसी घोड़े ने वक्ष पर पदप्रहार किया हो, युवक कुछ क्षण तो सन्न रह गया। 

चाण्डाल की वाणी, उसके तर्क, उसका तिरस्कार मस्तिष्क में घूमते रहे। नेत्रों से गंगा बह चली और एकाएक ही वह चाण्डाल की ओर दौड़ पड़ा। 

आगे का दृश्य देख शिष्यों के प्राण उनके मुख में आ गए। 

ब्राह्मणों में पूजित वह युवक एक चाण्डाल के पैरों में लिपटे, उसके चरणों को अपने अश्रुओं से धो रहा था। चांडाल मुस्कुरा रहा था और उसका हाथ युवक के सिर और पीठ को सहला रहे थे।

जब युवक थोड़ा स्वस्थ्य हुआ तो बोला, "मनुष्यों में श्रेष्ठ श्रीमान, आपने जो कहा, सत्य कहा। जो जीव विष्णु में है, महादेव में है, वह जीव ब्राह्मण में है, चाण्डाल में है, मनुष्य में है और पशुओं में भी है। श्रीमान, मैं आपका ऋणी हूँ। कृपया मुझे शिष्य रूप में स्वीकार करें। आप चाण्डाल हों या ब्राह्मण, देव हों या असुर, मेरे गुरु हैं।"

चाण्डाल मुस्कुराता रहा और युवक देखता रहा। युवक के देखते ही देखते चाण्डाल का रूप परिवर्तित हो गया। 

उसने देखा कि कदाचित नीलवर्णी, अथवा पिंगलवर्णी या कदाचित श्वेतवर्णी परमात्मा जिसके हाथों में वेद हैं, जिसकी जटाओं पर चंद्रमा है,  जिसने हाथी का चमड़ा पहना है या कपास के कपड़े पहने हैं, जिसके गले में सर्प है या कि गजमुक्ता, बैठा-बैठा नेत्रों से प्रेम बरसा रहा है। 

युवक देखता ही रहा और बोला, "शंभो, मेरी देह तेरी दास है। मेरी आत्मा तेरा अंश है। समस्त ब्रह्मांड में आद्य आत्मा तेरी ही है, और मैं तेरा ही भाग हूँ। तू शंकर है, मैं भी शंकर हूँ। तू शिव है, मैं भी शिव हूँ। शिवोहम शिवोहम।