Monday, June 30, 2014

मासिक धर्म (Periods)

मित्रो माताओ-बहनो को मासिक धर्म (Periods) से सबन्धित समस्याएँ होना साधारण बात है अक्सर माहवारी की अनियमिता हो जाती है ,अर्थात कई बार रक्तस्त्राव बहुत अधिक हो जाता है और कई बार क्या होता है बिलकुल ही नहीं होता ! और कभी कभी ऐसा भी होता है की ये 2-3 दिन होना चाहिए लेकिन 1 ही दिन होता है ,और कई बार 15 दिन ही दुबारा आ जाता है ! और कई बार 2 महीने तक नहीं आता !

पूरी पोस्ट नहीं पढ़ सकते तो यहाँ click करें
https://www.youtube.com/watch?v=JAyHlx8kqUk

तो ये मित्रो मासिक धर्म चक्र की अनियमिता की जितनी सभी समस्याएँ है इसकी हमारे आयुर्वेद मे बहुत ही अच्छी और लाभकारी ओषधि है वो है अशोक के पेड़ के पत्तों की चटनी !
हाँ एक बात याद रखे आशोक का पेड़ दो तरह का है एक तो सीधा है बिलकुल लंबा ज़्यादातर लोग उसे ही अशोक समझते है जबकि वो नहीं है एक और होता है पूरा गोल होता है और फैला हुआ होता है वही असली अशोक का पेड़ है जिसकी छाया मे माता सीता ठहरी थी ! फोटो मे देखिये !

तो इस असली अशोक के 5-6 पत्ते तोड़िए उसे पीस कर चटनी बनाओ अब इसे एक से डेढ़ गिलास पानी मे कुछ देर तक उबाले ! इतना उबाले की पानी आधा से पौन गिलास रह जाए ! फिर उसे बिलकुल ठंडा होने के लिए छोड़ दीजिये और फिर उसको बिना छाने हुए पीये ! सबसे अच्छा है सुबह खाली पेट पीना ! कितने दिन तक पीना ?? 30 दिन तक लगातार पीना उससे मासिक धर्म (periods ) से सबन्धित सभी तरह की बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं ! ये सबसे अधिक अकेली बहुत ही लाभकारी दवा है ! जिसका नुकसान कोई नहीं है ! और अगर कुछ माताओ-बहनो को 30 दिन लेने से थोड़ा आराम ही मिलता है ज्यादा नहीं मिलता तो वो और अगले 30 दिन तक ले सकती है वैसे लगभग मात्र 30 दिन लेने से ही समस्या ठीक हो जाती है !

तो मित्रो ये तो हुई महवारी मे अनियमिता की बात ! अब बात करते पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द की. बहुत बार माताओ -बहनो को ऐसे समय मे बहुत अधिक शरीर मे अलग अलग जगह दर्द होता है कई बार कमड़,दर्द होना ,सिर दर्द होना ,पेट दर्द पीठ मे दर्द होना जंघों मे दर्द होना ,स्तनो मे दर्द,चक्कर आना ,नींद ना आना बेचैनी होना आदि तो ऐसे मे तेज pain killer लेने से बचे क्योंकि इनके बहुत अधिक side effects है , एक बीमारी ठीक करेंगे 10 साथ हो जाएगी और बहुत से pain killer तो विदेशो मे 20 वर्षो से ban है जो भारत मे बिकती है !

तो आयुर्वेद मे भी इस तरह के दर्दों की तात्कालिक (instant relief ) दवाये है जिसका कोई side effect नहीं है ! तो पीरियडस के दौरान होने वाले दर्दों की सबसे अच्छी दवा है गाय का घी ,अर्थात देशी गाय का घी ! एक चम्मच देशी गाय का घी को एक गिलास गर्म पानी मे डालकर पीना ! पहले एक गिलास पानी खूब गर्म करना जैसे चाय के लिए गर्म करते है बिलकुल उबलता हुआ ! फिर उसमे एक चम्मच देशी गाय का घी डालना ,फिर ना मात्र सा ठंडा होने पर पीना ,चाय की तरह से बिलकुल घूट घूट करके पीना ! बिलकुल सिप सिप करके पीना है ! तात्कालिक (instant relief ) एक दम आराम आपको मिलेगा और ये लगातार 4 -5 दिन जितने दिन पीरियड्स रहते है पीना है उससे ज्यादा दिन नहीं पीना ! ये पीरियडस के दौरन होने वाले सब तरह के दर्दों के लिए instant relief देता है सामान्य रूप से होने वाले दर्दों के लिए अलग दवा है !

एक बात जरूर याद रखे घी देशी गाय का ही होना चाहिए , विदेशी जर्सी,होलेस्टियन ,फिरिजियन भैंस का नहीं !! देशी गाय की पहचान है की उसकी पीठ गोल सा ,मोटा सा हम्प होता है !कोशिश करे घर के आस पास पता करे देशी गाय का ! उसका दूध लाकर खुद घी बना लीजिये ! बाजारो मे बिक रहे कंपनियो के घी पर भरोसा ना करें ! या भारत की सबसे बड़ी गौशाला जिसका नाम पथमेड़ा गौशाला है जो राजस्थान मे है यहाँ 2 लाख से ज्यादा देशी गाय है इनका घी खरीद लीजिये ये पूरा देशी गाय के दूध से ही बना है ! काफी बड़े शहरो मे उपलब्ध है !

और अंत जब तक आपको जीवन मे आपको मासिक धर्म रहता है आप नियमित रूप से चुने का सेवन करें ,चुना कैसा ?? गीला चुना , जो पान वाले के पास से मिलता है कितना लेना है ?? गेहूं के दाने जितना ! कैसे लेना है ??बढ़िया है की सुबह सुबह खाली पेट लेकर काम खत्म करे आधे से आधा गिलास पानी हल्का गर्म करे गेहूं के दाने के बराबर चुना डाले चम्मच से हिलाये पी जाए ! इसके अतिरिक्त दही मे ,जूस मे से सकते है बस एक बात का ध्यान रखे कभी आपको पथरी की समस्या रही वो चुना का सेवन ना करे !! ये चुना बहुत ही अच्छा है बहुत ही ज्यादा लाभकरी है मासिक धर्म मे होने वाली सब तरह की समस्याओ के लिए !!
इसके अतिरिक्त आप जंक फूड खाने से बचे , नियमित सैर करे ,योग करे !

Quran & Muslims (भाग 2)

Quran & Muslims (भाग 2)

कुरान में विज्ञान को ढूँढ़ना उसी तरह असंभव है, जैसे गधे के सिर पर सींग ढूँढ़ना. क्योंकि कुरान और विज्ञान परस्पर एक दूसरे के विरोधी हैं. कुरान केवल ईमान रखने पर जोर देता है. कुरान पर प्रश्न करना अथवा उस पर तर्क वितर्क करना पाप है. जो कुरान में लिखा है वही सत्य है.

यदि कोई मुसलमान उस पर शंका करता है तो वह काफ़िर है. यदि कुरान कहे कि बिना पिता और माता के संतान हुई तो मान लो, यदि कुरान कहे कि मुहम्मद ने चाँद के दो टुकड़े कर दिए थे तो ईमान रखो.

कुरान का एक भाग अल्लाह ने लिखकर एक फ़रिश्ते जिब्राइल के हाथों मुहम्मद को दिया था, तो भी मान लो यदि किसी ने इस पर संदेह किया तो उसकी गर्दन कलम कर दी जायेगी. प्रश्न करना, पूछना इस्लाम में सबसे बड़ा पाप है.

परन्तु विज्ञान प्रत्येक तथ्य के बारे में जांच करने, परखने, प्रयोग करने और प्रश्न करने
की अनुमति देता है. इसी सिद्धांत से विज्ञान की इतनी प्रगति हुई है. बिना जांचे परखे विज्ञान किसी भी बात को स्वीकार नहीं करता. विज्ञान का न तो कोई
मुहम्मद जैसा अनपढ़
रसूल है जो तलवार की जोर पर अपनी बात मनवा सके न कोई कुरान जैसी कोई"पवित्र??? पुस्तक"है जिस पर सारे वैज्ञानिक ईमान रखने पर विवश हों.

यही कारण है कि मुसलमानों में कोई बड़ा वैज्ञानिक अथवा आविष्कर्ता नहीं हुआ (डॉ कलाम जी के अलावा). कुरान ने केवल आतंकी, अपराधी, स्मगलर तथा लुटेरों को ही जन्म दिया है.

जो थोड़ी अरबी, उर्दू सीख लेते हैं वे किसी मस्जिद के इमाम, मुल्ले, मुफ्ती बन जाते हैं. अथवा मुअज्जिन बन कर रेंकते रहते है. फिर भी बेशर्मी से सरकारी पैसों से वेतन लेते है.

जो रुपया देश के हिन्दू टैक्स के रूप में देते है. अचानक इन अक्ल के शत्रुओं को यह सनक लगी कि कुरान को विज्ञान सम्मत सिद्ध करके पश्चिम के लोगों पर अपनी ठग विद्या चलायें.... परन्तु हर स्थान और हर मंच पर इनको मात खानी पड़ी. वहां कुरान को किसी ने रद्दी के भाव भी नहीं पूछा.

हम आपको कुरान के विज्ञान अर्थात अल्लाह के अज्ञान के नमूने दे रहे हैं :-

१) - सूरज दलदल में ड़ूब जाता है.
"
यहाँ तक कि वह सूर्यास्त की जगह पहुँच गया, उसने देखा कि सूरज एक काले कीचड़ (Muddy Spring) में ड़ूब रहा था. सूरा अल कहफ़ 18 : 86
http://quranhindi.com/p421.htm

२) - अल्लाह ने प्रथ्वी को ठहरा रखा है.
"
वह कौन है, जिसने पृथ्वी को एक स्थान पर ठहरा दिया है. (Made the Earth
Fixed)
सूरा-अन नमल 27 : 61
http://quranhindi.com/p532.htm

३) - धरती झूलती रहती है.
"
वही है जिसने तुम्हारे लिए धरती को पालना बनाया (Restling
झूला)सूरा - अज जुखुरुफ़ 43 : 10
http://quranhindi.com/p677.htm

४) - धरती फैलायी जा सकती है. "और धरती को जैसा चाहा फैलाया (Spread
the Earth)
सूर -अस शम्श 91 : 6
http://quranhindi.com/p840.htm

५) रात और दिन लपेटे जा सकते है.
"
और वह रात को दिन पर लपेटता है एवं दिन को रात पर लपेटता है. सूरा - अज जुमुर 39 : 5
http://quranhindi.com/p635.htm

६) - सूरज अल्लाह से निकलने की आज्ञा लेता है.
"
सूरज रात को गंदे कीचड़ में डूबा रहता है, और अजान से पहले अल्लाह से निकलने की अनुमति लेता है. सही बुखारी - जिल्द 4 किताब 54
हदीस 441

7)
वही है जिसने तुम्हारे लिए जमीन को फर्श और आसमान को छत बनाया, और आकाश से पानी उतारा। कुरान 2 : 22
http://quranhindi.com/p005.htm

8)
अल्लाह ने आकाश को धरती पर गिरने से रोक रखा है. कुरान 22 : 65
http://quranhindi.com/p473.htm

भाई आकाश क्या है ???? कोई छत या दिवार है क्या ????

9) Quran 79 : 30
http://quranhindi.com/p821.htm

यहाँ इस आयत में क़ुरान का अल्लाह का इल्म न जाने कौन से ज्ञान से प्राप्त किया की धरती को फैला दिया -

क्या धरती चपटी है या चटाई है जो फैला दिया - किसी को समझ आये तो बताना !!

10)
निश्चय ही इसके लिए (चंद्रमा पर जाने के लिए) तुम्हें एक के बाद एक सीढी चढ़ना पड़ेगीं. "सूरा -इन शिकाक 84 :19
http://quranhindi.com/p831.htm

11)
अल्लाह ने कहा कि, हे मनुष्य और जिन्नों के समूहों यदि तुम में सामर्थ्य हो तो, इस धरती की परिधि से निकल कर आकाश की सीमा में प्रवेश करके अन्दर घुस कर आगे निकल जाओ "सूरा -रहमान 55 : 33

न तो तुम धरती की सीमा से बाहर निकल सकते हो,और न आकाश की सीमा में प्रवेश कर सकते हो "सूरा-अनकबूत 29 : 22
http://quranhindi.com/p554.htm

8
से 10 साल के अन्दर इंसान भी जा सकते है मंगल पर. लेकिन मुसलमान इस सत्य को स्वीकार नहीं करते, और किसी के द्वारा अंतरिक्ष में प्रवेश करने को असंभव बताते है. क्योंकि उनके अल्लाह ने कुरान में ऐसी ही डींग मारने वाली बात कही है. अल्लाह ने चुनौती दे कर कहा, "हे मनुष्यों और जिन्नों के गिरोह,यदि तुममें इतनी सामर्थ्य हो तो तुम धरती से आकाश सीमाओं से बाहर निकलो, और निकल कर बताओ. तुम निकल ही नहीं सकते ""
ﻳَﺎ
ﻣَﻌْﺸَﺮَ ﺍﻟْﺠِﻦِّ ﻭَﺍﻟْﺈِﻧْﺲِ ﺇِﻥِ ﺍﺳْﺘَﻄَﻌْﺘُﻢْﺃَﻥْ
ﺗَﻨْﻔُﺬُﻭﺍ ﻣِﻦْﺃَﻗْﻄَﺎﺭِ ﺍﻟﺴَّﻤَﺎﻭَﺍﺕِ ﻭَﺍﻟْﺄَﺭْﺽِ
ﻓَﺎﻧْﻔُﺬُﻭﺍ ﻟَﺎﺗَﻨْﻔُﺬُﻭﻥَ ﺇِﻟَّﺎﺑِﺴُﻠْﻄَﺎﻥٍ "
Quran, Sura Rahman 55 : 33
http://quranhindi.com/p741.htm

इस आयत से सिद्ध
होता है कि मुसलमानों का अल्लाह सर्वज्ञानी नहीं. जबकि वेदों में ईश्वर ने स्पष्ट शब्दों में अंतरक्ष में जाने को संभव
बताया है, वेद में कहा है -

"
यो अन्तरिक्षे
रजसो विमानः कस्मै
देवायहविषा विधेम". यजुर्वेद, अध्याय 32 मन्त्र 6 अर्थ -

जो ईश्वर हमें विशेष विज्ञानं युक्तविमान से अंतरिक्ष का भ्रमण कराता है, हमें उसी ईश्वर की उपासना करना चाहिए. अर्थात अल्लाह की इबादत करने वाले उसी की तर हजाहिल और मुर्ख बने रहेंगे, ऐसे लोग सिर्फ आतंकवादी ही बन सकते हैं.

""
अब हम कैसे मानें कि कुरान में विज्ञान होगा, जब अल्लाह को स्वयं ही प्राथमिक ज्ञान नहीं है. मुसलमानों के कट्टर होने का यही कारण है !!


Sunday, June 29, 2014

असलियत - शिया -सुन्नी में अंतर


शिया -सुन्नी में अंतर..
शिया सुन्नी में मुख्य अंतर यह है! (जरूर
पढें)
1 .शिया इमामों को और
सुन्नी खलीफाओं को मानते हैं
2 .दौनों की अजाने और नमाजों के
तरीके अलग हैं.
3 -शिया तीन बार और सुन्नी पांच
बार नमाज पढ़ते है .
4 .शिया अस्थाई शादी "मुतआ " करते
है.
5.शिया सिर्फ अली को मानते
हैं .बाकी सभी खलीफाओं और
सहबियों को मुनाफिक
(पाखंडी)गासिब (लुटेरा ) जालिम
(क्रूर )और इमां से खाली मानते हैं .
6 .शियाओं का नारा है "नारा ए
हैदरी "और " या अली है .
7 .शिया मानते हैं कि सुन्नियो ने
ही इमाम हुसैन को क़त्ल किया था.और
सुन्नी अपराधी हैं.
8 .शिया यह भी मानते हैं कि, मुहमद
की पत्नी आयशा और
हफ्शा चरित्रहीन और
षडयंत्रकारी थी इन्हीं ने मुहम्मद
को जहर देकर मारा था
→शिया सुन्नी नमाज में अंतर
.
.
जिस तरह से शिया और सुन्नियों के
विचार एक दूसरे से विपरीत और
भिन्न हैं, उसी तरह उनकी अजान,
नमाज भी अलग हैं.
1. शिया दिन में सिर्फ तीन बार
नमाज पढ़ते हैं, और मगरिब के साथ
ईशा की नमाज मिला देते है.
सुन्नी पांच बार नमाज पढ़ते हैं.
2. सुन्नी हाथ बांध कर और
शिया हाथ खोलकर नमाजपढ़ते हैं.
3. शिया "खैरल अमल " शब्द अधिक
कहते हैं.
4. सुन्नी सजदे के समय जमीन पर सर
रखते हैं, शिया किसी लकड़ी के बोक्स
या ईंट पर सर रखते हैं.
5- शिया दुआ के बाद "आमीन " शब्द
नहीं बोलते.
6 -तबर्रा धिक्कार . तबर्रा एक
प्रकार
की गाली(Insult )जो शिया मुहर्रम
के महीने के एक तारीख से दस तारीख
तक अपनी मजलिसों में खलीफाओं
सहबियों और सुन्नियों को देते
है .शिया बहुल क्षेत्रों जैसे लखनऊ,
हैदराबाद में तबर्रा खुल कर
कहा जाता है .
"वास्तव में मुसलमान संतरे की तरह है,
कि जो देखने में एक लगता है, लेकिन
उसके अन्दर फाकें ही फांकें है!
इसी तरह मुसलामामों के दूसरे फिरके
भी है जो एक दुसरे को फूटी आँखों से
नहीं देखना चाहते है .जो मसलमान यह
सपने देख रहे है जैसे जैसे मुसलमान बढ़ाते
जायेगे, वह मजबूत होते जायेंगे .लेकिन
यह मुसलमानों का केवल
सपना ही है .जैसे जैसे मुसलमान बढ़ेंगे
उतने ही लड़ेंगे, और इनको परस्त करने
में कोई देर नहीं लगेगी .केवल प्रयास
करने की,जरूरत है.और उचित समय
की देर है ! इसी तरह वहाबी देवबंदी,
बरेलवी, सूफी, बोहरा, इस्माइली,
कुर्दसब एक दुसरे को मुसलमान
नहीं मानते.. और काफ़िर, मुनकिर,
मुनाफिक या बिदआती कहते..
मुल्लों की तालीम के कारण
लड़ना मुसलमानों का स्वभाव बन
गया. हरेक में कट्टरपन जहर भर
गया है! अभी तो उनके लड़ने के लिए गैर
मुस्लिममौजूद है! अगर जिस दिन
दुर्भाग्य से सभी मुसलमान बन गए
तो उसी दिन मानव
जाति का सफाया हो जायेगा|

Saturday, June 21, 2014

आखिर अफगानीस्तान से हिंदू क्यों मिट गया?

काबुल जो भगवान राम के पुत्र कुश का बनाया शहर था, आज वहाँ एक भी मंदिर नही बचा ?
गांधार जिसका विवरण महाभारत मे है, जहां की रानी गांधारी थी, आज उसका नाम कंधार हो चूका है, और वहाँ आज एक भी हिंदू नही बचा ?
कम्बोडिया जहां राजा सूर्य देव बर्मन ने दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर अंकोरवाट बनाया, आज वहाँ भी हिंदू नही है ?
पाकिस्तान में 1947 में 20 % थे अब 1.5 % बचे है ,बांग्लादेश बनने पर हिन्दू 27 % थे अब 9 % बचे है ?
बाली द्वीप मे 20 साल पहले तक 90% हिंदू थे, आज सिर्फ 20% बचे है ?
कश्मीर घाटी मे सिर्फ 30 साल पहले 50% हिंदू थे, आज 5% भी हिंदू नही बचा ?
केरल मे 10 साल पहले तक 80% जनसंख्या हिन्दुओ की थी, आज सिर्फ 50% हिंदू है ?
नोर्थ ईस्ट जैसे सिक्किम, नागालैंड, आसाम आदि मे हिंदू हर रोज मारे या भगाए जाते है, या उनका धर्मपरिवर्तन हो रहा है ?
मित्रों, 1569 तक ईरान का नाम पारस या पर्शिया होता था और वहाँ सिर्फ पारसी रहते थे..
जब पारस पर आक्रमण होता था, तब पारसी बूढ़े-बुजुर्ग अपने नौजवान को यही सिखाते थे की हमे कोई मिटा नही सकता, लेकिन ईरान से सारे के सारे पारसी मिटा दिये गए. धीरे-धीरे उनका कत्लेआम और धर्म-परिवर्तन होता रहा. एक नाव मे बैठकर 21 पारसी किसी तरह गुजरात के नवसारी जिले के उद्वावाडा गांव मे पहुचे और आज पारसी सिर्फ भारत मे ही गिनती की संख्या मे बचे है?
ईसाईयों के 80 देश और मुस्लिमो के 56 देश है, और हिन्दुओं का.....?
भारत को एक धर्मशाला बना दिया गया है, हिन्दू खुद तो ख़तम हो रहा है और समस्त विश्व के कल्याण की बकवास करता फिरता है, जबकि समूचा विश्व उसको पूरी तरह निगल लेने की पूरी तैयारी कर चूका है !
आज तक हिन्दू जितनी अधिक उदारता और सज्जनता दिखलाता रहा है, उसको उतना ही कायर और मुर्ख मानकर उस पर अन्याय और हर तरह का धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक विश्वासघात किया जाता रहा है !
अपनी दुर्दशा के इतिहास से कोई सबक न लेकर आज भी सेकुलार्ता का नशा लेकर मुर्छित होकर जी रहा है, और अपने ही शुभचिंतक भाइयों को सांप्रदायिक कहकर उनसे नपुंसक बनने की सीख देता फिरता है !

रुद्राक्ष


रुद्राक्ष विश्व में नेपाल,म्यान्मार,इंग्लैंड,बांग्लादेश एवं मलेशिया में पाया जाता है | भारत में यह मुख्यतः बिहार,बंगाल,मध्य-प्रदेश,आसाम एवं महाराष्ट्र में पाया जाता है | विद्वानों का कथन है कि रुद्राक्ष की माला धारण करने से मनुष्य शरीर के प्राणों का नियमन होता है तथा कई प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक विकारों से रक्षा होती है | इसकी माला को पहनने से हृदयविकार तथा रक्तचाप आदि विकारों में लाभ होता है | 
यह १८-२० मीटर तक ऊँचा,माध्यम आकार का सदाहरित वृक्ष होता है | इसके फल गोलाकार,१.३-२ सेमी व्यास के तथा कच्ची अवस्था में हरे रंग के होते हैं | इसके बीजों को रुद्राक्ष कहा जाता है | इसका पुष्पकाल एवं फालकाल फ़रवरी से जून तक होता है|

आइये जानते हैं रुद्राक्ष के कुछ औषधीय प्रयोगों के विषय में -

१- रुद्राक्ष का शरीर से स्पर्श उत्तेजना,रक्तचाप तथा हृदय रोग आदि को नियंत्रित करता है |
२- रुद्राक्ष को पीसकर उसमें शहद मिलाकर त्वचा पर लगाने से दाद में लाभ होता है |
३- रुद्राक्ष को दूध के साथ पीसकर चेहरे पर लगाने से मुंहासे नष्ट होते हैं |
४- रुद्राक्ष के फलों को पीसकर लगाने से दाह (जलन) में लाभ होता है |
५- यदि बच्चे की छाती में कफ जम गया हो तो रुद्राक्ष को घिसकर शहद में मिलाकर ५-५ मिनट के बाद रोगी को चटाने से उल्टी द्वारा कफ निकल जाता है |

Friday, June 20, 2014

चंद्रशेखर आज़ाद की मौत से जुडी फ़ाइल...

चंद्रशेखर आज़ाद की मौत से जुडी फ़ाइल...
अंग्रेजो के दलाल जवाहरलाल नेहरु की असली सच्चाई, चंद्रशेखर आज़ाद की मौत से जुडी फ़ाइल आज भी लखनऊ के सीआइडी ऑफिस १- गोखले मार्ग मे रखी है, उस फ़ाइल को नेहरु ने सार्वजनिक करने से मना कर दिया था, इतना ही नही नेहरु ने यूपी के प्रथम मुख्यमंत्री गोविन्द बल्लभ पन्त को उस फ़ाइल को नष्ट करने का आदेश दिया था, लेकिन चूँकि पन्त जी खुद एक महान क्रांतिकारी रहे थे इसलिए उन्होंने नेहरु को झूठी सुचना दी की उस फ़ाइल को नष्ट कर दिया गया है...
उस फ़ाइल मे इलाहाबाद के तत्कालीन पुलिस सुपरिटेंडेंट मिस्टर नॉट वावर के बयान दर्ज है जिसने अगुवाई मे ही पुलिस ने अल्फ्रेड पार्क मे बैठे आजाद को घेर लिया था और एक भीषण गोलीबारी के बाद आज़ाद शहीद हुए...



नॉट वावर ने अपने बयान मे कहा है की मै खाना खा रहा था तभी नेहरु का एक संदेशवाहक आया उसने कहा की नेहरु जी ने एक संदेश दिया है की आपका शिकार अल्फ्रेड पार्क मे है और तीन बजे तक रहेगा, मै कुछ समझा नही फिर मैं तुरंत आनंद भवन भागा और नेहरु ने बताया की अभी आज़ाद अपने साथियो के साथ आया था वो रूस भागने के लिए बारह सौ रूपये मांग रहा था मैंने उसे अल्फ्रेड पार्क मे बैठने को कहा है...
फिर मै बिना देरी किये पुलिस बल लेकर अल्फ्रेड पार्क को चारो ओर घेर लिया और आजाद को आत्मसमर्पण करने को कहा लेकिन उसने अपना माउजर निकालकर हमारे एक इंस्पेक्टर को मार दिया फिर मैंने भी गोली चलाने का हुकम दिया, पांच गोली से आजाद ने हमारे पांच लोगो को मारा फिर छठी गोली अपने कनपटी पर मार दी...
27
फरवरी 1931, सुबह आजाद नेहरु से आनंद भवन में उनसे भगत सिंह की फांसी की सजा को उम्र केद में बदलवाने के लिए मिलने गये, क्योंकी वायसराय लार्ड इरविन से नेहरु के अच्छे सम्बन्ध थे, पर नेहरु ने आजाद की बात नही मानी, दोनों में आपस में तीखी बहस हुयी और नेहरु ने तुरंत आजाद को आनंद भवन से निकल जाने को कहा, आनंद भवन से निकल कर आजाद सीधे अपनी साइकिल से अल्फ्रेड पार्क गये...
इसी पार्क में नाट बाबर के साथ मुठभेड़ में वो शहीद हुए थे, अब आप अंदाजा लगा लीजिये की उनकी मुखबरी किसने की, आजाद के लाहोर में होने की जानकारी सिर्फ नेहरु को थी, अंग्रेजो को उनके बारे में जानकारी किसने दी, जिसे अंग्रेज शासन इतने सालो तक पकड़ नही सका, तलाश नही सका था, उसे अंग्रेजो ने 40 मिनट में तलाश कर अल्फ्रेड पार्क में घेर लिया, वो भी पूरी पुलिस फ़ोर्स और तैयारी के साथ...

फोड़े - फुन्सियाँ


गर्मी और बरसात के मौसम में फोड़े-फुन्सियाँ निकलना एक आम समस्या है | शरीर के रोम कूपों में 'एसको' नामक जीवाणु इकठ्ठे हो जाते हैं जो संक्रमण पैदा कर देते हैं जिसके कारण शरीर में जगह-जगह फोड़े-फुन्सियां निकल आती हैं | इसके अलावा खून में खराबी पैदा होने की वजह से,आम के अधिक सेवन से,मच्छरों के काटने से या कीटाणुओं के फैलने के कारण भी फुन्सियां निकल आती हैं| भोजन में गर्म पदार्थों के अधिक सेवन से भी फोड़े-फुन्सियाँ निकल आते हैं |

फोड़े-फुन्सियाँ होने पर भोजन में अधिक गर्म पदार्थ,मिर्च-मसाले,तेल,खट्टी चीज़ें और अधिक मीठी वस्तुएं नहीं खानी चाहियें | फोड़े-फ़ुन्सियों को ढककर या पट्टी बांधकर ही रखना चाहिए |
फोड़े-फुन्सियों का विभिन्न औषधियों से उपचार -



१-नीम की ५-८ पकी निम्बौलियों को २ से ३ बार पानी के साथ सेवन करने से फुन्सियाँ शीघ्र ही समाप्त हो जाती हैं |

२- नीम की पत्तियों को पीसकर फोड़े-फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है |

३- दूब को पीसकर लेप बना लें | पके फोड़े पर यह लेप लगाने से फोड़ा जल्दी फूट जाता है |

४- खून के विकार से उत्पन्न फोड़े-फुन्सियों पर बेल की लकड़ी को पानी में पीसकर लगाने से लाभ मिलता है |

५- तुलसी और पीपल के नए कोमल पत्तों को बराबर मात्रा में पीस लें | इस लेप को दिन में तीन बार फोड़ों पर लगाने से फोड़े जल्दी ही नष्ट हो जाते हैं |

६- फोड़े में सूजन,दर्द और जलन आदि हो तो उसपर पानी निकाले हुए दही को लगाकर ऊपर से पट्टी बांधनी चाहिए | यह पट्टी दिन में तीन बार बदलनी चाहिए,लाभ होता है |

इराक देश (06-2014)

जो इराक देश आज हालात देख रहा हे उससे भयानक दृश्य भारत ने 700 साल पहले देखा था।
हम भले ही भूल जाए पर 700 साल पूर्व जो बर्बरता हमारे पूर्वजो से झेली वो कम
नहीं थी :
1) मीर कसिम ने सिंध में रात को धोखे से घुस कर
एक रात में 50000 से ज्यादा हिन्दुओ का कत्ले
आम कर सिंध पर कब्ज़ा किया।
2) सोमनाथ मंदिर के अन्दर मोजूद 32500
ब्रह्मिनो के खून से मुहम्मद गजनवी ने परिसर
को नहला दिया था।
3) सोमनाथ में लगी भगवान्
की मूर्तियों को मुहम्मद गजनवी ने अपने दरबार
और शोचालय के सीढियों में
लगवा दिया था ताकि वो रोज उनके पैर नीचे
आती रहे।
4) औरंगजेब के इस्लाम काबुल करवाने के खुले
आदेश के बाद सबसे ज्यादा तबाही आई। कुछ
को जबरदस्ती से मुस्लिम बनवाया गया जो आज
त्यागी, राठोड, चौधरी, जट, राजावत, भाटी,
मोह्यल नाम लगाकर घूम रहे हे।
5) औरंगजेब ने ब्रह्मिनो द्वारा इस्लाम कबूल
ना करने पर उन्ह्र गर्म पानी में उकाल कर
जिन्दा चमड़ी उतरवाने का फरमान
जारी किया। ब्रह्मिनो की शिखाए और जनेउ
जलाकर औरंगजेब ने अपने नहाने का पानी गर्म
किया।
6) मुहम्मद जलालुदीन ने हर हिन्दू राज्य जीतने पर
वहा की लडकियों को उठवा दिया और
मीना बाजार और हरम में पंहुचा दी जाती हे।
7) अजयमेरु का सोमेश्वर नाथ शिव मंदिर तोड़कर
अजमेर दरगाह खड़ी की गयी साथ ही वैष्णव
मंदिर तोड़ ढाई दिन का झोपड़ा तयार
किया गया। इनका सबूत हे
वहा लगी कलाकृतिया जिसपर हिन्दू
देवी देवता स्वस्तिक आदि बने हुए हे।
8) अलाउदीन खिलजी की सेना से धरम और कुल
की रक्षा करने के लिए चित्तौड़
की रानी पद्मिनी और 26000 राजपूत
वीरंगानो ने अग्नि कुंद में कुदकर जोहर
प्रथा निभाई।
9) बहादुर शाह जफ़र की चित्तौड़ पर आक्रमण
के बाद फिर मुघ्लो से धरम और स्वभिमन रक्षा के
लिए चितौड़ की रानी कर्णावती ने 18000
राजपूत स्त्रियों के साथ अग्निकुंड में कूद जोहर
करना चाहा पर लकड़ी कम पड़ने के कारन बारूद
के ढेर के साथ वीरांगनाओ ने खुद
को उड़ा दिया।
10) मुहम्मद जलालुदीन के आक्रमण पर चित्तौड़ में
फिर महारानी जयमल मेड़तिया ने 12000
राजपूत स्त्रियों के साथ अग्निकुंद में कूद जोहर
किया।
एक समय था अरब के पर्शिया से लेकर
इंडोनेशिया तक हिन्दू धरम अनुयायी थी कितने
करोड़ लाखो की लाशे बिछा दी गयी,
कितनी ही स्त्रियों ने बलिदान दिए, कितने
लाखो मन्दिर टूटे, कितने तरह के जुल्म हए तब
कही आज हम हिन्दू हुए हे।
अपने इतिहास को भूलनेवाल एक सफल भविष्य
नहीं बना सकते।
जय जय श्री राम

Monday, June 16, 2014

मटकाः देशी फ्रीज


मटके और सुराही का पानी पीने में जो आनंद आता है, वह फ्रिज के ठंडे पानी में कहां ! इसके अलावा भी मिट्टी के बर्तन इस्तेमाल करने के कई फायदे हैं। मिट्टी के बर्तनों की खूबियों को हम सदियों से जानते रहे हैं। भौतिक सुख-सुविधाओं के इस दौर में देशी फ्रिज यानी मिट्टी के बर्तनों की मांग सदा से रही है। इसको पसंद करने वाले कम ही सही, पर हैं। ‘मटके ले लो...’ ‘सुराही ले लो...’ ‘देशी फ्रिज ले लो..’ की आवाजें गर्मियां आते ही सुनाई देने लगती हैं। हालांकि ग्रामीण इलाकों में तो देशी फ्रिज आज भी अपना वजूद कायम रखे हुए हैं। शहरों में भी इनकी छोटी-सी जगह बनी हुई है। धीरे-धीरे फिर लोग इनकी अहमियत को पहचानने लगे हैं। ऐसे घर शेष हैं, जिनमें आज भी कई तरह के मिट्टी के बर्तन इस्तेमाल किए जाते हैं।
जड़े गहरी हैं :
मिट्टी के पात्रों का इतिहास हमारी मानव सभ्यता से जुड़ा है। सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई में अनेक मिट्टी के बर्तन मिले थे। पहले के मिट्टी के पात्र भारी-भरकम हुआ करते थे, वहीं आज के बर्तन हल्के, गोल व कलात्मक आकार ले चुके हैं। पुराने समय से कुम्हार लोग मिट्टी के बर्तन बनाते आ रहे हैं। कुम्हार शब्द कुम्भकार का अपभ्रंश है। कुम्भ मटके को कहा जाता है, इसलिए कुम्हार का अर्थ हुआ-मटके बनाने वाला। किसी जमाने में मटकों की इतनी मांग रहती थी कि कुम्हार साल भर मटके बनाने के बावजूद लोगों की मांग पूरी नहीं कर पाते थे। पानी भरने के साथ-साथ हमारे पूर्वज भोजन पकाने और दही जमाने जैसे कार्यों में भी मिट्टी के पात्रों का इस्तेमाल करते थे। वे इन बर्तनों के गुणों से भी अच्छी तरह वाकिफ थे। चलिए जानते हैं कि इन बर्तनों के इस्तेमाल से क्या लाभ हैं ?
अनेक हैं लाभ ::
हमारे यहां सदियों से प्राकृतिक चिकित्सा में मिट्टी का इस्तेमाल होता आया है। दरअसल, मिट्टी में कई प्रकार के रोगों से लड़ने की क्षमता पाई जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार मिट्टी के बर्तनों में भोजन या पानी रखा जाए, तो उसमें मिट्टी के गुण आ जाते हैं। इसलिए मिट्टी के बर्तनों में रखा पानी व भोजन हमें स्वस्थ बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। वैसे स्वाद के मुरीद भी मिट्टी के बर्तनों की अहमियत को भली भांति जानते हैं, तभी तो मटके या सुराही के पानी की ठंडक और सौंधापन, उन्हें फ्रिज के पानी से कहीं ज्यादा भाता है। मिट्टी की छोटी-सी मटकी में दही जमाया गया दही गाढ़ा और बेहद स्वादिष्ट होता है।
मांओ को मिलते हैं सुझाव ::
गर्भवती स्त्रियों को फ्रिज में रखे, बेहद ठंडे पानी को पीने की सलाह नहीं दी जाती। उनसे कहा जाता है कि वे घड़े या सुराही का पानी पिएं। इनमें रखा पानी न सिर्फ हमारी सेहत के हिसाब से ठंडा होता है, बल्कि उसमें सौंधापन भी बस जाता है, जो काफी भला मालूम होता है। इतनी सावधानी रखने को जरूर कहा जाता है कि सुराही और घड़े को साफ रखें, ढककर रखें तथा जिस बर्तन से पानी निकालें, वह साफ तरह से रखा जाता हो। मटकों और सुराही का इस्तेमाल करने के भी कुछ नियम होते हैं। इनके छोटे-छोटे असंख्य छिद्रों को हाथ लगाकर साफ नहीं किया जाता। ताजे बर्तन को पानी से भरकर, जांच लेने के बाद केवल साधारण तरीके से धोकर तुंरत इस्तेमाल किया जा सकता है। बाद में कभी धोना हो, तो स्क्रब आदि से भीतर की सतह को साफ कर लें। मटकों और सुराही के पानी को रोज बदलना चाहिए। लम्बे समय तक भरे रहने से छिद्र बंद हो जाते हैं। सफर पर जाते समय, गर्मियों में सुराही से बढ़िया कोई विकल्प नहीं। पूर्वी राज्यों में तो इनके लिए बाकायदा स्टैंड बनाए जाते हैं और रस्सी के कवर भी। स्टैंड पर झुलाकर, सुराही से पानी निकाला जाता है, छोटी स्टील की गिलसियों में। परम्परा का उम्दा सिलसिला हैं मटके और सुराहियां।
ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं मटकों और सुराहियों की पारखी होती हैं। वे देखकर ही बता देती हैं कि किस मटके या सुराही में पानी ज्यादा ठंडा रहेगा।
मिट्टी के बर्तनों में रखी खाद्य सामग्री जल्दी खराब नहीं होती, इसलिए ग्रामीण इलाकों में इन्हें फ्रिज की तरह इस्तेमाल किया जाता है। शायद इसी अवधारणा ने इन बर्तनों को देशी फ्रिज का नाम दिया होगा।
मटके के अंदर से हाथ से घिसकर न धोएं, इससे मटके के बारीक छिद्र बंद हो जाते हैं और जल अधिक ठंडा नहीं हो पाता।

Friday, June 13, 2014

इन बेजुबानों को काटने से पहले अल्लाह से डरें

कुरानानुसार अल्लाह रहम वाला है, मेहेरवान है और दयालु है | बिस मिल्ला हीर रहमा निर रहिम | और अल्लाह के प्रवर्तक को रहमा तुल्लिल अलमीन | अर्थ सभी जिबो पर दया करने वाला | और नबी ने कहा पूरी मखलूक अल्लाह का प्यारा कुन्बा है और उन्होंने जानवरों के साथ बेरहमी करने वालों को बार - बार ताकीद की थी, की इन बेजुबानों को मरने से पहले अल्लाह से डरो | उन्होंने अपने घर में खटमल जूँ और कीड़ों को मारने पर भी पाबन्दी लगा दी थी | यहाँ तक के अपने लस्कर को भी हुकुम दिया था की अगर चींटी भी गुजरने लगे तो अपने लस्कर को रोक दो | और चींटी की लाइन को गुजर जाने दो | आज तक दुनिया के किसी कोने से भी मुसलमान हज करने जाते है तो मक्का के मस्जिदों में कबूतर को कोई कंकर तक नहीं मार सकता | सरकार उसे आज दण्ड सुनाती है | मात्र इतना ही नही अपितु नमाज़ में सिजदा करते समय अपने पेशानी (कपाल) के रगड़ से कोई चींटी तक न मरे ये हुकुम हजरत मुहम्मद सललल्लाहो अलई हे बसल्लम का है | इसपर गहराई से अगर विचार किया जाये कि जिस रसूल ने इतनी छोटी सी चींटी पर भी रहम तथा दया करने कि बात कि हो और उसकी दया व करुणा बेजुबानों पर रही हो | फिर आज इन बेजुबानों को काटते समय, अल्लाह व रसूल से डरते किउन नहीं ? इससे बात स्पष्ट हो जाती है कि मुसलमान कहलाने वाले अल्लाह व अपने नबी पर आकीदा नहीं रखते | और अगर ये मान लिया जाये कि मुसलमान जो कर रहे है वोही ठीक है तो अल्लाह ने कुरान के सूरा बकर व सूरा मायदा में कहा " इन्नमा हर रमा अलई कुमुल मईतता वद दमा व लहमल खिनजीर, वमा औहिल्ला बिही ले गौरिल्लाह | अर्थ - हरम किया गया तुमहारे लिए मरा हुआ जानवर, जमा हुआ खून, सूअर का गोश्त और गैरुल्ला के नाम से जबह किया जानवर | विचारणीय बात ये है कि पहला शब्द ही मरा कहा - तो मेरा अर्थात जिसमे प्राण न हो, वह मरा है | अब उसका कोई गला काटे, गर्दन मरोड़े, पेट में छुरी डाल दे | पानी में बह जाये, आग में जल जाये | हार हालत में जानवर मरा ही होगा | इधर जिन्दा खाया नही जाता, और मरा खाना हराम है, तो आखिर लोग खाते कब है ? इन्सान अपनी जीभ के स्वार्थ के लिए रजाए इलाही (इश्वर कृपा) प्राप्त करने के लिए मजहब व खुदा के नाम से या तो देवी और देवता के सामने बेकसूर, मासूम, मजबूर, व बेबस जानवरों पर बेरहमी से गले में छुरी चला कर अल्लाह का खुश नुदी को प्राप्त करना चाहता है | जब अल्लाह मेहेरवान है हर जीबों पर, तो क्या जिनके गले में छुरी चलाई जा रही है अल्लाह उन पर रहम नही करते | इस्लाम का कुरान तथा मुसलमानों का अल्लाह पर ही बुरहम है ? अवश्य यह बात भी सच है की कुरान, हदीस व इस्लाम को अद्योपान्त अध्यन करने पर पता लगता है या स्पष्ट हो जाता है अल्लाह ही बेरहम है | किसी ने खूब कहा 'बन्दे को देख कर मुनिकर हुई है दुनिअकी, जिस खुदा के है ये बन्दे वो कोई अच्छा खुदा नही है | दरअसल क़ुरबानी का अर्थ है समर्पण और कुरान के मुताबिक यह हुकुम हजरत इब्राहीम नामी पैगम्बर को ही अल्लाह ने सपन दिखा कर हुकुम दिया की अपनी प्यारी वस्तु को मेरे रस्ते में कुर्बान करो | लगातार तिन दिन सप्न आया और सौ सौ उठ काटते रहे | फिर सप्न देखा जब इब्राहीम अपने पुत्र इस्माइल को क़ुरबानी देने को ले गये और उनके गले में चुरी चलाई | इधर अल्लाह ने चुरी को मन किया काटना मत | तब फिर इस्माइल ने अपने पिता से कहा आँख में पट्टी बांध ले | एक कपडे को साथ तय लगाकर आँख में बांध कर इब्राहीम ने अपने पुत्र को काटना प्रारंभ किया | तब अल्लाह ने जन्नत से दुम्बा भेज दिया और वोहाँ इस्माइल के स्थान पर दुम्बा कटा गया | यह अल्लाह का इम्तेहान था और इस इम्तेहान से इब्राहीम को अल्लाह ने खलिलुल्लाह और इस्माइल कोजबिहउल्लाह के नाम से पुराका | यह है कुरान का अल्लाह या खुदा | इस पर अनेक प्रश्न उठाये जा सकते है जिन प्रश्नों पर इस्लाम मौन है |
आज इदुज्जोहा के मौके पर बेजुबान जानवरों के गले में छुरी चलाकर मात्र मुस्लमान इब्राहीम व इस्माइल को याद करते है | और अल्लाह का आदेश मानकर मात्र जानवरों के गोश्त से उदार पूर्ति कर रहे है | किन्तु समर्पण का जो आदेश था वोह गौण हो गया | जो आदेश गीता में योगीराज श्री कृष्ण ने भी दिया | माँ फलेषु कदाचना, निष्काम से कार्य करो - या फल की उम्मीद न रखकर काम करो आदि | रही बात कुरान और अल्लाह की, जिस कुरान को आप ईश्वरीय ज्ञान मान रहे है तो देखे कुरान ईश्वरीय ज्ञान होता तो देंखे कुरान ईश्वरीय ज्ञान होता तो अलग रही कुरान में ही बुद्धि बिरुद्ध बात है | जैसे ऊपर लिखा है अल्लाह ने इब्राहीम का इम्तेहान लेना चाहा तो अल्लाह जो अलेमुल गैब है यह किस सिद्ध होगा ? अर्थात अदृष्ट के बांतो को जानता है फिर उसे इम्तेहान किउन लेना पड़ेगा | दूसरी बात अल्लाह ने छुरी को मना किया की इस्माइल को काटना मत | छुरी में तेज़ धर नही थी यह तो सम्भव है | पर अल्लाह ने उसे काटने को मना किया यह बुद्धि विरुद्ध है | फिर जन्नत से दुम्बा लाया | अच्छा जब इब्राहीम जब अपने बेटे को काट रहे थे, आँख में पट्टी बांधे हुए थे तो क्या बेटे को हात से पकड़ा नही था ? अगर पकड़ा था तो पता कैसे नही लगा जब हटाकर दुम्बे को रख दिया गया ? एक बात अबश्य पाठकगण ध्यान में रखना, जिस जन्नत में दुम्बा रहता है वोह पबित्र भी नहीं रहता होगा ? तीसरी बात है की आज भी मुसलमान कुर्बानी देते है तो उस गोश्त को तिन हिस्सोमे बांटते है एक अपने लिए, दूसरा अपने रिश्तेदारों को देने के लिए और तीसरा हिस्सा गाँव मुहल्ला आस पास के लोगो के लिए | यह पुचा जाये की हजरत इब्राहीम ने जब दुम्बे को काटा था, तो उस गोश्त के कितने हिस्से किया था ? और किनको किनको दिया गया था ? किउंकि वोहाँ न रिश्तेदार और न ही पड़ोसी और न कोई मांगने वाला था ? दुनिया के किसी कोने के मुसलमान ने आज तक आपने बेटे की अल्लाह के रास्ते में कुर्बानी नही दी | और न इब्राहीम के बाद किसी ने दी होगी | रही बात हज करने की तो मुसलमान यह मानते है की हज करने पर अल्लाह टला गुनाहों को माफ़ कर देते है और हज करते समय मरने पर सीधा जन्नत दाखिल कराते है, आदि | मतलब जितने लोग हज के लिए जा रहे है वोह सब पापी है बरना अपने किये पापों को क्षमा करवाने किउन जाते भला ? कुछ हद तक यह सही भी लगता है कि इन पापियों के पाप को अपने पास लेते लेते संग अवसद पत्थर भी कला पड़ गया है | एक तमाशा और भी है कि इस्लाम कि दृष्टि में भारत राज्य है काफिरों का | भारत सर्कार प्रत्येक हज जत्रियों को बीस हज़ार रूपया सबसिडी दे रही है | तो क्या शरियत के दृष्टी में यह काफिरों के दिए गए दया दृष्टी व दान से हज का फर्ज अदा होना सम्भव है ? भारत के मुसलमानों ने आजतक इसपर विचार ही नही किया और न ही किसी मुफ्ती इस पर कोई फतवा जारी किया |
तो क्या इस्लाम कि परिभाषा स्वार्थ समझा जाये ? कम से कम भारत में रहने वाला मुसलमानों को चाहिए कि भारतीयता को स्वीकार कर प्रत्येक जीबों पर दया कर ही परमात्मा सानिध्य को प्राप्त करें | कियोंकि वेड में कहा गया आत्मवत सर्वाभुतेशु अर्थात प्रत्येक आत्मा को अपनी आत्मा के समान समझना | इससे परमात्मा का सानिध्य पाना आसान है | प्रत्येक मुसलमान हज यात्री जेददा से कहना प्रारम्भ कर देते है | अल्लाहुम्मा लब्बईक ए अल्ला मैं हाज़िर हूँ क्या अरब से बाहर खुदा नही ?

मानव समाज इस पर चिन्तन क्यों नही करते ?

मानव समाज इस पर चिन्तन क्यों नही करते ?
परमात्मा की सृष्टि में, न मालूम कितने ही प्राणी हैं, सब अपने अपने कर्मों के अनुसार, ही योनी को प्राप्त किया है | मानव, दानव, कीट, पतंग, लता, बृक्ष से लेकर चर, अचर, असंख्य जीव है, जो लोग कर्म फल को नहीं मानते वह भी कहते हैं की, इस धरती पर 18 हज़ार मख्लुकात {प्राणी} हैं | इस सृष्टि में यह जितने भी प्राणी हैं वह अपने कर्मों के अनुसार ही योनी दर योनियों में घूमता रहता है | इन सब में मानव ही उतकृष्ट कहलाया है, इसका क्या कारण है ? जवाब यह है की मानव को परमात्मा ने सबसे उतकृष्ट इस लिए बनाया की यह ज्ञान वान है, और इन मानवों के पास दो प्रकार के ज्ञान है | साधारण ज्ञान, और नैमित्तिक ज्ञान | साधारण ज्ञान स्थावर योनियों को छोड़ अन्य जीव जंतुओं में भी है, किन्तु उनको नैमित्तिक ज्ञान नहीं है | अर्थात अपना पराया का ज्ञान उसमे नहीं, धर्म अधर्म, का ज्ञान उनमे नहीं है | और न तो मनुष्यों को छोड़ किसी योनियों के लिए धर्म है |
अब बात स्पष्ट हो गया, की धर्म मानव मात्र के लिए है, अन्य किसी और प्राणियों के लिए नही ? अब प्रश्न खड़ा होगा, की मानव मात्र के लिए अगर धर्म है, तो उस धर्म के बनाने वाला कौन है ? कारण बिना बनाये कोई वस्तु अपने आप तो बनती ही नहीं ? जब इसपर हम गहन चिन्तन करेंगे तो हमे पता लगेगा, की बनने के लिए तीन वस्तुएं जरुरी है | जिसे ऋषि दयानन्द जी ने 3 कारण बताएं हैं, 1 साधारण कारण -2 – निमित्य कारण -3 – उपादान कारण =किसी भी वस्तु को बनाने के लिए यही 3 के बिना बनाया जाना संभव न होगा | जैसा ऋषि ने इसका स्पष्टिकरण दिया –कि –मिटटी – चाक – और बनाने वाला कुम्हार –इसके बिना किसी भी चीज का बनना संभव न हो सकेगा | आप लोगों ने IRF के PA, जैश पटेल से मेरी वार्तालाप को youtube में सुने होंगे |
अब जब हमने गहन चिन्तन किया तो पाया कि धर्म का बनाने वाला परमात्मा ही है | के हमसब मानवों को बनाया जिनके लिए धर्म दिया, तो क्या वह सब मनुष्यों का धर्म बराबर दिया अथवा अलग अलग दिया ? अब जवाब मिला सबको अलग अलग नहीं किन्तु सबको समान दिया | कारण अगर अलग अलग दे तो उसी धर्म के बनाने वाले पर ही दोष लगेगा | मानो कुछ लोगों के लिए अगर अलग अलग ही दे, और फिर यह मानव जिस को पसंद न हो तो वह उसी धर्म के देने वाले से ही कहेगा कि मुझे यह धर्म पसंद नहीं है –हमे तो वह धर्म चाहिए |
इस दशा में वह धर्म का देने वाला कहेगा, क्यों जी तुम्हे जो धर्म हमने दिया उसमे क्या आपत्ति है ? यह हमारी व्यवस्था है तुम्हे संतुष्ठी नहीं ? तो पता लगा की वह धर्म का बनाने वाला परेशान होगा | इस लिए उस धर्म के बनाने वालेका नियम अटल है, पूर्ण है, परिपूर्ण है, निर्दोष है, निर्लेप भी हैं | यही कारण बना की मानव मात्र के लिए धर्म के बनाने वाले ने सबको एक ही धर्म दिया|
कल.11-6 को मेरे पास बंगालोरू से फ़ोन आया, की पंडित जी मेरा पुत्र वैज्ञानिक है, नौकरी करने दुबई गया था, वह मुसलमान बनकर आया | मैंने कहा मुझसे बात कराएँ शाम को बातें हुई –उसने कहा हर इनसान मुसलमान पैदा होता है ? मैंने कहा कैसे, बोला आप न मानो पर मुस्लमान ही पैदा होता है | मैंने उसी से पूछा की आप बताएं आप जब धरती पर जन्म लिए थे तो आप मुस्लमान ही पैदा हुए थे ? उसके पास जवाब नहीं बोले हमे तो यही बताया गया, मैने कहा भाई तुम दूध पीते बच्चे नही हो, और खूबी की बात है की तुम एक वैज्ञानिक हो | मैंने पूछा तुम वैज्ञानिक कैसे बने ? बोला पढ़ कर, मैंने कहा पढ़ा किसलिए, कहा जानने के लिए, मैंने कहा जानने के लिए उपयोग किस चीज का किया ? बोला दिमाग का, मैंने कहा मेरे भाई यह तो बताव की जब आपने वैज्ञानिक बनने के लिए दिमाग से काम लिया तो धर्म को जानने के लिए दिमाग की जरूरत है अथवा नहीं ? कहा है, मैंने कहा अगर दिमाग की जरूरत है, तो बताव की मानव मात्र के लिए धर्म एक है, अथवा सबके लिए अलग अलग है | मैंने कहा की वह धर्म है क्या जो सबके लिए अलग अलग है ? उसने कहा इस्लाम ही धर्म है –जो आदि सृष्टि से हज़रत आदम से चलती आरही है | मैंने कहा भाई यह बताव उसी आदम से सृष्टि बनी है यह तो ईसाई भी मानते हैं ? क्या आप उन ईसाई को भी धर्म मानते हो ? उसने कहा हां हज़रत ईसामसीह के काल में यही ईसाई लोग थे | मैंने कहा लोग मत कहो उसे आप धर्म मानते हैं अथवा नहीं यह बताएं ? कहा हां वह भी धर्म है, मैंने कहा अभी तो आप बता रहे थे की इस्लाम ही धर्म है फिर इन ईसाई को धर्म कैसे मान लिया ? जब की कुरान में अल्लाह ने कहा एक ही दीन है इस्लाम | اِنَّ الدِّيْنَ عِنْدَ اللّٰهِ الْاِسْلَامُ ۣ وَمَا اخْتَلَفَ الَّذِيْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ اِلَّا مِنْۢ بَعْدِ مَا جَاۗءَھُمُ الْعِلْمُ بَغْيًۢا بَيْنَھُمْ ۭ وَمَنْ يَّكْفُرْ بِاٰيٰتِ اللّٰهِ فَاِنَّ اللّٰهَ سَرِيْعُ الْحِسَابِ 19؀ بشکك اللہ تعالیٰ کے نزدیک دین اسلام ہے (١) اور اہل کتاب اپنے پاس علم آ جانے کے بعد آپس کی سرکشی اور حسد کی بنا پر ہی اختلاف کاِ ہے (٢) اور اللہ تعالیٰ کی آیتوں کے ساتھ جو بھی کفر کرے (٣) اللہ تعالیٰ جلد حساب لنے والا ہے۔
अल्लाह ने क्या कहा =बेशक अल्लाह तयाला के नजदीक दीन इस्लाम है, और अह
ले किताब अपने पास इल्म आजाने के बाद आपस की सरकशी और हसद के बिना पर ही इख्त्लाफ किया है, और अल्लाह तायला की आयातों के साथ जो भी कुफ़्र करे, अल्लाह तायला जल्द हिसाब लेने वाला है | इस्लाम का कहना है दुनिया की किसी किताब में कुछ भी लिखा हो उसे हम नहीं मानते सिर्फ कुरान को ही सत्य मानते हैं, हमें अकल से काम लेना नही है कुरान में जो बातें है वह अकलके विपरीत क्यों न हो हमारे लिए वही सत्य है | बाईबिल वाले भी यही कहते हैं अब सही कौन है, किनका सही है यह निर्णय कौन दे ? इसे ले कर मानव कहलाने वालों को बैठना पड़ेगा फिर दुनिया वालों के सामने सत्य और असत्य समाधान होना संभव होगा |
नोट:-यहाँ अहले किताब उसी बाईबिल के लिए कहा गया, अपने पास इल्म आजाने के बाद आपस में बगावत और हसद {जलन}-के बिना पर इख्त्लाफ{मतभेद } किया | यह साफ होगया की पहले वाली किताब और पहले के लोगों में मतभेद होने पर अल्लाह ने यह किताब दी | मतलब वही निकला जो मै ऊपर लिख चूका हूँ की धर्म के बनाने वाला –अथवा देने वाला अगर अलग अलग धर्म दे तो मानव समाज में मत भेद होना ज़रूरी है | और अल्लाह ही इसी मानव समाजमे मतभेद पैदा कर दिया, जो कुरान गवाह है जो मै लिखा हूँ | अभी 9 मार्च -14 को जब मेरा यहोबा विटनेस वालों से डिबेट हुवा वह कह रहे थे की यह बाईबिल में लिखा है, इस लिए सत्य हैं | मैंने फ़ौरन कुरान निकाल कर दिखाया की कुरान का भी कहना यही है की यह संदेह वाली किताब नही ? अब आप कुरान और बाईबिल वाले ही निर्णय करो की सही किसका है ? इस प्रकार मानव समाज को धर्म के नाम से लड़ाया किसने ? यही कुरान, पुराण और बाईबिल ने ?
इसका जीता जगता प्रमाण मात्र भारत में ही नही किन्तु सम्पूर्ण विश्वमे मौजूद है की एक किताब वाले दुसरे किताब वाले को ख़तम करने लगे हैं | कहीं कोई किसी को मार रहा है, जिसको मौका मिले वह दुसरे को मार रहा है ? यह काम धर्म का नही है –धर्म का काम है एक दुसरे को मिलाना | किन्तु यह मारने मरवाने का जो प्रोग्राम है वह है मजहब का | इस लिए मजहब का अर्थ धर्म नहीं है, इसको भली प्रकार मानव समाज को जानना और पहचानना होगा की धर्म और मजहब के भेद को | जो प्रमाण आज मानव समाज में देखने को मिल रहा है, इस के बावजूद भी लोग कह रहे हैं मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना | जो कोरा झूठ है इस सच्चाई को मानव समाज देख कर भी समझने को तैयार नही |
भाई यह गोधरा कांड क्या था, सोनिया गाँधी ने मोदी जी को मौतका सौदागर बता दिया | आज भी प्रधानमंत्री जिस से न बन सके सारे राजनीति पार्टी ने, और नेतावों ने एडी, चोटी का जोर लगाया की कुछ भी हो मोदी प्रधानमंत्री न बन सके | कुछ भी हो यह सब मजहबी जूनून है मजहबी लड़ाई है, धर्म में लड़ने की बात ही नहीं किन्तु यही मजहब ने एक दूसरों से लड़ाया है | अभी मुज़फ्फर नगर में क्या हुवा ? मेरठ में क्या हुवा ? पुणे में क्या हुवा, यत्र तत्र क्या होता आया है और क्या हो रहा है ? क्या इसे देखकर हम लोगों ने कुछ भी सिखा है, या सिखने का प्रयास किया है ? आज सम्पूर्ण मानव कहलाने वालों को एकजुट होकर सोचना पड़ेगा अगर हम मानवता की रक्षा चाहते हैं तो मानव होकर मानवके खुनके प्यासे तो न बने यही मानवता की रक्षा है |
_______________ महेन्द्रपाल आर्य, वैदिक प्रवक्ता.

Wednesday, June 11, 2014

घर में सुख-शांति हेतू कुछ आसान से उपाय

घर में सुख-शांति हेतू कुछ आसान से उपाय जो बेहद फायदेमंद हैं:->
1.) घर में सुबह सुबह कुछ देर के लिए भजन अवशय लगाएं । 
2.) घर में कभी भी झाड़ू को खड़ा करके नहीं रखें, उसे पैर नहीं लगाएं, न ही उसके ऊपर से गुजरे अन्यथा घर में बरकत की कमी हो जाती है।
3.) बिसतर पर बैठ कर कभी खाना न खाएं,ऐसा करने से बुरे सपने आते हैं । 
4.) घर में जूते-चप्पल इधर-उधर बिखेर कर या उल्टे सीधे करके नहीं रखने चाहिए इससे घर में अशांति उत्पन्न होती है।
5.) पूजा सुबह 6 से 8बजे के बीच भूमि पर आसन बिछा कर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठ कर करनी चाहिए ।
6.) पहली रोटी गाय के लिए निकालें ।
7.) पूजा घर में सदैव जल का एक कलश भरकर रखें।
8.) धूप, आरती, दीप, पूजा अग्नि जैसे पवित्रता के प्रतिक साधनों को मुंह से फूंक मारकर नहीं बुझाएं।
9.) मंदिर में धूप, अगरबत्ती व हवन कुंड की सामग्री दक्षिण पूर्व में रखें।
10.) घर के मुख्य द्वार पर दायीं तरफ स्वास्तिक बनाएं।
11.) घर में कभी भी जाले न लगने दें,वरना......पूरा पोस्ट पढ़ने के लिए नीचे दिए इस ज्योतिष क बेहतरीन पेज को लाईक कर के पेज से जुड़ें,यकीन मानिये आपको ज़रूर पसंद आएगा ये पेज