Monday, September 26, 2022

वेदो की कुछ मौलिक शिक्षाये।

1. हे भगवन ! हम सत्य का पालन करे, झूठ के पास भी न जावे। (ऋ० ८।६२।१२)
2. उत्तम मति, उत्तम कृति और उत्तम उक्ति का सदा मानव में स्थान होना चाहिए। (ऋ० १०।१९१।१-४)
3. सभा और समिति राजा की पुत्री के सामान हैं। इनमे बैठने पर सत्य और उचित ही सम्मति देनी चाहिए। (अथर्व० ७।१२।१)
4. ऋत की प्रकाशरश्मियाँ पूर्ण हैं। ऋत का ज्ञान बुरे कर्मो से बचाता है। (ऋ० ४।२३।८)
5. इन्द्रियां परमेश्वर को नहीं प्राप्त कर सकती हैं। (यजु० ४०।४)
6. प्रजा के पालक परमेश्वर ने सत्य और असत्य के स्वरुप का व्याकरण कर सत्य में श्रद्धा और असत्य में अश्रद्धा धारण करने का उपदेश किया है। (यजु० १९।७७)
7. अपने ज्ञान और कर्म से मनुष्य परमेश्वर का भक्त बनता है और इन्ही से दुर्गणों से भी दूर रहता है। (ऋ० ५।४५।११)
8. कुटिल कर्म अथवा उलटे कर्म का नाम ही पाप है। (ऋ० १।१८९।१)
9. हमारा मन सदा उत्तम विचारो वाला ही हो। (यजु० ३४।१)
10. अतपस्वी मनुष्य कच्ची बुद्धि का होता है अतः वह उस परमेश्वर को नहीं प्राप्त कर सकता है। (ऋ० ९।८३।१)
11. यह शरीर अंत में भस्म हो जाने वाला है। हे जीवात्मन ! तू अपना, अपने कर्म और ओ३म का स्मरण कर। (यजु० ४०।१५)
12. सत्य, बृहत, ऋत, उग्र, तपस, दीक्षा, ब्रह्म और यज्ञ पृथ्वी का धारण करते हैं।
13. मनुष्य बनो और उत्तम संतानो को उत्पन्न करो। (ऋ० १०।११४।१०)
14. बहुत संतानो वाला दुःख को प्राप्त होता है। (ऋ० १।१६४।३२)
15. आत्मघाती अंधकारमय लोको को प्राप्त होता है। (यजु० ४०।३)
16. सब दिशाए हमारे लिए मित्रवत होवे। (अथर्व० १९।५।६)
17. ब्रह्मचर्य और तप से विद्वान लोग मृत्यु को पार करते हैं।
18. हम सदा ज्ञान के अनुसार चले कभी भी इसका विरोध न करे। (अथर्व० १।९।४)
19. अपने कानो से हम सदा अच्छी वस्तु सुने, आँखों से अच्छी ही वस्तु को देखे, सदा हष्ट पुष्ट शरीर से स्तुति करे और समस्त आयु उत्तम कर्म के लिए ही हो। (यजु० २५।२१)
20. उत्तम कर्म करने वालो का किया हुआ उत्तम कर्म हमारे लिए कल्याणकारी हो। (ऋ० ७।९५।४)

Wednesday, September 21, 2022

अपनी बेटी जहाँनारा को अपनी पत्नी बनाया।

#शाहजहाँ       ने अपनी पत्नी      #मुमताज के मरने के बाद अपनी बेटी जहाँनारा को अपनी पत्नी बनाया
 हमें        #इतिहास में ये क्यों नही पढ़ाया गया???

चलिए जानते है #वामपंथी इतिहासकारो ने कैसे #हवस के शहंशाह को प्रेम का मसीहा बताया देश के इतिहास मे वामपंथी इतिहासकारो ने हवस में डूबे मुगलों को हमेसा महान बताया जिसमे से एक शाहजहाँ को प्रेम की मिसाल के रूप पेश किया जाता रहा है और किया भी क्यों न जाए, आठ हजार औरतों को अपने हरम में रखने वाला अगर किसी एक में ज्यादा रुचि दिखाए तो वो उसका प्यार ही कहा जाएगा। 

आप यह जानकर हैरान हो जाएँगे कि मुमताज का नाम मुमताज महल था ही नहीं, बल्कि उसका असली नाम ‘अर्जुमंद-बानो-बेगम’ था और तो और जिस शाहजहाँ और मुमताज के प्यार की इतनी डींगे हाँकी जाती है वो शाहजहाँ की ना तो पहली पत्नी थी ना ही आखिरी ।

मुमताज शाहजहाँ की सात बीबियों में चौथी थी।
इसका मतलब है कि शाहजहाँ ने मुमताज से पहले 3 शादियाँ कर रखी थी और मुमताज से शादी करने के बाद भी उसका मन नहीं भरा तथा उसके बाद भी उस ने 3 शादियाँ और की, यहाँ तक कि मुमताज के मरने के एक हफ्ते के अन्दर ही उसकी बहन फरजाना से शादी कर ली थी। जिसे उसने रखैल बना कर रखा था,
अगर शाहजहाँ को मुमताज से इतना ही प्यार था तो मुमताज से शादी के बाद भी शाहजहाँ ने 3 और शादियाँ क्यों की?

शाहजहाँ की सातों बीबियों में सबसे सुन्दर मुमताज नहीं बल्कि इशरत बानो थी, जो कि उसकी पहली बीबी थी। शाहजहाँ से शादी करते समय मुमताज कोई कुँवारी लड़की नहीं थी बल्कि वो भी शादीशुदा थी और उसका शौहर शाहजहाँ की सेना में सूबेदार था जिसका नाम ‘शेर अफगान खान’ था। शाहजहाँ ने शेर अफगान खान की हत्या कर मुमताज से शादी की थी।

गौर करने लायक बात यह भी है कि 38 वर्षीय मुमताज की मौत कोई बीमारी या एक्सीडेंट से नहीं बल्कि चौदहवें बच्चे को जन्म देने के दौरान अत्यधिक कमजोरी के कारण हुई थी यानी शाहजहाँ ने उसे बच्चे पैदा करने की मशीन ही नहीं बल्कि फैक्ट्री बनाकर मार डाला शाहजहाँ कामुकता केलिए इतना कुख्यात था कि कई इतिहासकारों ने उसे उसकी अपनी सगी बेटी जहाँआरा के साथ सम्भोग करने का दोषी तक कहा है

शाहजहाँ और मुमताज की बड़ी बेटी जहाँआरा बिल्कुल अपनी माँ की तरह लगती थी इसीलिए मुमताज की मृत्यु के बाद उसकी याद में शाहजहाँ ने अपनी ही बेटी जहाँआरा को भोगना शुरू कर दिया था। जहाँआरा को शाहजहाँ इतना प्यार करता था कि उसने उसका निकाह तक होने न दिया। 

बाप-बेटी के इस प्यार को देखकर जब महल में चर्चा शुरू हुई, तो मुल्ला-मौलवियों की एक बैठक बुलाई गई और उन्होंने इस पाप को जायज ठहराने के लिए एक हदीस का उद्धरण दिया और कहा – “माली को अपने द्वारा लगाए पेड़ का फल खाने का हक है।”

इतना ही नहीं, जहाँआरा के किसी भी आशिक को वह उसके पास फटकने नहीं देता था।

कहा जाता है कि एक बार जहाँआरा जब अपने एक आशिक के साथ इश्क लड़ा रही थी तो शाहजहाँ आ गया जिससे डरकर वह हरम के तंदूर में छिप गया, शाहजहाँ ने तंदूर में आग लगवा दी और उसे जिन्दा जला दिया।

ओर देखिए ऐसे हवस के दरिंदो को वामपंथी इतिहासकारो ने प्रेम का मिसाल देश के सामने पेस किया

Tuesday, September 20, 2022

अपामार्ग।

यह पौधा पेट की लटकती चर्बी, सड़े हुए दाँत, गठिया, आस्थमा, बवासीर, मोटापा, गंजापन, किडनी आदि 20 रोगों के लिए किसी वरदान से कम नही

आज हम आपको ऐसे पौधे के बारे में बताएँगे जिसका तना, पत्ती, बीज, फूल, और जड़ पौधे का हर हिस्सा औषधि है, इस पौधे को अपामार्ग या चिरचिटा (Chaff Tree), लटजीरा कहते है। अपामार्ग या चिरचिटा (Chaff Tree) का पौधा भारत के सभी सूखे क्षेत्रों में उत्पन्न होता है यह गांवों में अधिक मिलता है खेतों के आसपास घास के साथ आमतौर पाया जाता है इसे बोलचाल की भाषा में आंधीझाड़ा या चिरचिटा (Chaff Tree) भी कहते हैं-अपामार्ग की ऊंचाई लगभग 60 से 120 सेमी होती है आमतौर पर लाल और सफेद दो प्रकार के अपामार्ग देखने को मिलते हैं-सफेद अपामार्ग के डंठल व पत्ते हरे रंग के, भूरे और सफेद रंग के दाग युक्त होते हैं इसके अलावा फल चपटे होते हैं जबकि लाल अपामार्ग (RedChaff Tree) का डंठल लाल रंग का और पत्तों पर लाल-लाल रंग के दाग होते हैं।
 
इस पर बीज नुकीले कांटे के समान लगते है इसके फल चपटे और कुछ गोल होते हैं दोनों प्रकार के अपामार्ग के गुणों में समानता होती है फिर भी सफेद अपामार्ग(White chaff tree) श्रेष्ठ माना जाता है इनके पत्ते गोलाई लिए हुए 1 से 5 इंच लंबे होते हैं चौड़ाई आधे इंच से ढाई इंच तक होती है- पुष्प मंजरी की लंबाई लगभग एक फुट होती है, जिस पर फूल लगते हैं, फल शीतकाल में लगते हैं और गर्मी में पककर सूख जाते हैं इनमें से चावल के दानों के समान बीज निकलते हैं इसका पौधा वर्षा ऋतु में पैदा होकर गर्मी में सूख जाता है।
 
अपामार्ग तीखा, कडुवा तथा प्रकृति में गर्म होता है। यह पाचनशक्तिवर्द्धक, दस्तावर (दस्त लाने वाला), रुचिकारक, दर्द-निवारक, विष, कृमि व पथरी नाशक, रक्तशोधक (खून को साफ करने वाला), बुखारनाशक, श्वास रोग नाशक, भूख को नियंत्रित करने वाला होता है तथा सुखपूर्वक प्रसव हेतु एवं गर्भधारण में उपयोगी है।
चिरचिटा या अपामार्ग (Chaff Tree) के 20 अद्भुत फ़ायदे :
1. गठिया रोग :
 
अपामार्ग (चिचड़ा) के पत्ते को पीसकर, गर्म करके गठिया में बांधने से दर्द व सूजन दूर होती है।
 
2. पित्त की पथरी :
 
पित्त की पथरी में चिरचिटा की जड़ आधा से 10 ग्राम कालीमिर्च के साथ या जड़ का काढ़ा कालीमिर्च के साथ 15 ग्राम से 50 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम खाने से पूरा लाभ होता है। काढ़ा अगर गर्म-गर्म ही खायें तो लाभ होगा।
 
3. यकृत का बढ़ना :
 
अपामार्ग का क्षार मठ्ठे के साथ एक चुटकी की मात्रा से बच्चे को देने से बच्चे की यकृत रोग के मिट जाते हैं।
 
4. लकवा :
 
एक ग्राम कालीमिर्च के साथ चिरचिटा की जड़ को दूध में पीसकर नाक में टपकाने से लकवा या पक्षाघात ठीक हो जाता है।
 
5. पेट का बढ़ा होना या लटकना :
 
चिरचिटा (अपामार्ग) की जड़ 5 ग्राम से लेकर 10 ग्राम या जड़ का काढ़ा 15 ग्राम से 50 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम कालीमिर्च के साथ खाना खाने से पहले पीने से आमाशय का ढीलापन में कमी आकर पेट का आकार कम हो जाता है।
 
6. बवासीर :
 
अपामार्ग की 6 पत्तियां, कालीमिर्च 5 पीस को जल के साथ पीस छानकर सुबह-शाम सेवन करने से बवासीर में लाभ हो जाता है और उसमें बहने वाला रक्त रुक जाता है।
खूनी बवासीर पर अपामार्ग की 10 से 20 ग्राम जड़ को चावल के पानी के साथ पीस-छानकर 2 चम्मच शहद मिलाकर पिलाना गुणकारी हैं।
 
7. मोटापा :
 
अधिक भोजन करने के कारण जिनका वजन बढ़ रहा हो, उन्हें भूख कम करने के लिए अपामार्ग के बीजों को चावलों के समान भात या खीर बनाकर नियमित सेवन करना चाहिए। इसके प्रयोग से शरीर की चर्बी धीरे-धीरे घटने भी लगेगी।
 
8. कमजोरी :
 
अपामार्ग के बीजों को भूनकर इसमें बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर पीस लें। 1 कप दूध के साथ 2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम नियमित सेवन करने से शरीर में पुष्टता आती है।
 
9. सिर में दर्द :
 
अपामार्ग की जड़ को पानी में घिसकर बनाए लेप को मस्तक पर लगाने से सिर दर्द दूर होता है।
 
10. संतान प्राप्ति :
 
अपामार्ग की जड़ के चूर्ण को एक चम्मच की मात्रा में दूध के साथ मासिक-स्राव के बाद नियमित रूप से 21 दिन तक सेवन करने से गर्मधारण होता है। दूसरे प्रयोग के रूप में ताजे पत्तों के 2 चम्मच रस को 1 कप दूध के साथ मासिक-स्राव के बाद नियमित सेवन से भी गर्भ स्थिति की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
 
11. मलेरिया :
 
अपामार्ग के पत्ते और कालीमिर्च बराबर की मात्रा में लेकर पीस लें, फिर इसमें थोड़ा-सा गुड़ मिलाकर मटर के दानों के बराबर की गोलियां तैयार कर लें। जब मलेरिया फैल रहा हो, उन दिनों एक-एक गोली सुबह-शाम भोजन के बाद नियमित रूप से सेवन करने से इस ज्वर का शरीर पर आक्रमण नहीं होगा। इन गोलियों का दो-चार दिन सेवन पर्याप्त होता है।
 
12. गंजापन :
 
सरसों के तेल में अपामार्ग के पत्तों को जलाकर मसल लें और मलहम बना लें। इसे गंजे स्थानों पर नियमित रूप से लेप करते रहने से पुन: बाल उगने की संभावना होगी।
 
13. दांतों का दर्द और गुहा या खाँच (cavity) :
 
इसके 2-3 पत्तों के रस में रूई का फोया बनाकर दांतों में लगाने से दांतों के दर्द में लाभ पहुंचता है तथा पुरानी से पुरानी गुहा या खाँच को भरने में मदद करता है।
 
14. खुजली :
 
अपामार्ग के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फूल और फल) को पानी में उबालकर काढ़ा तैयार करें और इससे स्नान करें। नियमित रूप से स्नान करते रहने से कुछ ही दिनों cavity में खुजली दूर जाएगी।
 
15. आधाशीशी या आधे सिर में दर्द :
 
इसके बीजों के चूर्ण को सूंघने मात्र से ही आधाशीशी, मस्तक की जड़ता में आराम मिलता है। इस चूर्ण को सुंघाने से मस्तक के अंदर जमा हुआ कफ पतला होकर नाक के द्वारा निकल जाता है और वहां पर पैदा हुए कीड़े भी झड़ जाते हैं।
 
16. ब्रोंकाइटिस :
 
जीर्ण कफ विकारों और वायु प्रणाली दोषों में अपामार्ग (चिरचिटा) की क्षार, पिप्पली, अतीस, कुपील, घी और शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से वायु प्रणाली शोथ (ब्रोंकाइटिस) में पूर्ण लाभ मिलता है।
 
17. खांसी :
 
खांसी बार-बार परेशान करती हो, कफ निकलने में कष्ट हो, कफ गाढ़ा व लेसदार हो गया हो, इस अवस्था में या न्यूमोनिया की अवस्था में आधा ग्राम अपामार्ग क्षार व आधा ग्राम शर्करा दोनों को 30 मिलीलीटर गर्म पानी में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से 7 दिन में बहुत ही लाभ होता है।
 
18. गुर्दे का दर्द :
 
अपामार्ग (चिरचिटा) की 5-10 ग्राम ताजी जड़ को पानी में घोलकर पिलाने से बड़ा लाभ होता है। यह औषधि मूत्राशय की पथरी को टुकड़े-टुकड़े करके निकाल देती है। गुर्दे के दर्द के लिए यह प्रधान औषधि है।
 
19. गुर्दे के रोग :
 
5 ग्राम से 10 ग्राम चिरचिटा की जड़ का काढ़ा 1 से 50 ग्राम सुबह-शाम मुलेठी, गोखरू और पाठा के साथ खाने से गुर्दे की पथरी खत्म हो जाती है । या 2 ग्राम अपामार्ग (चिरचिटा) की जड़ को पानी के साथ पीस लें। इसे प्रतिदिन पानी के साथ सुबह-शाम पीने से पथरी रोग ठीक होता है।
 
20. दमा या अस्थमा :
 
चिरचिटा की जड़ को किसी लकड़ी की सहायता से खोद लेना चाहिए। ध्यान रहे कि जड़ में लोहा नहीं छूना चाहिए। इसे सुखाकर पीस लेते हैं। यह चूर्ण लगभग एक ग्राम की मात्रा में लेकर शहद के साथ खाएं इससे श्वास रोग दूर हो जाता है।
अपामार्ग (चिरचिटा) का क्षार 0.24 ग्राम की मात्रा में पान में रखकर खाने अथवा 1 ग्राम शहद में मिलाकर चाटने से छाती पर जमा कफ छूटकर श्वास रोग नष्ट हो जाता है।

Tuesday, September 13, 2022

मास्टर शूर्यसेन।

#हथोड़े से सारे #दांत तोड़े,

उनके नाखून खींच लिए,

सभी हड्डियों तोड़ी,

अंतिम संस्कार न करके
पार्थिव शरीर को खाड़ी में फेंका!

ऐसे दधीचि जैसा क्रांतिकारी कौन था?

इतनी यातनाएं सहने के बाद भी जिसने अपने अंतिम सन्देश में कहा:-
"मौत मेरे दरवाजे पर दस्तक दे रही है, केवल मेरा एक सुनहरा सपना है-स्वतंत्र भारत का सपना .... कभी भी चटगांव क्रांति को मत भूलना ...अपने दिल में देशभक्तों के नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखना जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता की वेदी पर अपना जीवन बलिदान किया है।"

वो थे मास्टर_सूर्यसेन...

जिन्होंने इंडियन_रिपब्लिक_आर्मी की स्थापना की,

जो चटगांव की क्रांति के नायक थे,

जिन्होंने अंग्रेजो के शस्त्रागार को लूट कर चटगांव में अंग्रेजी शासन को समाप्त किया और 1930 में तिरंगा फहराया....

ऐसी महान आत्मा को नमन🙏🚩