आज हम बात करते हैं रासायनिक कंपनियों के अनुसार किसानों के सबसे बड़े #दुश्मन की
और प्रकृति के अनुसार किसानों के सबसे बड़े #मित्र की यानी #दीमक की...
दीमक के नाम पर इन रासायनिक कंपनियों ने दीमकनाशी बेचकर किसानों से अरबों रुपयों की लूट की है और अभी भी बदस्तूर जारी है। भोले-भाले किसान भी इनकी बातों मे आकर अपने कृषि मित्र को मारने पर तुले हुए हैं और अपना पैसा इन कंपनियों को दे रहे हैं बिना कुछ जाने।
सही मायनों में हम किसानों को दीमक के #रोल को पहचानना होगा और प्रकृति मे उसकी #उपयोगिता को समझकर उसके साथ व्यवहार करना होगा, तभी हम अपने खेतों को #कार्बनसेयुक्त कर पाएंगे और अपने पैसों को भी बचा पाएंगे।
प्रकृति ने दीमक को एक जिम्मेदारी सौंपी है कि वह प्रकृति मे जितनी भी सुखी (मृत) वस्तु है उसको खाकर मिट्टी में मिला दे यानि मरी हुई कोशिकाओं को तोड़कर कार्बन मे बदल दे और पौधों के लेने योग्य पोषक तत्व मे बदल दे क्योंकि कोई भी पौधा कोई भी पोषक तत्व सीधे उसी रूप मे नही ले पाता उसे दूसरे रूप मे ग्रहण कर पाता है जैसे नाइट्रोजन को नाइट्रेट के रूप मे, फास्फोरस को फास्फेट के रूप मे लेता है आदि। दीमक कंपोस्ट को भी पौधे के लेने योग्य स्थिति मे लाने का काम करता है।।
दीमक जीवित कोशिका को कभी नही नुकसान पहुंचाता, वह हरदम उन्ही कोशिका को खाता है जो पहले से किसी कारण मर गयी होती है या मरने के करीब होती है। जब कोई पौधा किसी कारण मरने के करीब होता है तो दीमक उसे सेंस कर लेता है और उसे खाना शुरू कर देता है और हम जब उस पौधे को उखाड़ के देखते हैं तो दीमक लगा मिलता है तो हमे लगता है कि यह नुकसान दीमक ने किया है और यहीं कंपनियां अपना दीमकनाशी बेचने मे सफल हो जाती हैं।
दीमक मे किसी मृत वनस्पति को #सेंस करने की अदभुत क्षमता होती है। आप एक तरफ कोई भी बीज रखें जो अभी सुखा ही है और उसी के साथ कोई मृत पौधा या डाल रखें तब आप देखेंगे कि दीमक उस मृत वस्तु को खायेगा न कि उस सूखे बीज को क्योंकि प्रत्येक बीज मे अपनी लाइफ कैपेसिटी होती है जिसे दीमक अपनी सेंसेसन शक्ति से पहचान लेता है और dead हो चुकी Cell को ही कार्बन मे बदलने के लिए कार्यरत हो जाता है क्योंकि ये उसकी प्राकृतिक जिम्मेवारी है जो उसे मिली हुई है।
दीमक किसानो व मिट्टी के साथ काम करने वाला सबसे बड़ा मित्र है, केंचुआ तो मात्र बारिश के दिनों मे अधिकतर 4-5 महीने काम करता है शेष 7-8 महीने दीमक अधिक काम करता है। जंगलों की मिट्टियाँ भी दीमकों की देन हैं जिनमे विशाल दरख्त खडे़ हुए हैं।
दीमक के बामी की मिट्टी से कई प्रकार के फसल घोल तैयार होते हैं व मिट्टी शोधन करने मे, बीज शोधन करने मे इस्तेमाल की जाती है व कई प्रकार के पोषक तत्व भी बनाने मे काम आती है।।
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