Tuesday, June 27, 2017

राजीव भाई के चाहने वालों से निवेदन है ये लेख पूरा पढ़ें ।

2009 मे राजीव भाई बाबा रामदेव के संपर्क मे आए और बाबा रामदेव को देश की गंभीर समस्याओ और उनके समाधानो से परिचित करवाया और विदेशो मे जमा कालेधन आदि के विषय मे बताया और उनके साथ मिल कर आंदोलन को आगे बढाने का फैसला किया !! आजादी बचाओ के कुछ कार्यकर्ता राजीव भाई के इस निर्णय से सहमत नहीं थे !!

फिर भी राजीव भाई ने 5 जनवरी 2009 को भारत स्वाभिमान आंदोलन की नीव रखी !! जिसका मुख्य उदेश्य लोगो को अपनी विचार धारा से जोडना, उनको देश की मुख्य समस्याओ का कारण और समाधान बताना !! योग और आयुर्वेद से लोगो को निरोगी बनाना और भारत स्वाभिमान आंदोलन के साथ जोड कर 2014 मे देश से अच्छे लोगो को आगे लाकर एक नई पार्टी का निर्माण करना था जिसका उदेश्य भारत मे चल रही अँग्रेजी व्यवस्थाओ को पूर्ण रूप से खत्म करना, विदेशो मे जमा काला धन, वापिस लाना, गौ ह्त्या पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाना, और एक वाक्य मे कहा जाए ये आंदोलन सम्पूर्ण आजादी को लाने के लिए व्यवस्था परिवर्तन के लिए शुरू किया गया था !!

राजीव भाई के व्याख्यान सुन कर मात्र ढाई महीने मे 6 लाख कार्यकर्ता पूरे देश मे प्रत्यक्ष रूप मे इस अंदोलन से जुड गए थे राजीव भाई पतंजलि मे भारत स्वाभिमान के कार्यकर्ताओ के बीच व्याख्यान दिया करते थे जो पतंजलि योगपीठ के आस्था चैनल पर के माध्यम से भारत के लोगो तक पहुंचा करते थे 

राजीव भाई का कहना था भारत की सभी राजनीतिक पार्टियो के पास कुल सदस्यो की संख्या मात्र 5 करोड़ है यदि हम इससे ज्यादा लोगो को अपने साथ जोड़ लेते है और जरूरत पड़ी तो देश के 79 बड़े संतो से समर्थन मांगेगे जिनके साथ देश के 45 करोड़ लोग है ! तो हम एक नई पार्टी बनाकर उनको 2014 मे जीतकर पूर्ण व्यवस्था परिवर्तन कर देंगे !
फिर राजीव भाई भारत स्वाभिमान आंदोलन के प्रतिनिधि बनकर पूरे भारत की यात्रा पर निकले गाँव-गाँव शहर-शहर जाया करते थे पहले की तरह व्याख्यान देकर लोगो को भारत स्वाभिमान से जुडने के लिए प्रेरित करते थे !!

अब ध्यान से पढ़ें !
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लगभग आधे भारत की यात्रा करने के बाद राजीव भाई 26 नवंबर 2010 को उडीसा से छतीसगढ राज्य के एक शहर रायगढ पहुंचे वहाँ उन्होने 2 जन सभाओ को आयोजित किया ! इसके पश्चात अगले दिन 27 नवंबर 2010 को जंजगीर जिले मे दो विशाल जन सभाए की इसी प्रकार 28 नवंबर बिलासपुर जिले मे व्याख्यान देने से पश्चात 29 नवंबर 2010 को छतीसगढ के दुर्ग जिले मे पहुंचे !

उनके साथ छतीसगढ के राज्य प्रभारी दया सागर और कुछ अन्य लोग साथ थे ! दुर्ग जिले मे उनकी दो विशाल जन सभाए आयोजित थी पहली जनसभा तहसील बेमतरा मे सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक थी !राजीव भाई ने विशाल जन सभा को आयोजित किया !! इसके बाद का कार्यक्रम साय 4 बजे दुर्ग मे था !! जिसके लिए वह दोपहर 2 बजे बेमेतरा तहसील से रवाना हुए !

(इसके बात की घटना विश्वास योग्य नहीं है इसके बाद की सारी घटना उस समय उपस्थित छतीसगढ के प्रभारी दयासागर और कुछ अन्य साथियो द्वारा बताई गई है)

उन लोगो का कहना है गाडी मे बैठने के बाद उनका शरीर पसीना पसीना हो गया ! दयासागर ने राजीव जी से पूछा तो जवाब मिला की मुझे थोडी गैस सीने मे चढ गई है शोचलाय जाऊँ तो ठीक हो जाऊंगा !

फिर दयासागर तुरंत उनको दुर्ग के अपने आश्रम मे ले गए वहाँ राजीव भाई शोचालय गए और जब कुछ देर बाद बाहर नहीं आए तो दयासागर ने उनको आवाज दी राजीव भाई ने दबी दबी आवाज मे कहा गाडी स्टार्ट करो मैं निकल रहा हूँ ! जब काफी देर बाद राजीव भाई बाहर नहीं आए तो दरवाजा खोला गया राजीव भाई पसीने से लथपत होकर नीचे गिरे हुए थे ! उनको बिस्तर पर लिटाया गया और पानी छिडका गया दयासागर ने उनको अस्पताल चलने को कहा ! राजीव भाई ने मना कर दिया उन्होने कहा होमियोपैथी डॉक्टर को दिखाएंगे !

थोडी देर बाद होमियोपैथी डॉक्टर आकर उनको दवाइयाँ दी ! फिर भी आराम ना आने पर उनको भिलाई से सेक्टर 9 मे इस्पात स्वयं अस्पताल मे भर्ती किया गया ! इस अस्पताल मे अच्छी सुविधाइए ना होने के कारण उनको ।चवससव ठैत् मे भर्ती करवाया गया ! राजीव भाई एलोपेथी चिकित्सा लेने से मना करते रहे ! उनका संकल्प इतना मजबूत था कि वो अस्पताल मे भर्ती नहीं होना चाहते थे ! उनका कहना था कि सारी जिंदगी एलोपेथी चिकित्सा नहीं ली तो अब कैसे ले लू ? ! ऐसा कहा जाता है कि इसी समय बाबा रामदेव ने उनसे फोन पर बात की और उनको आईसीयु मे भर्ती होने को कहा !

फिर राजीव भाई 5 डॉक्टरों की टीम के निरीक्षण मे आईसीयु भर्ती करवाएगे !! उनकी अवस्था और भी गंभीर होती गई और रात्रि एक से दो के बीच डॉक्टरों ने उन्हे मृत घोषित किया !!

(बेमेतरा तहसील से रवाना होने के बाद की ये सारी घटना राज्य प्रभारी दयासागर और अन्य अधिकारियों द्वारा बताई गई है अब ये कितनी सच है या झूठ ये तो उनके नार्को टेस्ट करने ही पता चलेगा !!)

क्योकि राजीव जी की मृत्यु का कारण दिल का दौरा बता कर सब तरफ प्रचारित किया गया ! 30 नवंबर को उनके मृत शरीर को पतंजलि लाया गया जहां हजारो की संख्या मे लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे ! और 1 दिसंबर राजीव जी का दाह संस्कार कनखल हरिद्वार मे किया गया !!

राजीव भाई के चाहने वालों का कहना है कि अंतिम समय मे राजीव जी का चेहरा पूरा हल्का नीला, काला पड गया था ! उनके चाहने वालों ने बार-बार उनका पोस्टमार्टम करवाने का आग्रह किया लेकिन पोस्टमार्ट्म नहीं करवाया गया !! राजीव भाई की मौत लगभग भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की मौत से मिलती जुलती है आप सबको याद होगा ताशकंद से जब शास्त्री जी का मृत शरीर लाया गया था तो उनके भी चेहरे का रंग नीला, काला पड गया था !! और अन्य लोगो की तरह राजीव भाई भी ये मानते थे कि शास्त्री जी को विष दिया गया था !! राजीव भाई और शास्त्री जी की मृत्यु मे एक जो समानता है कि दोनों का पोस्टमार्टम नहीं हुआ था !!
राजीव भाई की मृत्यु से जुडे कुछ सवाल !!

1) किसके आदेश पर ये प्रचारित किया गया ? कि राजीव भाई की मृत्यु दिल का दौरा पडने से हुयी है ?

2) 29 नवंबर दोपहर 2 बजे बेमेतरा से निकलने के पश्चात जब उनको गैस की समस्या हुए और रात 2 बजे जब उनको मृत घोषित किया गया इसके बीच मे पूरे 12 घंटे का समय था

3)12 घंटे मे मात्र एक गैस की समस्या का समाधान नहीं हो पाया ??
  आखिर पोस्ट मार्टम करवाने मे क्या तकलीफ थी ??

4) राजीव भाई का फोन जो हमेशा आन रहता था उस 2 बजे बाद बंद क्यों था ??

5) राजीव भाई के पास एक थैला रहता था जिसमे वो हमेशा आयुर्वेदिक, होमियोपैथी दवाएं रखते थे वो थैला खाली क्यों था ??

6) 30 नवंबर को जब उनको पतंजलि योगपीठ मे अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था उनके मुंह और नाक से क्या टपक रहा था उनके सिर को माथे से लेकर पीछे तक काले रंग के पालिथीन से क्यूँ ढका था ?

7) राजीव भाई की अंतिम विडियो जो आस्था चैनल पर दिखाई गई तो उसको एडिट कर चेहरे का रंग सफेद कर क्यों दिखाया गया ?? अगर किसी के मन को चोर नहीं था तो विडियो एडिट करने की क्या जरूरत थी ??

8) अंत पोस्टमार्टम ना होने के कारण उनकी मृत्यु आजतक एक रहस्य ही बन कर रह गई !!

9) राजीव भाई की मृत्यु के बाद पतंजलि से जुड़े एक बहुत बड़े सदस्य को इंग्लैंड ने सम्मानित किया था ! ( खैर आप सब जानते है ये विदेशी लोग बिना अपने हित के किसी को आवर्ड नहीं देते )

राजीव भाई के कई समर्थक उनके जाने के बाद बाबा रामदेव से काफी खफा है क्योंकि बाबा रामदेव अपने एक व्याख्यान मे कहा कि राजीव भाई को हार्ट ब्लोकेज था, शुगर की समस्या थी, बी.पी. भी था राजीव भाई पतंजलि योगपीठ की बनी दवा मधुनाशनी खाते थे !

जबकि राजीव भाई खुद अपने एक व्याख्यान मे बता रहे हैं कि उनका शुगर, बीपी, कोलेस्ट्रोल सब नार्मल है !! वे पिछले 20 साल से डॉक्टर के पास नहीं गए ! और अगले 15 साल तक जाने की संभावना नहीं !! और राजीव भाई के चाहने वालो का कहना है कि हम कुछ देर के लिए राजीव भाई की मृत्यु पर प्रश्न नहीं उठाते लेकिन हमको एक बात समझ नहीं आती कि पतंजलि योगपीठ वालों ने राजीव भाई की मृत्यु के बाद उनको तिरस्कृत करना क्यों शुरू कर दिया ??
मंचो के पीछे उनकी फोटो क्यों नहीं लगाई जाती ??

आस्था चैनल पर उनके व्याख्यान दिखने क्यों बंद कर दिये गए ??

कभी साल अगर उनकी पुण्यतिथि पर व्याख्यान दिखाये भी जाते है तो वो भी 2-3 घंटे के व्याख्यान को काट काट कर एक घंटे का बनाकर दिखा दिया जाता है !!

इसके अतिरिक्त उनके कुछ समर्थक कहते हैं कि भारत स्वाभिमान आंदोलन की स्थापना जिस उदेश्य के लिए हुए थी राजीव भाई की मृत्यु के बाबा रामदेव उस राह हट क्यों गए ? राजीव भाई और बाबा खुद कहते थे कि सब राजनीतिक पार्टियां एक जैसी है हम 2014 मे अच्छे लोगो को आगे लाकर एक नया राजनीतिक विकल्प देंगे !

लेकिन राजीव भाई की मृत्यु के बाद बाबा रामदेव ने भारत स्वाभिमान के आंदोलन की दिशा बदल दी और राजीव की सोच के विरुद्ध उन्हे भाजपा सरकार का समर्थन किया !
और आज परिणाम आपके सामने है 5 महीने हो गए है मोदी सरकार को बने हुए !
दूसरे मुद्दो का छोड़ो गौ ह्त्या तक बंद नहीं हुई ! 3 हजार 527 करोड़ की सबसिडी दी कत्लखानो को दी है !! सभी अँग्रेजी व्यवस्था वैसे की वैसी चल रही है !
मोदी सरकार मनमोहन सरकार से 10 कदम आगे जाकर विदेशी कंपनियो को भारत मे बुला रही है जिसके राजीव भाई कड़े विरोधी थी !

 
राजीव भाई के समर्थको का कहना है की काश बाबा रामदेव ने जितना प्रचार भाजपा-मोदी  का किया उसका 20% भी राजीव भाई का किया होता आज उनके साथ 5 करोड़ लोगो की फोज होती जो ये पूरी व्यवस्था बदल डालती !! लेकिन अफसोस ऐसा नहीं हो पाया 
और हमारे हाथ फिर से 5 साल के लिए बंध गए !!

इसलिए बहुत से राजीव भाई के चाहने वाले भारत स्वाभिमान से हट कर अपने अपने स्तर पर राजीव भाई का प्रचार करने मे लगे हैं !!

राजीव भाई ने अपने पूरे जीवन मे देश भर मे घूम घूम कर 5000 से ज्यादा व्याख्यान दिये !सन 2005 तक वह भारत के पूर्व से पश्चिम उत्तर से दक्षिण चार बार भ्रमण कर चुके थे !! उन्होने विदेशी कंपनियो की नाक मे दम कर रखा था ! भारत के किसी भी मीडिया चैनल ने उनको दिखाने का साहस नहीं किया !! क्योकि वह देश से जुडे ऐसे मुद्दो पर बात करते थे की एक बार लोग सुन ले तो देश मे 1857 से बडी क्रांति हो जाती !

वह ऐसे ओजस्वी वक्ता थे जिनकी वाणी पर माँ सरस्वती साक्षात निवास करती थी। जब वे बोलते थे तो स्रोता घण्टों मन्त्र-मुग्ध होकर उनको सुना करते थे !

30 नवम्बर 1967 को जन्मे और 30 नवंबर 2010 को ही संसार छोडने वाले ज्ञान के महासागर श्री राजीव दीक्षित जी आज केवल आवाज के रूप मे हम सबके बीच जीवित है उनके जाने के बाद भी उनकी आवाज आज देश के लाखो करोडो लोगो का मार्गदर्शन कर रही है और भारत को भारत की मान्यताओं के आधार पर खडा करने आखिरी उम्मीद बनी हुई है !

राजीव भाई को शत शत नमन !!

Monday, June 26, 2017

माँसाहार अधार्मिक व अनैतिक कृत्य।

ओ३म
वर्तमान में मांस भक्षण का प्रचलन बहुत बढ़ रहा है। यह अत्यधिक शोक और दुःख की बात है। हमारी अपने जन-प्रतिनिधियों की सरकार फालतू पशुओं, खाद्य पदार्थ ओर भोजन की समस्या के हल के एक उपाय के रुप में लोगों की आदतों में परिवर्तन करके मांसाहार को प्रोत्साहन करने की जब सोचती है तो सच्चे धार्मिक मानव को दुःख और निराशा ही मिलती है। क्योंकि मांसाहार को प्रोत्साहन अमानुषिक, अत्याचारी और निर्दयी कृत्य है।

_विश्व का श्रेष्ठतम् ज्ञान ग्रन्थ वेद कहता है―_
*मित्रस्य चक्षुषा सर्वाणि भूतानि समीक्षे ।। यजु. ।।*
*अर्थात्–*सब प्राणियों को मित्र की दृष्टि से देखना चाहिए, चाहे वे मनुष्य हों, पशु हों, पक्षी हों या अन्य जीव हों।

*हिंसा महापाप है।*
हिंसा से बढ़कर शायद ही कोई दूसरा पाप हो हिंसा से विवेक नष्ट हो जाता है। बड़े से बड़ा निर्दयी कसाई भी अपने शरीर में सुई का चुभना बर्दाश्त न करेगा, उसे भी दूसरों के समान अपना जीवन प्यारा है फिर क्यों नहीं इस वेद आज्ञा का पालन किया जाता है―
_दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार हो, जैसे व्यवहार की तुम दूसरों से आशा रखते हो।_
*यस्तु सर्वाणि भूतान्थात्मन्ने वानु पश्यन्ति ।*
*सर्व भूतेषु चात्मानं ततो न वि चिकित्सति ।।*
―(यजु. अ. 40-म. 6 ।।)
*अर्थात्―*_जो विद्वान् जन परमात्मा के भीतर ही सब प्राणी व अप्राणियों को समान दृष्टि से देखता है और जो सब प्रकृति आदि पदार्थों में भी आत्मा को देखता है उस विद्वान् को दुःख नहीं होता अर्थात् वही सदा सुखी होता है।_

मनुस्मृति में कहा है―
*अनुमन्ता विशसिता निहन्ता क्रय-विक्रयी ।*
*संस्कर्ता चोपहर्ता च खादकश्चेति घातकाः ।।*
―(मनु. अ.-5 श्लोक-51)
*अर्थात्―*_जिसकी सम्मति से मारते हैं, जो अङ्गों को काटकर अलग-अलग करता है, मारने वाला, खरीदने वाला, बेचने वाला, पकाने वाला, परोसने वाला और खाने वाला ये आठ प्रकार के कसाई हैं।_

*स्वमाँसं परमांसेन यो वर्धयितुमिच्छति ।*
*अनभ्यर्च्य पितृन्दे वांस्ततोऽन्यो नास्त्य पुण्यकृत् ।।*
―(मनु. 5-52)
*अर्थात्*―
_देव (विद्वान् व संन्यासी) और पितरों (माता-पिता, प्रपिता-प्रमाता आदि) के पूजन बिना जो दूसरे जीव के मांस से अपना मांस बढ़ाने की इच्छा रखता है, उससे बढ़कर कोई पाप करने वाला नहीं।_

*अहिंसा सत्यमस्तेयं शौचमिन्द्रिय निग्रहः ।*
*एतं सामासिकं धर्मं चतुर्वण्येऽब्रवीन्मनुः ।।*
―(मनु. 10-63)
*अर्थात्―*_हिंसा न करना, सत्यभाषण, दूसरे का धन अन्याय से न लेना, पवित्र रहना और इंद्रियों का निग्रह करना यह चारों वर्णों (मानव समाज) का धर्म मनु ने कहा है।_

*मांस मनुष्य का अप्राकृत भोजन*
मनुष्य यदि स्वभाव से मांस भक्षी होता तो उसके शरीर की रचना मांसाहारी प्राणियों के सदृश होती। बिल्ली का बच्चा चूहे को देखकर उसे मारने को दौड़ता है परन्तु मनुष्य का बच्चा ऐसा नहीं करता।
यदि मनुष्य कभी किसी दिन अपने कमरे, सभा स्थल, पूजा स्थल (मन्दिर, मस्जिद, गिरजाघर, गुरुद्वारा) को हड्डियोः, मांसपेशियों और रक्त आदि से सजाकर देखे तो उसे सहज ही अपने वास्तविक स्वभाव का पता लग जाये। यदि स्वयं मारकर खाना पड़े तो निश्चय ही करोड़ों व्यक्ति मांस खाना छोड़ दें।
निर्दोष एवं उपयोगी पशुओं को मारने के दण्ड से मनुष्य भले ही मानवीय न्यायालय से बच जाये, परन्तु ईश्वरीय न्यायालय से कभी भी नहीं बच सकता।

*मांसाहार से शराब पीने की कुटेब पड़ती है।*
शराब और मांस का साथ होता है। वैज्ञानिकों ने इसका भी कारण बताया है। डॉ. हेग का कहना है कि अफीम, कोकिन और शराब की तरह मांस भी उत्तेजक है और जब इनकी आदत पड़ जाती है तो मनुष्य अधिक उत्तेजक पदार्थों की इच्छा करता है। अन्त में सिरदर्द, उदासी और निर्बलता सताने लगती है।
मांस, शराब और मैथुन ये तीन चीजें हैं जिनसे मनुष्य में उत्तेजना बढ़ती है और स्नायु (तन्त्रिका तन्त्र) कमजोर हो जाते हैं, वात संस्थान बिगड़ जाता है और निराशा दबा लेती है।

*मांस के विरुद्ध डाक्टरों की सम्मत्तियाँ*
(1) मांस खाने से कैंसर की बीमारी हो जाती है। (डॉ. लेफिन बिल)
(2) जिगर और किडनी दूषित होकर अपना काम छोड़ देती है और उसके फलस्वरुप क्षय, कैंसर, गठिया आदि रोग हो जाते हैं। (मेरी ऐस ब्राउन)
(3) दूध, रोटी, मक्खन, शाक, दाल और दलिया बच्चों के लिए सब खानों में सर्वोत्तम है। मांस खाने से बच्चे प्रायः शर्मीले और दुर्बल होते हैं। (डॉ. टी. एस. क्लाडस्टन, एम. डी.)

*अन्य मत ग्रन्थों में माँस खाना पाप*
(1) हरगिज नहीं पहुँचते अल्लाह के पास, उसके गोश्त और खून, पहुँचती है उसके पास तुम्हारी परहेजगारी। (कुरान शरीफ सूर. ए. हज़)
(2) गाय और बैल को मारना, एक मनुष्य के वध के समान है। एक मेमने को मारना भी कुत्ते का गला काटने के समान है। (ईसाइयत)

(3) मैं न तो घर से बैल, न तेरी पशुशालाओं में से बकरे लूँगा। क्योंकि वन के सारे जीव जन्तु और पहाड़ों पर रहने वाले हजारों पशु भी मेरे हैं। पहाड़़ों के जितने पक्षी हैं उनको मैं जानता हूँ औ चोगान में जितने चलते फिरते हैं सब मेरे ही हैं। यदि मैं भूखा रहता तो तुझसे न कहता क्योंकि जगत तथा जो कुछ उसमें है यह मेरा ही है। क्या सांड का मांस खाँऊ अथवा बकरज का लहू पिऊँ? मुझे (परमेश्वर को) धन्यवाद रुपी बलि चढ़ा और मुझ परम प्रधान के लिए अपनी मनोतियाँ पूरी कर। संकट के दिन मुझे पुकार, मैं तुझे छुड़ाऊँगा और तू मेरी महिमा गायेगा। (बाइबिल स्त्रोत संहिता)
अर्थात् प्रत्येक सम्प्रदाय में माँस खाना मना है यदि ऐसा न होता तो माँसाहारी लोग मस्जिद, गिरजाघर, गुरुद्वारा, मन्दिर या अन्य किसी पूजा स्थल पर भी माँस खाने से परहेज न करते।

इसलिए जिह्वा के स्वाद, अन्धविश्वास, मनोरंजन और विलासिता के शौक की पूर्ति हेतु जीवों के उत्पीड़न और हनन से बचकर मनुष्य को अपनी मानवता का परिचय देना चाहिए। इसी में उसका और समाज का कल्याण है।

*माँसाहार से हानियाँ*
(1) माँसाहार अस्वाभाविक, अहितकर व अनावश्यक।
(2) यह अन्न से कम पुष्टिकर।
(3) दाँतों की सफेदी पर उसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। मुख व शरीर से बदबू आती है।
(4) माँसाहार से आयु घटती है।
(5) माँसाहार आलस्य, भारीपन तथा शारीरिक श्रम में अरुचि उत्पन्न करता है।
(6) यह राष्ट्र की स्वार्थ परायणता, लोलुपता, अवनति, ह्रास तथा विनाश की जड़ है।
(7) माँसाहार से शराब पीने की बुरी और विनाशकारी आदत को प्रोत्साहन मिलता है।
(8) अण्डों में कैल्शियम की कमी और कार्बोहाइड्रेट्स का अभाव होता है। इस कारण ये बड़ी आंतों में जाकर सडांध और बदबू पैदा करते हैं।
(9) अण्डें आँतों को जहरीला बनाते हैं। अतः घृणित अण्डों को त्यागें और उत्तम प्रोटीन से युक्त दूध, फल, मेवे आदि ग्रहण करें।
*माँसाहारियों ने, जनता के दुःख बढ़ायें हैं।*
*सभी हितकारी, जीव मार कर खाये हैं।।*

[साभार-स्वामी सोम्यानन्द सरस्वती, सार्वदेशिक सभा कार्यालय]

Tuesday, June 20, 2017

मैंने इस्लाम क्यों छोड़ा।

लेखक :डॉ आनंदसुमन सिंह पूर्व डॉ कुंवर रफत अख़लाक़
इस्लामी साम्प्रदाय में मेरी आस्था दृड़ थी | मै बाल्यकाल से ही इस्लामी नियमो का पालन किया करता था | विज्ञान का विद्यार्थी बनने के पश्चात् अनेक प्रश्नों ने मुझे इस्लामी नियमो पर चिन्तन करने हेतु बाध्य किया | इस्लामी नियमो में कुरआन या अल्लाहताला या हजरत मुहम्मद पर प्रश्न करना या शंका करना उतना ही अपराध है जितना किसी व्यक्ति के क़त्ल करने पर अपराधी माना जाता है |युवा अवस्था में आने के पश्चात् मेरे मस्तिष्क में सबसे पहला प्रश्न आया की अल्लाहताला रहमान व् रहीम है , न्याय करने वाला है ऐसा मुल्लाजी खुत्बा ( उपदेश ) करते है | फिर क्या कारण है की इस दुनिया में एक गरीब , एक मालदार , एक इन्सान , एक जानवर होते है | यदि अल्लाह का न्याय सबके लिए समान है जैसा कुरआन में वर्णन किया गया है , तब तो सबको एक जैसा होना चाहिए | कोई व्यक्ति जन्म से ही कष्ट भोग रहा है तो कोई आनन्द उठा रहा है |यदि संसार में यही सब है तो फिर अल्लाह न्यायकारी कैसे हुआ ? यह प्रश्न मैंने अनेक वर्षो तक अपने मित्रो , परिजनों एवं मुल्ला मौलवियों से पूछता रहा किन्तु सभी का समवेत स्वर में एक ही उत्तर था , तुम अल्लाहताला के मामले में अक्ल क्यों लगाते हो ? मौज करो , अभी तो नैजवान हो | यह मेरे प्रश् का उत्तर नहीं था | निरंतर यह विषय मुझे बाध्य करता था और मै निरंतर यह प्रश्न अनेक जानकार लोगो से करता रहता था किन्तु इसका उत्तर मुझे कभी नहीं मिला | उत्तर मिला तो महर्षि दयानंद सरस्वती के पवित्र वैज्ञानिक ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश में | जिसमे महर्षि ने व्यक्ति के अनेक एवं इस इस जन्म में किये गये सुकर्म या दुष्कर्मो को अगले जन्म में भोग का वर्णन किया | यह तर्क संगत था क्योंकि हम बैंक में जब खता खोलते है तो हमे बचत खाते पर नियमित छह माह में ब्याज मिलता है , मूलधन सुरक्षित रहता है , तथा स्थिर निधि पर एक साथ ब्याज मिलता है , उसी प्रकार जीवात्मा सृष्टि की उत्पत्ति के पश्चात् अनेक शरीरो, योनियों में परवेश करता है तथा अपने सुकर्मो और दुष्कर्मो का फल भोगता है |पुनर्जन्म के बिना यह सम्भव नही हो सकता | अतः पुनर्जन्म का मानना आवश्यक है किन्तु मुस्लिम समाज पुनर्जन्म में विश्वास नहीं करता |उनकी मान्यता तो यह है की चौहदवी शताब्दी में संसार मिट जाएगा | कयामत आएगी और फिर मैदानेहश्र में सभी का इंसाफ होगा |किन्तु उस मैदानेहश्र में जो भी हजरत मुहम्मद के ध्वज निचे आ जायेगा , मुहम्मद को अपना रसूल मान लेगा वही इन्सान बख्सा जाएगा | अर्थात उसे अपने कर्मो के फल भुक्त्ने का झंझट नहीं करना पड़ेगा और वह सीधा जन्नत में जावेगा , जो बुद्धिपरक नहीं लगता |क्योंकि एक व्यक्ति के कहने मात्र से यदि सारा खेल चलने लगे तो संसार में अन्य मत मतान्तरो को मानने की आवश्यकता क्यों पड़े ?और सृष्टि का अंत चौहदवी सदी में माना जाता है जबकि चौहदवी शदाब्दी तो समाप्त हो गयी | फिर यह संसार समाप्त क्यों नहीं हुआ ? कयामत क्यों नहीं आई ? क्या मुहम्मद साहब और इस्लाम से पूर्व यह संसार नहीं था ? क्योंकि इस्लाम के उदय को लगभग १५०० वर्ष हुए है संसार तो इससे पूर्व भी था और रहेगा | मेरा दूसरा प्रश्न था की जब एक मुस्लिम पीटीआई एक समय में चार पत्निया रख सकता है तो एक मुस्लिम औरत एक समय में चार पति क्यों नही राख सकती ? इस्लाम में औरत को अधिक अधिकार ही नही है | एक पुरुष के मुकाबले दो स्त्रियों की गवाही ही पूर्ण मानी जाती है | ऐसा क्यों ? आखिर औरत भी तो इंसानी जाती का अंग है | फिर उसे आधा मानना उस पर अत्याचार करना कहाँ की बुद्धिमानी है और कहाँ तक इसे अल्लाह ताला का न्याय माना जा सकता है ?८० साल का बुड्ढा १८ साल की लड़की से विवाह रचाकर इसे इस्लामी नियम मानकर संसार को मजहब के नाम पर मुर्ख बनाये यह कहाँ का न्याय है ?इस प्रश्न का उत्तर भी मुझे सत्यार्थ परकाश से मिला | महर्षि दयानंद ने महर्षि मनु और वेद वाक्यों के आधार पर सिद्ध किया की स्त्री और पुरुष दोनों का समान अधिकार है | एक पत्नी से अधिक तब ही हो सकती है जब कोई विशेष कारण हो (पत्नी बाँझ हो , संतान उत्पन्न न कर सकती हो ) अन्यथा एक पत्नीव्रत होना सव्भाविक गुण होना चाहिए |
इस्लाम एक मजहब है जबकि वैदिक विचारधारा धर्म का प्रतिपादन करता है।
इसलिए धार्मिक बनो मजहबी नहीं।

Monday, June 19, 2017

चीनी शक्कर का सेवन बन्द करें ।

चीनी शक्कर का सेवन बन्द करें ।
दो सप्ताह के लिए चीनी खाना छोड़ दें और देखें कि आपके शरीर में क्या परिवर्तन आता है शक्कर या चीनी खाने की आदत को छोड़ना ही ठीक है अन्यथा 40 वर्ष की उम्र में ही आपका वज़न और आकार बढ़ जाएगा। अतिरिक्त शक्कर का सेवन करना एक लत के समान है जिसे जितनी जल्दी हो सके छोड़ देना चाहिए। शक्कर स्वादिष्ट होती है और कभी कभी इसे खाने से आनंद भी मिलता है। परन्तु बहुत अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से कई प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं। शक्कर का सेवन छोड़ने से होने वाले लाभ
हर चीज़ में थोड़ी बहुत मात्रा में शक्कर होती है अत: अच्छा होगा कि आप अपने भले के लिए इसे छोड़ दें। आपके दैनिक कैलोरी सेवन की मात्रा में 10% या उससे कम चीनी की मात्रा होती है। चीनी तब एक समस्या बन जाती है जब आप भोजन में स्वाद, रंग लाने के लिए इसे अतिरिक्त मात्रा में डालते हैं। इसकी बहुत अधिक मात्रा के सेवन से बहुत दुष्परिणाम होते हैं। इसका एक परिणाम वज़न बढ़ना है।
चीनी की अतिरिक्त मात्रा का सेवन करने से इन्सुलिन का स्तर बढ़ जाता है और इससे शरीर भी खराब हो जाता है। इससे कैलोरीज़ सीधे आपके पेट में जाती है। चीनी का सेवन छोड़ देने से आपका वज़न कम हो सकता है और आप कई गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं।
इस लेख में हमने चीनी का सेवन छोड़ देने से होने वाले फायदों के बारे में बताया है। चीनी का सेवन छोड़ देने से होने वाले फायदों के बारे में जानने के लिए इस लेख को पढ़ें।
1. वज़न कम होना:(weight loss)
फ्रक्टोस (शुगर) युक्त आहार लेने से वज़न बढ़ता है। बहुत अधिक समय तक चीनी का अधिक मात्रा में सेवन करने से शरीर इन्सुलिन हार्मोन का प्रतिरोध करने लगता है जिससे वज़न बढ़ने लगता है। एक बार जब शरीर यह प्रतिरोध करना प्रारंभ कर देता है तो इस प्रक्रिया को रोकना बहुत मुश्किल होता है।
2. आपको कम भूख लगती है:(Less hungry)
जैसे ही आपके शरीर को पता चलता है कि आपका वज़न कम हो रहा है वैसे ही आपकी भूख से संबंधित हार्मोन्स उत्तेजित होने लगते हैं। चीनी का सेवन न करने से शरीर की कार्बोहाइड्रेटस को पचाने की गति कम हो जाती है जिससे आप कम खाना खाते हैं। फाइबर से भी आपको लगातार उर्जा मिलती रहती है।
3. आपका पेट पतला होने लगता है:(Thin stomach)
आपने देखा होगा कि पतले लोगों का पेट भी लटकता रहता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वे अधिक मात्रा में शुगर का सेवन करते हैं। चीनी की अधिक मात्रा का सेवन करने से पेट में स्वस्थ रोगाणु बनते हैं जिससे पेट पर वसा जमा होता है। इससे पेट में ख़राब बायोम बैक्टीरिया में वृद्धि होती है।
4. आपका फैट बर्न होने लगता है:(Fat burning)
चीनी का सेवन कम करने से आपके द्वारा सेवन की जाने वाली कैलोरीज़ की मात्रा में कमी आती है। इससे शरीर का फैट बर्न होता है जो शरीर को उर्जा देने के लिए होता है।
5. आपकी मांसपेशियां मज़बूत होती हैं:(strong mussels)
चीनी का अधिक मात्रा में सेवन करने से सर्कोपेनिया नामक स्थिति उत्पन्न हो जाती है जिसमें मांसपेशियां कमज़ोर हो जाती हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अतिरिक्त चीनी शरीर में प्रोटीन को संश्लेषित होने से रोकती है। चीनी का कम मात्रा में सेवन करके आप अपने मांसपेशियों को अधिक मज़बूत और जवान बना सकते हैं। चीनी का सेवन छोड़ देने का यह सबसे बड़ा फायदा होता है।
6. आप स्वयं को अधिक उर्जावान महसूस करेंगे:(feel energy)
शरीर में कार्बोहाइड्रेट का अवशोषण धीमा होने के कारण आपको पेट हमेशा भरा हुआ लगता है। इससे शारीरिक थकान, सिरदर्द और सुस्ती आदि समस्याएं दूर होती हैं।
7. ब्लडप्रेशर कम होता है:(blood presser)
अतिरिक्त मात्रा में शुगर का सेवन करने से मोटापे की समस्या बढ़ती है जिसके कारण हाईब्लडप्रेशर की समस्या हो सकती है। कुछ अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि आहार में अतिरिक्त शुगर लेने से वज़न बढ़ता है।
8. खराब कोलेस्ट्रोल कम होता है:(bad Cholesterol)
ऐसे लोग जो अधिक मात्रा में चीनी का सेवन करते हैं उनमें एचडीएल (अच्छा कोलेस्ट्रोल) का स्तर कम होता है और एलडीएल (ख़राब कोलेस्ट्रोल) का स्तर अधिक होता है। अत: अच्छा होगा कि जितनी जल्दी हो सके इसे छोड़ दिया जाए। यह इस अध्ययन से भी पता चला है ‘ कारोटेनेमिया एंड डाइबिटीज़: द रिलेशनशिप बिटवीन द शुगर, कोलेस्ट्रोल एंड कैरोटिन ऑफ़ ब्लड प्लाज्मा’।
9. हार्ट अटैक का खतरा कम होता है:(heart attack risk)
एक अध्ययन के अनुसार ऐसे लोग जो अधिक मात्रा में चीनी का सेवन करते हैं उन्हें दिल की बीमारी होने का खतरा अधिक होता है। इसके अलावा चीनी युक्त पेय पदार्थों का सेवन करने से भी दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
10. आपके दिमाग को तेज़ रखता है:(increase mind power)
क्या आप जानते हैं कि चीनी आपके दिमाग की शक्ति को छीन लेती है? बहुत अधिक मात्रा में चीनी का सेवन करने से आपके संज्ञानात्मक कार्यों में खराबी आती है और मेमोरी और प्रतिक्रियात्मक क्षमता के लिए आवश्यक प्रोटीन भी कम मात्रा में मिलते हैं।
11. आपको अल्जाइमर या डिमनेशिया होने का खतरा कम हो जाता है:(Alzheimer’s or Dimensia)
अधिक चीनी युक्त आहार मस्तिष्क में उत्पन्न होने वाले रसायन जिसे न्यूरोट्राफिक कारक भी कहा जाता है, के उत्पादन को कम कर देता है। यह रसायन पुरानी बातों और नई बातों को याद रखने में सहायक होता है। अत: चीनी की कम मात्रा का सेवन करने से इन बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। इससे आपको पता चलता है कि जब आप चीनी का सेवन करना छोड़ देते हैं तो क्या होता है।
12. अवसाद:(tensions)
जब आपके मस्तिष्क को यह अनुभव होता है कि चीनी का लेवल बढ़ गया है तो इन्सुलिन अपने प्रभावों का ही प्रतिरोध करने लगता है और इस प्रकार कम प्रभावी हो जाता है। इससे अवसाद और चिंता की समस्या हो सकती है। चीनी का सेवन बंद करने का यह भी एक फायदा है।
13. इससे आपकी मीठा खाने की आदत छूट जाती है:(eating sweet habit)
अधिक मात्र में चीनी का सेवन करने से डोपामिन का संकेत मिलना कम हो जाता है जिसके कारण मिल्कशेक देखने पर भी वही हालत हो जाती है जैसी हालत किसी ड्रग के आदी व्यक्ति की कोकीन देखने के बाद होती है। अत: चीनी का सेवन बंद करने से वास्तव में आप अपने नशे को बंद करते हैं।
14. डाइबिटीज़ का खतरा कम होता है:( type 2 Diabetes)
दिन में एक या दो चीनी युक्त पेय लेने से आपको टाइप 2 डाइबिटीज़ होने का खतरा 26% तक बढ़ जाता है। ऐसा शरीर द्वारा इन्सुलिन का प्रतिरोध करने के कारण होता है। अतिरिक्त मात्रा में शुगर जैसे फ्रक्टोस, ग्लूकोज़ या शुगर का अन्य किसी रूप में उपयोग करने से शुगर के कण कोशिकाओं में चिपक जाते हैं और खून में मिल जाते हैं। यह इस अध्ययन में भी बताया गया है ‘ इज शुगर द सेम एज़ डाइबिटीज़’।
15. फैटी लिवर की बीमारी से बचाता है:(fatty liver)
अधिक चीनी युक्त आहार लेने से फैटी लिवर की बीमारी होने की संभावना होती है। चीनी के कारण इन्सुलिन बढ़ता है जो फैट को लिवर सेल में बदलता है और इसके कारण सूजन और घाव की समस्या भी हो सकती है। अत: चीनी का सेवन बंद करने से इस खतरे से बचा जा सकता है

Sunday, June 18, 2017

क्रिकेट की सच्चाई :-

क्रिकेट समय की बर्बादी, गुलामी की निशानी, शहीदों का अपमान ओर पेप्सी कोला बेचने का जरिया मात्र है?
क्रिकेट की सच्चाई:-
01 भारत में क्रिकेट– ब्रिटिश राज्य की निशानी है।
क्रिकेट सिर्फ वही देश खेलते हैं जो कभी न कभी ब्रिटेन के गुलाम रहे है। यदि अंग्रेजो के पूर्व-गुलाम राष्ट्रों को छोड़ दें तो दुनिया का कौन सा स्वतंत्र राष्ट्र है, जहाँ क्रिकेट का बोलबाला है? ‘इंटरनेशनल क्रिकेट कौंसिल’ के जिन दस राष्ट्रों को अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने का अधिकार है, वे सब के सब अंग्रेज के भूतपूर्व गुलाम-राष्ट्र हैं।
मेरी जानकारी के हिसाब से अभी तक क्रिकेट केवल वही देश खेलते है जो कभी अंग्रेजो के गुलाम थे और ये खेल हमको हमारी मानसिक गुलामी से परिचित करवाता है। “क्रिकेट” खेल का जन्मदाता इंग्लैंड देश को माना जाता है। आजादी के बाद भी देशवासी अंग्रेजी मानसिकता से दबे है।
02 क्रिकेट- ओलंपिक खेलों में शामिल नहीं है।
याद रखना चाहिए कि दुनिया में क्रिकेट को ओलम्पिक में शामिल नहीं किया गया क्योंकि इसे अंतरराष्ट्रीय खेल की मान्यता नहीं है। क्रिकेट यानी ब्रिटेन की औपनिवेश रहे देशों के परिचायक। अगर बहुत ही सादे शब्दों में कहें तो कभी ब्रिटेन के गुलाम रहे देशों के खेल।
03 भारत में क्रिकेट का आयोजन आजादी की लड़ाई के शहीदों का अपमान है।
क्या हम इतनी जल्दी भूल गए कि देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त करने के लिए लाखों हिंदुस्तानियों ने अपने प्राणों की आहुति दी ,"जेल की यातनाएं झेलीं तब कहीं करीब 70 साल पहले 15 अगस्त 1947 को बड़ी मुश्किल से अंग्रेजों को यहाँ से भगाया जा सका ?
यह हमारी विडम्बना है कि सचिन, महेंद्र सिंह धोनी, विराट कोहली, युवराज सिंह, हरभजन सिंह के जन्मदिवस पर देश भर में केक काटे जाते हैं, लेकिन मंगल पांडे, चंद्रशेखर आजाद और भगत सिंह के जन्मदिनों की तारीखें हमारी युवा पीढ़ी को याद नहीं है। आज यदि हम स्वतंत्र हवा में सांस ले पा रहे हैं तो यह उन अनेक वीर भारतवासियों की बदौलत है जिन्होंने अपने वतन को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद करने के लिए अपनी जान तक की बाजी लगा दी थी।
04 क्रिकेट भारत देश के विकाश में बाधा है।
क्रिकेट मैच के दौरान पूरा भारत देश काम-धाम भूलकर क्रिकेट में मग्न हो जाता है। क्रिकेट खेल में ज्यादा समय बर्बाद होता है। भारत की युवा पीढ़ियों पर क्रिकेट का नशा इस कदर छाया है कि उसके आगे सभी काम ठप। आज इस क्रिकेट की वजह से भारत की उत्पादकता क्षमता आधी से भी कम बनी हुई है। देश की हालत यह है कि भ्रष्टाचार और महंगाई की मार के बीच जनता पिस रही है और कीमतें आसमान छू रहीं हैं। सरकार के कई मंत्री घोटालों में फंसे हुए है। जिन्होंने देश की भोली भाली जनता का रुपया लूट कर अपनी-अपनी तिजोरियां भरने का काम किया है।
05 दुनिया के अधिकतर विकसित देश क्रिकेट नहीं खेलते।
विश्व का कोई भी विकसित राष्ट्र क्रिकेट नहीं खेलता। अमेरिका, जापान, रुस, चीन, फ्रान्स, जर्मनी इत्यादि तमाम विकसित राष्ट्रों ने क्रिकेट को कभी नहीं अपनाया। इसका सीधा सा कारण यही है कि इस खेल में सबसे अधिक समय लगता है और आज के प्रतिस्पर्धा के युग में कोई भी देश अपना ज्यादा समय महज खेल देखने पर व्यय करने को राजी नहीं है।
06 क्रिकेट खेल नेताओं के घोटालों को छुपाने का साधन है।
नेता क्रिकेट के नाम पर लोगों को बेवकूफ बना रहे हैं, भारत के नेता बहुत चालाक है। वे जानते कि भारतवासियों को क्रिकेट के नशे में चूर रखे रखने में ही फायदा है। जब महंगाई पर सारा देश अपना सुर एक कर रहा था तो नेताओं ने नया शिगूफा छेड़कर सबका ध्यान दूसरी ओर कर दिया, पिछले कई सालों से भारत में भ्रष्टाचार और घोटालों का बोलबाला रहा है। ऐसा लगा, जैसे भारत में घोटाले नहीं, घोटालों में भारत है। आम जनता जहां महंगाई से बदहाल हुई जा रही है।
सरकार ने भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और गरीबी जैसे बुनियादी मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए क्रिकेट को राष्ट्रधर्म घोषित कर दिया है। ये जगजाहिर है कि भारत के नेता बेहद भ्रष्ट है। इसलिए घोटालों की आवाज दब गई है जो मीडिया कुछ दिनों पहले घोटालों की खबरों को जमकर छाप रही थी अब उनकी जगह क्रिकेट की कांव कांव ने ले ली है ऐसा लगता है जैसे घोटालें बंद हो गए है। एक तरफ हमारे नेता/ प्रधानमंत्री भारत को सुपरपावर बनाने के बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ देश की लगभग 85% आबादी भूखमरी और कुपोषण के जाल में फंसी हुई है।
07 क्रिकेट के कारण भारत के राष्ट्रीय खेल हॉकी और पारंपरिक खेलों (कबड्डी, कुश्ती) पूरी तरह से बर्बाद है।
“हॉकी” भारत का राष्ट्रीय खेल है। हमारे देश के पास आठ ओलम्पिक स्वर्ण पदकों का उत्कृष्ट रिकॉर्ड है। क्रिकेट भारत के बाकी सारे खेलों को खा गया है। भारत के खेल तो कुश्ती है, कब्बड्ढी है और राष्ट्रिय खेल हॉकी है। देश में क्रिकेट के अलावा दूसरे सारे खेलों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। क्रिकेट के चस्के ने भारत के पारंपरिक खेलों, अखाड़ों और कसरतों को हाशिए में सरका दिया है।
क्रिकेट के कारण भारतीय खेल हॉकी, कुस्ती, मुक्केबाजी आदि अन्य खेल जिससे शारीर में चुस्ती– फुर्ती आती हो और शारीरिक व्यायाम भी होता है वह खेल मर रहें है और उनके खिलाड़ी उपेक्षित महसूस कर रहें है।
08 क्रिकेट खेल नहीं है, बीमारी है।
क्रिकेट खेल दीमक की तरह भारतीय मस्तिष्क को चाट रहा है। यह क्रिकेट एक ऐसा खेल है, जिसमें 11 खिलाड़ियों की टीम में से सिर्फ एक खेलता है और शेष 10 बैठे रहते हैं? विरोधी टीम के बाकी 11 खिलाड़ी खड़े रहते हैं। उनमें से भी एक रह-रहकर गेंद फेंकता है। कुल 22 खिलाड़ियों में 20 तो ज्यादातर वक्त निठल्ले बने रहते हैं, ऐसे खेल से कौन-सा स्वास्थ्य लाभ होता है? क्रिकेट का रोग इस भारत देश को वर्षों से लगा हुआ है। क्रिकेट हमारी गुलामी की निशानी है, जिसे हम बड़े गर्व से अपनाए रखना चाहते हैं!
09 क्रिकेट मैच फिक्सिंग का खेल है
टीम इंडिया में मैच फिक्सिंग का मामला 1990 के दशक में सामने आया था। अजहर को भारत में मैच फिक्सिंग का सबसे बड़ा गुनहगार माना गया। आईसीसी, बीसीसीआई और सीबीआई तीनों की जांच रिपोर्ट में अजहर पर उंगली उठाई गई थी। साल 2000 में बीसीसीआई ने उन पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया। अजय शर्मा पर आरोप लगे थे कि उन्होंने ड्रेसिंग रुम में बैठकर कई मैच फिक्स किए थे। दिसंबर 2000 में इनके ऊपर भी बीसीसीआई ने आजीवन पाबंदी लगा दी थी। बीसीसीआई ने मनोज प्रभाकर पर पांच साल की पांबदी लगा दी थी। अजय जडेजा पर मैच फिक्सिंग भी पांच साल की पाबंदी लगा दी गई। विकेटकीपर नयन मोंगिया भी मैच फिक्सिंग में शामिल पाए गए। मोंगिया पर 5 साल की पाबंदी लगा दी गई थी।
10 क्रिकेट एक मूर्ख लोगों का खेल है।
ब्रिटेन के विख्यात लेखक, नोबल पुरस्कार प्राप्त और ब्लैक कॉमेडी के लिए चर्चित साहित्यकार जॉर्ज बर्नार्ड शॉ की प्रसिद्ध उक्ति सुनी होगी कि “क्रिकेट एक वाहियात ओर मूर्ख लोगों का खेल है, जिसे 22 मूर्ख खेलते हैं, 22 करोड़ देखते हैं ओर 10 घंटे बर्बाद करते हैं।
11 भारत देश के क्रिकेटरों द्वारा अमेरिकी कंपनियों की मार्केटिंग -भारत को कंगाल बनाना
सचिन ने पेप्सी, कोका कोला, बूस्ट, रिनॉल्ड, कोलगेट, फिलिप्स, विसा, केस्ट्रॉल, केनन आदि के ब्रांड रह चुके हैं। यह बात तो सड़क पर चलने वाला साधारण आदमी भी समझता है कि अमेरिका का माल ज्यादा बिकेगा, तो अमेरिका धनवान बनेगा। अमेरिका ताकतवर बनेगा। भारत देश के क्रिकेटरों अपनी प्रसिध्दि से अमेरिका को समृध्द बना रहे हैं। इस बात को आप इस तरह से भी समझ सकते हैं कि भारत देश के क्रिकेटरों भारत को कंगाल बना रहे हैं। भारत में बना हुआ माल अमेरिकी खरीदें ऐसी सेल्समैनशिप भारत देश के क्रिकेटरों ने आज तक नहीं की।
12 क्रिकेट खेल के कारण आत्महत्या करते भारत के किसान क्योंकि कृषि मंत्री शरद पवार को कृषि मंत्रालय और किसान से ज्यादा दिलचस्पी क्रिकेट में थी।
पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार को क्रिकेट से फुरसत ही नहीं मिलती थी जबकि हर साल लाखों टन अनाज सड़ जाता है? भारतीय किसान ऋण के बोझ तले दबे होने कारण आत्महत्याओं का रास्ता अपनाने को मजबूर हैं। 1997 से 2008 के बीच भारत में करीब दो लाख किसानों ने बढ़ते कर्ज के कारण होने वाले अपमान से बचने के लिए अपनी जान देने का आत्मघाती कदम उठाया। कृषि पर सरकार की गलत नीति के कारण देश में ढाई लाख किसानों ने आत्महत्या कर ली है। सरकार के निकम्मेपन के कारण बड़े पैमाने पर भारतीय किसान आत्महत्या कर रहे हैं और सरकार पूरी तरह भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं”
आईपीएल/ क्रिकेट का विश्व कप जीत लेने भर से/ सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट में उनके 100 शतक पूरा हो जाना से देश की सारी समस्याएं महंगाई, घोटाले, भ्रष्टाचार, आतंकवाद समाप्त हो जायेगा क्या?
अंग्रेजो के खेल क्रिकेट ने भारत देश का बेड़ागर्क कर दिया है। अंग्रेजो के खेल क्रिकेट हटाओ देश बचाओ जागो भारतीय जागो