Sunday, September 19, 2021

समाज का मार्गदर्शन कौन करे?

एक रटे रटाये फिल्मी डॉयलाग बोलने वाला बॉलीवुड का फिल्मी हीरो! जो कुछ पैसे के लिए कैंसर कारक पान मसाला बेचता है?

एक कम से कम कपड़े पहन कर दर्शकों को रिझाने वाली फिल्मी नायिका!

एक अंग्रेजी में अश्लीलता भरा उपन्यास लिखकर पैसे कमाने वाला लेखक!

एक विदेशी अख़बार अथवा न्यूज़ चैनल में नौकरी कर पेट पालने वाला पत्रकार!

एक विदेशी चंदे के दम पर फलने फूलने वाले NGO छाप समाज सेवक!

एक क्रिकेट खेलने वाले और पेप्सी कोला का विज्ञापन करने वाला खिलाड़ी! 

एक बाहुबल, जातिवाद एवं परिवारवाद के दम पर बनने वाला नेता!

एक नक्सली और माओवादी लोगों का समर्थन करने वाला मानवाधिकार कार्यकर्ता। 
क्या अपने आपको सभ्य कहने वाली ये जमात हमारे देशवासियों को धर्म और जीवन सिखाने के काबिल हैं?

उत्तर- नहीं

न इनके जीवन में धार्मिकता है? न सदाचार है? न शुद्ध आचरण और न ही शुद्ध विचार। न ज्ञान न ही पक्षपात रहित व्यवहार।
फिर क्यों ये लोग समाज को दिशा निर्देश देते हैं। इनके भ्रामक प्रचार के कारण युवाओं के अपरिपक्व मस्तिष्क सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।

त्रीणि राजाना विदथे पुरूणि परि विश्वानि भूषाथः सदांसि ।।
– ऋ० मं० ३। सू० ३८। मं० ६।।

ईश्वर उपदेश करता है कि (राजाना) राजा और प्रजा के पुरुष मिल के (विदथे) सुखप्राप्ति और विज्ञानवृद्धिकारक राजा प्रजा के सम्बन्धरूप व्यवहार में (त्रीणि सदांसि) तीन सभा अर्थात् विद्यार्य्यसभा, धर्मार्य्यसभा, राजार्य्यसभा नियत करके (पुरूणि) बहुत प्रकार के (विश्वानि) समग्र प्रजासम्बन्धी मनुष्यादि प्राणियों को (परिभूषथः) सब ओर से विद्या, स्वातन्त्र्य, धर्म, सुशिक्षा और धनादि से अलंकृत करें।

वेद के मंत्र के अनुसार राजव्यवस्था चलाने के लिए तीन सभाओं का निर्माण करना चाहिए। राज आर्य सभा, विद्या आर्य सभा एवं धर्म आर्य सभा।

राज आर्य सभा राजा आदि से परिपूर्ण हो जिसका करना राज व्यवस्था को सम्भालना हो। राजा संयमी, विद्वान, धार्मिक, बलशाली, पक्षपात रहित, किसी भी प्रकार के नशे आदि दोषों से रहित एवं जनकल्याण करने वाला हो। वर्तमान में लोक सभा राज आर्य सभा का प्रारूप है। मगर उसके सभी सदस्य ऐसे आचरण वान नहीं हैं।

विद्या आर्य सभा विद्वत लोगों की सभा हो जिसका उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में राज आर्य सभा को दिशा निर्देश एवं सहयोग देना हो। इस सभा हर सदस्य अपने अपने क्षेत्र का अधिकारी विद्वान हो। वर्तमान में राज्य सभा विद्या आर्य सभा का प्रारूप है। मगर उसके सभी सदस्य न तो विद्वान है, न ही आचरणवान हैं।

धर्म आर्य सभा धर्माचार्य लोगों की सभा हो जिसका उद्देश्य राज आर्य सभा, विद्या आर्य सभा दोनों का मार्गदर्शन करना हो। इस सभा का हर सदस्य धर्मचारी, सदाचारी एवं ईश्वरभक्त हो। वर्तमान में यह सभा अस्तित्व में ही नहीं हैं। मत-मतान्तर के गुरु, मठाधीश आदि सभी देश, धर्म और जाति से ज्यादा भोग और आराम में लीन हैं।

वैदिक विचारधारा का पालन करने वाला, धर्मात्मा,सदाचारी, विद्वान व्यक्तित्व ही हमारा मार्गदर्शन करने वाला हो सकता हैं।

#डॉ_विवेक_आर्य 

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