Friday, September 3, 2021

13 वर्ष की लड़की।

3 सितम्बर 1857 आज का ही दिन था जब...बिठूर में एक पेड़ से बंधी 13 वर्ष की लड़की को, ब्रिटिश सेना ने जिंदा ही आग के हवाले किया, धूँ धूँ  कर जलती वो लड़की, उफ़ तक न बोली और जिंदा लाश की तरह जलती हुई, राख में तब्दील हो गई।
ये लड़की थी नाना साहब पेशवा की दत्तक पुत्री मैना कुमारी।
जिसे 160 वर्ष पूर्व, आज ही के दिन, आउटरम नामक ब्रिटिश अधिकारी ने जिंदा जला दिया था।
जिसने 1857 क्रांति के दौरान, अपने पिता के साथ जाने से इसलिए मना कर दिया, की कही उसकी सुरक्षा के चलते, उसके पिता को देश सेवा में कोई समस्या न आये।और बिठूर के महल में रहना उचित समझा।
नाना साहब पर ब्रिटिश सरकार इनाम घोषित कर चुकी थी।
और जैसे ही उन्हें पता चला नाना साहब महल से बाहर है, ब्रिटिश सरकार ने महल घेर लिया, जहाँ उन्हें कुछ सैनिको के साथ बस मैना कुमारी ही मिली।
मैना कुमारी, ब्रटिश सैनिको को देख कर महल के  गुप्त स्थानों में जा छुपी, ये देख ब्रिटिश अफसर आउटरम ने महल को तोप से उड़ने का आदेश दिया।। और ऐसा कर वो वहां से चला गया पर अपने कुछ सिपाहियों को वही छोड़ गया।
रात को मैना को जब लगा की सब लोग जा चुके है, और वो बहार निकली तो 2 सिपाहियों ने उसे पकड़ लिया और फिर आउटरम के सामने पेश किया।
आउटरम ने पहले मैना को एक पेड़ से बंधा, फिर मैना से नाना साहब के बारे में और क्रांति की गुप्त जानकारी जाननी चाही।
पर उस से मुह नही खोला।
यहाँ तक की आउटरम ने मैना कुमारी को जिंदा जलने की धमकी भी दी, पर उसने कहा की वो एक क्रांतिकारी की बेटी है, मृत्यु से नही डरती। ये देख आउटरम तिलमिला गया और उसने मैना कुमारी को जिंदा जलने का आदेश दे दिया।
इस पर भी मैना कुमारी, बिना प्रतिरोध के आग में जल गई, ताकि क्रांति की मशाल कभी न बुझे।
 बिना खड्ग बिना ढाल वाली गैंग या धूर्त वामपंथी लेखक चाहे जो लिखे पर हमारी स्वतंत्रता इन जैसे असँख्य क्रांतिवीर और वीरांगनाओं के बलिदानों का ही प्रतिफल है और इनकी गाथाएँ आगे की पीढ़ी तक पहुँचनी चाहिए, इन्हें हर कृतज्ञ भारतीय का नमन पहुँचना चाहिये !
शत शत नमन है इस महान बाल वीरांगना को ! 🙏🏻
#ऐतिहासिक_दिन_विशेष_114  
 श्रेय :- अभ्युदय

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