Wednesday, September 15, 2021

मजदूरों के सबसे बड़े हितैषी।

कुछ साल हुए. एक स्कूल का मित्र मिला. कम्युनिष्ट लोबी से जुड़ा था. धर्म को गाली दे रहा था. बोला धर्म से किसी को रोटी नही मिलती. भारत के बुरे हालात का कारण केवल धर्म है.
---------------
कम्यूनिष्ट शासन के 35 साल का कमाल ---
35 साल का लगातार शासन कम नहीं होता. रात दिन मजदूरों के अधिकारों की बात करने वाले कम्युनिष्ट मजदूरों को किस तरह बर्बाद कर रहे हैं. रात दिन निजीकरण को गाली देने वाले बंगाल के बड़े कम्युनिस्ट नेता अपने बेटे का इलाज गुड़गांव के कारपोरेट हॉस्पिटल मे करवाते हैं क्योंकि बंगाल के सरकारी हॉस्पिटलों पर इन्हे विश्वास नहीं है। 

1- कोई कम्युनिष्ट मजदूरों को तम्बाकू छोड़ने के नहीं बोलता. मैंने किसी कम्यूनिष्ट साहित्य में एक शब्द नहीं देखा इसके बारे में. टीवी के किसी भी कार्यक्रम में ये लोग मजदूरों को नशा छोड़ने को नहीं कहते. सभी जानते हैं तम्बाकू से दमा, टी बी, फेफड़े का कैंसर, मुंह का कैंसर और अल्सर की सम्भावना कई गुणा बढ़ जाती है. जो मजदूर रोटी के लिए संकट में है वह कैंसर का इलाज कहाँ से करवाएगा.

2- नशे की सूईंयों लगाकर आज मजदूर रोगों का शिकार हो रहा है. मजदूरों के लिए फैक्ट्री मालिक को गाली देने वाले क्या इन नशे के चक्र को तोड़ेंगे.

3- शराब का कभी विरोध नहीं करते देखा. हाँ दूध देने वाली गाय के क़त्ल की वकालत जरुर करेंगे.
4- भारतीय बंगाल (West Bangal} के मजदूरों को देने के लिए रोजगार नहीं परन्तु करोड़ों बंगलादेशी बुला लिए. ये वही बंगलादेशी हैं जिन्होंने 1947 में कत्लेआम किया था.
5 त्रिपूरा और बंगाल का GDP Per Capita बेहद कम है. हरियाणा जैसे राज्यों से आधे से भी कम. सीधे शब्दों में -कम GDP Per Capita कम रोजगार, कम शिक्षा कम स्वास्थ्य सुविधाएं.
6-अर्थशास्त्र के नोबल विजेता अमर्त्य सेन ने सिद्ध किया है कि बन्द या हड़ताल का सबसे अधिक असर मजदूरों पर और विशेष रूप से दिहाड़ीदार मजदूर पर होता है. उसके बच्चे भूखे मरने लगते हैं. हडताल, बंद और दंगे में सबसे आगे बंगाल है.

7- केरल एक आदर्श कम्युनिष्ट शासित राज्य है। 100% साक्षर, समुद्र से लगती हुई लम्बी तट रेखा, देश विदेश से आने वाले पर्यटक/टूरिस्ट (TURIST) और बहुत बड़ी संख्या मे विदेशों मे कार्यरत केरल निवासी। हरियाणा मे इनमे से कोई उपलब्ध नहीं। पर्यटन, समुद्र  आदि से कोई आय नहीं। बहुत कम विदेश मे कार्यरत हरियाणा वासी। परन्तु केरल का अगस्त 2021 का GST 1612 करोड़ रूपए और हरियाणा का अगस्त 2021 का GST 5618 करोड़ रुपए। यह है कम्युनिस्ट मॉडल। 
8- भारत मे सबसे अधिक सड़क पर सोने वाले लोग कोलकाता मे हैं। भारतीयों के  लिए छत ना देने वाले कम्युनिस्ट शासन ने करोड़ों बंगलादेशी घुसपैठिए बुला लिए। 

9 - सरकारी तंत्र मे भ्रष्टाचार मे बंगाल बिहार से किसी भी तरह कम नहीं है। पूरे भारत मे बंगाल एकमात्र ऐसा राज्य है जहां आवाज उठाने पर मौत निश्चित है। 
10-सोनागाछी (कोलकाता } स्लम भारत ही नहीं, एशिया का सबसे बड़ा रेड-लाइट एरिया (वेश्यास्थान } है। यहां कई गैंग हैं जो इस देह-व्यापार के धंधे को चलाते हैं। इस स्लम में 18 साल से कम उम्र की कई हज़ार लड़कियां देह व्यापार में शामिल हैं। उन्‍हें बचपन से ही वो सब देखना पड़ता है जि‍सके बारे में सोचने पर हमारी रुह कांप जाए। ये काम इतना बुरा है कि इसमें मजबूरन पड़ने वाली लड़कियों के लिए बदनसीब शब्द भी बहुत हल्का है।

जिस उम्र में हमारी मां हमें दुनिया के रीति-रिवाज, लाज-शरम सिखाती हैं वहीं ये बच्चियां खुद को बेचने का हुनर सीखती हैं। 12 से 17 साल की उम्र में ये लड़कियां सीख जाती हैं कि मर्दों की हवस कैसे मिटाई जाती है। इसके बदले उन्हें 300 रुपए मिलते हैं। इन रूपयों के बदले यहां की बच्चियां मर्दों की टेबल पर तश्तरी में खाने की तरह परोस दी जाती हैं।

चिड़ियाघर में पिंजरे में कैद जानवरों की हालत से भी बदतर हालत होती है सोनागाछी में इन छोटे छोटे दडबे जैसे पिंजरों में कैद लड़कियों की बक़ायदा नुमायश होती है ताकि सडक पर आते जाते लोग उनकी अदाओं के जाल में फंस जाए। अपने अपने कोठे या कमरे के बाहर खडी होकर ये बदनसीब औरतें और लड़कियां अपने जिस्म नोचने वालों को रिझाती नज़र आती है। सडक पर बिकने वाले मुर्गे और बकरों की तरह सोनागाछी में इंसानों का बाज़ार लगता है। पत्रकारों और फोटोग्राफरों को भी ये लोग भीतर नहीं आने देते. ज्यादातर बच्चियां स्कूल छोड़कर आई हैं और अब देह बेचने का पाठ पढ़ रही हैं।
कुछ NGO का अध्ययन कहते हैं कि इन 35 सालों में सोनागाछी में देह-व्यापार में आने वाली लड़कियों की संख्या 10 गुणा हो गई है.
---
शायद धर्म रहित रोटी देने का यही कम्युनिष्ट तरीका है

No comments:

Post a Comment