यदि एक भी बेटी यह पढ़ कर सावधान हो जाती है तो मेरा लिखना सार्थक हो जाएगा।
अनेक बार उन नव युवतियों को समझाने का मौका मिला है जो लव जेहाद के चक्कर मे थी। इसी क्रम में उनकी परिवारिक पृष्ठभूमि भी पता चली। लगभग सभी युवतियों के गले, पैर या कलाई में काला धागा बंधा हुआ था। यह धागा उनकी माँ, दादी, मौसी या बुआ आदि ने नजदीकी मौलवी से लाकर दिया था। इस धागे को बुरी नजर से बचाने के लिए बांधा गया था। परन्तु सच्चाई यह है कि इसी धागे के कारण वह उस लड़के के लव जेहाद में फंसी। वास्तव में यह धागा कमजोर मनोबल व अंधश्रद्धा का प्रतीक है। इससे पता चल जाता है कि लड़की का आसानी से मानसिक दोहन किया जा सकता है।
घर मे नवयुवती (नव विवाहिता बहू या बेटी) के मानसिक रोग का इलाज इसी काले धागे
से मिया जी करते हैं। इसी काले धागे के बहाने मियाँ जी घर तक पहुंच जाते हैं और उसी के साथ घर से नकदी और गहने गायब होने का सिलसिला शुरू होता है। उस नवयुवती के अजीब व्यवहार का कारण सैयद या पीर नहीं दबी हुई इच्छा या मनोरोग है. इसका इलाज काला धागा , झाड फूंक या ताबीज नहीं मनोचिकित्सक है. इस धागे के कारण शोषण का रास्ता खुल जाता है.
विचार करिए- यदि कलमा पढ़े हुए और फूंक मारे हुए धागे में कोई शक्ति होती तो बड़े अपराधी, राजनेता, अधिकारी और उद्योगपतियों के शरीर पर सैंकड़ों धागे बंधे होते। बुरी नजर, ओपरी पराई, जिन्न, भूत, सैयद, चुड़ैल और पीर आदि केवल मानसिक भ्रम हैं। आजप्रत्येक शहर में हजारों CCTV लगे हुए हैं। यदि कोई जिन्न या पीर होता तो इनमे अवश्य दिखाई देता।
क्या आपके गले या हाथ में भी कोई ताबीज, नीला, लाल या काला धागा बांधा हुआ है?
क्या आप भी बुरी नजर से बचने के लिए, ऊपरी बला से बचने के लिए, शारीरिक रोग के लिए, धन की कमी के लिए, भूत प्रेत से बचने के लिए, परिवारिक सदस्य को वश में करने के लिए पहनते हैं?
मैंने एक मौलवी को देखा है जो मधुमेह के लिए गले में बांधने का धागा देता था। अनेको पढ़े लिखे मूर्ख उससे यह धागा लेकर आते थे और मानते थे कि इससे सचमुच मधुमेह ठीक हो जाएगा।
क्या गले आदि में ताबीज बांधने से कोई लाभ होता है?
नहीं, इससे कोई लाभ नही होता और न ही हो सकता है। मनोवैज्ञानिक प्रभाव अवश्य होता है। यह मनोवैज्ञानिक प्रभाव तो बिना ताबीज भी हो सकता है स्वयं का मनोबल बढ़ाने से।
मैंने जीवन मे अनेक बार मौलवी और पुजारियों के ताबीजों को खोल कर पढा है। सभी मे रेखाओं से कुछ रेखांकित किया होता है, अस्पष्ट शब्द और अंक होते हैं।
मैं अपने जीवन मे अनेक बार श्मशान और कब्रिस्तान आदि में भूत खोजने के लिए गया हूँ। परन्तु मुझे कभी नही मिला। ये कहना महामूर्खता है क्योकि वे रात को निकलते हैं इसलिए दिखाई नही दिए होंगे। अनेक बार उन घटनाओं की भी खोज की है जिन्हें भूत से सम्बंधित बताया गया। परन्तु पता करने पर उनके पीछे मानसिक रोगी या स्वार्थी लोग ही मिले।
पूरे लेख का उद्देश्य यही है कि गले/हाथ मे किसी भी तरह धागा, लॉकेट, ताबीज और नजर रक्षा यन्त्र बांधना, अष्टधातु की अंगूठी पहनना आदि केवल मानसिक और बौद्धिक अज्ञानता है। इनसे कोई लाभ नही होता। आज ही इन्हें फेंक दें। अपनी आर्थिक क्षमता के अनुसार केवल सोने चांदी आदि के आभूषण पहने। परन्तु छोटे बच्चों को सोने चांदी आदि के आभूषण भी न पहनाए। यह ताबीज, अष्टधातु की अंगूठी आदि सब मानसिक कमजोरी की निशानी हैं। इन्हें फेंके और कभी किसी को भी इन्हें पहनने की सलाह न दें।
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