वैदिक साहित्य के अनुसार प्रजापति गौ के सींग, इंद्र सिर, अग्नि ललाट और यम गले की संधि है। चंद्रमा मस्तिष्क, पृथ्वी जबड़ा, विद्युत जीभ, वायु दांत और देवताओं के गुरु बृहस्पति इसके अंग हैं। इस तरह यह स्पष्ट है कि गौ में सारे देवताओं का वास है। अत: जिन देवताओं का पूजन हम मंदिरों व तीर्थों में जाकर करते हैं वे सारे देवता समूह रूप से गौ माता में विराजमान हैं। इसलिए निर्लिप्त भाव से पूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ किसी भी कार्य की सिद्धि के लिए व्यक्ति को नित्य गौ माता की सेवा करनी चाहिए।
विष्णुधर्मोत्तरपुराण के अनुसार व्यक्ति के किसी भी अनिष्ट की निवृत्ति के लिए गौ माता के पूजन का विधान किया गया है। अनेक तरह के अरिष्टकारी भूचर, खेचर और जलचर आदि दुर्योग उस व्यक्ति को छू भी नहीं सकते जो नित्य या तो गौ माता की सेवा करता है या फिर रोज गौ माता के लिए चारे या रोटी का दान करता है।
जो व्यक्ति प्रतिदिन भोजन से पहले गौ माता को ग्रास अर्पित करता है, वह सत्यशील प्राणी श्री, विजय और ऐश्वर्य को प्राप्त कर लेता है। जो व्यक्ति प्रात:काल उठने के बाद नित्य गौ माता के दर्शन करता है, उसकी अकाल मृत्यु कभी हो ही नहीं सकती, यह बात महाभारत में बहुत ही प्रामाणिकता के साथ कही गई है। हिंदू धर्म के मतानुसार गाय में छत्तीस करोड़ देवी देवताओं का वास है। एक गाय की सेवा करने से 108 मंदिरों के निर्माण करने के बराबर फल प्राप्त होता है।
गौ से मतलब उस गाय से है, जो देवता के रूप में विराजमान गौ माता है। आज के दौर की देशी गाय को ही प्राचीन काल में ‘गौ’ नाम से कहा गया है। ‘जरसी’ गाय तो दूध देने वाली एक पशु के समान है। अत: गौ माता का तात्पर्य शुद्ध देशी गाय से ही है। यही कारण है कि आयुर्वेद में देशी गाय के ही दूध, दही और घी व अन्य तत्त्वों का प्रयोग होता है।
हमारे शास्त्रों में लिखा है कि गाय की सेवा करने से चारधाम के दर्शन के बराबर फल मिलता है। गाय के चार पांव चार धाम हैं जो व्यक्ति गाय चरण की राख अपने मस्तक पर लगाता है उसके अनेको पाप नष्ट हो जाते हैं। अगर हम गाय की सच्चे मन से सेवा करेगे तो मोक्ष की प्राप्ति भी कर सकते है।
गाय का ज्योतिषीय महत्वः-
1. नवग्रहों की शांति के लिए गौदान करें।
1. नवग्रहों की शांति के लिए गौदान करें।
2. शनि की दशा, अंतरदशा और साढ़सती से निजात पाने के लिए काली गाय का दान करें।
3. मंगल के अशुभ प्रभाव को नष्ट करने के लिए लाल रंग की गाय की सेवा करें अन्यथा गरीब ब्रह्मण को गौदान करें।
4. बुध ग्रह के अशुभ प्रभाव को नष्ट करने के लिए गाय को हरा चारा खिलाएं।
5. गाय माता की सेवा और पूजा करने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं।
6.गाय की सेवा मानसिक शांति प्रदान करती है।
गाय माता की सेवा करने के क्या-क्या लाभ हैं-
1. भगवत्प्रेम की प्राप्ति होती है।
1. भगवत्प्रेम की प्राप्ति होती है।
2. जन्म-मरण से मुक्ति मिलती है।
3. संतोष मिलता है।
4. धन में वृद्धि होती है।
5. पुण्य की प्राप्ति होती है।
6. संतान की प्राप्ति होती है।
7. दु:ख दर्द दूर होते हैं।
8. ताप-संताप दूर होते हैं।
9. हृदय प्रफुलिलत होता है।
10. मन को शान्ति मिलती है।
11. स्वास्थ्य लाभ होता है।
12. तृप्ति का अनुभव होता है।
13. मनुष्य जनम सफल होता है।
14. परिवार को सुख मिलता है।
15. ग्रह-नक्षत्र अनुकूल हो जाते हैं।
16. अश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है।
17. गाय सुखी होती है।
18. ईश्वर व संतों की प्रसन्नता प्राप्त होती है।
19. गाय की हत्या रुकती है।
20. राष्ट्र सच्ची प्रगति करता है।
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