मित्रो जर्मनी देश की विमान सेवा का नाम लुप्तहन्सा है जिसका अर्थ होता है
जो हंस लुप्त हो गए हैं यहाँ लुप्त और हंस दोनों ही संस्कृत के शब्द हैं !
जो हंस लुप्त हो गए हैं यहाँ लुप्त और हंस दोनों ही संस्कृत के शब्द हैं !
वही भारत की विमान सेवा मे AIR और INDIA दोनों शब्द अँग्रेजी के हैं कितने शर्म की
बात सभी भाषाओ की जननी संस्कृत जैसी समृद्ध भाषा मे से हमारी सरकार
को दो शब्द नहीं मिले !
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मित्रो बात दो विमान सेवाओ के नाम की नहीं है बात सरकार की मानसिकता की है , आजादी के बाद जो लोग सत्ता की तरह लपलपाती जीभ लेकर खड़े हुए थे उन लोगो के अंग्रेजी के प्रति लगाव को पुरे देश पर थोपा जा रहा है और कहा जा रहा है की अंग्रेजी ही आपका उधार कर सकती है !!
बात सभी भाषाओ की जननी संस्कृत जैसी समृद्ध भाषा मे से हमारी सरकार
को दो शब्द नहीं मिले !
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मित्रो बात दो विमान सेवाओ के नाम की नहीं है बात सरकार की मानसिकता की है , आजादी के बाद जो लोग सत्ता की तरह लपलपाती जीभ लेकर खड़े हुए थे उन लोगो के अंग्रेजी के प्रति लगाव को पुरे देश पर थोपा जा रहा है और कहा जा रहा है की अंग्रेजी ही आपका उधार कर सकती है !!
आज जर्मनी मे विश्वविद्यालयो की शिक्षा मे संस्कृत की पढ़ाई पर और संस्कृत के शास्त्रो की पढ़ाई पर सबसे अधिक पैसा खर्च हो रहा है !जर्मनी भारत के बाहर का पहला देश है जिसने अपनी एक यूनिवर्सिटी संस्कृत साहित्य के लिए समर्पित किया हुआ है !
हमारे देश मे आयुर्वेद के जो जनक माने जाते है उनका नाम है महाऋषि चरक ! जर्मनी ने इनके नाम पर ही एक विभाग बनाया है उसका नाम ही है चरकोलजी !!
अंत मित्रो बात यही है जो व्यवस्था आजादी के 67 साल बाद भी भारत को विदेशी भाषा की गुलामी से मुक्त नहीं करवा पाई उस व्यवस्था के लिए भारतवासियो को गरीबी ,अन्याय ,शोषण से मुक्त करवाना असंभव है !
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