टोपी एवं पगड़ी स्वास्थ्यरक्षक है
नियमित ऋतु के मुताबिक अथवा सामान्यतः टोपी या पगड़ी पहनने से बालों के रोग नहीं होते, सिरदर्द नहीं होता, आँख व कान के रोग नहीं होते।
पहले समय में भारत में पगड़ी का बहुत प्रचलन था और सभी वर्गों के लोग इसे धारण करते थे। अंग्रेजों के आगमन के बाद इसमें धीरे-धीरे कमी आयी।
पूर्व काल में हमारे दादा-परदादा नियमित रूप से टोपी या पगड़ी पहनते थे। महिलाएँ हमेशा सिर को ढक कर रखती थी। अतः उन लोगों को समय से पूर्व बाल सफेद होना, सिर के बाल उड़ना, सर्दी होना, आँख, कान, नाक के रोग आदि कम होते थे। आज फैशन के कारण या अज्ञान के कारण सिर खुले रखने से बाल, सिर, आँख, कान, नाक के रोग बहुत बढ़ गये हैं। सिर में हवा लगने से, गरमी एवं बारिश का पानी लगने से अनेक रोग होते हैं।
नियमित ऋतु के मुताबिक अथवा सामान्यतः टोपी या पगड़ी पहनने से बालों के रोग नहीं होते, सिरदर्द नहीं होता, आँख व कान के रोग नहीं होते।
पहले समय में भारत में पगड़ी का बहुत प्रचलन था और सभी वर्गों के लोग इसे धारण करते थे। अंग्रेजों के आगमन के बाद इसमें धीरे-धीरे कमी आयी।
पूर्व काल में हमारे दादा-परदादा नियमित रूप से टोपी या पगड़ी पहनते थे। महिलाएँ हमेशा सिर को ढक कर रखती थी। अतः उन लोगों को समय से पूर्व बाल सफेद होना, सिर के बाल उड़ना, सर्दी होना, आँख, कान, नाक के रोग आदि कम होते थे। आज फैशन के कारण या अज्ञान के कारण सिर खुले रखने से बाल, सिर, आँख, कान, नाक के रोग बहुत बढ़ गये हैं। सिर में हवा लगने से, गरमी एवं बारिश का पानी लगने से अनेक रोग होते हैं।
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