Sunday, May 18, 2014

सोलह शृंगार

सोलह शृंगार घर मे सुख और समृद्धि की पुनर्स्थापना के लिए किया जाता है। शृंगार का उपक्रम यदि पवित्रता और दिव्यता के दृष्टिकोण से किया जाए तो यह प्रेम और अहिंसा का सहायक बनकर समाज में सौम्यता और शुचिता का वाहक बनता है। तभी तो भारतीय संस्कृति में सोलह शृंगार को जीवन का अहं और अभिन्न अंग माना गया है…ऋग्वेद की सौभाग्य के लिए किए जा रहे सोलह शृंगारों का उल्लेख है। इसमंे कहा गया है कि सोलह शृंगार घर में सुख और समृद्धि की पुनर्स्थापना के लिए किया जाता है। शृंगार का उपक्रम यदि पवित्रता और दिव्यता के दृष्टिकोण से किया जाए तो यह प्रेम और अहिंसा का सहायक बनकर समाज में सौम्यता और शुचिता का वाहक बनता है। तभी तो भारतीय संस्कृति में सोलह शृंगार को जीवन का अहम और अभिन्न अंग माना गया है।आइए देखते हैं क्या होते हैं सोलह श्रृंगार-
1.बिंदीःमाथे पर लाल गोल चिन्ह ।
2. सिंदूरः बालों के बीच सिंदूर की रेखा।
3. मांग टीकाःबालों के बीच की रेखा पर पहने जाने वाला आभूषण।
4. काजलः पलकों के किनारे पर लगने वाली काली रेखा।
5. नथः इसे नाक में पहनते हैं ।
6. मंगलसूत्रः स्त्री विवाह के बाद गले में पहनती हैं।
7. कर्ण फूलः इसे कान में पहनते हैं ।
8. मेहंदीः हाथों में लगाई जाती है।
9. चूडि़यांः हाथों में पहनी जाती हैं।
10. बाजूबंदः इसको बाजू में बांधा जाता है।
11. कमरबंदः इसे कमर में बांधा जाता है।
12. सुहाग का जोड़ाः जब लड़की की शादी होती है तो उसको लाल वस्त्र पहनाए जाते हैं|
13. पायलः इसको पावों में डाला जाता है।
14. बिछुए: इसको पावों की अंगुली में डाला जाता है।
15. केशपाशः इसको बालों में लगाया जाता है।
16. इत्रः सुगंधित पदार्थ अथवा परफ्यूम ।

No comments:

Post a Comment