Monday, May 12, 2014

कुछ बातें श्रीडी शाई के बारे मेँ

साईं के अधिकतर भक्त हर समय साईं जैसे दुष्ट व् पापी के साथ श्री राम का नाम लेते है जो पूर्णत: अनुचित है और धर्मविरुद्ध कार्य है, साईं को दुष्ट व् पापी कहने के लिए हमारे पास बहुत प्रमाण है जिन्हें आप हमारे पेज पेज देख सकते है,

कहाँ भगवान् श्री राम का उत्तम चरित्र और कहाँ साईं सत्चरित्र में वर्णित साईं का विसंगतियो से भरपूर दुश्चरित्र जो लोगों को केवल भटकाव का मार्ग दिखा सकता है दूसरी और भगवान् राम का चरित्र पिछले 17 लाख सालो से देश व् सनातन धर्म के मार्गदर्शन का बिंदु बना हुआ है, सुबह सुबह उठते ही व्यक्ति राम राम का नाम लेता और हर शुभ अवसर पर श्री राम नाम का स्मरण करता है,
साईं सत्चरित्र के अनुसार साईं मांस खाता था, कुरान पढता था, बकरे हलाल करता था, औरतो को गालियाँ देता था, बीडी चिलम पीता था, महीनो तक न नहाने वाले ऐसे गंदे व्यक्ति की तुलना श्री राम से करने वाले लोगो को कुछ तो शर्म करनी चाहिए, साईं प्रसाद में भी मांस देता था, ब्राह्मण को जबरदस्ती मांस खाने के लिए कहता था, साईं ने कभी न वेद पढ़े न शास्त्र उल्टा उनका अपमान ही किया, पुरे जीवन में साईं ने न राम नाम लिया और न ॐ बोला फिर भी पता नहीं किस कारण से लोग उसके नाम के आगे ॐ और पीछे राम लगा देता है,
कोई कहता है साईं पापी राम जी का अवतार है तो क्या राम जी को अवतार लेने के लिए इस्लाम जैसे क्रूर मजहब से अलग कुछ नहीं मिला, और श्री राम तो खुद अवतार थे, ऐसे में वो कैसे अवतार ले सकते थे?? विष्णु जी के अन्य 9 अवतारों में साईं का नाम तक नहीं फिर ये साईं अवतार कैसे??
श्री राम के उत्तम चरित्र के कारण हम उन्हें पूजते है, पुरुषो में उत्तम और सदा मर्यादा में बंधे मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम, एक आज्ञाकारी पुत्र और उत्तम भाई, एक आदर्श पति और पिता, पत्नी से इतना प्यार की उनका हरण करने वाले रावण को पुरे वंश के साथ उसका नाश कर दिया और पत्नी को सकुशल ले आये, पुरे संसार में ऐसा कोई नहीं जिसने अपनी पत्नी की रक्षा के लिए भालू वानरों की विशाल सेना के साथ समुद्र पर पुल बना कर लंका ही जला डाली हो,
एक महान राजा जिसने प्रजा के लिए पत्नी तक का त्याग कर डाला, और प्रजा उनके राज्य में इतनी सुखी की उस काल को रामराज्य तक कहा गया है जिसकी कल्पना आज हर देशवासी करता है,
और उस दुष्ट साईं के काल में 16 बड़े अकाल पड़े पर एक भी अकाल में साईं ने कुछ नहीं किया, साईं के समय में 1857 का युद्ध हुआ पर साईं एक कोने में चिलम बीडी के स्वाद लेता रहा और मस्जिद में बैठ कर अल्लाह अल्लाह करता हुआ नर्तकियो का नाच देखता था, क्या ऐसा होता है भगवान्, ये तो संत होने के भी लायक नहीं है,
साईं के भक्त आँखे खोले और साईं के झूठे प्रचार से बचे,
जिसे हम पर विश्वास न हो वो साईं का चरित्र खुद देख ले,
शिर्डी संस्थान की ऑफिसियल साईट से साईं सत्चरित्र खुद पढ़े और निर्णय करे,
shrisaibabasansthan.org/shri saisatcharitra/Hindi SaiSatcharit PDF/hindi.html
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साईं उर्फ़ चाँद मियां अंधभक्तो से जब चिलम , मास व अन्य तमाशी पदार्थोँ का उल्लेख किया जाता है तो वो अक्सर मेरे प्रभु भगवान शिव क उल्लेख करते है
मै उन तमाम साईं भक्तो को समीक्षा देता हु भगवान अशुतोष ने समस्त प्राणियों देव अषुरो की रक्षा की है
इसके सम्बन्ध में सतयुग में समुद्र मंथन की कथा का विवरण है जिसमे भगवान शिव ने त्रिलोकी को दहन करनें वाले लाखों टन कालकूट विष का पान करके त्रिलोकी के जीवों की रक्षा की तब से भगवान क़ा नाम नीलकंठ कहलाया
इसके अलावा ऐसा कोइ उल्लेख नहीं है कि भगवान शिव ने किसी निर्दोष जीव को मार डाला अरे मेरे प्रभु तो दया के सागर है वो भला कुछ गलत कैसे कर सकते है
शास्त्रो में भी किसी प्रकार का कोई ऐसा अधिमत नही है अगर फ़िर भी साईं उर्फ़ चाँद मियां अंधभक्तो को लगता है तो वो बताएं किस ग्रन्थ में भगवान शिव के बारे में ऐसे अशोभनीय बाते लीखी है ?
दूसरी और हम साईं की बात करते है तो उस समय साईं उर्फ़ चाँद मियां ने एक बूंद भी जहर पिया होता तो आज इतना पाखंड हिन्दू समाज में व्याप्त नही होता
साईं भक्त अक्सर बोलतें है कि बाबा कृपा करेंगे पर जहां तक दुनिया जानती है कि बाबा स्वयं अपने उपर कृपा नही कर पाए क्योकि बाबे की दम दमा से तड़प तड़प कर १५ दिन बाद दशहरा के दिन निकल गयी
हिंदूओ संभल जो एक ज़िहादी मुसलमान साईं उर्फ़ चाँद मियां को हमारे देवी देवताओ से तुलना करके उनका अपमान मत करो हिन्दु धर्म ओर हिंन्दुत्व को समझो
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‪#‎ॐशिवभक्त‬

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