||कुरान ईश्वरीय है क्या की भूमिका||
आज समस्त विष्य में डॉ जाकिर नाईक के नाम से किसी का परिचय हो न हो, किन्तु सम्पूर्ण इस्लाम जगत उन्हें जानते हैं | उन्हों ने तहरीर और तक़रीर के माध्यम से गैर मुस्लिमों को इस्लाम का दावत दिया है, और उन्हें मुस्लमान बनानेका मुहीम छेड़ रखा है, और ज्यादा तर लोग जो अनभिज्ञ, और न समझ है उनके चंगुल में आसानी से फंस जाते हैं | इसमें ज्यातर वह लड़के और लड़कियां फंस जाती हैं, जिन्हें अपनी धर्म के बारे मे कुछ पता नहीं होता फिर उनको यह इस्लाम समझा देते हैं | उन्हें दिखाते हैं यह मूर्ति पूजा देवी और देवतावों को, और कहते हैं देखो तुमहारे यही देवता है हनुमान जो सूरज को भी निगल जाते हैं बोलो यह कैसे हो सका ? हमारे बच्चे निरुत्तर हो जाते हैं, उनके सामने उनकी बातों का जवाब नहीं दे पाते इससे वह मजबूर होकर उनकी बातों को स्वीकार कर इस्लाम कुबूल करलेते हैं |
हमारे लोगों को मालूम ही नहीं की इस्लाम में इस प्रकार की बातें है या नहीं ? जब इनको अपने बारे में ही जानकारी नहीं तो वह इस्लाम के बारे मे कैसे जानते भला ? यह काम सिर्फ और सिर्फ उन मुसलमानो को अगर निरुत्तर किया तो आर्य समाज के विद्वानों ने किया इतिहास साक्षी है | आर्य समाज के विद्वानो ने झट कहा की मानलिया सूरज का निगल जाना यह हनुमान के लिए नहीं हुवा कारण यह बात विज्ञानं विरुद्ध है, सृष्टि नियम विरुद्ध भी है | पर आप इस्लाम वाले यह तो बताव की चाँद को हज़रत मोहम्मद साहब ने ऊँगली के इशारे से किस प्रकार तोड़े थे ? वह भी उस चाँद में हाथ लगाये बिना इतने दूर से तोड़ना कैसे उचित मानते हैं आप ? तब इनका अन्धबिश्वास का पोल खुल जाता है, यानि उनकी अंधबिश्वास सत्य है किसी और की गलत, यह है इस्लामिक मान्यता | पर करें तो क्या यह हिन्दू कहलाने वाले इस्लाम को क्या जानते यह तो अपने को ही नहीं जानते, वरना उनके शिकार नहीं बनते |
तो इस प्रकार जाकिर नाईक ने सम्पूर्ण विश्व में अपना नेटवर्क बिछा रखा है और बोहुत ज्यादा तायदाद में हिन्दुवों को योजनावध्य तरीके से काम कर रहे हैं | और यह काम इस्लाम प्रचार प्रसार के नाम से अरब देशों से और अन्य देशों से मानो उसपर धन की वर्षा हो रही है, और वह जाकिर साहब धड़ल्लेसे हिन्दुओं को मुसलमान बनाने में जुटे हैं |
इधर जिस आर्य समाज ने जन्म काल से इस्लाम को मात देता आया शास्त्रार्थ करते हुए सम्पूर्ण जगत में यह सिद्ध किया की मानव मात्र का धर्म एक है, मानव मात्र का इष्ट देव एक परमात्म है, मानव मात्र का धर्म ग्रन्थ वेद है | इसी प्रमाण के तौर पर 1875 से लेकर अबतक यह आर्य समाज नामी संस्था काम करती आ रही हैं | मै आर्य समाज को जाना 1983 में पहले मेरठ –अब बागपत है, यही एक बड़ी मस्जिद में इमाम रहते गुरुकुल इन्द्रप्रस्थ के माध्यम से उर्दू वाली सत्यार्थ प्रकाश मिली उसे पड़ने के बाद 25 जगह इस्लामिक मदरसे में सवाल लिख कर भेजा जिस का जवाब नहीं दे पाए, और उसी समय मै वैदिक धर्मी बनगया | यह हिन्दू कहलाने वाले दयानन्द को पढ़ा ही नहीं वरना जाकिर नाईक के चंगुल में न फंसते, अब इन हिन्दू कहलाने वालों का दयानन्द को पढ़ना तो दुर की बात है उनका नाम ही सुनना पसंद नहीं करते | कारण दयानन्द ने मूर्ति पूजना वेद विरुद्ध बताया, यह बात हिन्दुओं को पसंद नहीं हुवा, अगर यहलोग उनकी किताब पढ़ लेते तो मुस्लमान बन्ने से भी बच जाते |
जिस प्रकार जाकिर नाईक हिन्दू को खुले आम मुस्लमान बना रहे हैं, उस से अब इन आर्यसमाज को भी कोई चिंता नहीं | इसका मूल कारण आर्यसमाज अब इस्लाम का पोषक और इस्लाम का प्रचारक बन चूका है, जो आर्यों के शिरोमणि सभा में रमजान की अफ्तार पार्टी दी जाने लगी, और इस्लाम वालों को लेकर उसी दयानन्द के जन्मस्थली टंकारा में जमाते इस्लामी हिन्द के अधिकारिओं को साथ ले जाने लगे | जो जाकिर नाईक वेद के खिलाफ प्रचार कर रहा है उसके जिनते साथी संगी हैं वह वेद में मुहम्मद का नाम बता रहे हैं, वेद में परिवर्तन बतला रहे हैं, उसपर आर्यों समाज के अधिकारिओं को कोई आपत्ती नहीं | सत्यार्थ प्रकाश पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए 2 मुसलमानों का लाम देकर कोर्ट में केस दायर हुवा, उसमे सारे आर्य समाज के अधिकारी सिर्फ जनता से पैसा इकट्ठा किया केस में कोर्ट के नजदीक तह नहीं गये |
आज तक जाकिर नाईक को किसी भी आर्य समाजी ने पूछ कर नहीं देखा की वेद में मुहम्मद का नाम कहाँ है जरा दिखा तो दें ? यह काम सिर्फ महेन्द्रपाल के जिम्मे है, मैंने उसे लिखा भी और चुनौती भी दी जो आज सम्पूर्ण इन्टरनेट में छाया है, मेरी किताब में मौजूद है | जाकिर नाईक की दुकानदारी भारत में बन्द करने में सुदर्शन न्यूज़ चेनल और महेन्द्रपाल का काम था सिर्फ इतना ही नहीं उसी IRF से जुड़े जितने भी हैं मुश्फिक सुल्तान, असलम कासमी, सतीशचन्द्र गुप्ता, सबको मै ही निरुत्तर कर रखा हूँ | यहाँ तक की कुरान का हिन्दी अनुवादक मौलाना फारुक खान को 2004 के एक अगस्त में दिल्ली के खारी बावली आर्य समाज में शास्त्रर्थ में निरुत्तर किया | आर्य समाज के अधिकारी सहमत नहीं थे, इस कार्य में, यह शास्त्रर्थ हमारे एक मित्र लालचंद गुप्ता जी के माध्यम से हुवा था, यही आर्य समाजी उसकी रेकॉर्डिं भी नहीं की | खतौली के मौलवी गयासुद्दीन को मेरे एक मित्र संजीव उपाध्याय अपने साथ लेकर आये 15 हनुमान रोड के आर्य समाज में भारी भीड़ में दिनके 12 बजे से लेकर शाम को 6 बजे तक उसे खाता खोलने ही नहीं दिया, आर्यसमाज के अधिकारी उसकी भी रेकोडिं नहीं की |
27 मार्च 2007 को अलीगढ़ मुस्लिम विष्यविद्यालय के प्रोफेसर डॉ तारिक मुर्तोजा जो शास्त्रर्थ में परास्त हुए, स्वामी शिवानन्द जी की अध्यक्षता में, जिसे घरेलु वातावरण में रेकोडिंग की गयी जिसमे मै अपने साथ लेकर गया, मेरे ही गुरु भाई लाजपत राय ने संचालन किया, जो दुनिया देख रही है | उसके बाद 8 फरवरी 2008 को अब्दुल्ला तारिक के साथ शस्त्रार्थ बुलन्द शहर में हुवा जिसमे दिल्ली के एक आर्यसमाज के नेता व अधिकारी धर्मपाल जी को मै साथ लेगया, उन्ही को अध्यक्ष बनाया, निर्णय देने की जगह उन्होंने क्या कहा सबके सामने है इन्ही दोनों CD को हमारे साथिओं ने नेट पर डाला TRUTH WISDOM 2008 के नामसे आज जिसका paswad मेरे को न मिलने से उसे चला नहीं पाया | इसका पूरा बिवरण मेरी पुस्तक में है ‘मस्जिद से यज्ञशाला की ओर’ में | मेरी साईट को बनाने वाला संजीव नेवर था, अब तक अग्निवीर का जन्म ही नहीं हुवा था | मुझे इन्टरनेट पर लाने वालों में यही हमारे 3 मित्र ही थे |
इन दोनों CD अनेक हिन्दू लड़के व लड़किओं को मुस्लमान बन ने से बचाया, इसी दिल्ली में एक कमिश्नर का पुत्र जो IAS की तैयारी कर रहे जिसने इस्लाम कुबूल करने से बचा आज वर्षों से मुझसे अरबी पढ़ रहे | यही दिल्ली में ही न मालूम मैंने कितनों को मुस्लमान होने से बचाया मेरे पास सब के प्रमाण है | भारत भर में ही नहीं अपितू अरब देशों में मेरे द्वारा अनेकों तार्किक और वैदिक ज्ञानवाण तैयार हुवे जो यही जाकिर नाईक के बनाये शिष्यों को परास्त कर चुके हैं | भारत भर में हजारों को मैंने तैयार कर दिया, जिन्होंने इस्लाम के दिग्गजों को पानी पिला चुके, अभी बंगाल में मेरे संपर्क से बने जिन्होंने वेद को कभी जानते ही नहीं थे आज एक आर्य समाजी विद्वानों से ज्यादा जानकारी रखने वाले इस्लाम जगत के विद्वानों का छक्का छुड़ा रहे हैं, ठीक इसी प्रकार हैद्राबाद में – बंगलौर में, मुम्बई में, केरला में न मालूम कितने ही बच्चे मेरे प्रयास से बने है उ प्र में, गुजरात में –पंजाब में–हमारी टीम काम कर रही हैं | परमात्मा की असीम अनुकम्पा है की आज मै अपने आप में खुश हूँ की मेरे 30 वर्ष की जो मेहनत है वह रंग लाई है, हिन्दू घराने के अनेक बच्चे अपने नाम आर्य लिखने लगे जो कभी आर्य समाज को जाना ही नहीं था | मै सिर्फ असत्य और अधर्म के लिए काम करता हूँ इसमें कोई मुझे अपना विरोधी माने या कुछ और, वह यह न समझें की उनके विरोध करने से मै काम छोड़ दूँ | यह नहीं होगा जिस इस्लाम से मै आया शायद उनका इतना विरोध मुझे झेलना नहीं पड़ा होगा जितना की इन तथा कथित आर्यसमाजी या हिन्दू कहलाने वालों का | मुझे इस्लाम में वापस जाने के लिए लोगों का बोहुत प्रयास रहा जो मै लिखा भी –यह बुलावा किसलिए जरुर आप सभी ने पढली होगी | जो आर्य समाजी मुझ पर लिखते या कहते हैं उन्हें मै कई जन्म तक वैदिक मान्यता को पढ़ा सकता हूँ | जो अधिकारी है वह वैदिक मान्यता की तो क– ख भी नहीं जानते | कुछ जो काम मै किया हूँ, जिसमे वैदिक मान्यता का गलाघोटने वालों का पर्दा फाश हुवा जिससे वह तिलमिला रहे | ठीक इसी प्रकार डॉ जाकिर नाईक का पर्दा फाश मै टीवी चेनल के माध्यम से किया हूँ जिन्होंने सुदर्शन न्यूज़ चेनल को देखा है उन्हें ज़रूर मालूम है | मुश्फिक सुल्तान का पर्दाफाश, बेचारेने जवाब देकर फंसाया इस्लाम को मेंने किया है | ठीक इसी प्रकार डॉ असलम कासमी का पर्दाफाश किया हूँ , अकल पर दखल न देने वाले धर्म और मज़हब के भेद को क्या जाने लिख कर | अभी गाजियाबाद में एक मुस्लमान बना जिससे मेरा संपर्क हो गया आगे कहाँ तक बात होती है देखते है | इन कामों में आर्य समाजी कोई भाग नहीं लेते, यह निर्मात्री वालों का भेजा हुवा मै ही घर वापसी की | यह लोग सिर्फ बात बनाते है आर्यों के संपत्ति की ओर नज़र रखते हैं, परावर्तन का काम उनका नहीं और वह जानते भी नहीं, गलत जानकारी इस्लाम के बारे मे दे रहे हैं, मैंने जितेन्द्र को टोक दिया था | अब डॉ जाकिर नाईक को कुरान ईश्वरीय ग्रन्थ है अथवा नही का ज़वाब, कुरान ईश्वरीय कैसे लिख कर दे रहा हूँ | अभी एक सूरा यूसुफ़ को लिखा की कुरान में अल्लाह ने अपनी अरबी जुबान में किस प्रकार की कहानी सुनाया है यह कलामुल्ला का होना उचित है अथवा नहीं, मानव कहलाने वाले इसको परखें | जो 13 भागों में है, कुरान की भाषा में अल्लाहने क्या कहा उसी को अरबी उर्दू और, हिंन्दी तीनो में लिखा हूँ, नोट में मै अपना विचार भी दिया, की आसानी से सभी को समझमें आजाये|
महेन्द्र पालआर्य वैदिक प्रवक्ता,दिल्ली ----------
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