लाल झंडा उठाए नेता ने कॉमरेडों से कहा - 'अगर तुम्हारे पास बीस-बीघा खेत है तो क्या तुम उसका आधा दस बीघा गरीबों को दे दोगे ?'
सारे कामरेड एक साथ बोले- 'हाँ साथी दे देंगे !'
नेता ने फिर कहा -'अगर तुम्हारे पास दो घर हैं तो क्या तुम एक घर किसी गरीब के लिए छोड़ दोगे?'
सारे कामरेड एक साथ बोले - 'हाँ साथी, बिल्कुल छोड़ देंगे !'
झंडाबरदार नेता ने पूछा -' अगर तुम्हारे पास दो कार हैं, तो क्या तुम एक किसी ग़रीब को दोगे ?'
सारे कामरेड एक साथ बोले- 'हाँ साथी, निस्संदेह देंगे !'
नेता ने फिर पूछा -' अगर तुम्हारे पास बीड़ी का एक बंडल हैं, तो क्या उनमें से कुछ तुम अपने साथी को दोगे ?'
सारे कामरेड एक साथ बोले - 'नहीं साथी, ऐसा बिल्कुल न हो पाएगा…बीड़ी तो बिल्कुल नहीं देंगे !'
नेता को जैसे जबानी लकवा मार गया… कुछ ठहरकर, शब्दों को पिरोते, थोड़े आश्चर्य से पूछ ही डाला… क्यों साथियों जब तुम अपना खेत दे सकते हो, घर देने में आपत्ति नहीं, कार दान कर सकते हो, तो दो टके की मामूली बीड़ी क्यों नहीं..?
सारे कॉमरेड एक सुर में बोले - ऐसा है नेताजी… कि हमारे पास न तो खेत हैं, न घर है, और ना ही है कार ! अगर अपना कहने को कुछ है.. तो वो है, बीड़ी का एक बंडल ! दो टके वाला…
यही वामपंथ और वामपंथीयों का मूल स्वभाव होता है !
वामपंथी आपको हर वो चीज देने का वादा करता है, जो उसके पास होती ही नहीं… और न ही वो उसे अपनी काबिलियत के बल पर अर्जित करने की क्षमता रखता है !
वामपंथी ये सारी चीजें किसी और से छीनकर देने का वादा करता है !
और वो 'कोई और' आप और हम हैं…
वामपंथ एक ऐसी समस्या है जिसका जन्म ही समाज में व्याप्त समस्याओं से होता है. आर्थिक-सामाजिक असंतोष और झगड़ों को ईंधन बना कर ही वामपंथी बिरियानी पकती है. अराजकता इनका गरम मसाला होता है जो ये भाई को भाई से, अमीर को गरीब से, नर को नारी से, पिता को पुत्र से लड़ाकर स्वादानुसार तैय्यार करते हैं. ये पांचों उंगलियों को बराबर करने को इतने आमादा होते हैं कि आदमी भले ही लूला, अपंग और नाकारा हो जाए, 'बराबरी' की विचारधारा पर कोई आंच नहीं आनी चाहिए।
No comments:
Post a Comment