जरा सोचिए, पालघर में संतों की लिंचिंग जैसी घटना अगर किसी समुदाय विशेष के या इसी गिरोह के किसी व्यक्ति के साथ घटी होती तो आज कितना हंगामा होता। उस पर भी अगर महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार होती तो उनके रुदन का कोई पारावार नहीं रहता। पर, इस हैवानियत के शिकार भगवा धारण किए साधु थे। तो फिर उनकी अंतरात्मा क्यों ही जागृत हो?
महाराष्ट्र के पालघर जिले के यह ऐसे कुछ इलाके हैं, जहाँ प्रायः कोंकणा, वारली और ठाकुर जनजाति के लोग रहते हैं। आधुनिक विकास से वंचित इन दूरदराज के गॉंवों में कई वर्षों से क्रिश्चियन मिशनरी और वामपंथियों ने अपना प्रभाव क्षेत्र बनाया हुआ है।
कुछ वर्षों में वामपंथी और मिशनरी प्रभावित जनजाति प्रदेशों में, जनजाति समुदाय के मतांतरित व्यक्तियों द्वारा अलग धार्मिक संहिता की माँग हो रही है। उन्हें बार-बार यह कह कर उकसाया जाता रहा है कि उनकी पहचान हिन्दुओं से अलग है।
कुछ नाम देखिए --
1. विष्णु गोस्वामी– 16 मई 2019 को यूपी के गोंडा जिले में इमरान, तुफैल, रमज़ान और निज़ामुद्दीन ने विष्णु गोस्वामी को पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया। विष्णु की गलती बस ये थी कि वे अपने पिता के साथ लौटते हुए सड़क के किनारे लगे नल पर पानी पीने लगा था। बस इसी दौरान इन्होंने विष्णु व उसके पिता से विवाद बढ़ाया और बात खिंचने पर उसे पेट्रोल डालकर आग के हवाले झोंक दिया।
2.वी.रामलिंगम– तमिलनाडु में दलितों के इलाके में धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया को चलता देख वी राम लिंगम ने पीएफआई के कुछ लोगों का विरोध किया था। जिसके बाद 7 फरवरी को पट्टाली मक्कल काची के नेता की घर से खींचकर हत्या कर दी गई । इस मामले में पुलिस ने पाँच लोगों को हिरासत में लिया था- निजाम अली, सरबुद्दीन, रिज़वान, मोहम्मद अज़रुद्दीन और मोहम्मद रैयाज़।
3. ध्रुव त्यागी– बेटी के साथ छेड़खानी का विरोध करने पर 51 वर्षीय ध्रुव त्यागी को सरेआम सबके सामने मोहम्मद आलम और जहाँगीर खान ने धारधार हथियारों से राष्ट्रीय राजधानी के मोती नगर में मौत के घाट उतारा था। इसके बाद इन हत्यारों ने ध्रुव त्यागी के बेटे पर भी हमला किया था। हालाँकि, उस समय पुलिस ने दोनों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया था। मगर बाद में पुलिस को पड़ताल से पता चला कि उस दिन उन्हें 11 लोगों ने घेर कर मारा था।
4. चन्दन गुप्ता– कासगंज में तिरंगा यात्रा के दौरान हुई हिंसा में मारे गए अभिषेक उर्फ़ चंदन गुप्ता की हत्या शायद ही किसी के जेहन से निकले। अभी हाल ही में दिल्ली में हुए प्रदर्शनों में इनका नाम एक बार फिर सामने आया था। चंदन का जुर्म सिर्फ़ ये था कि वे 26 जनवरी के मौके पर विहिप और एबीवीपी की तिरंगा यात्रा में शामिल थे। जहाँ मुस्लिम बहुल इलाके में उनपर छत से गोली चला दी गई। घटना में चंदन की मौत हो गई और बाद में पुलिस ने मुख्य आरोपित सलीम को गिरफ्तार किया
5 बन्धु प्रकाश – बंगाल के मुर्शिदाबाद इलाके में आरएसएस कार्यकर्ता बंधु प्रकाश पाल, उनकी सात माह की गर्भवती पत्नी, तथा आठ साल के बेटे की 8 अक्टूबर 2019 को धारदार हथियार से गला काटकर हत्या कर दी गई थी। जिसने सबको हिलाकर रख दिया था। पहले पुलिस ने इसे निजी कारणों से हुई हत्या बताया था। बाद में इसके पीछे 24000 रुपए का एंगल जोड़ दिया था।
6. रतन लाल– 24-25 फरवरी को उत्तरपूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा में वीरगति को प्राप्त हुए रतन लाल का नाम शायद ही आने वाले समय में कोई भूल पाए। एक ऐसा वीर जिसने दिल्ली को जलने से रोकने के लिए खुद को इस्लामिक भीड़ का बलि बना दिया। उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स से पता चला था कि पत्थरबाजी के कारण नहीं बल्कि रतन लाल की मौत गोली लगने के कारण हुई थी।
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