Monday, May 8, 2023

क्या पृथ्वी और सूर्य घूमते है?

🌍☀️
इस पर कुरान और वेद का क्या कहना है आइए देखते हैं 👀

Quran -
या-सीन (Ya-Sin):37 - और एक निशानी उनके लिए रात है। हम उसपर से दिन को खींच लेते है। फिर क्या देखते है कि वे अँधेरे में रह गए ।
या-सीन (Ya-Sin):38 - और सूर्य अपने नियत ठिकाने के लिए चला जा रहा है। यह बाँधा हुआ हिसाब है प्रभुत्वशाली, ज्ञानवान का ।
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नोट- या-सीन (Ya-Sin):38 - और सूर्य अपने नियत ठिकाने के लिए चला जा रहा है ?? यह वाक्य इशारा कर रहा है की सूर्य अपने ठिकाने से कही जा रहा है ??? अब देखते है क्या सच में मोहम्मद  ये सोचता था की सूर्य पृथ्वी के चारो और चक्कर लगाती है

अब देखे -
सहीह मुस्लिम 1:297 :- रात में सूरज कहाँ रहता है ?
 हदीस के अनुसार अस्त होने के बाद सूरज रात भर अल्लाह के सिंहासन के नीचे छुपा रहता है
"अबू जर ने कहा कि एक बार रसूल ने मुझ से पूछा कि क्या तुम जानते हो कि सूर्यास्त के बाद सूरज कहाँ छुप जाता है , तो मैंने कहा कि रसूल मुझ से अधिक जानते है . तब रसूल ने कहा सुनो जब सूरज अपना सफ़र पूरा कर लेता है ,तो अल्लाह को सिजदा करके उसके सिंहासन के कदमों के नीचे छुप जाता है .फिर जब अल्लाह उसे फिर से निकलने का हुक्म देते है , तो सूरज अल्लाह को सिजदा करके वापस अपने सफ़र पर निकल पड़ता है .और यदि अल्लाह सूरज को हुक्म देगा तो सूरज पूरब की जगह पश्चिम से निकल सकता है |
(sahi-bukhari jild 2 kitaab 15 hadees 167)अल-कहफ़ (Al-Kahf):86 - यहाँ तक कि जब वह सूर्यास्त-स्थल तक पहुँचा तो उसे मटमैले काले पानी के एक स्रोत में डूबते हुए पाया और उसके निकट उसे एक क़ौम मिली। हमने कहा, "ऐ ज़ुलक़रनैन! तुझे अधिकार है कि चाहे तकलीफ़ पहुँचाए और चाहे उनके साथ अच्छा व्यवहार करे।"

अब देखते हैं कि वेदों का इस पर क्या मत है 🚩🚩

प्रश्न) पृथिव्यादि लोक घूमते हैं वा स्थिर?

(उत्तर) घूमते हैं। 

(प्रश्न) कितने ही लोग कहते हैं कि सूर्य्य घूमता है और पृथिवी नहीं।

दूसरे कहते हैं कि पृथिवी घूमती है सूर्य नहीं घूमता इसमें सत्य क्या माना जाय?

(उत्तर) ये दोनों आधे झूठे हैं क्योंकि वेद में लिखा है कि- आयं गौः पृश्न॑िर॒क्रम॒दस॑दन्मा॒तरं॑ पु॒रः । पि॒तरं॑ च प्र॒यन्त्स्वः॑ ।।

-यजुः० अ० ३। मं० ६ ॥ अर्थात् यह भूगोल जल के सहित सूर्य के चारों ओर घूमता जाता है इसलिये भूमि घूमा करती है।

आ कृष्णेन॒ रज॑सा॒ वने॑मानो निवे॒शय॑न्न॒मृतं॒ मत्यै॑ च । हिरण्यये॑न सवि॒ता रथे॒ना दे॒वो या॑ति॒ भुव॑नानि॒ पश्यन् ।।

यजुः० अ० ३३ मं० ४३ ॥ जो सविता अर्थात् सूर्य्य वर्षादि का कर्त्ता, प्रकाशस्वरूप, तेजोमय, रमणीयस्वरूप के साथ वर्त्तमानः सब प्राणी अप्राणियों में अमृतरूप वृष्टि वा किरण द्वारा अमृत का प्रवेश करा और सब मूर्तिमान् द्रव्यों को दिखलाता हुआ सब लोकों के साथ आकर्षण गुण से सह वर्त्तमान; अपनी परिधि में घूमता रहता है किन्तु किसी लोक के चारों ओर नहीं घूमता। वैसे ही एक-एक ब्रह्माण्ड में एक सूर्य प्रकाशक और दूसरे सब लोकलोकान्तर प्रकाश्य हैं। जैसे-

दिवि सोमो अधि श्रितः॥ - अथर्व० कां० १४। अनु० १ ० १ ॥

जैसे यह चन्द्रलोक सूर्य से प्रकाशित होता है वैसे ही पृथिव्यादि लोक भी सूर्य के प्रकाश ही से प्रकाशित होते हैं। परन्तु रात और दिन सर्वदा वर्तमान रहते हैं क्योंकि पृथिव्यादि लोक घूम कर जितना भाग सूर्य के सामने आता है उतने में दिन और जितना पृष्ठ में अर्थात् आड़ में होता जाता है उतने में रात। अर्थात् उदय, अस्त, सन्ध्या, मध्याह्न, मध्यरात्रि आदि जितने कालावयव हैं वे देशदेशान्तरों में सदा वर्त्तमान रहते हैं अर्थात् जब आर्यावर्त्त में सूर्योदय होता है उस समय पाताल अर्थात् 'अमेरिका' में अस्त होता है और जब आर्यावर्त्त में अस्त होता है तब पाताल देश में उदय होता है। जब आर्य्यावर्त्त में मध्य दिन वा मध्य रात है उसी समय पाताल देश में मध्य रात और मध्य दिन रहता है।

जो लोग कहते हैं कि सूर्य घूमता और पृथिवी नहीं घूमती वे सब अ हैं। क्योंकि जो ऐसा होता तो कई सहस्र वर्ष के दिन और रात होते। अर्थात् सूर्य का नाम (ब्रध्नः) है। यह पृथिवी से लाखों गुणा बड़ा और क्रोड़ों कोश दूर है। जैसे राई के सामने पहाड़ घूमे तो बहुत देर लगती और राई के घूमने में बहुत समय नहीं लगता वैसे ही पृथिवी के घूमने से यथायोग्य दिन रात होते हैं; सूर्य के घूमने से नहीं...✍️
अंकित खटकड़

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