Thursday, May 4, 2023

वेद और कुरान में अंतर|

कई बार हम लोगों ने जाकिर नायक या किसी और मुसलमान को ये कहते सुना है कि कुरान अल्लाह का दिया है, कुरान ईश्वर कृत है....

*आइए जानते हैं क्या यह बात सत्य है या नहीं तथा वेद और कुरान में क्या अंतर है ?*

1—  वेद ईश्वरीय ज्ञान है जो की सृष्टि के आरम्भ में 1 अरब 96 करोड़ 8 लाख 53 हजार 124 वर्ष पूर्व ईश्वर ने 4 ऋषियों के हृदय में प्रकाशित किया जबकि कुरान 1400 वर्ष पहले अरब देश के  मोहम्मद ने रचा और खुद को पैगम्बर घोषित किया।

2—  वेद सृष्टि के आदि में जैसे थे वैसे ही आज भी है एक अक्षर भी नहीं बदला क्योंकि ये ऋषिओं ने परम्परा से कण्ठस्थ कर के सुरक्षित रखा जब कि कुरान को कई बार बदलना पड़ा।

3—  क्या ईश्वर का ज्ञान परिवर्तित होता रहता है कि जो पहले तौरेत दी, फिर इंजील दी और बाद में कुरान दी; कुरान में भी कुछ आयते मन्सूख़ (रद्द) हो जाती हैं ,जबकि वेद यथावत बने हुए है।

4—  वेद सभी मानव-मात्र के लिए है वह मत मजहब से परे है, जबकि कुरान सिर्फ मुस्लिम के लिए।

5—  वेद में मानवता की बात है, विश्व कल्याण की शिक्षाएं हैं, जबकि कुरान में सिर्फ़ मुसलमानों की ही भले की बातें हैं और दूसरे धर्म वालों को धर्मांतरण कराने का हुक्म है अन्यथा उन्हें मार डालने के आदेश है।

6—  वेद में ईश्वर को निराकार और सर्वव्यापी बताया है जबकि कुरान में एक देशी जो सातवें आसमान पर एक तख्त जिसे अर्श कहते हैं, पर बैठा है और वह साकार है, पता नहीं वहाँ क्या करता है?

7—  वेद में एक ईश्वर की उपासना की बात कही है जबकि कुरान में ईश्वर कहने को तो एक ईश्वर की बात है पर उसमें लिखा है - रसूल को जो नहीं मानता उसे खुदा ज़न्नत नहीं देगा।

8—  वेद का ईश्वर सर्वज्ञ है सब जानता है पर कुरान का ख़ुदा सब नहीं जानता उसे सबके कर्मपत्र पढ़ने पड़ते है; कुरान में लिखा है जब सबका हिसाब होगा तब सबके गले में कर्मपत्र रहेंगे।

9—  कुरान में बताया है कि जब सबका न्याय होगा तो मुसलमानों के लिए पैग़म्बर मोहम्मद सिफारिश करेगा तो खुदा उन्हें जन्नत में भेज देगा जबकि वेद के ईश्वर के सामने कोई सिफारिश नहीं चलती है।

10—  वेद के अनुसार ईश्वर और जीव के बीच कोई बिचौलिया नहीं है जबकि कुरान के अनुसार पैगम्बर मोहम्मद को मानना जरूरी है।

11—  वेद के अनुसार ईश्वर कर्म का फल तत्काल या बाद में या अन्य जन्मों में दे देता है जबकि कुरान का खुदा कयामत तक इंतजार करवाता है, तब तक अपनी अपनी पेशी का इंतजार कब्र में ही करना पड़ता है।

12—  कुरान के ख़ुदा का यह कैसा न्याय है क्योंकि वे अपनी मर्ज़ी से जन्म से किसी को भी अच्छा बुरा धनी निर्धन स्वस्थ रोगी लूला लँगड़ा बना देता है; जबकि वेद के अनुसार ये सब पिछले जन्म के कर्मों के फलस्वरूप होता है तो ईश्वर न्यायकारी हुआ, जबकि कुरान पुनर्जन्म को नहीं मानती।

13―  वेदो के अनुसार जीवन का उद्देश्य दु:खों से छूट कर मोक्ष के आनंद को प्राप्त करना है जबकि कुरान के अनुसार 72 हूरों से भोग करना शराब की नदियों वाली कल्पित जन्नत को पाना ही उद्देश्य है।

14—  वेद में सृष्टि की उत्पत्ति का वैज्ञानिक सिद्धान्त है परमेश्वर प्रकृति के तत्वों *सत रज तम से सृष्टि बनाता है* जबकि खुदा केवल *कुन* ऐसा कहता है और जादू से दुनिया बन जाती है; *सब जानते है अभाव से भाव उत्पन्न नहीं होता है*।

15—  वेद के अनुसार ईश्वर जीव और प्रकृति तीनों अनादि है जबकि कुरान के अनुसार केवल खुदा अनादि है; यदि ऐसा है तो तो खुदा ने संसार क्यों और किसके लिए बनाया?

16—  वेद के अनुसार किसी भी बात को तर्क की कसौटी पर कस कर ही मानों ; जबकि कुरान में तर्क को हराम माना है अर्थात जो लिखा है वही सही है रसूल पर शंका की तो दण्ड दिया जायेगा फतवा जारी हो जाता है।

17—  वेद परमात्मा ने स्वयम् ऋषियों के हृदय में दिए क्योंकि वह सर्वत्र है, जबकि कुरान देने के लिए खुदा ने अपने फ़रिश्ते जिब्राइल को भेजा, इसका अर्थ है की खुदा सर्वत्र नहीं है और सर्वशक्तिमान नहीं है।

 *अब आप ही विचारिये की कौन सी पुस्तक ईश्वरकृत व सही है और कौन सी नहीं....✍️

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