Wednesday, August 18, 2021

आयुर्वेद और हमारा जीवन।

विभिन्न धातुओं का शरीर पर पड़ने वाला प्रभाव। 

सोना
सोना एक गर्म धातु है। सोने से बने पात्र में भोजन बनाने और भोजन करने से शरीर के आन्तरिक और बाहरी दोनो हिस्से कठोर, बलवान, ताकतवर और मजबूत बनते है और साथ साथ सोना आँखों की रौशनी बढ़ती है।
आयुर्वेद और हमारा जीवन 

चाँदी
चाँदी एक ठंडी धातु है, जो शरीर को आंतरिक ठंडक पहुंचाती है। शरीर को शांत रखती है । इसके पात्र में भोजन बनाने और करने से दिमाग तेज होता है । आँखों स्वस्थ रहती है, आँखों की रोशनी बढती है और इसके अलावा पित्त, कफ और वायुदोष को नियंत्रित रखता है।
योग साधना और चिकित्सा 

  कांसा
काँसे के बर्तन में खाना खाने से बुद्धि तेज होती है, रक्त में  शुद्धता आती है । रक्तपित शांत रहता है और भूख बढ़ाती है। लेकिन काँसे के बर्तन में खट्टी चीजे नहीं परोसनी चाहिए खट्टी चीजे इससे धातु से क्रिया करके  विषैली हो जाती है, जो नुकसान देती है। कांसे के बर्तन में खाना बनाने से केवल ३ प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं।
तन स्वदेशी मन स्वदेशी 

तांबा
तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से व्यक्ति रोग मुक्त बनता है, रक्त शुद्ध होता है, स्मरण-शक्ति अच्छी होती है, लीवर संबंधी समस्या दूर होती है, तांबे का रखा पानी शरीर के विषैले तत्वों को खत्म कर देता है इसलिए इस पात्र में रखा पानी स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है. तांबे के बर्तन में दूध नहीं पीना चाहिए । इससे शरीर को नुकसान hota है । तन स्वदेशी मन स्वदेशी 

पीतल
पीतल ke बर्तन में भोजन पकाने aur karne से कृमि रोग, कफ aur वायुदोष ki बीमारी नहीं होती। पीतल ke बर्तन में khaana बनाने से केवल ७ प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट hote हैं। भाई राजीव दीक्षित जी के लिए भारत रत्न 

लोहा
लोहे ke  बर्तन में बने भोजन khaane se शरीर  की  शक्ति badti hai, लोहतत्व शरीर में जरूरी पोषक तत्वों ko बढ़ता है। लोहा kai रोग को खत्म karta hai, पांडू रोग मिटाता है, शरीर में सूजन aur  पीलापन नहीं aane deta, कामला रोग ko खत्म करता है, aur पीलिया रोग ko दूर रखता है. Lekin लोहे के बर्तन में khaana नहीं खाना चाहिए kyuki isme खाना खाने से बुद्धि कम hoti hai और दिमाग का नाश hota है। लोहे के पात्र में दूध पीना achha होता है। भारत रत्न राजीव दीक्षित जी 

  स्टील
स्टील के बर्तन नुक्सान दायक nahin hote क्योंकि ये naa ही गर्म से क्रिया करते hai aur ना ही अम्ल से. Iss liye नुक्सान नहीं होता है. Iss mei खाना बनाने aur खाने से शरीर ko कोई फायदा nahin पहुँचता तो नुक्सान bhi  nahin पहुँचता। ज्ञान की बातें - आयुर्वेद के स्वस्थ सूत्र 

एलुमिनियम
एल्युमिनिय बोक्साईट का बना होता है। इसमें बने खाने से शरीर को सिर्फ नुक्सान ही होता है। यह आयरन और कैल्शियम को सोखता है । इसलिए इससे बने पात्र का किसी भी  रूप में उपयोग नहीं करना चाहिए। इससे हड्डियां कमजोर होती है. मानसिक बीमारियाँ होती है, लीवर और नर्वस सिस्टम को क्षति पहुंचती है। इसके साथ साथ किडनी फेल होना,  टी बी, अस्थमा, दमा, वात रोग, शुगर जैसी गंभीर बीमारियाँ होती है. एलुमिनियम के प्रेशर कूकर में  खाना बनाने से 87 प्रतिशत पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं। योगदर्शन 

NATURAL HEALTH 

   मिट्टी
मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से ऐसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते हैं । इस बात को अब आधुनिक विज्ञान भी साबित कर चुका है कि मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से शरीर के कई प्रकार के रोग ठीक होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, अगर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है तो उसे धीरे-धीरे ही पकाना चाहिए। भले ही मिट्टी के बर्तनों में खाना बनने में वक़्त थोड़ा अधिक लगता है, लेकिन इससे सेहत को पूरा लाभ मिलता है। योग दर्शनम् ( Yoga Darshanam ) 

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