#तहर्रूश ( सार्वजनिक_बलात्कार ) #इस्लाम_द्वारा
यदि आप इस्लाम को जानते हैं, तो इसके एक खेल हाँ खेल के बारे में नहीं जानते तो शायद इस्लाम को कम जानते है। चलिये हम आपको इस इस्लामिक खेल के सैर पर ले चलते हैं......! इस यात्रा में यदि कोई इस्लाम का जानकार मिले तो उसके विचार का स्वागत होगा......!
#तहर्रूश_गेमिया..............
तहर्रूश (इस्लामिक सार्वजनिक ब्लात्कार) अरब के देशों में खेला जाने वाला एक निहायत ही घिनौना व अमानवीय खेल हैं, वहाँ पर इसे "तहर्रूश गेमिया" के नाम से जाना जाता हैं, जिसमें परम्परा के नाम पर किया जाता हैं शिकार। यह कोई पशुओं का शिकार नहीं, इसमे किसी "गैर मुस्लिम लड़की का शिकार/बलात्कार" भीड़ में सामूहिक रूप में किया जाता हैं।
सार्वजनिक स्थलों पर एक अकेली गैर मुस्लिम लड़की पर २०० से २५० लोगों की भीड़ टूट पड़ती हैं। इसमें न केवल उसे यौन रूप से प्रताड़ित किया जाता हैं बल्कि बकातदा सामूहिक बलात्कार भी किया जाता हैं। अरब के देशों से निकल कर यह "यूरोप" में पूरी तरह से अपना पैर फैला चुका हैं और अब यत्र-तत्र भारत में भी इसकी घटनायें होने लगी हैं।
जो लोग इस्लाम को "#अमन_चैन" का मज़हब कहते हैं, उनको शायद इस्लाम के बारे में पूरी जानकारी नहीं है। इस्लाम परमंपरा के नाम पर इतना घिनौना काम करने की इजाज़त ही क्यो देता हैं....... ????
"#तहर्रूश_गेमियाँ" .......
को सिर्फ सार्वजनिक रूप से ही अंजाम दिया जाता हैं। एसा प्रदर्शन के दौरान पर या फिर बड़ी संख्या में जमा हुई भीड़ के बीच ही किया जाता हैं। इसमें पूरी भीड़ दो घेरा बना लेती हैं। एक घेरा अंदर होता हैं जिसके बीच में लड़की होती हैं, और अंदर वाले घेरे के लोग लड़की का यौन शोषण व बलात्कार करते हैं।
बाहर वाले घेरे के लोग बाहरी भीड़ को अंदर नहीं घुसने देते... और जब अंदर घेरे वाले लोग लड़की से बलात्कार कर लेते हैं तो क्रमशः बाहर के घेरे में चले जाते हैं तथा वाहरी घेरे का आदमी अंदर वाले घेरे में आ जाता हैं और यह क्रम चलता ही रहता हैं..... जबतक की सभी लोग लड़की के साथ बलात्कार नहीं कर लेते।
इस दौरान लड़की बुरी तरीके से चोटिल हो जाती हैं या मर भी जाये तो ये खेल नहीं रुकता जब तक की सारी भीड़ का क्रम पूरा ना हो जाये......!!! इस्लाम को समझने का यह प्रथम कदम हैं...... इस तरह की अनेको परम्पराएं भरी पड़ी है ...|
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