हरियाणा के मेवात की स्थिति देखकर मैं हैरान हूं कि दिल्ली से मात्र 130 किलोमीटर दूर ऐसे हालत कैसे बन गए ??
आजादी के समय मेवात में हिंदू और मुसलमानों की जनसंख्या 50 - 50% थी आज मुसलमान 90% हो गए और हिंदू मात्र 10%
130 गांव से 100% हिंदुओं को खदेड़ दिया गया उनकी मकानों और जमीनों पर कब्जा कर लिया गया
पैनल में विश्व हिंदू परिषद के महासचिव सुरेंद्र जैन थे उन्होंने बताया कि खट्टर जी नौकरशाही के दबाव में हैं नौकरशाही और प्रशासन जो उनसे रिपोर्ट देता है वह उस पर विश्वास कर लेते हैं कभी वह जमीनी हकीकत जानने की कोशिश नहीं करते
उन्होंने कहा कि मैंने दो मंदिरों के बारे में बताया कि यह मंदिर तोड़ दिए गए तब खट्टर को प्रशासन ने रिपोर्ट दिया कि वह मंदिर नहीं था और खट्टर साहब ने वह बात मान लिया
फिर विश्व हिंदू परिषद ने अपने स्तर से जब नक्शा और पटवारी की दस्तावेज दिखाए तब जाकर खट्टर साहब को विश्वास हुआ कि वहां मंदिर था
और सबसे दुखद बात है उच्च वर्ग के हिंदू बहुत पहले ही मेवात छोड़ चुके हैं अब वहां जितने भी बसे हैं बचे हैं वह ज्यादातर दलित हैं
बाल्मीकि समाज के एक रिटायर्ड जज भी चैनल पर थे जज साहब ने खुद अपने स्तर पर जांच किया और जो कंडीशन बताएं वह बेहद दर्दनाक है
उस जज साहब ने बताया कि हमारे समाज यानी बाल्मीकि समाज की दो दो लड़कियों को विवाह के समय मंडप से उठाकर धर्म परिवर्तन करवा दिया गया
40 से ज्यादा बाल्मीकि समाज की महिलाओं का जबर्दस्ती धर्म परिवर्तन करवा दिया गया
मेवात वही जगह है जहां पर तबलीगी जमात की स्थापना की गई थी
मेवात वही जगह है जिसे तबलीगी जमात ने एक प्रयोगशाला के तौर पर इस्तेमाल किया और सबसे पहले डेमोग्राफी बदलकर इस्लामिक शासन लाने का शरिया नियम लागू करने का एक सफल प्रयोग किया
मेवात में हर वर्ष तबलीगी जमात का सम्मेलन तो होता ही है तबलीगी जमात से जुड़ी महिलाओं का भी सम्मेलन होता है और वह महिलाएं मेवात की मुस्लिम महिलाओं को खूब भड़कती है कि तुम हिंदुओं को मारो उनकी संपत्ति पर कब्जा करो
मेवात में सरकारी दस्तावेज के अनुसार पिछले 10 सालों में अट्ठारह सौ हिंदुओं ने धर्म परिवर्तन किया
सबसे दुखद खुलासा यह हुआ की मेवात में सीआरपीएफ का बहुत बड़ा कैंप बनाने का प्रस्ताव स्वीकृत हो चुका था लेकिन तबलीगी जमात के लोग और मुस्लिम समाज मैं आज तक वहां पर बनने नहीं दिया . यह स्थिति देश के अधिकतर मुस्लिम बहुल क्षेत्रों की हैं लेकिन सरकार कि कोई ठोस नीति नहीं है आज भी मुसलमानों को चार चार शादियां करने का अधिकार दे रखा है एक देश में अलग-अलग कानून कैसा अत्याचार है. वंदे मातरम जय भारत सभी मनुष्य परमात्मा के बनाए हुए हैं लेकिन जन्म देने के बाद उनको क्या संस्कार दिए हुए हैं यह निर्भर करता है प्रत्येक मुसलमान का एक एजेंडा नहीं हो सकता क्योंकि कभी अशफाक उल्ला खान तो कभी अब्दुल कलाम ने देश के लिए कार्य किया है लेकिन अधिकतर आबादी को मूर्खता पूर्वक इस कार्य में लगाया जा रहा है यह दुर्भाग्यपूर्ण है
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