Thursday, June 4, 2020

पोस्ट बहुत ही ज्ञानवर्धक है ध्यान से पढ़ें।

एक यादव जी की परिश्रम सफल हो गई।  वह सरकारी विभाग में एक बहुत बड़े पद पर कार्यरत थे|

वह अपने आप को मल-मूत्र निवासी कहने वाले व्यक्ति के पास गए और बोले मैं अपनी मेहनत एवं परिश्रम से आज एक सरकारी पद पर कार्यरत हूं।

मल मूत्र निवासी- गलत है साहब पर यह जो आपकी नौकरी है हमारे  बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर  जी की देन है।

यादव जी तो पढ़े लिखे थे उन्होंने तत्काल जवाब दिया मेरी नौकरी में  साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर  जी की क्या देन है? 
मैं तो आभीर(अहीर) हूं यादव हूं मेरे पूर्वज तो राजा महाराजा रहे उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक| मुगल एवं अंग्रेजी शासन के कालखंड बस हम सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़ गए भला हो सामान्य जाति के बीपी सिंह का जिन्होंने आर्टिकल 340 के अंतर्गत हमारे आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति को देखते हुए 27% आरक्षण से नवाजा जिसकी वजह से आज हम नौकरी कर रहे हैं इसमें बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी का क्या योगदान है?

 मल-मूत्र निवासी - लेकिन संविधान तो हमारे बाबा  साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर  जी  ने बनाया था 

यादव जी ने फिर अपनी बुद्धि का प्रदर्शन किया और बोल उठे- काहे का संविधान मल-मूत्र निवासी 70 साल हो गए अभी भी आपकी बुद्धि अंग्रेजों की गुलामी वाली ही है क्या? कुछ पढ़े लिखे हो कि अंगूठा छाप ही हो? भारतीय संविधान बनाने में तो 386 लोग थे जो संविधान सभा के सदस्य थे| पूर्व राष्ट्रपति माननीय राजेंद्र प्रसाद जी संविधान सभा के अध्यक्ष थे अन्य लोगों की तरह अंबेडकर भी संविधान सभा में एक सदस्य थे उन्होंने केवल महाराष्ट्र में 12 प्रकार की अछूत जातियों के लिए संविधान में सुझाव दिए थे खासकर उसमें महार एवं चमार प्रमुख थे तो इसमें अहिर अर्थात यादवों के लिए क्या किया? वैसे भी संविधान समिति संविधान प्रारूप समिति के प्रमुख बीएन राव यादव थे, संविधान को अपने हाथों से लिखने वाले प्रेम बिहारी रायजादा थे तो आपके 
बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी क्या कर रहे थे?

अपने आप को  मल-मूल निवासी कहने वाले-
हमारे बाबा साहब नहीं होते तो तुम्हारे घर की महिलाओं को पढ़ने की आजादी नहीं होती! उनको सती प्रथा में जला दिया जाता था बाल विवाह कर दिया जाता था जिसको बाबा साहब ने बंद करवाया| तुम्हें मंदिर में घुसे नहीं जाता था तुम तो क्यों मंदिर में चढ़ावा के लिए हो पुजारी नहीं बन सकते!

यादव जी ने एक बार फिर से मजबूती के साथ अपना पक्ष रखा- अफ्रीकी मल-मूत्र निवासी काले साहब- काहे को झूठ बोल रहे हो? यादव हूं मूर्ख नहीं आप की तरह! आप कह रहे हो कि बाबा साहब ने महिलाओं को पढ़ने का अधिकार दिया| जबकि संविधान बनने से पहले ही संविधान सभा में 15 महिलाएं थी उसमें से 90% महिलाएं पढ़ी-लिखी ग्रेजुएट थी| जिनका नाम 
अम्मू स्वामीनाथन,दक्षिणानी वेलायुद्ध,बेगम एजाज रसूल,दुर्गाबाई देशमुख,हंसा जिवराज मेहता,कमला चौधरी,लीला रॉय,मालती चौधरी,
पूर्णिमा बनर्जी,राजकुमारी अमृत कौर,रेनुका रे,सरोजिनी नायडू, सुचेता कृपलानी,विजया लक्ष्मी पंडित,एनी मास्कारेन अब बताइए आपके बाबा साहब ने किन महिलाओं को पढ़ने का अधिकार दिया था?
और रही बात बाल विवाह कानून की तो वह 1929 में ही आ गया था जब भारत का संविधान ही नहीं बना था! और रही बात सती प्रथा की तो वह कानून 1829 में ही आ गया था जब भारत का संविधान ही नहीं बना था! खरिया सब सामाजिक बुराइयां है जिन को खत्म करने के लिए खुद ही हिंदू समाज के लोग आगे आए थे ईश्वरचंद विद्यासागर,राधा मोहन राय आदि इसमें आपके बाबा साहब ने क्या किया था? आपके बाबा साहेब इतने ही महान थे तो मुस्लिम महिलाओं को हलाला,मुताह, तीन तलाक आदि जैसे मुस्लिम महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को क्यों नहीं बंद करवाया क्या वह महिला नहीं थी या आपके बाबा साहेब डरते थे इस्लामिक जिहाद से? और रही बात मंदिर की तो मंदिर,मस्जिद, गुरुद्वारा,चर्च आदि यह हमारी धार्मिक स्वतंत्र अभिव्यक्ति की आजादी है मुस्लिम में मौलाना ,काजी| ईसाई में फादर| सिख में गुरु ग्रंथि| जैन एवं बौद्ध में भंते एवं भिक्षु | वैसे ही हिंदू में पुजारी होते हैं हम उनसे अपने आराध्य की पूजा करवाते हैं उनको मजदूरी देते हैं तो आपको क्यों जलन हो रही है हमारे लगभग सभी मंदिर ट्रस्ट होते हैं साउथ के मंदिर बालाजी में हमारी यादव समाज से ही ट्रस्ट के अध्यक्ष रह चुके हैं, पूजा पूजा पाठ कर आना पुजारियों को काम होता है मालिकों का नही!  मौलाना निकाह करा सकता है, स्वागत विवाह करा सकता है ,बौद्ध भिक्षु विवाह करा सकता है, सिख विवाह करा सकता है, इसके अलावा पूजा भी करा सकता है। तो हिंदुओं में पुजारी यह सब क्यों नहीं करा सकते? तुम केवल हिंदुओं पर ही क्यों सवाल उठाते हो? अन्य लोगों से सवाल पूछने में तुम्हारी फटती है क्या? 
अपने आराध्य एवं वंशजों की पूजा पाठ करवाना उन्हें श्रद्धा सुमन समर्पित करना कब से पाखंड हो गया? आप लोग इतने दिन से विज्ञान-विज्ञान चिल्ला रहे हैं, आज तक नासा एवं इसरो में एक भी % अपने आपको मल-मूत्र निवासी कहने वाले क्यों नहीं है? अंतरराष्ट्रीय आईटी कंपनी गूगल का सीईओ ब्राह्मण क्यों है? माइक्रोसॉफ्ट का CEO ब्राह्मण क्यों है? सबसे बड़े पाखंडी तो आप लोग ही हो 70 साल से आरक्षित होकर भी अंगूठा छाप बने खुद को वैज्ञानिक कहते हो?
हम जितने बड़े धार्मिक है उतने बड़े वैज्ञानिक सोच के व्यक्ति भी हैं विज्ञान हमारा सहायक है साधक नहीं! विज्ञान हमसे है हम विज्ञान से नहीं!

 मल-मूल निवासी - लेकिन आप लोग मंदिरों में चढ़ावा चढ़ाते हैं ?पैसे चढ़ाते हैं? उससे क्या फायदा होता है?
लेकिन जब बीमारी से इलाज की बात आती है तो डॉक्टर करते हैं।
देवी देवताओं एवं आराध्यों को चढ़ावा करने से क्या फायदा?

यादव जी ने फिर अपनी बुद्धि का परिचय दिया और बोले-हम चढावा चढाते है अपने पूर्वजों एवं कुलदेवियों को श्रद्धा प्रदर्शित करने के लिए ना कि उनसे कुछ लेने के लिए! यह काम तो आप लोगों का जय बाबा -जय बाबा करते हो और फ्री का राशन एससी,एसटी वेलफेयर  में लाखों करोड़ों का फंड जनता के टैक्स से लेते हो| और रही बात डॉक्टर की तो डॉक्टर हमारा इलाज करते हैं , हमें हमेशा के लिए अमर नहीं कर देते! इलाज काम से पैसा लेते हैं जैसे मंदिरों में पैसे देते हैं वैसे हम डॉक्टरों को ही पैसे देते हैं फ्री में नहीं करते! डॉक्टर और बीमारी एवं दवाई एक प्रकार का बिजनेस है जिसके विस्तार में तीनों एक दूसरे के पूरक है पहले बीमारी पैदा करते हैं फिर डॉक्टर उसका इलाज करते हैं और दवाई बनाकर व्यापार करते हैं जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण कोविड-19 है जिसको मानवों ने अपनी जिज्ञासा को अशांत करने के लिए तरह-तरह के अबोध जिओ पर परीक्षण कर उनकी हत्या करके उनके डीएनए वायरस सैंपल लिए फिर उनकी लापरवाही से उस वायरस को फैलवा करके, उसका इलाज ढूंढना है दवाई बनाएंगे, मास्क बनाएंगे, सैनिटाइजर बनाएंगे, वेंटिलेटर बनाएंगे फिर चालू होगा बिजनेस एवं व्यापार का टर्नओवर| हमारा चढ़ावा देवी देवताओं एवं आराध्यों के लिए भौतिक एवं सांसारिक सुख से मुक्ति के लिए होता है निर्माण के लिए होता है सांसारिक लाभ के लिए नहीं! जिन बीमारियों के एवं घटनाओं के जिम्मेदार प्राकृतिक आपदाओं के जिम्मेदार हम स्वयं हैं उसके लिए हम अपने देवी देवताओं एवं आराध्य को जिम्मेदार क्यों मानेंगे ?क्या उन्होंने कहा था ऐसा करने के लिए? हम कौन होते हैं ईश्वर को देने वाले?

अपने आप को मल मूत्र निवासी कहने वाले-
चलो माना कि आपने सही कहा परंतु हमारे बाबा साहब  का सम्मान  क्यों नही करते हो? उन्होंने तो संविधान में समानता का अधिकार दिया? आप उनका सम्मान करें  जिस तरीके से तुम बात कर रहे हो इससे तो लगता है तुम आर्यों के संतान हो तभी तो बौद्ध भंते त्रिपिटिका चार्य राहुल सांकृत्यायन ने साम्यवाद क्यों? पृष्ठ संख्या 143 पर अहिर अर्थात यादव को आर्यों का पुत्र कहा है|

यादव जी ने फिर से अपनी बुद्धि का परिचय देते हुए बोले-
अफ्रीकी मल मूत्र निवासी जी राहुल सांकृत्यायन ने सही कहा है हम अहिर अर्थात यादव आर्यों के ही वंशज है, यदु पृथु सब आर्यों के ही कबीले थे|
लेकिन तुम भी कम नहीं हो तुम्हारे रंग रूप शक्ल के हाव-भाव शरीर की बनावट अफ्रीका के मलमूत्र निवासियों से मैच करती है। तुमको भी तो बहुत इतिहासकारों ने अफ़्रीका युगांडा ऑस्ट्रेलिया का माना है| हम तो इस देश के मूल निवासी है हमने तो अपनी मातृभूमि को ही महत्त्व दिया है हमारे आदि ग्रंथ वेदों में भी जिसको यूनेस्को संरक्षित करके रखा है उसमें भी हमने भारत भूमि को माता ही कहा है| तुम संविधान के किस समानता की बात करते हो वही संविधान जो सबके लिए अपराध कर एक कानून और आपके लिए अलग से एससी एसटी एक्ट? फिर संविधान समानता की बात कैसे करता है संविधान की प्रस्तावना के मूल अधिकार में आर्टिकल 14 कहता है जाति धर्म के आधार पर कोई भी व्यक्ति आरक्षित नहीं होगा फिर आपको जाति के आधार पर आरक्षण कैसे मिल गया और हम ओबीसी को आर्थिक एवं सामाजिक आधार पर यह तो संविधान के सबसे बड़े आसमान तक का पर्याय है|

यादव जी ने अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए लास्ट में बोले- सबसे बड़ा ही प्रमाण है कि ओबीसी जनरल दोनों पर लगने वाला एससी एसटी एक्ट ही हम को उनके समीप ज्यादा रखती है आपसे दूर हम यादव हैं अर्थात आ ही रहे हमारे समाज में महापुरुषों की कमी नहीं है हमारे आदि पुरुष यदुवंशी श्री कृष्ण और बहुत से उत्तरण दक्षिण भारत में अहिर एवं यादव राजवंशों का अस्तित्व आज भी अभिलेखों में मौजूद है हम शिक्षित आर्थिक रूप से मजबूत अपने परिश्रम से है किसी बाबा साहब की मदद से नहीं।
 हम यादव पर लगने वाला एससी एसटी एक्ट ही तुम्हारी मय्यत में आखिरी कील होगा| हम वह यादव नहीं जो हमको बहुजन वाद ब्राह्मणवाद मनुवादी में उलझा करके हम को उल्लू बना दोगे हम कृष्ण के वंशज हैं वीर लोरिक अहिर के वंशज है| शिक्षा का प्रसार हो रहा है  बाबा साहेब के नाम पर झूठ फ़ैलाने वालो की पोल खुल रही है|उन्होने किसके लिए क्या किया जग जाहिर है|वह महारों एवं चमारों के बाबा होंगे हमारे नहीं हमारे नंदलाल, गोपाल, मुरलीधर, यदुवंशी माधव है श्रेष्ठ है एवं उनके मित्र सुदामा जैसे बिप्र|

     जय यादव- जय माधव
शिक्षित समाज- जागृत समाज
 

सनातन धर्म के खिलाफ एवं ऐसा ही पोस्ट आया था उसी पोस्ट को मद्देनजर रखते हुए मैंने यह पोस्ट बनाया है

आज से 3 या 4 साल पहले सोशल साइट पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी को लेकर कोई कुछ भी विरोध नहीं करता था लेकिन आज सभी लोगों को भीमराव अंबेडकर जी का विरोधी बना रहे हैं उनके नाम के पीछे छुप कर जो क्रिप्टो क्रिश्चियन हैं सनातन धर्म के खिलाफ पोस्ट कर रहे हैं और जो अपने आप को कथाकथि दलित कहने वाले लोग हैं इनके षड्यंत्र को समझ नहीं पा रहे हैं और यह भी उनके बहकावे में आ गए हैं।

हमें यह सब पोस्ट लिखना अच्छा नहीं लगता है लेकिन मजबूरी में लिखना पड़ता है ।

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