भारत में 25% जनसंख्या असाध्य रोगों से पीड़ित क्यों है ?
कैसे बचा जा सकता है
प्रथम सुरक्षा चक्र - घर के दरवाजे पे गौमाता का निवास ! शास्त्रो के अनुसार मुख्य द्वार पर गौमाता की उपस्थिति वायरल जैसे जीवाणुओं को घर में प्रेवश होने से रोक देती है ! साथ ही तांत्रिक शक्तियों के दुष्प्रभाव को भी नष्ट कर देती है
दूसरा सुरक्षा चक्र - घर के मध्य में तुलसी का पौधा ! घर के मध्य में विराजमान माँ तुलसी विश्व का सबसे शक्तिशाली एंटीबायोटिक तो है ही साथ में घर की शुद्धता एवं पवित्रता का भी कार्य करती है ! सौ रोगों का एक ही दवा है तुलसी माँ - तुलसी दिन रात अर्थात २४ घंटे ऑक्सीजन देने वाली विश्व की अद्भुत वनस्पति है !
तीसरा सुरक्षा चक्र - घर के पीछे अग्निकोण में रसोईघर आधुनिक समय में रसोईघर का स्थान किचन ने ले लिया है और गिने चुने मसाले ही किचन में रह गया है ! महर्षि वाग्भट्ट जी ने 48 मसाले वाली रसोईघर को ही हमारा औषघालय बताया है ! उनके अनुसार जलवायु , मौसम , अवस्था और भूगोल के आधार पर इनका उपयोग करने से शरीर पर किसी प्रकार की व्याधि नही आती!
जा घर तुलसी अरु गाय !
ता घर वैद्य कबहु नही आये !!
महर्षि वाग्भट्ट के अनुसार 48मसाले इस प्रकार है
1. सेंधा नमक
2. काला नमक
3. हरी मिर्च
4. हल्दी
5. धनिया
6. जीरा
7. राई
8. हींग
9. मेथी दाना
10. लहसुन
11. पुदीना
12. अजवाइन
13. सज्जीखार
14. अदरक
15. सूखा अदरक ( सोंठ )
16. काली मिर्च
17. पिपरमूल
18. छोटी इलायची
19. बड़ी इलायची
20. दालचीनी
21. तमाल पत्र
22. जायफल
23. इमली
24. निम्बू
25. मीठा नीम ( कढ़ी पत्ता )
26. खसखस
27. गुड़
28. घृत ( घी)
29. तिल
30. तुलसी
31. मूंगफली
32. शहद
33. साबूदाना
34. सिंघाड़ा ( पानी फल सिंघाड़ा )
35. हरड़
36. आंवला
37. कपूर
38. केसर
39. मख्खन
40. तत्मखान
41. फिटकरी
42. मिश्री
43. सरसो तेल
44. सुपारी
45. सौंफ
46. त्रिफला
47. तिल का तेल
48. सोंठ
उपरोक्त तीनो सुरक्षा चक्र पुनः भारतीय संस्कृति में स्थापित कर रोगों पर विजय पायी जा सकती है अर्थात गौ संस्कृति की स्थापना ही मानव को वर्तमान संकटो से बचा सकती है !
*स्वदेशी रक्षक - भाई श्री राजीव दीक्षित जी*
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