Thursday, August 7, 2014

" वास्तु और विवाह "

" वास्तु और विवाह "
विवाह या शादी को जीवन का महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है। सामान्यत: हर इंसान का विवाह अवश्य होता है। विवाह के बाद वर-वधु के साथ दोनों के परिवारों का जीवन बदलता है। इसी वजह से शादी किस से की जाए, इस संबंध में सावधानी अवश्य रखी जाती है। कैसी लड़की से विवाह करना चाहिए और कैसी लड़की से नहीं, इस संबंध में आचार्य चाणक्य बताया है कि : -
वरयेत् कुलजां प्राज्ञो विरूपामपि कन्यकाम्।

रूपशीलां न नीचस्य विवाह: सदृशे कुले।।
चाणक्य कहते हैं समझदार मनुष्य वही है जो विवाह के लिए नारी की बाहरी सुंदरता न देखते हुए मन की सुंदरता देखे। यदि कोई उच्च कुल की कुरूप कन्या सुंस्कारी हो तो उससे विवाह कर लेना चाहिए। जबकि कोई सुंदर कन्या यदि संस्कारी न हो, अधार्मिक हो, नीच कुल की हो, जिसका चरित्र ठीक न हो तो उससे किसी भी परिस्थिति में विवाह नहीं करना चाहिए। विवाह हमेशा समान कुल में शुभ रहता है।
चाणक्य के अनुसार समझदार और श्रेष्ठ मनुष्य वही है जो उच्चकुल में जन्म लेने वाली सुसंस्कारी कुरूप कन्या से विवाह कर लेता है। विवाह के बाद कन्या के गुण ही परिवार को आगे बढ़ाते हैं। जबकि सुंदर नीच कुल में पैदा होने वाली कन्या विवाह के बाद परिवार को तोड़ देती है। ऐसे लड़कियों का स्वभाव व आचरण निम्न ही रहता है। जबकि धार्मिक और ईश्वर में आस्था रखने वाली संस्कारी कन्या के आचार-विचार भी शुद्ध होंगे जो एक श्रेष्ठ परिवार का निर्माण करने में सक्षम रहती है।
अब हम बात करते है, कि घर में हम ऐसा क्या करें या ऐसी क्या व्यवस्था रखें कि हमारे बच्चों चाहे वो लड़का हो या लड़की कि शादी में विलम्ब न हो। वैसे विवाह विलंब के कई कारण हो सकते हैं। वास्तु दोष भी इसका एक प्रमुख कारण हो सकता है।
यदि आप भी अपनी संतान के विवाह विलंब से चिंतित हैं, तो यहां वास्तु संबंधी कुछ उपाय बता रहा हूँ, जिनका प्रयोग करने पर शीघ्र विवाह के योग बन सकते हैं :-
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