सावन का महीना प्रकृति के सौन्दर्य का महीना होता है। शास्त्रों में महिलाओं को भी प्रकृति का रूप माना गया है। इस मौसम में बारसात की बूंदों प्रकृति खिल उठती है हर तरफ हरियाली छा जाती है। ऐसे में प्रकृति से एकाकार होने के लिए महिलाएं भी मेंहदी लगाती हैं। हरे वस्त्र और हरी चूड़ियां पहनती हैं।
सावन के महीने में सुहागन स्त्रियों के लिए कई त्योहार आते हैं जिनमें कज्जली तीज, हरियाली तीज शामिल हैं। इन त्योहारों में हरे वस्त्र, हरी चूड़ियां और मेंहदी लगाने के नियम हैं। इसका कारण यह है कि सावन के महीने में हरे रंग का वस्त्र धारण करने से सौभाग्य में वृद्घि होती है और पति-पत्नी के बीच स्नेह बढ़ता है।
वैज्ञानिक कारण -
हरा रंग उर्वरा का प्रतीक माना जाता है। सावन के महीने में प्रकृति में हुए बदलाव से हार्मोन्स में भी बदलाव होते हैं जिसका प्रभाव शरीर और मन पर पड़ता जो स्त्री पुरुषों में काम भावना को बढ़ाता है।
हरा रंग उर्वरा का प्रतीक माना जाता है। सावन के महीने में प्रकृति में हुए बदलाव से हार्मोन्स में भी बदलाव होते हैं जिसका प्रभाव शरीर और मन पर पड़ता जो स्त्री पुरुषों में काम भावना को बढ़ाता है।
जबकि ज्योतिषशास्त्र के अनुसार हरा रंग बुध से प्रभावित होता है। बुध एक नपुंसक ग्रह है। इसलिए बुध से प्रभावित होने के कारण हरा रंग काम भावना को नियंत्रित करने का काम करता है। सावन में मेंहदी लगाने का वैज्ञानिक कारण भी यही माना जाता है।
सावन के महीने में कई प्रकार की बीमारियां फैलने लगती हैं। आयुर्वेद में हरा रंग कई रोगों में कारगर माना गया है। यही कारण है कि सावन में महीलाएं स्वास्थ्य की रक्षा के लिए मेंहदी लगाती हैं और हरे रंग के वस्त्र और चूड़ियां पहनती हैं।
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