Sunday, January 3, 2021

कामरेड! तुम कॉरपोरेट्स के नहीं, भारत के दुश्मन हो।

ज्योंही JIO ने ऐलान किया कि 100 प्रतिशत स्वदेशी तकनीक से 5G पूरे विश्व मे शुरू करने की क्षमता प्राप्त कर ली है, चीन में हड़कंप मच गया। क्योंकि अबतक 5G मे चीन की HUAWEI Company की मोनोपली थी और चीनी सरकार पूरे विश्व में HUAWEI 5G Launch के सपने को साकार करने में जुट गई थी। TRILLIONS OF DOLLARS की बरसात चीन में होने वाली थी।

आनन फानन में भारत के चीनी गुलामों को हुक्म हुआ कि किसी भी कीमत पर JIO को बरबादी की ओर धकेलने के लिए आंदोलन किया जाए और खरबों डॉलर का चीनी फंड इस काम के लिए भारत में भेजा गया। जिसके परिणामस्वरूप पंजाब में JIO TOWERS ध्वस्त किए जाने लगे और पानी पी पीकर जियो को किसान आंदोलन के दौरान कोसा जाने लगा।

1945 में बेगमाबाद का नाम बदलकर मोदीनगर किया गया था, पूरे देश से लोग अपनी रोटी की तलाश में मोदीनगर की मोदी मिल्स में नौकरी करने आते थे।

उद्योगपति श्री गुर्जर मल मोदी का वह साम्राज्य था... मोदी पोन, मोदी टायर, मोदी कपड़ा मिल, मोदी वनस्पति, मोदी चीनी मिल... और फिर मोदी हॉस्पिटल, मोदी धर्मशाला, मोदी कॉलेज, मोदी ये... मोदी वो...

फिर एक दिन लाल झंडे वाले वहाँ आए, वैसे ही जैसे पंजाब के किसानों के साथ आजकल नज़र आते हैं... उन्होंने मजदूरों को समझाया कि कैसे वर्ग संघर्ष में मिल मालिक, तुम मजदूरों का शोषण करता है !

तो चाहे मोदी उन्हें मंदिर, कॉलेज, अस्पताल, घर, विवाह के लिए भवन, यहां तक की घर की पुताई के पैसे तक दे रहा हो, लेकिन असल में वो उनका शोषण कर रहा है !

और फिर शुरू हुई क्रांति.... बताया जाता है कि एक बार जब मोदी साहब की पत्नी मंदिर गईं, तो मजदूर नेताओं ने कपड़े उतारकर उनके सामने नग्न-प्रदर्शन किया !

उस दिन के बाद मोदी नगर फिर कभी वैसा नहीं रहा... चीनी मिल को छोड़कर एक-एक करके सारी मोदी इंडस्ट्री वहाँ से उठा ली गई ! चीनी मिल आज भी बची हुई है क्योंकि किसानों ने लाल झंडे वालों को कभी क्रांति करने ही नहीं दी !

जिस मोदीनगर में देश के कोने-कोने से लोग नौकरी करने जाते थे, आज उसी मोदीनगर के लोग बस-रेल में भेड़ बकरियों की तरह भरकर साधारण सी नौकरियां करने दिल्ली-नोएडा-गाजियाबाद जाते हैं !

80-90 के दशक में खलिस्तान आंदोलन चलने के पहले पंजाब देश का सबसे समृद्ध राज्य था। खलिस्तान आंदोलन से बहुत ज्यादा तादाद में इंडस्ट्रीज पंजाब के बाहर शिफ्ट हो गयी। जो बची हुई है वो अब शिफ्ट हो जाएंगी।
1982 मे मुंबई में दत्ता सामंत की युनियन ने मिल हड़ताल करवाई, जो 2साल चली और सारी मिलें बंद हो गई। लाखों मजदूर और उनके परिवार बर्बाद हो गये।

पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम में लगने वाली टाटा नैनो की फैक्ट्री जिसमें वहाँ के पन्द्रह हज़ार लोगों को प्रत्यक्ष नौकरी मिलनी थी, उसे भी ममता बनर्जी के संगठित भीड़तंत्र ने फर्जी आंदोलन द्वारा बंगाल से गुजरात शिफ्ट होने के लिए मजबूर कर दिया !

बंगाल के ऐसे सभी आंदोलनों का नतीजा- बीमारू बंगाल !
ये एक ऐसी विचारधारा है, जिसमें विश्वविद्यालय का कुलपति, मिल-मालिक, कॉरपोरेट और देश का प्रधानमंत्री अपना दुश्मन दिखाई देता है... और कब्र (योगी की, मोदी की, बीजेपी की और हिन्दुत्व की) खोदने के लिए विध्वंसकारी दिवानापन है।

मोदी, योगी, भाजपा और हिंदुत्व की कब्र तो नहीं खुदेगी पर ये तय है लाल दीमक का पेस्ट कंट्रोल नहीं किया तो हमारी आने वाली पीढ़ियों की कब्र खोदने की तैयारी कर चुके हैं।

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