"मार्शल आर्ट के जनक एक भारतीय हैं"
मार्शल आर्ट में सबसे अच्छी विद्या मानी जाती है कुंग्फु और इसको सिखाने का सबसे अच्छा विद्यालय माना जाता है चीन में स्थित सओलिन मन्दिर|
आपको यह जानकर बेहद आश्चर्य होगा की इस विद्यालय की आधारशिला रखने वाले और चीन को इस कला का ज्ञान देने वाले भारतीय थे|
उस भारतीय का नाम था - "बोधिधर्मन"|
पल्लव साम्राज्य के शासक बल्लव महाराज के तीसरे राजकुमार बोधिधर्मन!
बोधिधर्मन आत्मरक्षा कला के अलावा एक महान चिकित्सक भी थे| उन्होंने अपने ग्रन्थ में डीएनए के माध्यम से बीमारियों को ठीक करने की विधि के बारे में भी आज से १६०० साल पहले बता दिया था|
आज हम अपनी सभ्यता और संस्कृति को पूर्ण रूप से भूल चुके हैं| जिस संस्कृति को हम लोग भूल रहे हैं और जिन मूल्यों को हम खो चुके हैं उनको अपनाकर अनेकों देश आज विकसित अवस्था में हैं और हम क्या हैं आप समझ रहे होंगे
|
आज जिस मार्शल आर्ट की कला को हम सीखने के लिए लालायित रहते हैं उसके बारे में हम यही सोचते हैं की यह तो चीन की देन है.... जबकि हकीक़त इसके उल्टे है|
इस कला का ज्ञान चीन ने नहीं बल्कि चीन के साथ पूरे विश्व को हमने दिया था|
लेकिन विडम्बना यह है की इस विद्या के जन्मदाता का नाम ही हमने आज तक नहीं सुना| यह सब मैकाले की शिक्षा नीति का ही प्रतिफल है|
आज जिसे चीन, जापान, थाईलैंड आदि देशों में जिसे भगवन की तरह पूजा जाता है, वह हमारे देश के हैं और हम उनका नाम भी नहीं जानते हैं, इससे बड़ी शर्म की बात क्या हो सकती है ??
आज आवश्यकता है हमें अपने गौरवमय इतिहास को जानने की, जो भी प्राचीन ग्रन्थ हैं उनका अध्ययन करने की, जो भी ज्ञान हमारे हमारे ऋषि - मुनियों ने हमें प्रदान किया हुआ है उस पर अमल करने की|
इस पोस्ट को पड़ने के बाद कई 'अंग्रेजो के तलवे चाटने' और "भारत ने दिया ही क्या है ??" कहने वालों के पेट में दर्द होना शुरू हो जायेगा....
इन जोकरों से अनुरोध है की पहले गूगल पर जाकर जानकारी प्राप्त कर लें फिर कमेंट करें|
धन्यवाद!!
“भारतीय संस्कृति ही सर्वश्रेष्ठ संस्कृति है|”
“वन्देमातरम्”!!
मार्शल आर्ट में सबसे अच्छी विद्या मानी जाती है कुंग्फु और इसको सिखाने का सबसे अच्छा विद्यालय माना जाता है चीन में स्थित सओलिन मन्दिर|
आपको यह जानकर बेहद आश्चर्य होगा की इस विद्यालय की आधारशिला रखने वाले और चीन को इस कला का ज्ञान देने वाले भारतीय थे|
उस भारतीय का नाम था - "बोधिधर्मन"|
पल्लव साम्राज्य के शासक बल्लव महाराज के तीसरे राजकुमार बोधिधर्मन!
बोधिधर्मन आत्मरक्षा कला के अलावा एक महान चिकित्सक भी थे| उन्होंने अपने ग्रन्थ में डीएनए के माध्यम से बीमारियों को ठीक करने की विधि के बारे में भी आज से १६०० साल पहले बता दिया था|
आज हम अपनी सभ्यता और संस्कृति को पूर्ण रूप से भूल चुके हैं| जिस संस्कृति को हम लोग भूल रहे हैं और जिन मूल्यों को हम खो चुके हैं उनको अपनाकर अनेकों देश आज विकसित अवस्था में हैं और हम क्या हैं आप समझ रहे होंगे
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आज जिस मार्शल आर्ट की कला को हम सीखने के लिए लालायित रहते हैं उसके बारे में हम यही सोचते हैं की यह तो चीन की देन है.... जबकि हकीक़त इसके उल्टे है|
इस कला का ज्ञान चीन ने नहीं बल्कि चीन के साथ पूरे विश्व को हमने दिया था|
लेकिन विडम्बना यह है की इस विद्या के जन्मदाता का नाम ही हमने आज तक नहीं सुना| यह सब मैकाले की शिक्षा नीति का ही प्रतिफल है|
आज जिसे चीन, जापान, थाईलैंड आदि देशों में जिसे भगवन की तरह पूजा जाता है, वह हमारे देश के हैं और हम उनका नाम भी नहीं जानते हैं, इससे बड़ी शर्म की बात क्या हो सकती है ??
आज आवश्यकता है हमें अपने गौरवमय इतिहास को जानने की, जो भी प्राचीन ग्रन्थ हैं उनका अध्ययन करने की, जो भी ज्ञान हमारे हमारे ऋषि - मुनियों ने हमें प्रदान किया हुआ है उस पर अमल करने की|
इस पोस्ट को पड़ने के बाद कई 'अंग्रेजो के तलवे चाटने' और "भारत ने दिया ही क्या है ??" कहने वालों के पेट में दर्द होना शुरू हो जायेगा....
इन जोकरों से अनुरोध है की पहले गूगल पर जाकर जानकारी प्राप्त कर लें फिर कमेंट करें|
धन्यवाद!!
“भारतीय संस्कृति ही सर्वश्रेष्ठ संस्कृति है|”
“वन्देमातरम्”!!
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