Friday, June 13, 2014

मानव समाज इस पर चिन्तन क्यों नही करते ?

मानव समाज इस पर चिन्तन क्यों नही करते ?
परमात्मा की सृष्टि में, न मालूम कितने ही प्राणी हैं, सब अपने अपने कर्मों के अनुसार, ही योनी को प्राप्त किया है | मानव, दानव, कीट, पतंग, लता, बृक्ष से लेकर चर, अचर, असंख्य जीव है, जो लोग कर्म फल को नहीं मानते वह भी कहते हैं की, इस धरती पर 18 हज़ार मख्लुकात {प्राणी} हैं | इस सृष्टि में यह जितने भी प्राणी हैं वह अपने कर्मों के अनुसार ही योनी दर योनियों में घूमता रहता है | इन सब में मानव ही उतकृष्ट कहलाया है, इसका क्या कारण है ? जवाब यह है की मानव को परमात्मा ने सबसे उतकृष्ट इस लिए बनाया की यह ज्ञान वान है, और इन मानवों के पास दो प्रकार के ज्ञान है | साधारण ज्ञान, और नैमित्तिक ज्ञान | साधारण ज्ञान स्थावर योनियों को छोड़ अन्य जीव जंतुओं में भी है, किन्तु उनको नैमित्तिक ज्ञान नहीं है | अर्थात अपना पराया का ज्ञान उसमे नहीं, धर्म अधर्म, का ज्ञान उनमे नहीं है | और न तो मनुष्यों को छोड़ किसी योनियों के लिए धर्म है |
अब बात स्पष्ट हो गया, की धर्म मानव मात्र के लिए है, अन्य किसी और प्राणियों के लिए नही ? अब प्रश्न खड़ा होगा, की मानव मात्र के लिए अगर धर्म है, तो उस धर्म के बनाने वाला कौन है ? कारण बिना बनाये कोई वस्तु अपने आप तो बनती ही नहीं ? जब इसपर हम गहन चिन्तन करेंगे तो हमे पता लगेगा, की बनने के लिए तीन वस्तुएं जरुरी है | जिसे ऋषि दयानन्द जी ने 3 कारण बताएं हैं, 1 साधारण कारण -2 – निमित्य कारण -3 – उपादान कारण =किसी भी वस्तु को बनाने के लिए यही 3 के बिना बनाया जाना संभव न होगा | जैसा ऋषि ने इसका स्पष्टिकरण दिया –कि –मिटटी – चाक – और बनाने वाला कुम्हार –इसके बिना किसी भी चीज का बनना संभव न हो सकेगा | आप लोगों ने IRF के PA, जैश पटेल से मेरी वार्तालाप को youtube में सुने होंगे |
अब जब हमने गहन चिन्तन किया तो पाया कि धर्म का बनाने वाला परमात्मा ही है | के हमसब मानवों को बनाया जिनके लिए धर्म दिया, तो क्या वह सब मनुष्यों का धर्म बराबर दिया अथवा अलग अलग दिया ? अब जवाब मिला सबको अलग अलग नहीं किन्तु सबको समान दिया | कारण अगर अलग अलग दे तो उसी धर्म के बनाने वाले पर ही दोष लगेगा | मानो कुछ लोगों के लिए अगर अलग अलग ही दे, और फिर यह मानव जिस को पसंद न हो तो वह उसी धर्म के देने वाले से ही कहेगा कि मुझे यह धर्म पसंद नहीं है –हमे तो वह धर्म चाहिए |
इस दशा में वह धर्म का देने वाला कहेगा, क्यों जी तुम्हे जो धर्म हमने दिया उसमे क्या आपत्ति है ? यह हमारी व्यवस्था है तुम्हे संतुष्ठी नहीं ? तो पता लगा की वह धर्म का बनाने वाला परेशान होगा | इस लिए उस धर्म के बनाने वालेका नियम अटल है, पूर्ण है, परिपूर्ण है, निर्दोष है, निर्लेप भी हैं | यही कारण बना की मानव मात्र के लिए धर्म के बनाने वाले ने सबको एक ही धर्म दिया|
कल.11-6 को मेरे पास बंगालोरू से फ़ोन आया, की पंडित जी मेरा पुत्र वैज्ञानिक है, नौकरी करने दुबई गया था, वह मुसलमान बनकर आया | मैंने कहा मुझसे बात कराएँ शाम को बातें हुई –उसने कहा हर इनसान मुसलमान पैदा होता है ? मैंने कहा कैसे, बोला आप न मानो पर मुस्लमान ही पैदा होता है | मैंने उसी से पूछा की आप बताएं आप जब धरती पर जन्म लिए थे तो आप मुस्लमान ही पैदा हुए थे ? उसके पास जवाब नहीं बोले हमे तो यही बताया गया, मैने कहा भाई तुम दूध पीते बच्चे नही हो, और खूबी की बात है की तुम एक वैज्ञानिक हो | मैंने पूछा तुम वैज्ञानिक कैसे बने ? बोला पढ़ कर, मैंने कहा पढ़ा किसलिए, कहा जानने के लिए, मैंने कहा जानने के लिए उपयोग किस चीज का किया ? बोला दिमाग का, मैंने कहा मेरे भाई यह तो बताव की जब आपने वैज्ञानिक बनने के लिए दिमाग से काम लिया तो धर्म को जानने के लिए दिमाग की जरूरत है अथवा नहीं ? कहा है, मैंने कहा अगर दिमाग की जरूरत है, तो बताव की मानव मात्र के लिए धर्म एक है, अथवा सबके लिए अलग अलग है | मैंने कहा की वह धर्म है क्या जो सबके लिए अलग अलग है ? उसने कहा इस्लाम ही धर्म है –जो आदि सृष्टि से हज़रत आदम से चलती आरही है | मैंने कहा भाई यह बताव उसी आदम से सृष्टि बनी है यह तो ईसाई भी मानते हैं ? क्या आप उन ईसाई को भी धर्म मानते हो ? उसने कहा हां हज़रत ईसामसीह के काल में यही ईसाई लोग थे | मैंने कहा लोग मत कहो उसे आप धर्म मानते हैं अथवा नहीं यह बताएं ? कहा हां वह भी धर्म है, मैंने कहा अभी तो आप बता रहे थे की इस्लाम ही धर्म है फिर इन ईसाई को धर्म कैसे मान लिया ? जब की कुरान में अल्लाह ने कहा एक ही दीन है इस्लाम | اِنَّ الدِّيْنَ عِنْدَ اللّٰهِ الْاِسْلَامُ ۣ وَمَا اخْتَلَفَ الَّذِيْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ اِلَّا مِنْۢ بَعْدِ مَا جَاۗءَھُمُ الْعِلْمُ بَغْيًۢا بَيْنَھُمْ ۭ وَمَنْ يَّكْفُرْ بِاٰيٰتِ اللّٰهِ فَاِنَّ اللّٰهَ سَرِيْعُ الْحِسَابِ 19؀ بشکك اللہ تعالیٰ کے نزدیک دین اسلام ہے (١) اور اہل کتاب اپنے پاس علم آ جانے کے بعد آپس کی سرکشی اور حسد کی بنا پر ہی اختلاف کاِ ہے (٢) اور اللہ تعالیٰ کی آیتوں کے ساتھ جو بھی کفر کرے (٣) اللہ تعالیٰ جلد حساب لنے والا ہے۔
अल्लाह ने क्या कहा =बेशक अल्लाह तयाला के नजदीक दीन इस्लाम है, और अह
ले किताब अपने पास इल्म आजाने के बाद आपस की सरकशी और हसद के बिना पर ही इख्त्लाफ किया है, और अल्लाह तायला की आयातों के साथ जो भी कुफ़्र करे, अल्लाह तायला जल्द हिसाब लेने वाला है | इस्लाम का कहना है दुनिया की किसी किताब में कुछ भी लिखा हो उसे हम नहीं मानते सिर्फ कुरान को ही सत्य मानते हैं, हमें अकल से काम लेना नही है कुरान में जो बातें है वह अकलके विपरीत क्यों न हो हमारे लिए वही सत्य है | बाईबिल वाले भी यही कहते हैं अब सही कौन है, किनका सही है यह निर्णय कौन दे ? इसे ले कर मानव कहलाने वालों को बैठना पड़ेगा फिर दुनिया वालों के सामने सत्य और असत्य समाधान होना संभव होगा |
नोट:-यहाँ अहले किताब उसी बाईबिल के लिए कहा गया, अपने पास इल्म आजाने के बाद आपस में बगावत और हसद {जलन}-के बिना पर इख्त्लाफ{मतभेद } किया | यह साफ होगया की पहले वाली किताब और पहले के लोगों में मतभेद होने पर अल्लाह ने यह किताब दी | मतलब वही निकला जो मै ऊपर लिख चूका हूँ की धर्म के बनाने वाला –अथवा देने वाला अगर अलग अलग धर्म दे तो मानव समाज में मत भेद होना ज़रूरी है | और अल्लाह ही इसी मानव समाजमे मतभेद पैदा कर दिया, जो कुरान गवाह है जो मै लिखा हूँ | अभी 9 मार्च -14 को जब मेरा यहोबा विटनेस वालों से डिबेट हुवा वह कह रहे थे की यह बाईबिल में लिखा है, इस लिए सत्य हैं | मैंने फ़ौरन कुरान निकाल कर दिखाया की कुरान का भी कहना यही है की यह संदेह वाली किताब नही ? अब आप कुरान और बाईबिल वाले ही निर्णय करो की सही किसका है ? इस प्रकार मानव समाज को धर्म के नाम से लड़ाया किसने ? यही कुरान, पुराण और बाईबिल ने ?
इसका जीता जगता प्रमाण मात्र भारत में ही नही किन्तु सम्पूर्ण विश्वमे मौजूद है की एक किताब वाले दुसरे किताब वाले को ख़तम करने लगे हैं | कहीं कोई किसी को मार रहा है, जिसको मौका मिले वह दुसरे को मार रहा है ? यह काम धर्म का नही है –धर्म का काम है एक दुसरे को मिलाना | किन्तु यह मारने मरवाने का जो प्रोग्राम है वह है मजहब का | इस लिए मजहब का अर्थ धर्म नहीं है, इसको भली प्रकार मानव समाज को जानना और पहचानना होगा की धर्म और मजहब के भेद को | जो प्रमाण आज मानव समाज में देखने को मिल रहा है, इस के बावजूद भी लोग कह रहे हैं मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना | जो कोरा झूठ है इस सच्चाई को मानव समाज देख कर भी समझने को तैयार नही |
भाई यह गोधरा कांड क्या था, सोनिया गाँधी ने मोदी जी को मौतका सौदागर बता दिया | आज भी प्रधानमंत्री जिस से न बन सके सारे राजनीति पार्टी ने, और नेतावों ने एडी, चोटी का जोर लगाया की कुछ भी हो मोदी प्रधानमंत्री न बन सके | कुछ भी हो यह सब मजहबी जूनून है मजहबी लड़ाई है, धर्म में लड़ने की बात ही नहीं किन्तु यही मजहब ने एक दूसरों से लड़ाया है | अभी मुज़फ्फर नगर में क्या हुवा ? मेरठ में क्या हुवा ? पुणे में क्या हुवा, यत्र तत्र क्या होता आया है और क्या हो रहा है ? क्या इसे देखकर हम लोगों ने कुछ भी सिखा है, या सिखने का प्रयास किया है ? आज सम्पूर्ण मानव कहलाने वालों को एकजुट होकर सोचना पड़ेगा अगर हम मानवता की रक्षा चाहते हैं तो मानव होकर मानवके खुनके प्यासे तो न बने यही मानवता की रक्षा है |
_______________ महेन्द्रपाल आर्य, वैदिक प्रवक्ता.

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