हिन्दुस्तान में बहुत से लोग गाय मांस को प्रोटीन का अच्छा स्रोत कह रहे हैं, उनके लिये ये जवाब है।
एक बहुत ही ताकतवर सम्राट थे, उनकी बेटी इतनी सुंदर थी, कि देवता भी सोचते थे कि यदि इससे विवाह हो जाये तो उनका जीवन धन्य हो जाये। इस कन्या की सुंदरता की चर्चा सारी त्रिलोकी में थी। सम्राट इस बात को जानते थे। एक पूरी रात वो अपने कमरे में घूमते रहे। सुबह जब महारानी जागी तो देखा सम्राट अपने कमरे में घुम रहे हैं। महारानी ने पूछा लगता है, आप पूरी रात सोये नहीं हैं, कोई कष्ट है क्या? उन्होंने कहा कि अपनी बेटी को लेकर चिंता है, लेकिन निर्णय मैंने कर लिया। समरथ को नहीं कोई दोष गुसाईं। महारानी ने पूछा क्या? उन्होंने कहा कि मैं अपनी बेटी से खुद विवाह करूंगा। समर्थ पुरुष को तो कोई दोष लगता ही नहीं। महारानी ने बहुत समझाया, लेकिन जिसकी समझ पर पत्थर पड़ जाये तो क्या किया जाये।
सम्राट राज सभा गये, वहां उन्होंने ऐलान कर दिया मैं इस धरती का समर्थ पुरुष हूं, अपनी बेटी से स्वयं ही विवाह करूंगा। समरथ को नहीं दोष गुसाईं। किसी में विरोध की ताकत नहीं थी। मुहुर्त निकाला गया।
महारानी चुपचाप से एक महात्मा से मिलने के लिये गई, सारी बात रो रो कर बताई। महात्मा ने कहा कि विवाह से एक दिन पहले मैं आपके यहां भोजन करने आऊंगा। नियत समय पर महात्मा पहुंचे। उन्होंने तीन थालियां लगवाईं। सम्राट को राज सभा से भोजन के लिये बुलाया गया। सम्राट ने कहा कल मेरा विवाह है, आज महात्मा भोजन के लिये पधारे हैं सब शुभ ही शुभ है।
सम्राट भोजन के लिये आये, महात्मा को प्रणाम किया। महात्मा ने कहा राजन मेरे कई जन्म गुजर गये समर्थ पुरुष की तलाश में, सुना है आप समर्थ पुरुष हैं। आपके साथ भोजन करके मैं धन्य हो जाऊंगा। महात्मा ने थाली लगवाई, एक थाली में ५६ भोग दूसरी में विष्टा (Toilet) था। महात्मा ने दूसरी थाली सम्राट के सामने लगाकर कहा भोजन करिये। सम्राट बहुत क्रोधित हुए। महात्मा ने कहा आप तो समर्थ पुरुष हैं, आप को कोई दोष नहीं लगेगा। और मेरी भी आज कई जन्म की तपस्या पूरी हो जायेगी।
सम्राट ने हताश होकर कहा मुझसे नहीं होगा। महात्मा ने योग बल से सुअर का वेष धारण किया और विष्टा सेवन कर लिया। और पुन: अपने वेष में आ गये। सम्राट वहीं घुटने के बल बैठ गये।
लोगों को अपनी परिभाषायें ठीक करनी चाहिए। गाय मे भी प्रोटीन है, पेड़, मनुष्य सभी जीव में प्रोटीन हैं। लेकिन सब खाये नहीं जाते हैं। माता, बहन और पत्नी तीनों ही तो स्त्रियां हैं, फिर तीनों के प्रति नजरिया अलग क्यों होता है। ध्यान रहे हिन्दुओं में कुछ भी अवैज्ञानिक नहीं है। हिन्दू एक मात्र ऐसा है धरती पर जिसने मन खोजा, आत्मा परमात्मा भी खोजा। अदृश्य को शाश्वत बनाने का दम सिर्फ हिन्दुओं में ही है। इसलिये हिन्दू जब गाय को माता कहता है तो उसके ठोस और वैज्ञानिक कारण हैं।
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