सफ़ेद शक्कर का काला सच.....
रोज कि शारीरिक क्रियाओं के लिए आवश्यक ४५ से ६५ % शक्ति भोजन में से प्राकृतिक शर्करा (Carbohydrates) के द्वारा प्राप्त की जाती है | अनाज, फल, फलियाँ, कंदमूल, दूध आदि से इस्कू आपूर्ति सहजता से होती है | प्राकृतिक शर्करा शारीरिक क्रियाओं के लिए ईंधन का कार्य करती है, अत: शरीर के लिए उपकारक है | परन्तु परिष्कृत (Refined) शक्कर (चीनी) स्वयं को पचाने हेतु शारीरिक शक्ति व शरीर के आधारभूत तत्त्वों का अपव्यय करती है | शरीर के महत्त्वपूर्ण अंग - हड्डी, ह्रदय, मस्तिष्क, अग्न्याशय, यकृत आदि की कार्यप्रणाली को अस्त-व्यस्त कर देती है | शरीर पर इसका परिणाम धीरे-धीरे असर करनेवाले विष के सामान होता है |
शक्कर व अस्थिरोग।
शक्कर को पचाने के लिए आवश्यक कैल्शियम हड्डियों व दाँतों में से लिया जाता है | कैल्शियम व फॉस्फोरस का संतुलन जो सामान्यता ५:२ होता है, वह बिगड़कर हड्डियों में सच्छिद्रता(Osteoporosis) आती है | इससे हड्डियाँ दुर्बल होकर जोड़ों का दर्द, कमरदर्द, सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस, दंतविकार, साधारण चोट लगने पर फ्रैक्चर, बालों का झड़ना आदि समस्याएँ उत्पन्न होती हैं |
शक्कर व मधुमेह
शक्कर रक्तगत शर्करा (ईश्रीविर्सरी) को अतिशीघ्रता से बढाती हैं | इसे सात्म्य करने के लिए अग्नाशय की कोशिकाएँ इन्सुलिन छोड़ती हैं | इन्सुलिन का सतत बढ़ती हुई माँग की पूर्ति करने से ये कोशिकाएँ निढाल हो जाती है | इससे इन्सुलिन का निर्माण कम होकर मधुमेह (डायबिटीज)होता है |
शक्कर व ह्रदयरोग
शक्कर लाभदायी कोलेस्ट्रॉल को घटाती है और हानिकारक कोलेस्ट्रॉल (LDL) तथा ट्राइग्लिसराइड्स को बढाती है | इससे रक्तवाहिनियों की दीवारें मोटी होकर उच्च रक्तचाप तथा ह्रदयरोग (coronary artey disease and myocardial infarction) उत्पन्न होता है | लंदन के प्रो. जॉन युडकीन कहते हैं : "ह्रदयरोग के लिए चीनी भी चर्बी जितनी ही जिम्मेदार है |"
शक्कर व कैंसर
शक्कर कैंसर की कोशिकाओं का परिपूर्ण आहार है | ये कोशिकाएँ अन्य आहारीय तत्त्वों (Fatty acids) का पर्याप्त उपयोग नहीं कर पाती | इसलिए उन्हें शक्कर की आवश्यकता होती है | जिन पदार्थों से ब्लड शुगर तीव्रता से बढ़ती हैं, वे कैंसर कोशिकाओं की अपरिमित वृद्धि, प्रसरण व उनमें रक्तवाहिकाजनन (angiogenesis) करने में सहायता करते हैं | डॉ. थॉमस ग्रेबर ने यह सिद्ध किया हैं कि 'कैंसर कि कोशिकाओं को आहार के रूप में शक्कर न मिलने पर वे मृत हो जाती हैं |'
शक्कर के कारण रोगप्रतिकारक प्रणाली कि कार्यक्षमता घटने व अन्य आवश्यक तत्त्वों का आभाव पैदा होने से भी कैंसर फैलने में मदद मिलती हैं | इससे अन्य घटक रोगों के विषाणुओं का संक्रमण होने की सम्भावनाएँ भी बढ़ जाती हैं | नशीलें पदार्थों के समान अब परिष्कृत चीनी भी कैंसर का एक मुख्य कारण सिद्ध को चुकी हैं | वर्तमान में विश्व में तेजी से बढ़नेवाली मधुमेह, कैंसर व ह्रदय-विकार के रोगियों की संख्या देखकर सावधानी की विशेष जरूरत हैं |
शक्कर के कारण रोगप्रतिकारक प्रणाली कि कार्यक्षमता घटने व अन्य आवश्यक तत्त्वों का आभाव पैदा होने से भी कैंसर फैलने में मदद मिलती हैं | इससे अन्य घटक रोगों के विषाणुओं का संक्रमण होने की सम्भावनाएँ भी बढ़ जाती हैं | नशीलें पदार्थों के समान अब परिष्कृत चीनी भी कैंसर का एक मुख्य कारण सिद्ध को चुकी हैं | वर्तमान में विश्व में तेजी से बढ़नेवाली मधुमेह, कैंसर व ह्रदय-विकार के रोगियों की संख्या देखकर सावधानी की विशेष जरूरत हैं |
बालकों में शक्कर के दुष्परिणाम
मीठे पथरथों के अतिसेवन से बालकों में अधीरता, चंचलता व अशांति आती हैं | चीनी से उत्पन्न एसिड उनके दाँतों के संरक्षक आवरण 'इनेमल' को नष्ट करते हैं | एमोरी यूनिवर्सिटी के सर्वेक्षण के अनुसार 'जिन बालकों में ३०% से अधिक ऊर्जा का स्रोत शक्करयुक्त पदार्थ थे, उनमें ह्रदय की दुर्बलता, कोलेस्ट्रॉल की अधिकता कृमिरोग, मोटापा व इन्सुलिन -प्रतिरोध पाया गया |'
शक्कर के अन्य खतरे
चीनी की अधिकता से शरीर में विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स की कमी होने लगती हैं | इससे पाचन व स्नायु संबंधी रोग उत्पन्न होते हैं | चीनी रक्त की अम्लीयता को बढाकर आधासीसी व त्वचाविकार उत्पन्न करती हैं | इससे वीर्य में पतलापन आता हैं | आहार में चीनी जितनी अधिक, उतना ही मोटापे का भय ज्यादा |
शक्कर इतनी खतरनाक कैसे ?
परिष्कृतिकरण की प्रक्रिया में शक्कर व चमकदार बनाने में सल्फर - डाइऑक्साइड, फॉस्फोरिक एसिड , कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड, एक्टिवेटेड कार्बन आदि रसायनों का उपयोग किया जाता हैं | तत्पश्यात इसे अतिउच्च तापमान पर गर्म करके अति ठंडी हवा में सुखाया जाता हैं | इस प्रक्रिया में उसके सारे पौष्टिक तत्त्व, खनिज, प्रोटीन्स, विटामिन्स आदि नष्ट हो जाते हैं | प्राकृतिक उपहार एक धीमा श्वेत विष (Slow White Poison) बन जाता हैं, जिसकी शरीर को कोई आवश्यकता नहीं होती |
फ़ूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (FAO) के सर्वेक्षण के अनुसार विश्व में प्रतिवर्ष प्रति व्यक्ति द्वारा २४ किलो (प्रतिदिन ६६ ग्राम ) चीनी का सेवन किया जाता हैं | ऐसी स्थिति में शरीर का पूर्ण स्वस्थ रहना असम्भव हैं | शुगर रिफाइनरीज के निर्माण के पूर्व कही भी खाद्य पदार्थों में शक्कर का उपयोग नहीं किया जाता था | प्राकृतिक शर्करा ही शक्ति का स्त्रोत थी | इसी कारण पुराने लोग दीर्घजीवी तथा जीवनभर कार्यक्षम बने रहते थे |
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