Thursday, August 27, 2015

किसान का विचार ; क्यों ना करे सरकार ???


- देश के एक बड़े तबके पर किसी विकास का असर नहीं हुआ.

- देश की 60-70 % जनता यानी किसान आज भी वैसा ही है.
- २% किसान आत्महत्या कर लेते है.
- चौधरी चरण सिंह ने कहा था किसान कर्ज में ही जन्म लेता है और कर्ज में ही मरता है.
वह कम पैदावार करे या ज़्यादा मुश्किल में होता है.
- हर रोज़ ढाई हज़ार किसान खेती छोड़ देते है.
- किसान की मासिक आय मात्र २४००रु. से भी कम है. यह एक चपरासी से भी कम है. औसतन किसान के परिवार में पांच सदस्य और दो जानवर होते है. सिर्फ तीन राज्य में मासिक आय औसत से ज़्यादा है - जम्मू कश्मीर , पंजाब , तमिलनाडु .पंजाब में यह ३२००रु. प्रति माह है. फिर भी यह चपरासी से कम ही है.
- इस चुनाव में किसानों पर भी ध्यान दिया जाएगा.
- किसान ग्रोथ या जीडीपी में नहीं गिना जाता.
- जिन जीएम फसलों से सारी दुनिया में पैदावार नहीं बढ़ी उससे भारत में भी कैसे बढ़ेगी ?
- FDI रिटेल को झूटे विज्ञापनों की तरह हर मर्ज़ की दवा बनाकर पेश किया जाता है.
- पंद्रह साल पहले world बैंक ने कहा था की २०१५ तक गाँव छोड़कर शहरों की और पलायन करने वाले किसानों की संख्या जर्मनी , फ़्रांस और इंग्लैंड की 20 करोड़ जनसंख्या से दोगुनी होगी.
- शहरों की जॉबलेस ग्रोथ में जब किसान भी आ जायेंगे तो स्थिति और भी भयावह होगी.
- वायदा बाज़ार पैदावार से कई गुना ज़्यादा व्यापार करता है.
- वालमार्ट ने बेबी कॉर्न 8रु प्रति किलो किसानों से खरीदा . वालमार्ट ने १०० रु प्रति किलो में बेचा और रिटेल में यह २०० रु. प्रति किलो बिक रहा है. किसान को नगण्य लाभ हुआ. सिर्फ बिचौलिए लाभ कमा रहे है.
- रिटेलर्स पहले के बिचौलियों से भी ज़्यादा कमा रहे है. इस तरह नुकसान किसान और हम यानी उपभोक्ता उठा रहे है.


- नेशनल फार्मर्स' इनकम कमीशन का गठन होना चाहिए. जिससे किसानो को सही आय हो.
- बुरा खाना >>बीमार >> मेडिसिन >>हॉस्पिटल >> इंश्युरंस . इससे जीडीपी बढती है. इसलिए इंश्युरंस कम्पनियां आज फ़ूड इंडस्ट्री में इन्वेस्ट कर रही है. ये केमिकल तरीके से तैयार और जीएम् फ़ूड और अन्न को बढ़ावा देती है. ताकि बीमारों की संख्या बढे.
- ३५ लाख एकड़ में आज भी जैविक खेती हो रही है. यहाँ कोई आत्म ह्त्या नहीं हो रही. पैदावार बढ़ रही है. फिर ये काम बाकी के ४५ हजार लाख एकड़ में क्यों नहीं हो सकता ?
- ब्राज़ील में गिर नस्ल की देशी गाय ६२ ली. प्रतिदिन दूध दे रही है. हम अपने ही नस्ल की देशी गाय सड़कों पर छोड़ देते है और कहते है यह २ ली. दूध देती है.
- सरवाइवल ऑफ़ द फिटेस्ट के चार्ल्स डार्विन के सिद्धांत के अनुसार देशी गाय अगर अच्छी ना होती तो अब तक लुप्त हो जानी चाहिए थी. पर यह इतनी प्रतिकुल परिस्थितियों में सड़कों पर ज़िंदा है.
- A २ नस्ल के दूध में जो देशी गाय में होता है डायबिटीज़ , हाय बीपी आदि बिमारियों को रोकने की क्षमता होती है.
- आज भारत नहीं ब्राज़ील देशी गाय का सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है.

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