श्रीमती चित्रलेखा जी बार बार सफाई दे रही हैं हमको अफवाह फैलाने का दोषी बता रही हैं..
आप सभी एक बार प्रताप चौहान भैया की ये पोस्ट अवश्य पढिये कैसे एक झूठ छिपाने के लिए बार बार झूठ बोला जा रहा है...
श्रीमती चित्रलेखा जी
झूठ कितना भी प्रबल क्यों न दिखे उसके पाँव नहीं होते ? अर्थात् वो सत्य के सम्मुख टिक नहीं सकता। अब देखिए न या तो आपकी यह पोस्ट असत्य है या फिर आपका 12 मई 2020 को जारी किया गया वीडियो... क्योंकि ये दोनों एक-दूसरे के नितान्त विरुद्ध हैं।
👉आपने 12 मई के अपने वीडियो में यह स्पष्ट रूप से स्वीकार किया था कि आपने कथा रोकी थी और आपने उसके अनेक कारण वहाँ प्रस्तुत किये थे, अनेक शास्त्रीय संदर्भ प्रस्तुत करने का प्रयत्न भी किया था, आपने उन विशिष्ट परिस्थितियों का भी कथन किया था, जिनमें आपको कथा रोकनी पड़ी और आपने यह भी स्पष्ट किया कि आपका नमाज के समय कथा रोकने का वह कथन मात्र परिस्थिति वश था, आपने ऐसा कोई नियम रूप में उल्लेख नहीं किया था कि जब भी नमाज की आवाज आये तो भागवत रोक दो.... आपके इस समस्त विवरण से यह पूर्णतया स्पष्ट है कि आपने उस दिन भागवत कथा रोकी थी और उस वीडियो में दिखाई व सुनाई पड़ रहा सम्पूर्ण विवरण सत्य है(भले ही आपके शब्दों में वह सत्य आधा ही हो, परन्तु सत्य है), यह 12 मई के वीडियो में आपकी स्वीकारोक्ति है।
👉 फिर क्या कारण है देवी जी कि आज की इस पोस्ट में आप अपने ही पूर्वकथन के विरुद्ध जाकर उक्त प्रकरण को पूर्णतया नकार रही हैं ?
यह स्ववचनव्याघात क्यों देवी? कल तक आप जिसे आधा सत्य स्वीकार कर रही थी और उसकी शास्त्रीयता को सिद्ध करने का प्रयत्न कर रही थी, आज उस आधे सत्य से भी आपको इन्कार क्यों है ? क्या आप 12 मई को इस तथ्य से अवगत नहीं थी कि आपने कथा रोकी नहीं थी, अपितु भजन गाया था ? या आप आज असत्य सम्भाषण कर अपनी धूलि-धूसरित होती छवि को बचाने का असफल प्रयत्न कर रही हैं ?
👉 आपने 12 मई के वीडियो में यह सिद्ध करने का प्रयत्न किया था कि आपके लगभग दो घण्टे के वीडियो में से मात्र लगभग 1 मिनट का वीडियो दिखाकर कुछ लोग भ्रम उत्पन्न करने का प्रयत्न कर रहे हैं... आपके अनुसार वीडियो के उस अंश से पौर्वापर्य (पहले और बाद) का ज्ञान नहीं होता, इसलिए आपका वह कथन किस सन्दर्भ में तथा किन परिस्थितियों में प्रकट हुआ, इसका ज्ञान उस वीडियो से न हो पाने के कारण ही आप पर ये सभी मिथ्या आरोप लगाए जा रहे हैं.. अर्थात् आपके समस्त स्पष्टीकरण का यह सामान्य आधार था कि जो दिखाया जा रहा है, वह आधा है और आपके ही शब्दों में "आधा सत्य, असत्य से अधिक हानिकारक होता है".....
अब आपकी आज की पोस्ट के सन्दर्भ में निम्नलिखित बिन्दुओं पर आपके स्पष्टीकरण की अपेक्षा है -
1. आपके द्वारा अपने पक्ष में प्रस्तुत यह वीडियो भी मात्र 1 मिनट का है अर्थात् यह भी उस वीडियो का 1 अंशमात्र ही है तो यदि 1 अंश मात्र दिखाने से आप दोषी सिद्ध नहीं होती, वैसे ही 1 अंश मात्र को देखकर ही आपको दोषमुक्त भी कैसे मान लिया जाए ?
2. आपके अनुसार उस वीडियो में पूर्ण स्थिति प्रदर्शित नहीं थी, अतः उसके आधार पर आप पर दोषारोपण करना अनुचित है तो इसी नियम से आपकी इस वीडियो में भी स्थिति का पूर्ण ज्ञान न होने से आपको दोषमुक्त मानना भी अनुचित ही होगा...
3. आपके अनुसार आपकी वायरल वीडियो से आगे का यह भाग है और आपने कथा नहीं रोकी थी, अपितु भजन गाया था तो आपने क्यों इस वीडियो में वह पहला भाग प्रदर्शित नहीं किया, जिसमें आप कथा रोककर कुछ समय के लिए उनके भगवान को याद करने का आख्यान कर रही थीं ? यदि वह पूर्वभाग भी इस वीडियो में प्रदर्शित होता तो सबको पौर्वापर्य का सटीक ज्ञान हो पाता और आपका पक्ष भी प्रबल होता ?
कृपया इस सन्दर्भ में भी अपना मत स्पष्ट करने का प्रयत्न करें।
श्रीमती जी , मैंने आरम्भ में ही कहा था कि आपका यह पोस्ट असत्य है और झूठ के पाँव नहीं होते... आपके परस्पर विरुद्ध कथन मेरे पक्ष को पुष्ट कर रहे हैं... आपका प्रचलित वीडियो तथा इस पोस्ट के साथ संलग्न वीडियो, दोनों को देखकर 1 बालबुद्धि भी सरलता से आपके असत्य का उद्घाटन कर सकता है क्योंकि आपकी उस वीडियो के अंत में आप स्पष्ट कह रही हैं कि "5 मिनट के लिए कथा रोककर उनके भगवान को याद कर लेते हैं, क्या जाता है?" और इस वीडियो का आरम्भ ठाकुर जी के भजन से हो रहा है तो बताइए देवी जी कि जब आप उनके भगवान( अल्लाह) को याद करने जा रही थी तो अचानक ठाकुर जी का भजन कहाँ से प्रकट हुआ ? वे कब से ठाकुर जी को अपना आराध्य मानने लगे ?
सत्य तो यह है देवी जी कि आप आज भी असत्य ही बोल रही हैं... आपकी यह वीडियो उस वीडियो के तुरन्त बाद का भाग है ही नहीं... कृपया सत्य को स्वीकार करने का साहस करिये...
आपके ही एक अन्य पोस्ट से ज्ञात हुआ कि आज आपकी वैवाहिक वर्षगाँठ है, इस अवसर पर ईश्वर से प्रार्थना है कि वह आपको सत्यमार्ग पर चलने का आत्मबल प्रदान करें, सत्य को स्वीकार करने का नैतिक सामर्थ्य आपको प्राप्त हो, आप सदैव धर्मपथ पर आरूढ़ हों तथा अधर्म के विनाश का सामर्थ्य आपको प्राप्त हो, क्योंकि असत्य के कथन एवं व्यवहार से यदि कोई सम्बन्ध सर्वाधिक प्रभावित होता है तो वह वही है, जिसकी वार्षिकग्रन्थि आप आज मना रही हैं।
देवी जी, पूज्य स्वामी चिदम्बरानन्द सरस्वती जी महाराज, छोटी बहन आयुषी राणा भारती , भाई अंकुर आर्य अथवा अन्य किसी का भी आपसे व्यक्तिगत विरोध नहीं है, आपसे कोई द्वेष नहीं है...
हम सबका मात्र इतना ही आग्रह, इतना ही निवेदन है कि आप #व्यासपीठ की मर्यादा का हनन न करें, #व्यासपीठ पर बैठकर अधर्म की अभिवृद्धि में आप सहायक न हों, #गोपालक, #गोसंवर्धक भगवान #श्रीकृष्ण की कथा में आप गोभक्षकों का महिमामण्डन न करें।
यह कुकृत्य किसी भी प्रकार आपको शोभा नही देता। अतः आपसे साग्रह प्रार्थना है कि इस दुराग्रह, इस बालहठ का परित्याग कर सत्य को स्वीकार करते हुए पुनः धर्मपथ पर आरूढ़ हों... ईश्वर आपको सद्बुद्धि प्रदान करें...
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