Sunday, May 10, 2020

सेमल का फूल, बोले तो कुर्दिश लड़कियाँ..।

इराक, सीरिया और तुर्की में से थोड़ा थोड़ा हिस्सा मिला कर बनता है कुर्दिस्तान। एक ऐसा देश जो है ही नहीं। जो लड़ रहा है अपने होने के लिए... पता नहीं हो पायेगा भी या नहीं।
      उपनिवेशवाद की समाप्ति के बाद जब देशों की सीमा रेखा खींची जाने लगी तब किसी ने कुर्दों की पुकार नहीं सुनी, सो उन्हें अपना देश नहीं मिला। इराक बन गया, सीरिया बन गया, तुर्की बन गया... कुर्दिस्तान नहीं बना। कुर्दिस्तान के नहीं बसने की कूर्द पीड़ा  को समझना हो तो सीमांत गाँधी कहलाने वाले महान बलूच नेता खान अब्दुल गफ्फार खान को समझिए। भारत विभाजन के समय रोते हुए खान ने गाँधी से कहा था, "आप नहीं जानते बापू कि आपने हमें कैसे भेड़ियों के मुह में धकेल दिया है। ये पाकिस्तानी भेड़िये हमें नोच डालेंगे।" गाँधी आह भर कर रह गए...
     वर्षों बाद जब चिकित्सा के लिए खान साहब भारत आये तो तात्कालिक प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी उनकी आगवानी को एयरपोर्ट तक गयीं। खान साहब के पास कपड़ों की एक पोटली भर थी, इंदिरा जी ने सभ्यता बस उनसे वह पोटली लेनी चाही तो खान साहब मुस्कुरा कर बोले, "तेरे बाप ने मेरे पास यही एक पोटली छोड़ी थी, तू इसे भी ले लेगी?"  खान साहब की पीड़ा को कोई समझ नहीं पाया, न गाँधी, न नेहरू, न इंदिरा न विश्व... पर आज तक बलूच उस पीड़ा को भोग रहे हैं।
      भेड़ियों के मुह में फंसे बलूचों की पीड़ा का ही दूसरा रूप है कुर्दिस्तान... पिछले पचास वर्षों में इतना अत्याचार अन्य किसी सभ्यता/देश पर नहीं हुआ, जितना कुर्दों पर हुआ। इराक, तुर्की या सीरिया में जब-जब कोई शासक मजबूत हुआ तो उसने कुर्दों को लूटा... इराक में सद्दाम आये तो एक ही दिन में चालीस हजार कुर्दों को काट दिया गया। उनके ऊपर रासायनिक हथियारों का प्रयोग हुआ। उनके कई सौ गाँव उजाड़ दिए गए। तब विश्व मे यह माना जाने लगा था कि अब कूर्द समाप्त हो जाएंगे।
      इराक के कूर्द भाग कर तुर्की गए, तो वहाँ भी वही मिला। तुर्की में एक ही दिन पचास हजार कूर्द मार डाले गए। उनकी स्त्रियों को बाजार में खड़ा कर के बोली लगाई गई और तब बलात्कार हुआ...
      सीरिया के कूर्द तो सबसे अधिक नोचे गए। वहाँ 1960 से ही कुर्दों को नागरिकता नहीं मिली है। उनकी जमीन छीन कर अरबों को बसाया गया है। sis के जमाने में कुर्दों के साथ जो हुआ है वह किसी के साथ नहीं हुआ। लाखों कूर्द काट डाले गए। लाखों दूसरे देशों में शरणार्थी हैं। उनकी असंख्य स्त्रीयाँ आज भी isis के आतंकियों की कैद में हैं।
      कूर्द होने की सबसे बड़ी सजा उनकी स्त्रियों को मिली है। अद्भुत सुंदर होती हैं कूर्द लड़कियाँ... फागुन के महीने में फूलों के अटे पड़े सेमल के पेंड़ की तरह प्रभावशाली सौंदर्य, औंटे हुए दूध की तरह लाल लड़कियाँ! मुस्कुराती हैं तो लगता है जैसे ईश्वर मुस्कुरा रहा हो। ऐसा सौंदर्य शायद धरती के किसी दूसरे भाग में नहीं... पर अपनी सुंदरता की जो कीमत उन्होंने चुकाई है वह किसी ने नहीं चुकाई... कोई ऐसा वर्ष नहीं जब हजार पाँच सौ कूर्द लड़कियों का अपहरण न हुआ हो। हर साल हजारों लड़कियाँ गुलाम बनाई जाती हैं, और इस्लामिक बाजारों में आज भी उनके देह की बोली लगती है। इराक में, तुर्की में, सीरिया में...
    कुछ दिनों पूर्व isis की कैद से छूटी एक कूर्द स्त्री "नूर" ने बताया, एक साल में उसे सात बार बेचा गया। उसे ही नहीं, उसकी दो साल और चार साल की दो बच्चियों को... उसी ने बताया कि isis मानता है कि काफिर स्त्रियों के बलात्कार से खुदा खुश होता है। सीरिया में एक दो नहीं, हजारों नूर बिक रहीं हैं अब भी...
    
#कूर्द मूल रूप से #आर्य हैं।
ईरानी आर्यों की ही एक शाखा है कूर्द। इस्लामी आतंक से बचने के लिए उन्होंने इस्लाम स्वीकार कर लिया, तब भी नहीं बचते... isis उन्हें मुसलमान नहीं मानता, सो सेमल के फूल जैसी कुर्दिश लड़कियाँ रोज नोची जा रही हैं। उनके लिए कोई मोमबत्ती नहीं जलाता। उनके लिए कहीं प्रदर्शन नहीं होता... क्यों? खुदा जाने...
    पर रुकिये! युग बदला है...* *दशकों से लुटती कूर्द लड़कियाँ अब लुटने से इनकार कर रही हैं। अब वे शेखों के सामने नग्न खड़ी हो कर अपनी बोली लगवाना नहीं चाहतीं। सो अब उन्होंने हथियार उठाना शुरू कर दिया है। कूर्द लड़के पहले ही सर्वश्रेष्ठ लड़ाके माने जाते थे, अब कूर्द लड़कियाँ लड़ाका हो रही हैं!
   यह लड़कियाँ जानती हैं कि उनके हथियार उठाने को छद्म बौद्धिक लोग आतंकवाद कहेंगे, पर उनके पास अन्य कोई राह नहीं। अब भी हजारों सेमल के फूल isis की कैद में हैं...
  पहले मुझे कूर्द लड़कियाँ सुंदर लगती थीं, पर अब शस्त्रधारी कूर्द लड़कियाँ उससे हजार गुनी अधिक सुन्दर लगने लगी हैं।

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