एक मुस्लिम बच्चे ने अपनी माँ से पूछा-
*"अम्मी, ये सेकुलरिज्म (धर्म निरपेक्षता) क्या होता है?"*
*बुर्के में लिपटी महिला ने अपने बेटे को बताया-
"बेटे! सेकुलरिज्म इस देश का वह सिस्टम है
जिसमें हिन्दू करदाता जी-तोड़ मेहनत कर
सरकार को इतना टैक्स चुकाता है
जिससे कि हम जैसे
*अल्पसंख्यकों*
को फ्री आवास,
मदरसों में फ्री शिक्षा,
फ्री मेडिकल ट्रीटमेंट
आदि सुविधाएँ मिलती रहें,
मंदिरों की हुंडियों का धन
हमारे लिए प्रयोग किया जा सके!
किन्तु......
मस्जिदों में क्या हो रहा है,
उस तरफ कोई आँख उठाकर देखने की भी
हिम्मत ना कर सके!
हमें कानून का संरक्षण तो मिले किन्तु कोई कानून हम पर लागू नहीं हो!
*इस प्रकार के जन्नतनुमा माहौल को ही सेकुलरिज्म कहते हैं!!!"*
*“लेकिन अम्मी, इससे हिन्दू करदाता नाराज नहीं होते"- बच्चे ने पूछा।*
*"होते हैं बेटा"!*
किन्तु
उनके गुस्से को कुंद करने के लिए हम उनको
*साम्प्रदायिक*
बताना शुरू कर देते हैं
ताकि उनको शर्मिंदगी महसूस हो!
इस तरह कुछेक अड़ियल हिंदुओं को छोड़कर,
बाक़ी सभी हिन्दू इस
सेकुलरता नाम के जहर को प्रसाद समझ कर
ना केवल ख़ुशी ख़ुशी स्वीकार कर लेते हैं बल्कि
उन्हें अपने आपको सेक्युलर कहलवाने में गर्व भी महसूस होता है
तथा
वे अपने आपको सेक्युलर सिद्ध करने के प्रयास में
हमारे सब कर्मों का आँख मूंदकर समर्थन करते हैं!"
बच्चे ने कहा-
*इसका मतलब हिन्दू तो बहुत अच्छे हैं!*
बुर्के वाली महिला ने कहा,
*अच्छे नहीं बेवकूफ हैं *
जो अपना हक छोड़कर हमारे बोझ को उठाते हैं!
बच्चे ने अपनी समझ से कहा- "लेकिन अम्मी वे
हमें अल्पसंख्यक कहते हैं जो
सुनने में अच्छा नहीं लगता!"
महिला ने कहा-
"तू चिंता मत कर बेटे!
इसी सेक्युलरिज्म की बदौलत हम बहूसंख्यक हो जाएँगे।
हमारे लिए कोई रोकटोक नहीं
जितने भी पैदा करो
और हम
एक दिन हिन्दुस्तान में ही नहीं,
मैंने तेरे 11 भाई बहन यूँ ही थोड़े न पैदा किए हैं!!!
*बच्चे ने कहा-
"हाँ अम्मी! मैं समझ गया।
जब हिन्दू बोझ उठाते हैं
तो पैदा करने में क्या दिक्कत है!!!*
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