Friday, August 18, 2017

मिटटी के बर्तन एवम आपका भाग्य।

जानिए कैसे मिटटी के बर्तन द्वारा आप अपना किस्मत/भाग्य संवार सकते हैं .

जिंदगी में हमें कई ऐसी चीजें हैं जो बहुत प्रिय होती हैं और हम चाहते हैं कि वो हमेशा हमारे पास रहें। लेकिन बहुत कुछ कर लेने के बाद भी वो चीजें हमारे पास नहीं रहती हैं।

क्या आप जानते हैं की आपके घर में रखे मिट्टी के बर्तन भी आपका भाग्य चमका सकते हैं। शास्त्रों के अनुसार मिट्टी के बर्तनों को बहुत पवित्र माना गया है। पहले मिट्टी के बने बर्तनों में खाना खाया जाता था। घर में रखें मिट्टी के बर्तन एक तरफ जहां आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाते हैं बल्कि इनके घर या ऑफिस में होने से गुडलक, धन-वैभव, सफलता सब कुछ हासिल किया जा सकता है। पूजा घर से लेकर विवाह के मौके पर पूजा के लिए इस्तेमाल किए जानें वाले सभी बर्तन मिट्टी के होते हैं।

जानिए क्यों नहीं रखें खंडित बर्तन अपने घर में—
घर में इस्तेमाल होने वाले बर्तन हमारे जीवन स्तर को इंगित करते हैं। इसी कारण इन दिनों सुंदर डिजाइन वाले बर्तनों का चलन बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। इसी चलन के कारण कई घरों में पुराने या टूटे-फूटे बर्तनों को संभालकर स्टोर रूम में रख दिया जाता है, जो कि वास्तु की दृष्टि से अशुभ है तथा इसे वास्तु विज्ञान में एक दोष की भांति देखा जाता है। टूटे-फूटे बर्तन दरिद्रता की ओर संकेत करते हैं तथा इन्हें घर में जगह देने से घर में दरिद्रता बढ़ती है और कई तरह की आर्थिक हानि भी हो सकती है।

राहू ग्रह अशुभता का परम सूचक माना जाता है। टूटे-फूटे तथा खंडित चीनी मिट्टी के बर्तन राहू का प्रतीक हैं। ज्योतिषशास्त्र की लाल किताब में हमेशा से ही इस बात पर जोर दिया जाता है कि घरों में टूटे-फूटे बर्तन नहीं रखने चाहिए, न ही कभी ऐसे बर्तनों में भोजन करना चाहिए। जो व्यक्ति टूटे-फूटे बर्तनों में खाना खाता है उससे धन की देवी लक्ष्मी रूठ जाती हैं और उसके घर में अलक्ष्मी अर्थात दरिद्रता का निवास होता है। ऐसा होने पर कई प्रकार के नुकसान का सामना करना पड़ता है।

जानिए कैसे करें सरल समाधान — आपको अपने घर से सभी टूटे-फूटे, खंडित, दरार पड़े हुए तथा बेकार बर्तनों को हटा देना चाहिए। इससे वास्तु दोष का परिहार हो जाता है तथा घर में लक्ष्मी पुनः वास करती हैं। खंडित बर्तन में खाना खाने से हमारी जीवनशैली नकारात्मक बनती है। जैसे बर्तनों में हम भोजन करते हैं हमारा स्वभाव और स्वास्थ्य भी वैसा ही बन जाता है। इसी वजह से अच्छे और साफ बर्तनों में भोजन करें। इससे आपके विचार भी शुद्ध होंगे और सकारात्मक ऊर्जा का शुभ प्रभाव आप पर पड़ेगा और आप सफलता के शिखर पर पहुचने में सफल होंगे।

01-वास्तुशास्त्र में बताया गया है की अगर घर की उत्तर पूर्व दिशा में मिटटी के बर्तन में पानी भरकर रखा जाये तो घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं होता है. इसके अलावा स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी यह फायदेमंद होता है. वास्तुशास्त्र में बताया गया है है तनाव या फिर किसी मानसिक समस्या का शिकार होने पर घड़े में रखा पानी पीने से तनाव दूर हो जाता है | अथवा घर में उत्तर पूर्व दिशा में मिटटी के घड़े में पानी भरकर रखें इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है। सेहत के लिहाज से देखा जाए तो और भी फायदेमंद है। वास्तु के अनुसार अगर कोई तनाव या फिर किसी मानसिक समस्या का शिकार है तो उसे घड़े में रखा पानी पीना चाहिए।

02— आप ये भी जान ले की घर में पूजा के लिए भगवान की मूर्ति अगर मिट्टी के लाएंगो तो इससे आपके घर में हमेशा बरकत रहेगी क्यों की मिटटी को शुद्ध माना जाता है यही नहीं घर में मिट्टी के सजावटी बर्तन जैसे कटोरी, फ्लावर पॉट को दक्षिण-पूर्व दिशा में रख सकते हैं। कहते हैं इससे घर में सौभाग्य तो आता है।
03 .– अमावस्या के दिन मिट्टी के बर्तन में काले तिल और पानी लें। दक्षिण की तरफ बैठकर इस मंत्र का जाप करें ‘ओम पित्र देवाय नमः ओम शांति भवाह’। ऐसा करने से आपको फायदा होगा। इसके अलावा आप अमावस्या के दिन गाय या किसी गरीब को खाना खिलाएं।
04 .– भारतीय सभ्यता में प्राचीन काल से ही मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने की प्रथा रही है |आज भले ही साइंस ने कितनी भी तरक्की क्यों न कर ली हो, लेकिन स्वास्थ्य के नजरिए से देखा जाए तो मिट्टी की हांडी में खाना पकाना आज के प्रेशर कुकर की तुलना में कई गुना ज्यादा लाभकारी सिद्ध होता है |
05 .– घर में समृद्धि लाने हेतु घर के उत्तरपश्चिम के कोण (वायव्य कोण) में सुन्दर से मिट्टी के बर्तन में कुछ सोने-चांदी के सिक्के, लाल कपड़े में बांध कर रखें। फिर बर्तन को गेहूं या चावल से भर दें। ऐसा करने से घर में धन का अभाव नहीं रहेगा।
06 .– भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष भरणी नक्षत्र के दिन चार घड़ों में पानी भरकर किसी एकान्त कमरे में रख दें। अगले दिन जिस घड़े का पानी कुछ कम हो उसे अन्न से भरकर प्रतिदिन विधिवत पूजन करते रहें। शेष घड़ों के पानी को घर, आँगन, खेत आदि में छिड़क दें। अन्नपूर्णा देवी सदैव प्रसन्न रहेगीं।
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जानिए मिटटी के बर्तनों द्वारा कैसे होगा स्वास्थ्य लाभ—
मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से ऐसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते थे। इस बात को अब आधुनिक विज्ञान भी साबित कर चुका है कि मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से शरीर के कई तरह के रोग ठीक होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, अगर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है तो उसे धीरे-धीरे ही पकना चाहिए। भले ही मिट्टी के बर्तनों में खाना बनने में वक़्त थोड़ा ज्यादा लगता है, लेकिन इससे सेहत को पूरा लाभ मिलता है। दूध और दूध से बने उत्पादों के लिए सबसे उपयुक्त है मिट्टी के बर्तन। मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से पूरे 100 प्रतिशत पोषक तत्व मिलते हैं। और यदि मिट्टी के बर्तन में खाना खाया जाए तो उसका अलग से स्वाद भी आता है।इंसान के शरीर को रोज 18 प्रकार के सूक्ष्म पोषक तत्व मिलने चाहिए. जो केवल मिट्टी से ही आते हैं. एल्यूमीनियम के प्रेशर कूकर में खाना बनाने से 87 प्रतिशत पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं. पीतल के बर्तन में खाना बनाने से केवल 7 प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं. कांसे के बर्तन में खाना बनाने से केवल 3 प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं. केवल मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से पूरे 100 प्रतिशत पोषक तत्व मिलते हैं. और यदि मिट्टी के बर्तन में खाना खाया जाए तो उसका अलग से स्वाद भी आता है. लेकिन प्रेशर कूकर एल्यूमीनियम का होता है, जो सेहत के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है. जिससे टी.बी., डायबिटीज, अस्थमा हो सकता है. प्रेशर कूकर के भाप से भोजन पकता नहीं है बल्कि उबलता है. आयुर्वेद के अुनसार खाना पकाते समय उसे हवा का स्पर्श और सूर्य का प्रकाश मिलना जरूरी है |मिट्टी के बर्तनों में प्लास्टिक, डाई, माइका आदि नहीं होता है। इसमें पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नेशियम, फासफोरस जैसे प्राकृतिक रूप से लाभकारी खनिज पाए जाते हैं। जिसका प्रकृति और पर्यावरण पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। यानि शुद्ध मिट्टी का कम्पोजीशन ऐसा होता है जो आप खा भी सकते हैं और इसका कोई नुकसान भी नहीं होता।

मिट्टी के बर्तनों में पकी दाल-सब्जी में धातु विषैले तत्व और चमक पैदा करने वाले रसायनों की मिलावट भी नहीं होती है। मिट्टी उष्णता की कुचालक है अत: इस तरह के बर्तनों में भोजन पकाने से उसे धीरे-धीरे उष्णता प्राप्त होती है, जिसके परिणामस्वरूप दालसब्जी में प्रोटीन शतप्रतिशत सुरक्षित रहता है। यदि कांसे के बर्तन में खाना पकाया जाए तो कुछ प्रोटीन का क्षरण हो जाता है व एल्युमिनियम के बर्तन में पकाने से 87 प्रतिशत प्रोटीन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो जाता है। भोजन में कुछ एल्युमिनियम चले जाने से एल्जाइमर, पार्किन्सन आदि अनेक बीमारियां हो जाती हैं।

मिट्टी के ये बर्तन कई तरह के मिलते हैं. जिनमें सिरेमिक, क्ले, क्रीमवियर पॉट्स और पैन्स या टेराकोटा के बने हुए बर्तन मिल जाएंगे. इनकी कई तरह की रेंज आपको मिल सकती है. आप अपनी ज़रूरत के हिसाब से इनका चुनाव कर सकते हैं और इनसे मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ हासिल कर सकते हैं |

अगर आप भी जीना चाहते हैं स्वस्थ जीवन तो ज्यादा से ज्यादा मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग करें. बहुत ही कम लोग इस बात को मानेगें लेकिन ये बात तो सच है कि यदि शरीर को रोगमुक्त और लंबी उम्र तक जीना है, तो मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने की आदत डालें |

क्या होगा ऐसा करने से ..??
मिट्टी के बर्तनों की उपयोगिता को समझकर उसमें खाना पकाने से मिट्टी से जुड़े लोगों को काम मिलेगा और हमें स्वास्थ्यकर भोजन।
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जानिए सोने चांदी के बर्तन का प्रभाव — चांदी के बर्तनों में भोजन करना तन, मन और धन के लिए अनुकुल माना गया है क्योंकि इसकी तासीर ठंडी होती है जिससे शरीर की गर्मी का नाश होता है। सोने के बर्तनों में भोजन करने से शरीर ठोस, सशक्त और पराक्रमी बनता है। पुरूषों के लिए सोने के बर्तनों में भोजन करना लाभदायक माना गया है।

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