म्यांमार से भागा रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश क्यों नहीं जाता, भारत क्यों आता है?
सीरिया से भागा मुसलमान सऊदी अरब या ईरान क्यों नहीं जाता, यूरोप और इंग्लैंड कैसे पहुँच जाता है?
फिलिस्तीन पर रोने वाले इतने मुस्लिम देशों में कोई भी इस फिलिस्तीनियों को कभी शरण क्यों नहीं देता?
दुनिया भर में कहीं भी मार-काट मचा कर भागे मुसलमानों को शरणार्थी बनने के लिए कोई यहूदी, हिन्दू या ईसाई पश्चिमी देश ही क्यों याद आते हैं?
यह शरण मांगना भी एक लड़ाई है. ये भागे हुए लोग नहीं हैं...ये जहाँ भी हैं, अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं और ज्यादा सफल तरीके से लड़ रहे हैं. आखिरी मकसद है ज़मीन पर कब्ज़ा...काफिरों की ज़मीन पर अल्लाह के बंदों का कब्ज़ा. यह रिफ्यूजी-जिहाद है...शरण में आये लोग नहीं...भूखा बच्चा, बदहाल औरत, लाचार आदमी...ये सभी इनके हथियार है.. एक्सपैंशन केअमरीका की NRA अक्सर याद दिलाती रहती है: Guns do not kill people, persons do.
स्पेन के लोगों को आज पता चला, बहुत दर्दनाक तरीक़े से, कि हत्या का इरादा हो तो हथियार तो हवा में से पैदा हो जाते है।
स्पेन ने कभी अपने यहाँ से मुसलमानो को vacuum clean किया था।
पाँच सौ साल में अपना इतिहास भूल गए वे लोग। वामपंथी आए और मुसलमानो को वापिस बूला लिया।
परिणामस्वरूप बार्सिलोना में तेरह लोग सड़क पर मृत पड़े है।
NRA लेकिन ग़लत है। मनुष्य भी नहीं मारते। विचार मारता है।
अफ़ग़ानिस्तान में आज भी सारे हिंदू होते तो........
सबसे बड़ा उदाहरण है भारत। उसी जाति के लोग हिंदू भी है व मुसलमान भी। मुसलमान हो गए उसी जाति के लोग अरब के क़बिलाई व्यक्ति की तरह ही बन गए है।
बदला क्या? विचार। हिंदू ऑपरेटिंग सिस्टम की जगह इस्लाम ऑपरेटिंग सिस्टम इंस्टॉल हो गया।
विचार मारते है।
इस्लाम नाम के विचार को जब तक समाप्त नहीं किया जाता, ऐसे ही फ़ुट्पाथ से अपनो के शव खुरचते रहेंगे काफ़िर।
और समाप्त करने का एक मात्र तरीक़ा है कि मज़हब के बुर्क़े में छुपे इस माफ़िया गैंग का सच जाने, सच फैलायें।
ख़ून पीने वाली जोंक पर नमक छिड़क दो वो मर जाती है।
सच इस्लाम के विरुद्ध नमक हथियार हैं... महर्षि चरक ने चरक संहिता में लिखा है "जो रोग जहाँ उत्पन्न होता है उसकी औषधि वहीँ मौजूद होती है"..आतंकवाद का रोग ७२ हूरों वाले अंधविश्वास की वजह से जन्म लेता है और इसका इलाज भी अन्धविश्वास से ही होगा..आतंकियों के शवों को कूड़े के ढेर में जलाना पड़ेगा जिससे उनकी जन्नत वाली फ्लाइट पंक्चर हो..हमें पता है ऐसा कुछ नहीं होता पर उनके लिए तो ७२ हूरे कलश सजाकर बैठी है न ......अपने को विश्वगुरु कहते घूमते हैं हम तो 'गुरूजी' दो न आतंकवाद का इलाज दुनिया को...नैतिकता वैतिकता के चक्कर में वही गलती मत दोहराना जो पृथ्वीराज चौहान ने 'धर्मयुद्ध' के चक्कर में १६ बार हराकर छोड़ दिया था गौरी को..??
भाड़ में गया धर्मयुद्ध
और
नैतिकता का पाठ..??
ईस्लाम के जानवर समाज के कैंसर हैं और इसका सर्जरी अनिवार्य है !!
No comments:
Post a Comment