क्रिकेट समय की बर्बादी, गुलामी की निशानी, शहीदों का अपमान ओर पेप्सी कोला बेचने का जरिया मात्र है?
क्रिकेट की सच्चाई:-
01 भारत में क्रिकेट– ब्रिटिश राज्य की निशानी है।
क्रिकेट सिर्फ वही देश खेलते हैं जो कभी न कभी ब्रिटेन के गुलाम रहे है। यदि अंग्रेजो के पूर्व-गुलाम राष्ट्रों को छोड़ दें तो दुनिया का कौन सा स्वतंत्र राष्ट्र है, जहाँ क्रिकेट का बोलबाला है? ‘इंटरनेशनल क्रिकेट कौंसिल’ के जिन दस राष्ट्रों को अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने का अधिकार है, वे सब के सब अंग्रेज के भूतपूर्व गुलाम-राष्ट्र हैं।
मेरी जानकारी के हिसाब से अभी तक क्रिकेट केवल वही देश खेलते है जो कभी अंग्रेजो के गुलाम थे और ये खेल हमको हमारी मानसिक गुलामी से परिचित करवाता है। “क्रिकेट” खेल का जन्मदाता इंग्लैंड देश को माना जाता है। आजादी के बाद भी देशवासी अंग्रेजी मानसिकता से दबे है।
02 क्रिकेट- ओलंपिक खेलों में शामिल नहीं है।
याद रखना चाहिए कि दुनिया में क्रिकेट को ओलम्पिक में शामिल नहीं किया गया क्योंकि इसे अंतरराष्ट्रीय खेल की मान्यता नहीं है। क्रिकेट यानी ब्रिटेन की औपनिवेश रहे देशों के परिचायक। अगर बहुत ही सादे शब्दों में कहें तो कभी ब्रिटेन के गुलाम रहे देशों के खेल।
03 भारत में क्रिकेट का आयोजन आजादी की लड़ाई के शहीदों का अपमान है।
क्या हम इतनी जल्दी भूल गए कि देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त करने के लिए लाखों हिंदुस्तानियों ने अपने प्राणों की आहुति दी ,"जेल की यातनाएं झेलीं तब कहीं करीब 70 साल पहले 15 अगस्त 1947 को बड़ी मुश्किल से अंग्रेजों को यहाँ से भगाया जा सका ?
यह हमारी विडम्बना है कि सचिन, महेंद्र सिंह धोनी, विराट कोहली, युवराज सिंह, हरभजन सिंह के जन्मदिवस पर देश भर में केक काटे जाते हैं, लेकिन मंगल पांडे, चंद्रशेखर आजाद और भगत सिंह के जन्मदिनों की तारीखें हमारी युवा पीढ़ी को याद नहीं है। आज यदि हम स्वतंत्र हवा में सांस ले पा रहे हैं तो यह उन अनेक वीर भारतवासियों की बदौलत है जिन्होंने अपने वतन को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद करने के लिए अपनी जान तक की बाजी लगा दी थी।
04 क्रिकेट भारत देश के विकाश में बाधा है।
क्रिकेट मैच के दौरान पूरा भारत देश काम-धाम भूलकर क्रिकेट में मग्न हो जाता है। क्रिकेट खेल में ज्यादा समय बर्बाद होता है। भारत की युवा पीढ़ियों पर क्रिकेट का नशा इस कदर छाया है कि उसके आगे सभी काम ठप। आज इस क्रिकेट की वजह से भारत की उत्पादकता क्षमता आधी से भी कम बनी हुई है। देश की हालत यह है कि भ्रष्टाचार और महंगाई की मार के बीच जनता पिस रही है और कीमतें आसमान छू रहीं हैं। सरकार के कई मंत्री घोटालों में फंसे हुए है। जिन्होंने देश की भोली भाली जनता का रुपया लूट कर अपनी-अपनी तिजोरियां भरने का काम किया है।
05 दुनिया के अधिकतर विकसित देश क्रिकेट नहीं खेलते।
विश्व का कोई भी विकसित राष्ट्र क्रिकेट नहीं खेलता। अमेरिका, जापान, रुस, चीन, फ्रान्स, जर्मनी इत्यादि तमाम विकसित राष्ट्रों ने क्रिकेट को कभी नहीं अपनाया। इसका सीधा सा कारण यही है कि इस खेल में सबसे अधिक समय लगता है और आज के प्रतिस्पर्धा के युग में कोई भी देश अपना ज्यादा समय महज खेल देखने पर व्यय करने को राजी नहीं है।
06 क्रिकेट खेल नेताओं के घोटालों को छुपाने का साधन है।
नेता क्रिकेट के नाम पर लोगों को बेवकूफ बना रहे हैं, भारत के नेता बहुत चालाक है। वे जानते कि भारतवासियों को क्रिकेट के नशे में चूर रखे रखने में ही फायदा है। जब महंगाई पर सारा देश अपना सुर एक कर रहा था तो नेताओं ने नया शिगूफा छेड़कर सबका ध्यान दूसरी ओर कर दिया, पिछले कई सालों से भारत में भ्रष्टाचार और घोटालों का बोलबाला रहा है। ऐसा लगा, जैसे भारत में घोटाले नहीं, घोटालों में भारत है। आम जनता जहां महंगाई से बदहाल हुई जा रही है।
सरकार ने भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और गरीबी जैसे बुनियादी मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए क्रिकेट को राष्ट्रधर्म घोषित कर दिया है। ये जगजाहिर है कि भारत के नेता बेहद भ्रष्ट है। इसलिए घोटालों की आवाज दब गई है जो मीडिया कुछ दिनों पहले घोटालों की खबरों को जमकर छाप रही थी अब उनकी जगह क्रिकेट की कांव कांव ने ले ली है ऐसा लगता है जैसे घोटालें बंद हो गए है। एक तरफ हमारे नेता/ प्रधानमंत्री भारत को सुपरपावर बनाने के बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ देश की लगभग 85% आबादी भूखमरी और कुपोषण के जाल में फंसी हुई है।
07 क्रिकेट के कारण भारत के राष्ट्रीय खेल हॉकी और पारंपरिक खेलों (कबड्डी, कुश्ती) पूरी तरह से बर्बाद है।
“हॉकी” भारत का राष्ट्रीय खेल है। हमारे देश के पास आठ ओलम्पिक स्वर्ण पदकों का उत्कृष्ट रिकॉर्ड है। क्रिकेट भारत के बाकी सारे खेलों को खा गया है। भारत के खेल तो कुश्ती है, कब्बड्ढी है और राष्ट्रिय खेल हॉकी है। देश में क्रिकेट के अलावा दूसरे सारे खेलों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। क्रिकेट के चस्के ने भारत के पारंपरिक खेलों, अखाड़ों और कसरतों को हाशिए में सरका दिया है।
क्रिकेट के कारण भारतीय खेल हॉकी, कुस्ती, मुक्केबाजी आदि अन्य खेल जिससे शारीर में चुस्ती– फुर्ती आती हो और शारीरिक व्यायाम भी होता है वह खेल मर रहें है और उनके खिलाड़ी उपेक्षित महसूस कर रहें है।
08 क्रिकेट खेल नहीं है, बीमारी है।
क्रिकेट खेल दीमक की तरह भारतीय मस्तिष्क को चाट रहा है। यह क्रिकेट एक ऐसा खेल है, जिसमें 11 खिलाड़ियों की टीम में से सिर्फ एक खेलता है और शेष 10 बैठे रहते हैं? विरोधी टीम के बाकी 11 खिलाड़ी खड़े रहते हैं। उनमें से भी एक रह-रहकर गेंद फेंकता है। कुल 22 खिलाड़ियों में 20 तो ज्यादातर वक्त निठल्ले बने रहते हैं, ऐसे खेल से कौन-सा स्वास्थ्य लाभ होता है? क्रिकेट का रोग इस भारत देश को वर्षों से लगा हुआ है। क्रिकेट हमारी गुलामी की निशानी है, जिसे हम बड़े गर्व से अपनाए रखना चाहते हैं!
क्रिकेट खेल दीमक की तरह भारतीय मस्तिष्क को चाट रहा है। यह क्रिकेट एक ऐसा खेल है, जिसमें 11 खिलाड़ियों की टीम में से सिर्फ एक खेलता है और शेष 10 बैठे रहते हैं? विरोधी टीम के बाकी 11 खिलाड़ी खड़े रहते हैं। उनमें से भी एक रह-रहकर गेंद फेंकता है। कुल 22 खिलाड़ियों में 20 तो ज्यादातर वक्त निठल्ले बने रहते हैं, ऐसे खेल से कौन-सा स्वास्थ्य लाभ होता है? क्रिकेट का रोग इस भारत देश को वर्षों से लगा हुआ है। क्रिकेट हमारी गुलामी की निशानी है, जिसे हम बड़े गर्व से अपनाए रखना चाहते हैं!
09 क्रिकेट मैच फिक्सिंग का खेल है
टीम इंडिया में मैच फिक्सिंग का मामला 1990 के दशक में सामने आया था। अजहर को भारत में मैच फिक्सिंग का सबसे बड़ा गुनहगार माना गया। आईसीसी, बीसीसीआई और सीबीआई तीनों की जांच रिपोर्ट में अजहर पर उंगली उठाई गई थी। साल 2000 में बीसीसीआई ने उन पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया। अजय शर्मा पर आरोप लगे थे कि उन्होंने ड्रेसिंग रुम में बैठकर कई मैच फिक्स किए थे। दिसंबर 2000 में इनके ऊपर भी बीसीसीआई ने आजीवन पाबंदी लगा दी थी। बीसीसीआई ने मनोज प्रभाकर पर पांच साल की पांबदी लगा दी थी। अजय जडेजा पर मैच फिक्सिंग भी पांच साल की पाबंदी लगा दी गई। विकेटकीपर नयन मोंगिया भी मैच फिक्सिंग में शामिल पाए गए। मोंगिया पर 5 साल की पाबंदी लगा दी गई थी।
10 क्रिकेट एक मूर्ख लोगों का खेल है।
ब्रिटेन के विख्यात लेखक, नोबल पुरस्कार प्राप्त और ब्लैक कॉमेडी के लिए चर्चित साहित्यकार जॉर्ज बर्नार्ड शॉ की प्रसिद्ध उक्ति सुनी होगी कि “क्रिकेट एक वाहियात ओर मूर्ख लोगों का खेल है, जिसे 22 मूर्ख खेलते हैं, 22 करोड़ देखते हैं ओर 10 घंटे बर्बाद करते हैं।
11 भारत देश के क्रिकेटरों द्वारा अमेरिकी कंपनियों की मार्केटिंग -भारत को कंगाल बनाना
सचिन ने पेप्सी, कोका कोला, बूस्ट, रिनॉल्ड, कोलगेट, फिलिप्स, विसा, केस्ट्रॉल, केनन आदि के ब्रांड रह चुके हैं। यह बात तो सड़क पर चलने वाला साधारण आदमी भी समझता है कि अमेरिका का माल ज्यादा बिकेगा, तो अमेरिका धनवान बनेगा। अमेरिका ताकतवर बनेगा। भारत देश के क्रिकेटरों अपनी प्रसिध्दि से अमेरिका को समृध्द बना रहे हैं। इस बात को आप इस तरह से भी समझ सकते हैं कि भारत देश के क्रिकेटरों भारत को कंगाल बना रहे हैं। भारत में बना हुआ माल अमेरिकी खरीदें ऐसी सेल्समैनशिप भारत देश के क्रिकेटरों ने आज तक नहीं की।
12 क्रिकेट खेल के कारण आत्महत्या करते भारत के किसान क्योंकि कृषि मंत्री शरद पवार को कृषि मंत्रालय और किसान से ज्यादा दिलचस्पी क्रिकेट में थी।
पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार को क्रिकेट से फुरसत ही नहीं मिलती थी जबकि हर साल लाखों टन अनाज सड़ जाता है? भारतीय किसान ऋण के बोझ तले दबे होने कारण आत्महत्याओं का रास्ता अपनाने को मजबूर हैं। 1997 से 2008 के बीच भारत में करीब दो लाख किसानों ने बढ़ते कर्ज के कारण होने वाले अपमान से बचने के लिए अपनी जान देने का आत्मघाती कदम उठाया। कृषि पर सरकार की गलत नीति के कारण देश में ढाई लाख किसानों ने आत्महत्या कर ली है। सरकार के निकम्मेपन के कारण बड़े पैमाने पर भारतीय किसान आत्महत्या कर रहे हैं और सरकार पूरी तरह भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं”
आईपीएल/ क्रिकेट का विश्व कप जीत लेने भर से/ सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट में उनके 100 शतक पूरा हो जाना से देश की सारी समस्याएं महंगाई, घोटाले, भ्रष्टाचार, आतंकवाद समाप्त हो जायेगा क्या?
अंग्रेजो के खेल क्रिकेट ने भारत देश का बेड़ागर्क कर दिया है। अंग्रेजो के खेल क्रिकेट हटाओ देश बचाओ जागो भारतीय जागो
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