इस लेख का शीर्षक पढ़ कर पाठक जरूर चौंक जायेगे , और कुछ लोग इसे झूठ , और कोरी गप्प भी मान लेंगे , लेकिन यह बात बिलकुल सत्य और प्रामाणिक है , लेकिन इस सत्य को समझने के लिए हमें पता होना चाहिए कि कुरान से पहले भी अल्लाह की तीन और किताबें थीं , जिनके नाम तौरेत , जबूर और इंजील हैं , इस्लामी मान्यता के अनुसार अल्लाह ने जैसे मुहम्मद साहब पर कुरान नाजिल की थी ,उसी तरह मूसा को तौरेत , दाऊद को जबूर और ईसा को इंजील नाजिल की थी . यहूदी सिर्फ तौरेत और जबूर को और ईसाई इन तीनों पर ईमान रखते हैं ,क्योंकि खुद कुरान ने कहा है ,
1-कुरान और तौरेत का अल्लाह एक है
"कहो हम ईमान लाये उस चीज पर जो ,जो हम पर भी उतारी गयी है , और तुम पर भी उतारी गयी है , और हमारा इलाह और तुम्हारा इलाह एक ही है . हम उसी के मुस्लिम हैं " सूरा -अल अनकबूत 29:46
""We believe in that which has been revealed to us and revealed to you. And our God and your God is one; and we are Muslims [in submission] to Him."Sura -al ankabut 29;46 "
इलाहुना व् इलाहकुम वाहिद , व् नहनु लहु मुस्लिमून "
यही नहीं कुरान के अलावा अल्लाह की किताबों में तौरेत इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि कुरान में तौरेत शब्द 18 बार और उसके रसूल मूसा का नाम 136 बार आया है , यही नहीं मुहम्मद साहब भी तौरेत और उसके लाने वाले मूसा पर ईमान रखते थे , जैसा की इस हदीस में कहा है ,
"अब्दुल्लाह इब्न उमर ने कहा कि एक बार यहूदियों ने रसूल को अपने मदरसे में बुलाया और ,अबुल कासिम नामक व्यक्ति का फैसला करने को कहा , जिसने एक औरत के साथ व्यभिचार किया था . लोगों ने रसूल को बैठने के लिए एक गद्दी दी , लेकिन रसूल ने उस पर तौरेत रख दी . और कहा मैं तुझ पर और उस पर ईमान रखता हूँ और जिस पर तू नाजिल की गयी है , फिर रसूल ने कहा तुम लोग वाही करो जो तौरेत में लिखाहै . यानी व्यभिचारि को पत्थर मार कर मौत की सजा ,
(महम्मद साहब ने अरबी में कहा "आमन्तु बिक व् मन अंजलक " I believed in thee and in Him Who revealed thee.
सुन्नन अबी दाऊद -किताब 39 हदीस 4434
इन कुरान और हदीस के हवालों से सिद्ध होता है कि यहूदियों और मुसलमानों का अल्लाह एक ही है और तौरेत भी कुरान की तरह प्रामाणिक है .
चूँकि लेख अल्लाह और उसकी पत्नी के बारे में है इसलिए हमें यहूदी धर्म से काफी पहले के धर्म और उनकी संस्कृति के बारे में जानना भी जरूरी है .
2-मीडियन धर्म क्या था ?
इतिहास के अनुसार ईसा पूर्व 2200 -1700 के बीच पूर्वोत्तर अरब प्रायद्वीप में मीडियन धर्म प्रचलित था ,जिसे अरबी में " मदयन - और ग्रीक भाषा में मीडियन - Μαδιάμ)" कहा जाता था .इस धर्म का प्रसार अकाबा की खाड़ी से लाल सागरकी सीमा तक था . मीडियन लोग " बाअल , और बोएर देवता के साथ स्वर्ग की देवी अश्तरोथ ( Ashteroth ) देवी की पूजा करते थे , यह भी कहा जाता है कि मदयं के जंगल में ही मूसा को एक जलती हुई झड़ी के पीछे यहोवा ने दर्शन दिए थे , इस के बाद मदयन के लोग भी यहोवा की पूजा करने लगे , और यहोवा यहूदियों के ईश्वर की तरह यरूशलेम में पूजने लगा ,
3-अल्लाह को कैसे बनाया गया ?
जिस अल्लाह के नाम पर मुसलमान सारी दुनिया में जिहादी आतंक फैला कर रोज हजारों निर्दोष लोगों की हत्या करते रहते हैं , उसी अल्लाह के बारे में एक उर्दू के शायर में यह लिखा है ,
"शुक्र कर खुदाया , मैंने तुझे बनाया , तुझे कौन पूछता था मेरी बंदगी से पहले "
शायर की यह बात शतप्रतिशत सत्य है क़्योकि इस्लाम से पहले अरब में कोई अल्लाह का नाम भी नहीं जनता था . यहांतक जिन तौरेत ,जबूर और इंजील को मुसलमान अल्लाह की कुरान से पहले की किताबें कहते हैं , उन में भी अल्लाह शब्द नहीं मिलता है ,
तौरेत यानि बाइबिल के पुराने नियम में ईश्वर (God ) के लिए हिब्रू में " य ह वे ह - Hebrew: יהוה "शब्द आया है ,जो एक उपाधि ( epithet ) है . तौरेत में इस शब्द का प्रयोग तब से होने लगा जब यहूदियों ने यहोवा को इस्राएल और जूडिया का राष्ट्रीय ईश्वर बना दिया था , इस से पहले इस भूभाग में फोनेशियन और कनानी संस्कृति थी ,जिनके सबसे बड़े देवता का नाम हिब्रू में "एल - אל " था . जिसे अरबी में "इल -إل "या इलाह إله-" भी कहा जाता था , और अक्कादियन लोग उसे "इलु - Ilu "कहते थे . इन सभी शब्दों का अर्थ "देवता -god " होता है . इस "एल " देवता को मानव जाति ,और सृष्टि को पैदा करने वाला और "अशेरा -" देवी का पति माना जाता था . (El or Il was a god also known as the Father of humanity and all creatures, and the husband of the goddess Asherah (בעלה של אלת האשרה) .सीरिया के वर्त्तमान" रास अस शमरा - " नामकी जगह करीब 2200 साल ईसा पूर्व एक मिटटी की तख्ती मिली थी , जिसने इलाह देवता और उसकी पत्नी अशेरा के बारे में लिखा था ,
पूरी कुरान में 269 बार इलाह - إله-" " शब्द का प्रयोग किया गया है , और इस्लाम के बाद उसी इलाह शब्द के पहले अरबी का डेफ़िनिट आर्टिकल "अल - ال" लगा कर अल्लाह ( ال+اله ) शब्द गढ़ लिया गया है , जो आज मुसलमानों का अल्लाह बना हुआ है . इसी इलाह यानी अल्लाह की पत्नी का नाम अशेरा है .
4-अशेरा का परिचय
अक्कादिअन लेखों में अशेरा को अशेरथ (Athirath ) भी कहा गया है , इसे मातृृत्व और उत्पादक की देवी भी माना जाता था , यह सबसे बड़े देवता "एल " की पत्नी थी . इब्राहिम से पहले यह देवी मदयन से इजराइल में आगयी थी। इस्राइली इसे भूमि केदेवी भी मानते थे। इजराइल के लोगों ने इसका हिब्रू नाम "अशेरह - אֲשֵׁרָה), " कर दिया . और यरूशलेम स्थित यहोवा के मंदिर में इसकी मूर्ति भी स्थापित कर दी गयी थी .अरब के लोग इसे " अशरह कहते थे , और हजारों साल तक यहोवा के साथ इसकी पूजा होती रही थी .
5-अशेरा अल्लाह की पत्नी
अशेरा यहोवा उर्फ़ इलाह यानी अल्लाह की पत्नी है यह बात तौरेत की इन आयतों से साबित होती है , जो इस प्रकार है
1-कुरान और तौरेत का अल्लाह एक है
"कहो हम ईमान लाये उस चीज पर जो ,जो हम पर भी उतारी गयी है , और तुम पर भी उतारी गयी है , और हमारा इलाह और तुम्हारा इलाह एक ही है . हम उसी के मुस्लिम हैं " सूरा -अल अनकबूत 29:46
""We believe in that which has been revealed to us and revealed to you. And our God and your God is one; and we are Muslims [in submission] to Him."Sura -al ankabut 29;46 "
इलाहुना व् इलाहकुम वाहिद , व् नहनु लहु मुस्लिमून "
यही नहीं कुरान के अलावा अल्लाह की किताबों में तौरेत इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि कुरान में तौरेत शब्द 18 बार और उसके रसूल मूसा का नाम 136 बार आया है , यही नहीं मुहम्मद साहब भी तौरेत और उसके लाने वाले मूसा पर ईमान रखते थे , जैसा की इस हदीस में कहा है ,
"अब्दुल्लाह इब्न उमर ने कहा कि एक बार यहूदियों ने रसूल को अपने मदरसे में बुलाया और ,अबुल कासिम नामक व्यक्ति का फैसला करने को कहा , जिसने एक औरत के साथ व्यभिचार किया था . लोगों ने रसूल को बैठने के लिए एक गद्दी दी , लेकिन रसूल ने उस पर तौरेत रख दी . और कहा मैं तुझ पर और उस पर ईमान रखता हूँ और जिस पर तू नाजिल की गयी है , फिर रसूल ने कहा तुम लोग वाही करो जो तौरेत में लिखाहै . यानी व्यभिचारि को पत्थर मार कर मौत की सजा ,
(महम्मद साहब ने अरबी में कहा "आमन्तु बिक व् मन अंजलक " I believed in thee and in Him Who revealed thee.
सुन्नन अबी दाऊद -किताब 39 हदीस 4434
इन कुरान और हदीस के हवालों से सिद्ध होता है कि यहूदियों और मुसलमानों का अल्लाह एक ही है और तौरेत भी कुरान की तरह प्रामाणिक है .
चूँकि लेख अल्लाह और उसकी पत्नी के बारे में है इसलिए हमें यहूदी धर्म से काफी पहले के धर्म और उनकी संस्कृति के बारे में जानना भी जरूरी है .
2-मीडियन धर्म क्या था ?
इतिहास के अनुसार ईसा पूर्व 2200 -1700 के बीच पूर्वोत्तर अरब प्रायद्वीप में मीडियन धर्म प्रचलित था ,जिसे अरबी में " मदयन - और ग्रीक भाषा में मीडियन - Μαδιάμ)" कहा जाता था .इस धर्म का प्रसार अकाबा की खाड़ी से लाल सागरकी सीमा तक था . मीडियन लोग " बाअल , और बोएर देवता के साथ स्वर्ग की देवी अश्तरोथ ( Ashteroth ) देवी की पूजा करते थे , यह भी कहा जाता है कि मदयं के जंगल में ही मूसा को एक जलती हुई झड़ी के पीछे यहोवा ने दर्शन दिए थे , इस के बाद मदयन के लोग भी यहोवा की पूजा करने लगे , और यहोवा यहूदियों के ईश्वर की तरह यरूशलेम में पूजने लगा ,
3-अल्लाह को कैसे बनाया गया ?
जिस अल्लाह के नाम पर मुसलमान सारी दुनिया में जिहादी आतंक फैला कर रोज हजारों निर्दोष लोगों की हत्या करते रहते हैं , उसी अल्लाह के बारे में एक उर्दू के शायर में यह लिखा है ,
"शुक्र कर खुदाया , मैंने तुझे बनाया , तुझे कौन पूछता था मेरी बंदगी से पहले "
शायर की यह बात शतप्रतिशत सत्य है क़्योकि इस्लाम से पहले अरब में कोई अल्लाह का नाम भी नहीं जनता था . यहांतक जिन तौरेत ,जबूर और इंजील को मुसलमान अल्लाह की कुरान से पहले की किताबें कहते हैं , उन में भी अल्लाह शब्द नहीं मिलता है ,
तौरेत यानि बाइबिल के पुराने नियम में ईश्वर (God ) के लिए हिब्रू में " य ह वे ह - Hebrew: יהוה "शब्द आया है ,जो एक उपाधि ( epithet ) है . तौरेत में इस शब्द का प्रयोग तब से होने लगा जब यहूदियों ने यहोवा को इस्राएल और जूडिया का राष्ट्रीय ईश्वर बना दिया था , इस से पहले इस भूभाग में फोनेशियन और कनानी संस्कृति थी ,जिनके सबसे बड़े देवता का नाम हिब्रू में "एल - אל " था . जिसे अरबी में "इल -إل "या इलाह إله-" भी कहा जाता था , और अक्कादियन लोग उसे "इलु - Ilu "कहते थे . इन सभी शब्दों का अर्थ "देवता -god " होता है . इस "एल " देवता को मानव जाति ,और सृष्टि को पैदा करने वाला और "अशेरा -" देवी का पति माना जाता था . (El or Il was a god also known as the Father of humanity and all creatures, and the husband of the goddess Asherah (בעלה של אלת האשרה) .सीरिया के वर्त्तमान" रास अस शमरा - " नामकी जगह करीब 2200 साल ईसा पूर्व एक मिटटी की तख्ती मिली थी , जिसने इलाह देवता और उसकी पत्नी अशेरा के बारे में लिखा था ,
पूरी कुरान में 269 बार इलाह - إله-" " शब्द का प्रयोग किया गया है , और इस्लाम के बाद उसी इलाह शब्द के पहले अरबी का डेफ़िनिट आर्टिकल "अल - ال" लगा कर अल्लाह ( ال+اله ) शब्द गढ़ लिया गया है , जो आज मुसलमानों का अल्लाह बना हुआ है . इसी इलाह यानी अल्लाह की पत्नी का नाम अशेरा है .
4-अशेरा का परिचय
अक्कादिअन लेखों में अशेरा को अशेरथ (Athirath ) भी कहा गया है , इसे मातृृत्व और उत्पादक की देवी भी माना जाता था , यह सबसे बड़े देवता "एल " की पत्नी थी . इब्राहिम से पहले यह देवी मदयन से इजराइल में आगयी थी। इस्राइली इसे भूमि केदेवी भी मानते थे। इजराइल के लोगों ने इसका हिब्रू नाम "अशेरह - אֲשֵׁרָה), " कर दिया . और यरूशलेम स्थित यहोवा के मंदिर में इसकी मूर्ति भी स्थापित कर दी गयी थी .अरब के लोग इसे " अशरह कहते थे , और हजारों साल तक यहोवा के साथ इसकी पूजा होती रही थी .
5-अशेरा अल्लाह की पत्नी
अशेरा यहोवा उर्फ़ इलाह यानी अल्लाह की पत्नी है यह बात तौरेत की इन आयतों से साबित होती है , जो इस प्रकार है
"HWH came from sinai ,and shone forth from his own seir ,He showed himself from mount Paran ,yes he came among the myriads of Qudhsu at his right hand , his own Ashera indeed , he who loves clan and all his holy ones on his left "
"यहोवा सिनाई से आया , और सेईर से पारान पर्वत से हजारों के बीच में खुद को प्रकाशित किया , दायीं तरफ कुदशु (Qudshu:( Naked Goddess of Heaven and Earth') और उसकी "अशेरा ", और जिनको वह प्रेम करता है वह लोग बायीं तरफ थे "
"यहोवा सिनाई से आया , और सेईर से पारान पर्वत से हजारों के बीच में खुद को प्रकाशित किया , दायीं तरफ कुदशु (Qudshu:( Naked Goddess of Heaven and Earth') और उसकी "अशेरा ", और जिनको वह प्रेम करता है वह लोग बायीं तरफ थे "
तौरेत - व्यवस्था विवरण 33 :2 -3 (Deuteronomy 33.2-3,)
नोट - ध्यान करने योग्य की बात है कि तौरेत में हिब्रू (Hebrew ) भाषा में साफ़ लिखा है "यहोवा व् अशेरती - יהוה ואשרתו " यानी यहोवा और उसकी " अशेरा " अंगरेजी में " Yahweh and his Asherah "यहाँ पर मुहावरे की भाषा का प्रयोग किया गया है , यहोवा और उसकी अशेरा का तात्पर्य यहोवा और उसकी पत्नी अशेरा है , जैसे राम और उसकी सीता का तात्पर्य राम और उसकी पत्नी सीता होता है .
6-तौरेत में अशेरा का उल्लेख
अशेरा का उल्लेख तौरेत (Bible)की इन आयतों में मिलता है
"उसने बाल देवता की वेदी के साथ अशेरा को भी तोड़ दिया " Judges 6:25).
" और उसने अशेरा की जो मूर्ति खुदवाई उसे यहोवा के भवन में स्थापित किया "(2 Kings 21:7
" और जितने पात्र अशेरा के लिए बने हैं उन्हें यहोवा के मंदिर से निकालकर लाओ "2 Kings 23:4)
"स्त्रियां अशेरा के लिए परदे बना करती थीं "2 Kings 23:7).
"सामरिया में आहब ने अशेरा की मूर्ति लगायी "1 Kings 16:33).
मदयन में खुदाई में इलाह देवता यानि वर्तमान अल्लाह की पत्नी की जो मूर्ति मिली है ,उसमे अशेरा के सिर पर कलगीदार पगड़ी ,कन्धों पर पंख , हाथों में आयुध है , और वह दो सिंहों पर खड़ी है , दौनों तरफ उल्लू है ,और अशेरा पूरी तरह नग्न है , अशेरा की फोटो देखिये -Photo of Ashera
नोट - ध्यान करने योग्य की बात है कि तौरेत में हिब्रू (Hebrew ) भाषा में साफ़ लिखा है "यहोवा व् अशेरती - יהוה ואשרתו " यानी यहोवा और उसकी " अशेरा " अंगरेजी में " Yahweh and his Asherah "यहाँ पर मुहावरे की भाषा का प्रयोग किया गया है , यहोवा और उसकी अशेरा का तात्पर्य यहोवा और उसकी पत्नी अशेरा है , जैसे राम और उसकी सीता का तात्पर्य राम और उसकी पत्नी सीता होता है .
6-तौरेत में अशेरा का उल्लेख
अशेरा का उल्लेख तौरेत (Bible)की इन आयतों में मिलता है
"उसने बाल देवता की वेदी के साथ अशेरा को भी तोड़ दिया " Judges 6:25).
" और उसने अशेरा की जो मूर्ति खुदवाई उसे यहोवा के भवन में स्थापित किया "(2 Kings 21:7
" और जितने पात्र अशेरा के लिए बने हैं उन्हें यहोवा के मंदिर से निकालकर लाओ "2 Kings 23:4)
"स्त्रियां अशेरा के लिए परदे बना करती थीं "2 Kings 23:7).
"सामरिया में आहब ने अशेरा की मूर्ति लगायी "1 Kings 16:33).
मदयन में खुदाई में इलाह देवता यानि वर्तमान अल्लाह की पत्नी की जो मूर्ति मिली है ,उसमे अशेरा के सिर पर कलगीदार पगड़ी ,कन्धों पर पंख , हाथों में आयुध है , और वह दो सिंहों पर खड़ी है , दौनों तरफ उल्लू है ,और अशेरा पूरी तरह नग्न है , अशेरा की फोटो देखिये -Photo of Ashera
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