Wednesday, May 24, 2017

साईं या कुछ और।

महीने भर पहले एक दुखी परिचित मिले,चूँकि मैं फेसबुक पर स्वास्थ, धर्म,और सामान्य जाग्रति पर पोस्ट करता रहता हूँ,साथ में चार वेद, अठारह पुराण,शास्त्र आदि सम्पूर्ण सनातन हिन्दू ग्रन्थ श्री हार्दिक गीताप्रेस ग्रन्थ भंडार पर उपलब्ध है,तो उनको लगा की कुछ उपाय मिल जाये, उन्होंने बताया की मेरे घर कोई ना कोई बीमार चला ही करता है,पैसे की आवक भी बाधित हो गई,मानसिक अशांति बनी ही रहती है कुल मिलाकर जीवन अस्त व्यस्त व् दरिद्री में चल रहा है, उन्होंने बताया कि हम दान धर्म भी करते रहते है और हर वर्ष साईं बाबा के शिरडी सपरिवार तूफ़ान गाड़ी कर जाते है अभी चार दिनों पहले भी 10000हजार उधार लेकर शिरडी चढ़ावा चढ़ा कर आया हूँ,मेरी लड़की हर गुरुवार साईं बाबा का उपवास करती है फिर भी अच्छा वर नही मिल रहा ।।  यह सब बातें सुनकर मेरा कहीं अन्य ध्यान नही गया । केवल साईं पर ही उनसे मैंने प्रश्न  पूछे, साईं कोन है मतलब कहाँ पैदा हुए माँ बाप कोंन है? साई ने कोई धर्म युद्ध लड़ा मतलब की 1918 में साईं दमे की बीमारी से मृत्यु को प्राप्त हुए तब अग्रेजो का भारत में राज था तो उनके विरुद्ध कोई प्रतिकार कदम उठाया? क्या साई ने कोई हिन्दू धर्म ग्रंथ जैसे वेद, पुराण,गीता,भागवत, रामायण जैसा कोई ग्रन्थ की रचना की या ज्ञान दिया? ताकि संसार उनसे मार्ग दर्शन प्राप्त करे। क्या आपके माता पिता जब चार धाम यात्रा पैदल व् रेल से करते थे,और वर्षो पस्चात लौटकर यात्रा वृतांत सुनाते थे तो कभी सुना की शिरडी गए ,नही ना? और भी बहुत से प्रश्न, उनका उत्तर था कि मुझे कुछ नही पता बस टीवी पर धारावाहिक देखि और लोग पिछले 15,,20 वर्षो से शिरडी जाने लगे तो हमने भी श्रद्धा जोड़ ली,हाँ यह बात सत्य है कि हमारे पूर्वज चारधाम यात्रा के दौरान कभी भी शिरडी नही जाते थे,ना पहले किसी के मुँह सुना कि शिरडी भी कोई तीर्थ स्थान है, तब मैंने उनसे कुछ नही कहा केवल शिरडी साईं ट्रस्ट से #श्रीसाईसतचरित पुस्तके जो मैंने मंगाई थी उनको पढ़ने को दे दी, आठ दिन बाद जब वह दुःखी आत्मा मेरे पास आये तो उन्होंने आश्चर्य और खेद के साथ बताया कि (1) अल्लाह मालिक सदैव साईं के मुख में रहता था(टीवी में सबका मालिक एक बताया गया,दोनों में बहुत अंतर है)(२)  साईं चरित में 51 अध्याय है किंतु घोर आश्चर्य पूरी पुस्तक में 1बार भी श्री राम,श्री कृष्ण,शिव,दत्तात्रेय,दुर्गामाता का कहि भी नाम नही है केवल अल्लाह ही है) अर्थात ॐ साईं राम जो आज बोला जा रहा है उसका कही से कोई लिंक नही।(3) एक बार साईं की एक तम्बोली से विवाद हो गया ,दोनों में कुश्ती हुई ,तम्बोली ने साईं को हरा दिया(मतलब अवतार नही ,जैसे प्रभु श्री राम हुए तो रावण को जड़ मूल से विनाश कर दिया,श्री कृष्ण हुए तो कंश को खत्म कर अत्याचार से मानव समाज को मुक्ति दी,और यहां साईं एक तम्बोली से हार गए)(4) राम नवमी पर साईं की आँखों में गुलाल चला गया तो साईं ने जनमानस को अपशब्द कहे(हिन्दू त्योहारो ,शिव डोले आदि में हिन्दू यह चाहता है कि थोड़ा गुलाल उसके शरीर पर गीरे ताकि पवित्र हो जाये,लेकिन सबको पता है गुलाल से मुस्लिमो को सख्त एतराज होता है!(5) साईं कभी नमकीन पुलाव(मांसमिश्रित) बनाते कभी मीठे चावल जब भोजन तैयार हो जाता तो मस्जिद से बर्तन मंगाकर #मोलवी से #फातिया पढ़ने को कहते फिर लोगो में बंटवाते(आज नमकीन पुलाव की जगह हिन्दुओ को मुर्ख बनाने के लिए खिचड़ी का भोग लगता है)(6)साईं स्वयं बकरा हलाल करते है(हिन्दू धर्म में चींटी तक नही मारी जाती बकरा हलाल करना ,खाना,व खिलाना सनातन हिन्दू धर्म आज्ञा नही देता ,तो भगवान कहाँ से हुए) और भी बहुत कुछ उन परिचित ने कहा ,जैसा की उन्होंने साईं चरित पढ़कर बताया। अब उन्होंने मुझसे प्रश्न किया कि यह क्या मुर्ख बनाने का साईं नाम का बवंडर है जिसमे हिन्दू फंस रहा है?   मैंने शांति से उत्तर दिया की 1992 में जब स्वर्गीय अशोक सिंघल जी ने हिन्दुओ से पूरे भारत में आव्हान किया तब विश्व हिंदू परिषद व् शिव सेना के भगवा झंडे तले 25 लाख रामभक्त इकट्ठा हुए व् हिन्दुओ ने बाबरी ढांचे को ढहाया जो श्री राम मंदिर को तोड़कर बाबर के आदेश पर बनी थी,जिसके लिए अब तक कई धर्मयुद्ध हुए जिसमे लगभग 4लाख 50 हजार हिन्दुओ ने बलिदान दिया ,यह बहुत डिटेल इतिहास है अभी उसपर नही जाना। आगे बढे इस तरह राम नाम पर हिन्दुओ की एकता को देखकर हिन्दू विरोधी तत्वों को सोचने पर विवश किया कि हिन्दुओ को राम की श्रद्धा से कैसे दूर किया जाये ,किस प्रकार हिन्दुओ में फुट डाली जाए , तो साईं नाम के मुस्लिम फ़क़ीर को लांच किया ,शिरडी में साईं की कब्र पूजा 1992 तक होती चली आ रही थी और केवल मुस्लिमो का ही वहाँ आना जाना था ,कुछ हिन्दू अपवाद स्वरूप एक्का दुक्का जाते थे, शिरडी वाले साईं बाबा धारावाहिक रामानंद सागर से बनवाई क्यों की हिन्दुओ का उसपर बहुत विश्वास था और है भी। 1998 में गोबिंदा की फिल्म में गाना घुसेड़ा "हमे माफ़ करना ॐ साईं राम"  चमत्कार बताये साईं उबलती खिचड़ी में हाथ डालकर खिचड़ी बनाते थे हाथ नही जलता, तो मैं बता दू ऐसे भी 150 डिग्री खोलते तैल में भजिये ,समोसे तले जाते है और वह हलवाई हाथ से तैल चलाता है टीवी पर  देखा था युट्यूब पर भी मिल जाएगा, अभी भी ऐसे लोग हे जो बिजली के तारो को पकड़ लेते है लेकिन करंट नही लगता,तो क्या वे भगवान हो गए?नही ना तो कुछ ऐसे ही चमत्कार थे साईं के। साईं एक मुस्लिम फकिर थे जो मांस खाते थे और पूरा जीवन मस्जिद में गुजारा ,अल्लह मालिक सदैव पुकारते रहे, और शिरडी व् आसपास गांव को छोड़कर कहि नही गए, ना कोई धर्मयुद्ध किया ,ना कोई ग्रन्थ लिखा कुल मिलाकर फ़क़ीर थे जो अपना जीवन जी गये,मार्केटिंग कर भगवान बना दिया गया। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण जुलवानिया में आपको बता दू ,जहां पर करीम बाबा नाम का मूडी फ़क़ीर थे जिन्होंने भिख़ मांगकर जीवन जिया ,सटोरिये ,करीम बाबा से सट्टे का नम्बर पूछते तो किसी को 1 बोल देता किसी को 2 इस तरह 1से 10 तक आंक दिन में पचासो को दे देता ,एक का
सट्टा लग जाता जिसमे 9की आवाज दब जाती । आज उसी करीम बाबा की मरने के बाद मजार बनाई गई जिसपर मुर्ख हिन्दू चादर चढ़ाने जाता है,बहुत सरल है किसी को भी भगवान बनाना इस धरती पर। ऐसे ही साईं का हाल है ज्यादा तो तूफ़ान गाडी वाले किराया जगाने के लिए साईं साईं का बवंडर जगा दिया ताकि इनको भाड़ा मिलता रहे, आज शिरडी में रोज करोड़ो रुपया आता है जिससे लाखों का भंडारा किया जाता है, अज्ञानियों को लगता है कि उनकी परेशानी दूर होगी,पढे लिखो को पिकनिक का माहौल मिल जाता है,और कुछ मत प्रचार वाले,व् राजनितिक लोग वहां नाक रगड़ते है जिनसे उनका अपना मतलब सिद्ध होता है क्यों की आज साईं को मानने वाले लाखो में नही करोड़ो की संख्या में है, मने नेता ने नाक रगड़ी तो करोडो वोट मिलेंगे,अभिनेता ने नाक रगड़ी तो, करोड़ो दर्शक टिकिट खरीदेंगे फिल्म के, और संकीर्ण मानशिकता के मत या धार्मिक ग्रुप वाले नाक रगड़ेंगे तो और भी उनसे नये भक्त जुड़ेंगे,  #हिन्दुओ का #नुकशान :-इसमें सबसे पहले ॐ साई राम, बोला जाता है मतलब आपने सीधे सीधे माता सीता को नजर अंदाज कर दिया जो गलत है,आखिर क्यों साई राम,साई श्याम,साई शिव बोला जाता है?क्या माता सीता,पार्वती,और राधा जी से कोई बैर है जो प्रभु के साथ शक्ति का नाम नही लेते ? क्या यह देवियो का अपमान नही है?  अगर आपको कोई पूछे आपके पैदा करने वाले का नाम तो आप अपनी माता का नाम लेंगे और पिता का ,किसी के दो बाप तो होंगे नही उसी प्रकार प्रभु श्री राम तो हम सब के पिता है लेकिन साथ में  मुस्लिम फ़क़ीर को भी बाप मानोगे तो मूर्खता नही है क्या? बात तो यह है कि साईं को प्रमोट करने की यह एक अक्षम्य भूल है। हमको किसी के साई पूजन से कोई एतराज नही आप खड़े खंबे को पूजो लेकिन साईं को पूजना है तो साईंनाथ बोलो , परन्तु श्रीराम के साथ माता सीता को हटाकर मांसाहारी का नाम लोगे तो हमको घोर आपत्ति होगी। आज से पचास साल बाद जब रामायण जैसे ,साईं परायण साईं भक्त करेंगे तो बच्चे पढेंगे की साईं बकरा हलाल करते थे मतलब हमारा भगवान मांस खाते थे हम भी खाएंगे कोई बुराई नही । यह बात इससे सिद्ध होती है कि श्रीराम को मानने वाले रामायण पढ़ते है तो उनके जैसा आचरण करते हे जैसा भगवान वैसा भक्त, अब साईं मांस खाये तो भक्त भी खाएंगे, कुलमिलाकर हिन्दू टूटेगा,एकता खत्म होगी यही हमारे दुश्मन चाहते है,और वही हो रहा है । उपरोक्त लिखी पोस्ट के दो प्रमाण है एक तो शिरडी से मिलने वाली साई चरित पुस्तक 45 रूपये में आती है खरीदे और पढ़े,सच्चाई जाने, दूसरा नही खरीदना हो तो मुझसे पढ़ने के लिए ले जाए यह पुस्तक #रघुनाथ दाभोलकर ने मराठी में उस समय शिरडी में जो घटना क्रियाकलाप होते थे लिखी थी जिसको हिंदी अनुवाद साईं ट्रस्ट ने करवाया है पर इसमें हिंदी अनुवादक ने बहुत लीपा पोती  की है ताकि कुआचरण को छिपाया जा सके।
गोविन्दराव दाभोलकर साईं बाबा के चेले थे और हमेसा साथ रहते थे उस समय इनको साईं बाबा चढ़ावे के पैसे से 5, 10 रुपये रोज देते थे। गुरु शंकराचार्य जी के विरोध के बाद,वर्तमान में शिरडी ट्रस्ट एक फर्जी साई पुराण छपवा रहा है ताकि हिन्दुओ को मुर्ख बनाया जा सके, अब सारे तर्क भुलजाये तो श्रीमद्भगवद गीता के अध्याय 9 श्लोक 25 देखे जिसमे स्वयं परमात्मा श्री कृष्ण भगवान कहते है,   यान्ति देवव्रता देवांपितृण्यान्ति पितृव्रताः । भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद्याजिनोआपि माम्।। अर्थात देवताओ का पूजन करने वाला देवताओ को प्राप्त करता है,पितृ को पूजने वाला पित्रलोक को प्राप्त होता है, भूतो (गढ़े हुए किसी भी मनुष्यकी कब्र )को पूजने वाला भूतलोक को प्राप्त करता है,अर्थात कब्र में गड़ा जिसको कीड़े खा गए है वह अपको नकारात्मक ऊर्जा ही देगा,आपके घर कोई ना कोई बीमार चलेगा पैसे की किल्लत आएगी , अगर कोई कहे की में मानता हूँ लेकिन सुखी हूँ तो यह आपके पूर्व जन्म के प्रारब्ध कर्म हे जो अब मिल रहे हे, जनवरी का महीना काम करो तो सैलरी फरवरी में ही मिलती है ,इसी प्रकार कर्मफल सिद्धांत भी है।और  निष्काम भाव से मुझको अर्थात (भगवान श्री कृष्ण)  पूजने वाला मुझे प्राप्त होता है।
श्लोक का विस्त्रत वर्णन गीताप्रेस की साधक संजीवनी गीता पर टिका जो स्वामी रामसुख दास जी ने लिखी है पढ़े लगभग 2 प्रष्ठ में समझाया हे । अतः अर्जी लगानी है तो बाप के बाप को लगाओ, कहां बाबुओ के चक्कर में पढ़े हो। जय सिताराम जी की मित्रो।

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