अमेरिका ने गौ मूत्र पर अनेकों पेटेंट ले लिए हैं, और अमेरिकी सरकार हर साल भारत से गाय का मूत्र आयात करती है और उससे कैंसर की दवा बनाती हैं । उसको इसका महत्व समझ आने लगा है।
जबकि हमारे शास्त्रो मे करोड़ो वर्षो पहले से और राजीव भाई ने अपने को इसका हिंदी में इसका अपने को महत्व बताया गया है। और उनके साहित्य में विस्तार से समझाया है जी
आइये जाने भारतीय नस्ल की देशी गौमाता के गौमूत्र के औषधीय गुणों के बारे में।
1. गौ मूत्र कड़क, कसैला, तीक्ष्ण और ऊष्ण होने के साथ-साथ विष नाशक, जीवाणु नाशक, त्रिदोष नाशक, मेधा शक्ति वर्द्धक और शीघ्र पचने वाला होता है। इसमें नाइट्रोजन, ताम्र, फास्फेट, यूरिया, यूरिक एसिड, पोटाशियम, सल्फेट, फास्फेट, क्लोराइड और सोडियम की विभिन्न मात्राएं पायी जाती हैं। यह शरीर में ताम्र की कमी को पूरा करने में भी सहायक है।
2. गौमूत्र को न केवल रक्त के सभी तरह के विकारों को दूर करने वाला, कफ, वात व पित्त संबंधी तीनो दोषों का नाशक, हृदय रोगों व विष प्रभाव को खत्म करने वाला, बल-बुद्धि देने वाला बताया गया है, बल्कि यह आयु भी बढ़ाता है।
3. पेट की बीमारियों के लिए गौमूत्र रामवाण की तरह काम करता है, इसे चिकित्सीय सलाह के अनुसार नियमित पीने से यकृत यानि लिवर के बढ़ने की स्थिति में लाभ मिलता है।
यह लिवर को सही कर खून को साफ करता है और रोग से लड़ने की क्षमता विकसित करता है।
4. 20 मिली गौमूत्र प्रात: सायं पीने से निम्न रोगों में लाभ होता है।
1. भूख की कमी, 2. अजीर्ण, 3. हर्निया, 4. मिर्गी, 5. चक्कर आना, 6. बवासीर, 7. प्रमेह, 8.मधुमेह, 9.कब्ज, 10. उदररोग, 11. गैस, 12. लूलगना, 13.पीलिया, 14. खुजली, 15.मुखरोग, 16.ब्लडप्रेशर, 17.कुष्ठ रोग, 18. जांडिस, 19. भगन्दर, 20. दन्तरोग, 21. नेत्र रोग, 22. धातु क्षीणता, 23. जुकाम, 24. बुखार, 25. त्वचा रोग, 26. घाव, 27. सिरदर्द, 28. दमा, 29. स्त्रीरोग, 30. स्तनरोग, 31.छिहीरिया, 32. अनिद्रा।
1. भूख की कमी, 2. अजीर्ण, 3. हर्निया, 4. मिर्गी, 5. चक्कर आना, 6. बवासीर, 7. प्रमेह, 8.मधुमेह, 9.कब्ज, 10. उदररोग, 11. गैस, 12. लूलगना, 13.पीलिया, 14. खुजली, 15.मुखरोग, 16.ब्लडप्रेशर, 17.कुष्ठ रोग, 18. जांडिस, 19. भगन्दर, 20. दन्तरोग, 21. नेत्र रोग, 22. धातु क्षीणता, 23. जुकाम, 24. बुखार, 25. त्वचा रोग, 26. घाव, 27. सिरदर्द, 28. दमा, 29. स्त्रीरोग, 30. स्तनरोग, 31.छिहीरिया, 32. अनिद्रा।
5. गौमूत्र को मेध्या और हृदया कहा गया है। इस तरह से यह *दिमाग और हृदय को शक्ति प्रदान करता है।*
यह मानसिक कारणों से होने वाले आघात से हृदय की रक्षा करता है और इन अंगों को प्रभावित करने वाले रोगों से बचाता है।
6. *इसमें कैसर को रोकने वाली ‘करक्यूमिन‘ पायी जाती है।*
7. कैंसर की चिकित्सा में रेडियो एक्टिव एलिमेन्ट प्रयोग में लाए जाते है।
गौमूत्र में विद्यमान सोडियम, पोटेशियम, मैग्नेशियम, फास्फोरस, सल्फर आदि में से कुछ लवण विघटित होकर रेडियो एलिमेन्ट की तरह कार्य करने लगते है
और कैंसर की अनियन्त्रित वृद्धि पर तुरन्त नियंत्रण करते है।
कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करते है।
अर्क आँपरेशन के बाद बची कैंसर कोशिकाओं को भी नष्ट करता है।
यानी गौमूत्र में कैसर बीमारी को दूर करने की शक्ति समाहित है।
कैंसर के मरीज के लिए काली रंग की गाय का गौमूत्र लेना चाहिए, और ध्यान रखना चाहिए गाय गर्भवती ना हो, इसके लिए बेस्ट है गाय की बछड़ी या बछड़े का गौ मूत्र लिया जाए।
8. दूध देने वाली गाय के मूत्र में “लेक्टोज” की मात्रा आधिक पाई जाती है, जो हृदय और मस्तिष्क के विकारों के लिए उपयोगी होता है।
9. गाय के मूत्र में आयुर्वेद का खजाना है! इसके अन्दर ‘कार्बोलिक एसिड‘ होता है जो कीटाणु नासक है, यह किटाणु जनित रोगों का भी नाश करता है।
*गौमूत्र चाहे जितने दिनों तक रखे, ख़राब नहीं होता है।*
*गौमूत्र चाहे जितने दिनों तक रखे, ख़राब नहीं होता है।*
10. जोड़ों के दर्द में दर्द वाले स्थान पर गौमूत्र से सेकाई करने से आराम मिलता है। सर्दियों के मौषम में इस परेशानी में सोंठ के साथ गौ मूत्र पीना फायदेमंद बताया गया है।
11. गैस की शिकायत में प्रातःकाल आधे कप पानी में गौ मूत्र के साथ नमक और नींबू का रस मिलाकर पीना चाहिए।
12. चर्म रोग में गौ मूत्र और पीसे हुए जीरे के लेप से लाभ मिलता है। खाज, खुजली में गौ मूत्र उपयोगी है।
13. गौमूत्र मोटापा कम करने में भी सहायक है।
*एक ग्लास ताजे पानी में चार बूंद गौ मूत्र के साथ दो चम्मच शहद और एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर नियमित पीने से लाभ मिलता है।*
*एक ग्लास ताजे पानी में चार बूंद गौ मूत्र के साथ दो चम्मच शहद और एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर नियमित पीने से लाभ मिलता है।*
14. गौमूत्र का सेवन छानकर किया जाना चाहिए। यह वैसा रसायन है, जो *वृद्धावस्था को रोकता है*और शरीर को स्वस्थ्यकर बनाए रखता है।
15.गौमूत्र किसी भी प्रकृतिक औषधी के साथ मिलकर उसके गुण-धर्म को बीस गुणा बढ़ा देता है| गौमूत्र का कई खाद्य पदार्थों के साथ अच्छा संबंध है जैसे गौमूत्र के साथ गुड़, गौमूत्र शहद के साथ आदि|
16.अमेरिका में हुए एक अनुसंधान से सिध्द हो गया है कि गौ के पेट में “विटामिन बी” सदा ही रहता है।
*यह सतोगुणी रस है व विचारों में सात्विकता लाता है।*
17.गौमूत्र लेने का श्रेष्ठ समय प्रातःकाल का होता है और इसे पेट साफ करने के बाद खाली पेट लेना चाहिए|
गौमूत्र सेवन के 1 घंटे पश्चात ही कुछ खाना पीना चाहिए|
गौमूत्र सेवन के 1 घंटे पश्चात ही कुछ खाना पीना चाहिए|
18. गौमूत्र देशी गाय का ही सेवन करना सही रहता है।
गाय का गर्भवती या रोग ग्रस्त नहीं होना चाहिए।
एक वर्ष से बड़ी बछिया का गौ मूत्र बहुत लाभकारी होता है।
गाय का गर्भवती या रोग ग्रस्त नहीं होना चाहिए।
एक वर्ष से बड़ी बछिया का गौ मूत्र बहुत लाभकारी होता है।
19. मांसाहारी व्यक्ति को गौमूत्र नहीं लेना चाहिए|
गौमूत्र लेने के 15 दिन पहले मांसाहार का त्याग कर देना चाहिए|
पित्त प्रकृति वाले व्यक्ति को सीधे गौमूत्र नहीं लेना चाहिए, गौमूत्र को पानी में मिलाकर लेना चाहिए|
गौमूत्र लेने के 15 दिन पहले मांसाहार का त्याग कर देना चाहिए|
पित्त प्रकृति वाले व्यक्ति को सीधे गौमूत्र नहीं लेना चाहिए, गौमूत्र को पानी में मिलाकर लेना चाहिए|
पीलिया के रोगी को गौमूत्र नहीं लेना चाहिए|
देर रात्रि में गौमूत्र नहीं लेना चाहिए|
देर रात्रि में गौमूत्र नहीं लेना चाहिए|
ग्रीष्म ऋतु में गौमूत्र कम मात्र में लेना चाहिए|
20. घर में गौमूत्र छिड़कने से लक्ष्मी कृपा मिलती है, जिस घर में प्रतिदिन गौमूत्र का छिड़काव किया जाता है, वहां देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती है।
21.गौमूत्र में गंगा मईया वास करती हैं। गंगा को सभी पापों का हरण करने वाली माना गया है, अत: गौमूत्र पीने से पापों का नाश होता है।
22.जिस घर में नियमित रूप से गौमूत्र का छिड़काव होता है, वहां बहुत सारे वास्तु दोषों का समाधान एक साथ हो जाता हैं।
23. देसी गाय के गोबर-मूत्र-मिश्रण से ‘`प्रोपिलीन ऑक्साइड” उत्पन्न होती है, जो बारिस लाने में सहायक होती है| इसी के मिश्रण से ‘इथिलीन ऑक्साइड‘ गैस निकलती है जो ऑपरेशन थियटर में काम आता है |
24. गोमुत्र कीटनाशक के रूप में भी उपयोगी है। देसी गाय के एक लीटर गोमुत्र को आठ लीटर पानी में मिलाकर प्रयोग किया जाता है ।
गोमुत्र के माध्यम से फसल को नैसर्गिक युरिया मिलता है। इस कारण खाद के रूप में भी यह छिड़काव उपयोगी होता है ।
गौमूत्र से औषधियाँ एपं कीट नियंत्रक बनाया जा सकता है।और बहुत कुछ....???
ज्यादा जानकारी के लिए आप भाई श्री राजीव दीक्षित जी को सुन सकते है youtubeपर जाकर या उनका साहित्य पढ़ो जी
* *स्वदेशी रक्षक* अमर आत्मा भाई श्री राजीव दीक्षित जी को कोटि कोटि वंदन जी।
गौमूत्र से औषधियाँ एपं कीट नियंत्रक बनाया जा सकता है।और बहुत कुछ....???
ज्यादा जानकारी के लिए आप भाई श्री राजीव दीक्षित जी को सुन सकते है youtubeपर जाकर या उनका साहित्य पढ़ो जी
* *स्वदेशी रक्षक* अमर आत्मा भाई श्री राजीव दीक्षित जी को कोटि कोटि वंदन जी।
No comments:
Post a Comment