आयुर्वेद का ज्ञान केवल भारत में है परन्तु आधुनिकता और विकास की अन्धी दौड़ में हम अज्ञानता को ज्ञान मानकर अपना रहे है अपने वास्तविक ज्ञान को पिछड़ा बता उसे छोड़ते जा रहे है
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि हमारे देश मे 2000 से अधिक वनस्पतियों की पत्तियों से तैयार किये जाने वाले पत्तलों और उनसे होने वाले लाभों के विषय मे पारम्परिक चिकित्सकीय ज्ञान उपलब्ध है पर मुश्किल से पाँच प्रकार की वनस्पतियों का प्रयोग हम अपनी दिनचर्या मे करते है।
आम तौर पर केले की पत्तियो मे खाना परोसा जाता है। प्राचीन ग्रंथों मे केले की पत्तियो पर परोसे गये भोजन को स्वास्थ्य के लिये लाभदायक बताया गया है। आजकल महंगे होटलों और रिसोर्ट मे भी केले की पत्तियो का यह प्रयोग होने लगा है।
* पलाश के पत्तल में भोजन करने से स्वर्ण के बर्तन में भोजन करने का पुण्य व आरोग्य मिलता है ।
* केले के पत्तल में भोजन करने से चांदी के बर्तन में भोजन करने का पुण्य व आरोग्य मिलता है ।
* रक्त की अशुद्धता के कारण होने वाली बीमारियों के लिये पलाश से तैयार पत्तल को उपयोगी माना जाता है। पाचन तंत्र सम्बन्धी रोगों के लिये भी इसका उपयोग होता है। आम तौर पर लाल फूलो वाले पलाश को हम जानते हैं पर सफेद फूलों वाला पलाश भी उपलब्ध है। इस दुर्लभ पलाश से तैयार पत्तल को बवासिर (पाइल्स) के रोगियों के लिये उपयोगी माना जाता है।
* जोडो के दर्द के लिये करंज की पत्तियों से तैयार पत्तल उपयोगी माना जाता है। पुरानी पत्तियों को नयी पत्तियों की तुलना मे अधिक उपयोगी माना जाता है।
* लकवा (पैरालिसिस) होने पर अमलतास की पत्तियों से तैयार पत्तलो को उपयोगी माना जाता है।
इसके अन्य लाभ :
1. सबसे पहले तो उसे धोना नहीं पड़ेगा, इसको हम सीधा मिटटी में दबा सकते है l
2. न पानी नष्ट होगा l
3. न ही कामवाली रखनी पड़ेगी, मासिक खर्च भी बचेगा l
4. न केमिकल उपयोग करने पड़ेंगे l
5. न केमिकल द्वारा शरीर को आंतरिक हानि पहुंचेगी l
6. अधिक से अधिक वृक्ष उगाये जायेंगे, जिससे कि अधिक आक्सीजन भी मिलेगी l
7. प्रदूषण भी घटेगा ।
8.बीमारिया भी कम होगी
9.इन डोनो और प्लेटो को बनाने में मशीन की जगह हाथो का इस्तिमाल होगा और लोगो को रोजगार मिलेगा
जहाँ तक सम्भव हो भण्डारों और पार्टियो में प्लास्टिक,थर्मोकोल से बने प्लेटो और डोनो की जगह इन पत्तियों से तैयार प्लेटो और डोनो का इस्तिमाल करे
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