Thursday, September 3, 2015

हमें तो लूटा अपनों ने, गैरो में कहा दम था ।

“हमें तो लूटा अपनों ने, गैरो में कहा दम था ।
हमारी कश्ती भी वहीँ डूबी जहाँ पानी कम था । ”
धर्म को तोड़ने में जितना योगदान “आर्य समाज” का रहा उतना किसी और का नहीं रहा ।
ये लोग खुद को वैदिक धर्म के रक्षक और प्रचारक कहते है मै आज इनसे कुछ प्रश्न पूछना चाहता हूँ –
१. आप खुद को वैदिक कहते हो और वेदो की शाखा पुराणो का विरोध करते हो क्यों ?
२. आपको कैसे पता की पुराणो में लिखी सभी बाते हमारे ऋषि मुनिओ ने ही लिखी है उनमे किसी प्रकार की कोई मिलावट नहीं हुई थी ?
३. सत्यार्थ प्रकाश के कुल १४ समुल्लसो में से आप लोगो ने केवल ११ वां ही समुल्लास ही पढ़ा क्यों ?
४. बाकि के १३ समुल्लसो में जो वेदो के ज्ञान (तथाकथित ) की बाते बताई गई है उनका प्रचार प्रसार क्यों नहीं करते हो ?
५. गायत्री परिवार के श्रीराम शर्मा जी ने भी सत्यार्थ प्रकाश का अध्ध्य्यन किया था और किन्तु क्या कारन रहा की उन्होंने उसको त्याग कर स्वयं ने गृहस्थ में रह कर वेदो का अध्ध्य्यन किया और वे सभी पौराणिक देवी देवताओ की पूजा करते है । और गायत्री परिवार की स्थापना की और आज आर्य समाज मुट्ठी बाह भी नहीं है और गायत्री परिवार के प्रचारक सभी देश विदेश में वेदो के ज्ञान का प्रचार प्रसार कर रहे है ?
६. आप लोग कहते है की आजादी की लड़ाई में सबसे अधिक आर्य समाज के लोगो का ही योगदान था, तो क्या झांसी की रानी, तात्या टोपे, मंगल पाण्डेय, भगत सिंह, चन्द्र शेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल ओर भी लाखो वीरो ने सत्यार्थ प्रकाश को ही पढ़ा था ?
७. आप लोगो को “हिन्दू” और “हिंदुत्व” शब्द से ईर्ष्या है जबकि वीर सावरकर ने जेल में पूरी सत्यार्थ प्रकाश को पढ़ लिया था फिर भी उन्होंने कहा था की “हिंदू और हिदुत्व की रक्षा करना मेरा परम कर्तव्य है ” क्यों ? जबकि तुम्हारे सत्यार्थ प्रकाश के अनुसार तो हिन्दू और हिंदुत्व तो गाली है ।
७. आज जितने भी गैर हिन्दू ने जो वैदिक धर्म को स्वीकार किया है उन सभी ने भी सत्यार्थ प्रकाश को भी अच्छी तरह से पढ़ा और अध्यन किया फिर वे लोग तो सिर्फ वेदो के ज्ञान की बात क्यों करते है वे लोग पुराणो की मिळवतो को आप सभी के जैसे प्रचार नहीं करते है ? – डॉ महेंद्र पाल आर्य, फरहाना ताज, नेज़ अहमद सिद्दीकी और भी कई लोग है ।
८. तुम लोग अपने नाम के पीछे आर्य लगवाने को गौरव महसूस करते हो, अरे भाई हम स्वीकार करता हुँ की हिन्दू शब्द का उल्लेख वेद पुराणो में नहीं हे लेकिन पहले आर्य जितने महान तो बन जाओ और हमारा पूर्ण आर्यव्रत को तो पुनः हासिल कर लो फिर आर्य बोलना ?
९. तुम लोग बोलते हो की वेदो में मूर्ति पूजा वर्जित है अरे तो भाई तुम लोगो ने क्यों स्वामी दयानंद का चित्र लगते हो ? सनातन धर्म के बहुत विद्वान संत हुए थे “श्री राम सुखदास जी महाराज” उनको ४० साल तक गले का कैंसर था फिर उन्होंने कोई इलाज नहीं करवाया और उन्होंने ४० वर्ष पूर्व ही अपनी वसीयत लिख डाली की मेरी कोई भी वस्तु को मेरी मृत्यु के बाद मेरे साथ ही नष्ट कर देना । अरे उनका तो चित्र भी नहीं लेने दिया उन्होंने । वो भी वेदो के ज्ञाता थे पर उन्होंने कभी पुराणो का अपमान नहीं किया ।
आज जाकिर नैक जैसे जितने भी मुल्ले है वे लोग सनातन धर्म का मजा इसलिए बनाते है क्यों की आप जैसे दिमक हमारे सनतान धर्म की जड़ को खोखला कर रहे हो । आप स्वयं को वेदो का ज्ञाता कहते हो तो वेदो के ज्ञान का प्रचार प्रसार करो न तुम खुद ने तो वेदो को कभी जानने का प्रयत्न किया नहीं और मुर्ख मुल्लो के जैसे कुरआन (सत्यार्थ प्रकाश) में लिखी बातो में पर अंधे हो कर बकने लगे । खुद को इतना ही समझदार और सनातन धर्म का रक्षक मानते हो तो वेदो को स्वयं पढ़ो और फिर उस ज्ञान का प्रचार करो । या तुम लोगो में वेदो को समझने की मेहनत नहीं करना चाहते हो सीधे ही उस सत्यार्थ प्रकाश को ही वेद मान बैठे हो ?
“हमें तो लूटा अपनों ने, गैरो में कहा दम था ।
हमारी कश्ती भी वहीँ डूबी जहाँ पानी कम था । ”

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