Thursday, October 13, 2022

S क्लास.

जर्मनी की मर्सिडीज़-बेंज की "S क्लास" कार इस ब्रैंड की सबसे बड़ी एवं विलासितापूर्ण वाहन है। 

कई दशकों से मर्सिडीज़ इस कार का निर्माण कर रही है।  

पिछले वर्ष मर्सिडीज़ ने इस कार का एकदम नया मॉडल मार्केट में उतारा।  

एकदम नया से तात्पर्य यह है कि S क्लास कार की पुनः डिज़ाइन की गयी। नए ढाँचे (chassis) पर कार का निर्माण किया गया और कई प्रकार की नयी सुविधाओं, सुरक्षा साधन एवं विलासिता से कार को सुसज्जित किया गया। 

और इस कार के उत्पादन के लिए जर्मनी में एक नए कारखाने का निर्माण किया गया।  

मर्सिडीज़ ने निर्णय लिया कि कार की गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए पूरे विश्व में बिकने वाली नयी S क्लास का उत्पादन केवल जर्मनी के प्लांट में किया जाएगा। जबकि मर्सिडीज़ की अन्य कारो का निर्माण कई देशो में होता है। 

अमेरिका में इस कार को 17 जुलाई 2021 में लांच किया गया जिसका पहला बैच सीधे जर्मनी से आया था। जुलाई में ही नयी S क्लास की अधिक शक्तिशाली एवं विलासितापूर्ण कार (S-580) मेरे पास थी। 

कुछ ही दिन बाद मर्सिडीज़ से पत्र आया कि कार में कुछ कमी या समस्या पायी गयी है; अतः कार को recall किया गया है और मुझसे उस कार को सर्विस सेंटर में लाने का आग्रह किया गया जिससे उस समस्या को ठीक किया जा सके। 

तब से लेकर लगभग एक वर्ष तक, कुछ माह के अंतराल पर recall के पत्र आते रहे जिसे फिक्स कराने के लिए कार को सर्विस सेंटर ले जाना पढ़ा। 

उदाहरण के लिए, कुछ कार ड्राइव करते समय एकाएक बंद हो जाती थी या फिर कार की कंप्यूटर स्क्रीन ब्लैंक हो जाती थी।  

यद्यपि मेरी कार में ऐसी कोई समस्या नहीं थी, तब भी कार को सर्विस सेंटर ले जाकर उस recall को फिक्स कराया गया। 

यह भी उस कार में जो विश्व की एक श्रेष्ठतम कार कंपनी - मर्सिडीज़ - की है और वह भी जर्मनी के प्लांट में जर्मन इंजीनियर एवं लेबर द्वारा बनाई गयी हो। 

लगभग आधे दर्जन recall के बाद भी इस कार पर मेरा विश्वास अडिग है। 

भारत के संदर्भ में देखा जाए तो वंदे भारत को लेकर यही स्थिति है। पहली बार एक नयी ट्रेन भारत में बनी है। भारत में ही इस ट्रेन का ढांचा, फ्रेमवर्क एवं डिज़ाइन बनाया गया है। प्रत्येक कार्य भारतीय इंजीनियर एवं लेबर ने किया है।
 
दो बार जानवर टकराने से इस ट्रेन के प्लास्टिक या फाइबर के ढांचे में थोड़ा सा नुकसान हुआ है जिसे बदल दिया गया है। एक बार ब्रेक जाम हो गया। अर्थात, निर्माण एवं डिज़ाइन में कुछ समस्या केवल एक बार ही सामने आयी है। 

लेकिन देश-तोड़क शक्तियां इस एक्सीडेंट एवं ब्रेक जाम होने का उपहास उड़ा रही है। 

चाहे शाहीन बाग या फर्जी किसान आंदोलन का षणयंत्र हो; या फिर चंद्रयान की अंतिम क्षणों की विफलता; या फिर सर्जिकल स्ट्राइक की सफलता; या फिर डिजिटल भुगतान को लांच करना; या फिर भारतीय उद्यमियों की सफलता; हर पड़ाव पर यह लोग राष्ट्र के विरोध में खड़े है। 

इस शक्तियों का विश्वास भारत पर है ही नहीं। 

भारत की कोई भी उपलब्धि हो, यह शक्तियां चाहती है भारत फेल हो जाए, राष्ट्र की इमेज गिर जाए। 

क्योकि भारत के फेल होने पर ही वे लोग अनुचित रूप से अरबो-खरबो रुपये कमा सकते है, राष्ट्र की सत्ता हथिया सकते है।

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