🍂........जब पड़ोस के घर बेटी पीहर से आती थी तो सारे मौहल्ले में रौनक होती थी!!!
🍂........जब ब्याह में मेहमानों को ठहराने के लिए पड़ोसियों के घर उनके बिस्तर लगाए जाते थे!!!
🍂.......जब रिश्तेदारों का आना, घर को त्योहार सा कर जाता था!!!
🍂.......जब बच्चे के हर जन्मदिन पर महिलाएं ढोलक के साथ बधाईयाँ गाती थीं!!!
🍂.......जब बुआ और मामा जाते समय जबरन हमारे हाथों में पैसे पकड़ाते थे, और बड़े आपस मे मना करने और देने की बहस में एक दूसरे को अपनी सौगन्ध दिया करते थे!!!
🍂.......जब गेंहूँ साफ करना किटी पार्टी सा हुआ करता था और पापड़ और आलू चिप्स छत पर सुखाए जाते थे!!!
🍂.......जब शादी के निमंत्रण के साथ पीले चावल आया करते थे!!!
🍂.......जब रात में नाख़ून काटना मना था और संध्या समय झाड़ू लगाना बुरा था!!!
🍂.......जब गले सुरीले होना जरूरी नहीं था, दिल खोल कर बन्ने बन्नी गाये जाते थे!!!
🍂.......जब सबके घर अपने लगते थे, बिना घंटी बजाए बेतकल्लुफी से किसी भी पड़ौसी के घर घुस जाया करते थे!!!
#येउनदिनोंकीबातहै ........💕💕💕
No comments:
Post a Comment